अनुराग शर्मा को समर्पित :
खस्ता शेरों को देख उठे, कुछ सोते शेर हमारे भी !
सुनने वालों तक पंहुचेंगे, कुछ देसी बेर हमारे भी !
ज़ाहिल डरपोक भीड़ कैसे,जानेगी वोट की ताकत को
इस देश के दर्द में खड़े हुए,अनजाने शेर हमारे भी !
जैसे तैसे जनता आई ,कितना धीरज रख पायेगी !
कल रात से,अंडे सड़े हुए ले, बैठे शेर हमारे भी !
प्रतिभा लक्ष्मी का साथ नहीं बेईमानों की नगरी में !
बाबा-गुंडों में स्पर्धा , घर में हों , कुबेर हमारे भी !
जाने क्यों वेद लिखे हमने,हँसते हैं अब,अपने ऊपर !
भैंसे भी, कहाँ से समझेंगे, यह गोबर ढेर, हमारे भी !
चोट्टे बेईमान यहाँ आकर,बाबा बन धन को लूट रहे !
जनता को समझाते हांफे, पुख्ता शमशेर हमारे भी !
फिर भी कुछ ढेले फेंक रहे ,शायद ये नींदें खुल जाएँ !
पंहुचेंगे कहीं तक तो प्यारे,ये कपोत दिलेर,हमारे भी !
खस्ता शेरों को देख उठे, कुछ सोते शेर हमारे भी !
सुनने वालों तक पंहुचेंगे, कुछ देसी बेर हमारे भी !
ज़ाहिल डरपोक भीड़ कैसे,जानेगी वोट की ताकत को
इस देश के दर्द में खड़े हुए,अनजाने शेर हमारे भी !
जैसे तैसे जनता आई ,कितना धीरज रख पायेगी !
कल रात से,अंडे सड़े हुए ले, बैठे शेर हमारे भी !
प्रतिभा लक्ष्मी का साथ नहीं बेईमानों की नगरी में !
बाबा-गुंडों में स्पर्धा , घर में हों , कुबेर हमारे भी !
जाने क्यों वेद लिखे हमने,हँसते हैं अब,अपने ऊपर !
भैंसे भी, कहाँ से समझेंगे, यह गोबर ढेर, हमारे भी !
चोट्टे बेईमान यहाँ आकर,बाबा बन धन को लूट रहे !
जनता को समझाते हांफे, पुख्ता शमशेर हमारे भी !
फिर भी कुछ ढेले फेंक रहे ,शायद ये नींदें खुल जाएँ !
पंहुचेंगे कहीं तक तो प्यारे,ये कपोत दिलेर,हमारे भी !