कर्णधार हिंदी के बन कर, मस्ती सुरा, सुंदरी में,
भावभंगिमा और आँखों से चलता साहूकारा है !
विद्वानों का रूप देखकर,हमको ऐसा लगता है !
भावभंगिमा और आँखों से चलता साहूकारा है !
विद्वानों का रूप देखकर,हमको ऐसा लगता है !
जिसको ज्ञानी हमने माना वो केवल हरकारा है !
पहली बार मिले हैं तुमसे,ज़रा सांस तो लेने दो !
जल्दी ज्ञान कहाँ समझेंगे, आदत से बंजारा हैं !
धीरे धीरे समझ सकेंगे, इंसानों की फितरत को !
हमने सारा जीवन अपना,पशुओं साथ गुज़ारा है!
हमने सारा जीवन अपना,पशुओं साथ गुज़ारा है!
सुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार आदरणीय-
sunder,samyik......bahut achchi lagi......
ReplyDeleteइंसानों के साथ जीवन बिताने के बाद समाजः आता है की पशु ही अच्छे थे ...
ReplyDeleteलाजवाब ... लाजवाब ... लाजवाब ...
बेहतरीन ,
ReplyDeleteव्यंग नहीं सच्चाई है
ट्यूशन की गज़ब कमाई है
नई पोस्ट " अश्रु मेरे दृग तेरे थे "
साहित्य का हरकारा :)
ReplyDeleteक्या खूब कही सर आपने ............लाजबाब :)
सुन्दर कटाक्ष । बधाई ।
ReplyDelete.... लाजबाब .....
ReplyDelete:-))))
ReplyDeleteधीरे धीरे समझ सकेंगे , इंसानों की फितरत को !
ReplyDeleteहमने सारा जीवन अपना,पशुओं साथ गुज़ारा है
आजकल भरोसे लायक ईमानदार यही प्राणी है :)
धीरे धीरे समझ सकेंगे , इंसानों की फितरत को !
ReplyDeleteहमने सारा जीवन अपना,पशुओं साथ गुज़ारा है ,,,
बहुत सुंदर लाजबाब गजल ,,,
RECENT POST -: तुलसी बिन सून लगे अंगना
किस मोहल्ले में रह रहे हैं भाई ,बदल डालिये -ऐसे कब तक चलेगा ?कोई अच्छा सा पास पड़ोस तलाशिये न! :-)
ReplyDeleteबहुत खूब :-)
ReplyDeleteनई पोस्ट सपना और मैं (नायिका )
कर्णधार , हिंदी के बन कर, तैरे सुरा, सुंदरी में !
ReplyDeleteहिन्दी की तेरहवीं करा के,खुद करते भंडारा हैं !
@@ जोरदार
क्या खींच के मारा है :)
ReplyDeleteवाह! क्या बात है...
ReplyDelete.
ReplyDelete.
.
... :)
बढ़िया... आजकल आपकी रचनात्मकता पूरे उफान पर चल रही है... थोड़ा स्लो डाउन करिये सर जी... सांस भी लेने देंगे कि नहीं हम गरीबों को....
...
सच है आज लेखक समझने की भूल सभी से होती है।
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeleteवाह, क्या कुरेदा है, मर्म पर।
ReplyDeleteबहुत शानदार भंडारा करवाया, इसी के लायक हैं ये.
ReplyDeleteरामराम.
wah...satik chot shabdon ke..
ReplyDeleteबन्धु ! विद्वानों की सभा में कई बार हमें भी ऐसा ही लगता है कि इन्हें सेरिब्रल डायरिया हो गया है । उनके चरित्र हमें आसमां से ज़मीं पर ला देते हैं ।
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