तब तक दिल में,बसी रहेगी, गंध उसी कस्तूरी की !
तब तक वे,न जाने देंगीं, दिल से धमक जवानी की !
जब तक कोई कान लगाये, आहट सुनता क़दमों की !
तब तक यह मुस्कान रहेगी , कसमें पद्म भवानी की !
भरी जवानी में , ये बाते, किस गुस्ताख ने छेड़ी हैं !
हाथ मिलाएं, हमसे आकर, हो पहचान गुमानी की !
जब तक ह्रदय मचलता उनके जूड़े ,कंगन,गजरे पर
लाखों जनम निछावर उन पर, है इच्छा कुर्बानी की !
जब तक ह्रदय मचलता उनके जूड़े ,कंगन,गजरे पर
लाखों जनम निछावर उन पर, है इच्छा कुर्बानी की !
kafi dino baad apke rachana bhav padhe ...bhapoorn abhivyakti ...abhar
ReplyDeleteआँखों में अब कल दिखता है।
ReplyDeleteभरी जवानी में ये बाते, किस गुस्ताख ने छेड़ी हैं !
ReplyDeleteहाथ मिलाएं हमसे आकर,हो पहचान जवानी की !
कसम ज़वानी की , ये पंक्तियाँ पढ़कर मज़ा अ गया . :)
बदले मूड में देख कर अच्छा लगा भाई जी .
जीवन को समझना तो पड़ेगा भाई जी..आभार आपका !
Deleteमस्त गज़ल है जी :)
ReplyDelete:):) पहले आता था बुढ़ापा 40 साल की उम्र में , अब तो 40की उम्र किशोरावस्था है :) इस रचना को पढ़ कर लगा कि अभी अभी तो दस्तक सुनी है आपने जवानी की :):)
ReplyDeleteवा वाह... वा वाह...
Deleteआभारी हूँ हिम्मत बंधाने के लिए आपका :)))
बड़ा इंतज़ार था आपकी तरफ से ऐसी पोस्ट का.....
ReplyDeleteजवानी बरकरार रहे........
शुभकामनाएं
सादर
अनु
शुक्रिया अनु....
Deleteबहुत रोचक मजेदार पंक्तियाँ ------सही है सिर्फ जिस्म ही गद्दारी करता है मन हमेशा वफादारी करता है
ReplyDeleteसुंदर रचना है।
ReplyDeletenamaskaar satish ji
ReplyDeleteभरी जवानी में, ये बाते, किस गुस्ताख ने छेड़ी हैं !
हाथ मिलाएं,हमसे आकर,हो पहचान जवानी की ! waah kya khoob likha aapne .............rachna bahut acchi hai , vaise dil ki yaaden jo mahakti hai wah dil ko sada jawan hi rakhti hai aur yah jawani kabhi na jaye ..............:)) shubhkamnaye
saadar shashi
४० में शादी .......... उम्र का तकाजा बदल गया . सफेदी तो १६ साल में भी अब दिखते हैं , उम्र को तो रंगकर प्रायः सभी चल रहे हैं
ReplyDelete:)
सब नहीं रंगते :)
Deleteउम्र का तो पता नहीं पर बाल सर छोड़िये दाड़ी के भी सफेद हो गये । बहुत जोर किये लोग काला करो हमने कहा दिल काला है तो काहे बालों को काला करें :)
Deleteवाह गुरु !!
Deleteबढ़िया.
ReplyDeleteशुभकामनायें,सतीश जी.
रश्मि जी, बिल्कुल सही! वैसे बुढ़ापा उम्र से कम इंसान की जिन्दादिली से अधिक दिखाई देता है. क्या फर्क पड़ता है कि लोग आंटी कहें या दादू कहें. फर्क इस बात से पड़ता है कि वे आपको अपने में कितना शामिल करते हें. कितना हमराज बनाकर आपसे अपने को बाँटते हें. यही आपके हमउम्र के बराबर जगह देने वाली बात है और फिर जब हम जिनके साथ हें तो उनके बराबर ही बन जाते हें. बुढ़ापा एक मानसिक स्थिति है न कि शारीरिक स्थिति. आप स्वस्थ रहे और सक्रिय रहें. सबके साथ अपने को मिलाकर चलें .
ReplyDeleteक्या बात है...:)
ReplyDeleteवाह क्या बात है...! जवानी जिन्दाबाद।
ReplyDeletewaah ..bahut sundar likha hai ...
ReplyDeletebudhapa kabhi na aaye ...
shubhkamnayen Satish ji ...
उम्र एक मकाम होती हैं
ReplyDeleteएहसास होती हैं
की
जीवन जिया हैं हमने
बुढ़ापा और जवानी
इस बहस में जो पडते हैं
मुझे लगता हैं
मानसिक रूप से अपरिपक्व होते हैं
हाँ ... :)
Deleteकभी कभी ऐसा ही लगता है !
जब तक कोई कान लगाये, आहट सुनता क़दमों की !
ReplyDeleteदिल ये,सदा जवान रहेगा, कसम हमें इन प्यारों की !
भरी जवानी में, ये बाते, किस गुस्ताख ने छेड़ी हैं !
हाथ मिलाएं,हमसे आकर,हो पहचान जवानी की !
कुछ तो बात है भैया जी , लेकिन मानना पड़ेगा ?
आभार रमाकांत जी आपका.....
Deleteरब से दुआ है यह हंसी-खुशी का मौसम सदा यूँ ही बना रहे...
ReplyDeleteजहाँ तक आपके गीत की बात है...उसमें कुछ खास नहीं है... हमेशा की ही तरह अच्छा है... वही पुराना ज़बरदस्त अंदाज़... वही घिसा-पीटा बेहतरीन तरीके का गीत... पढकर वही पुरानी जलन... उन्ह्ह...
स्वागत है आपका ...
Deletebahut khoob kaha .... aapne
ReplyDeleteएक व्यक्ति ने अपना 79 वाँ जन्म दिया मनाया और कहा....
ReplyDeleteहाय! अगले वर्ष मेरा टीन एज समाप्त हो जायेगा। साठ वर्ष की सेवा के बाद जब मैने सरकारी सेवा से से अवकाश ग्रहण किया था तब मेरा जन्म हुआ था।:)
बहुत सुन्दर भावप्रवण कविता |
ReplyDeleteजब तक कोई कान लगाये, आहट सुनता क़दमों की !
ReplyDeleteदिल ये,सदा जवान रहेगा, कसम हमें इन प्यारों की !
सार , जीवन का |
वाकई ...
Deleteताव दिला कर हाथ मिलाने के लिए उकसाना क्यों पड़ रहा है? :)
ReplyDeleteहाथ मिलाने पर दुबारा ध्यान दें :)
Deleteभरी जवानी में, ये बाते, किस गुस्ताख ने छेड़ी हैं !
ReplyDeleteहाथ मिलाएं,हमसे आकर,हो पहचान जवानी की !
अति सुंदर..
बेहतरीन, जीवंत पंक्तियाँ.....
ReplyDeleteभरी जवानी में,ये बाते,किस गुस्ताख ने छेड़ी हैं !
ReplyDeleteहाथ मिलाएं,हमसे आकर,हो पहचान जवानी की !
काफी दिनों बाद अलग मूड की रचना पढ़ने को मिली,,,,लाजबाब,,,,
RECENT POST,परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,
कस्तूरी की वही मादक गंध तो इधर भी मदहोश किये हुए हैं .. :-)
ReplyDeleteबरखुर्दार मेरी तरह तो बाल काले आपके भी हैं फिर ये चचा जान का संबोधन?
गहरी सहारी सहानुभूति हुयी ..
वो जोशे जवानी न रही तो क्या हुआ
ये होशे तजुर्बा तो बरकरार है ग़ालिब :-)
(गालिबन ये मेरा है ) और जिन्हें आपने ललकारा है उनको भी पेशे खिदमत है -
गो हाथों में दम नहीं आँखों में तो जुम्बिश है
रहने दो सागरों मीना अभी हमारे सामने >
(सागरों मीना में बहुत कुछ सम्मिलित है )
उफ़ ये क्या क्या कमबख्तयादें आपने दिला दीं :-)
केशव केशन अस करी जस अरिहूं न कराहिं
चन्द्र मुखी मृगलोचनी चाचा कहि कहि जायं :-)
कलेजे को ठंडक मिल गयी या कुछ और सुनाऊँ ?
मिल गयी ...
Delete:)
ज़िन्दगी ज़िन्दादिली का नाम है, बना रहे ये जज़्बा!
ReplyDeleteकौन कहता है बुढ़ापे में,
ReplyDeleteइश्क का सिलसिला नहीं होता...
आम तब तक मजा नहीं देता,
जब तक पिलपिला नहीं होता...
सतीश भाई, शुभकामनाएं...
जय हिंद...
:))
Deleteयह पिलपिला कौन है ?? आखिरी लाइने पढ़े खुशदीप भाई !
आपने तो बड़ी गंभीरता से चैलेन्ज दे डाला
ReplyDeleteभरी जवानी में, ये बाते, किस गुस्ताख ने छेड़ी हैं !
हाथ मिलाएं,हमसे आकर,हो पहचान जवानी की !
ये भी खूब रही.
बस यूँ ही ...
Delete:)
जब तक बसी रहेगी कस्तूरी गंध , उम्र सिर्फ एक गिनती होगी !
ReplyDeleteजब तक बसी रहेगी कस्तूरी गंध , उम्र सिर्फ एक गिनती होगी !
ReplyDeleteसच है ...आभार आपका !
Deleteभरी जवानी में, ये बाते, किस गुस्ताख ने छेड़ी हैं !
ReplyDeleteहाथ मिलाएं,हमसे आकर,हो पहचान जवानी की !
यही उत्साह बरक़रार रखे :)
ऐसा ही होगा :)
Deleteचलो , आप आये तो सही मूड में !
ReplyDeleteआपकी चिंता के लिए बेहद आभारी हूँ ...कष्ट भुलाने का प्रयत्न जारी रहेगा !
Deleteजब तक कोई कान लगाये, आहट सुनता क़दमों की
ReplyDeleteदिल ये,सदा जवान रहेगा, कसम हमें इन प्यारों की ...
वाह जवान रहने का क्या नुस्खा खोजा है सतीश जी ... उनके क़दमों की आहट सुन्नी पड़ेगी अब ...
बहुत बढ़िया प्रस्तुति...
ReplyDeletealag sa....achchi lagi.
ReplyDeleteबढिया भी हैं और सच भी
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत रचना,हर पंक्ति दिल को छू गई ...
ReplyDeleteसादर
बेहद ख़ूबसूरत रचना,हर पंक्ति दिल को छू गई ...
ReplyDeleteसादर
रचना के भाव मन को भाए!
ReplyDeleteसुंदर रचना..आपने सही कहा है..
ReplyDeleteआहा ||||
ReplyDeleteबहुत सही रचना है सर जी...
बहुत बढ़िया..
जवानी के मौज कीजिये...
:-)
रचना आपकी बेहद सुन्दर है
ReplyDeleteपर मुझे तकलीफ ऎसी है कि जीना बोझ लगता है.
यह क्या हुआ ...
Deleteऐसा ना कहें ..
लेकिन बुढापा तो हम सब का अब आ ही गया सतीश जी, मान लीजिये न :)
ReplyDeleteअरे आप कब से बूढी हो गयीं ??
Delete:)
बहुत खूब!
ReplyDeleteअलग अलग पहर हैं
अलग अलग कमाई है
बुढा़पे में क्या बुराई है
बुढा़पा भी जिंदादिल
हुआ करता है
पता नहीं फिर भी
जवानी पर वो
क्यों मरता है !
वाह! बेहद खुबसूरत..नजर न लग जाए..
ReplyDeleteIts yesterday once more.....बहुत खूब सतीश जी.
ReplyDeleteबहुत सुंदर। मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।
ReplyDeleterachna ka janm hone ke liye chhote chhote vakaye badi bhoomika nibhate hai..sundar rachna..
ReplyDeleteसुंदर रचना.....
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteपर इसे लिखने जहां से प्रेरणा मिली वो भी कम नहीं है।
बहुत बढिया
सुंदर रचना
ReplyDeleteपर इसे लिखने जहां से प्रेरणा मिली वो भी कम नहीं है।
बहुत बढिया
ईश्वर से यही दुआ है...
ReplyDelete~ये शरारत, ये मुस्कान.. यूँ ही खिलती रहे...
इस गुलशन में बहार.. सदा महकती रहे.......~ :-)
~सादर !
ईश्वर से यही दुआ है...
ReplyDelete~ये शरारत, ये मुस्कान यूँ ही खिलती रहे...
इस गुलशन में बहार सदा महकती रहे.......~ :-)
~सादर !
जीवन भी अजब पहेली है
ReplyDeleteकभी खुशी कभी गम
जब तक मन में,किसी प्यार की,यादें हमको आती हैं !
ReplyDeleteतब तक दिल में, बसी रहेगी, गंध उसी कस्तूरी की!
आपकी उपर्युक्त पक्तियों पर सहस्त्रों महाकाव्य की रचना की जा सकती है। बहुत दिनों बाद आपके पोस्ट पर आना हुआ। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।
ये भी बहुत खूब रही ..
ReplyDelete:):)
ReplyDeleteबहुत सुंदर ।आपकी इस जोरदार वापसी पर बहुत अच्छा लगा ।
ReplyDeleteबहुत खूब कही :)
ReplyDeleteअब आप भी कहेंगे ये कहाँ आ गये तुम :)
ReplyDeleteअरे फोटो खींच लाई हम भी क्या करें ?
Shokhiyoon mainghloa jaye... Dev saahab ka gana yaad aa gaya :]
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