अपने अरमानों के ये दीप , जलाते रहिये !
हर सड़े फूल को , फ़िरदौस बताते रहिये !
हाथ जोड़े , नज़र मुस्तैद , दिखाये रहिये !
आँख नीची रखें और दुम को हिलाते रहिये !
कौन जानें वे आज ,घर से लड़ के आएं हो
उनके हमदर्द हो ,आँखों को भिगाये रहिये !
दर्द के साज को बस दिल में बजाते रहिए
हाथ जोड़े , नज़र मुस्तैद , दिखाये रहिये !
आँख नीची रखें और दुम को हिलाते रहिये !
कौन जानें वे आज ,घर से लड़ के आएं हो
उनके हमदर्द हो ,आँखों को भिगाये रहिये !
दर्द के साज को बस दिल में बजाते रहिए
ख़ुद को मजबूर बना अश्क छुपाते रहिए !
क्या पता राह में उम्मीद नज़र आ जाये
हर इक महताब को, आदाब बजाते रहिये !
क्या पता राह में उम्मीद नज़र आ जाये
हर इक महताब को, आदाब बजाते रहिये !
दुम तो कब से हिला रहे हैं
ReplyDeleteफिर भी वो भाव खा रहे हैं
कैसे हिलानी है दुम
बस हमें ही नहीं बताना
चाह रहे हैं ।
बहुत खूब :)
बढ़िया मस्त , मज़ा आ गया बेहतरीन रचना बड़े भाई , धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
वाह।
ReplyDeleteजलने वाले भी तो, शैतान नज़र रखते हैं !
ReplyDeleteतीखी नज़रों से ये मुस्कान बचाते रहिये !
:-):-)
सादर
अनु
Very nice couplets.बस यूँ ही लिखते रहिये :)
ReplyDeleteखूब.... बेहतरीन पंक्तियाँ
ReplyDeleteतीखी नजरों से ये मुस्कान बचाते रहिये ....
ReplyDeleteवाह ! बहुत शुभकामनाये !
☆★☆★☆
क्या पता बॉस,कॉरिडोर में ही मिल जाए !
आँख नीची रखे,औ दुम को हिलाते रहिये !
वाह ! वाऽह…!
खांसने और खखारने पे,ध्यान क्यों देते !
आप काली को ,गुलाबी ही बताते रहिये !
:)
बहुत मारक रचना लिखी है आदरणीय सतीश सक्सेना जी
बहुत ख़ूब बहुत ख़ूब के अलावा कुछ कहा ही नहीं जा रहा ...
:))
मंगलकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार
जलने वाले भी तो, शैतान नज़र रखते हैं !
ReplyDeleteतीखी नज़रों से ये मुस्कान बचाते रहिये !
वाह वाह कितना सही कहा है !
सुंदर रचना.
ReplyDeleteबहुत खूब सतीश भाई
ReplyDeleteबेहतरीन ....
ReplyDeleteवाह, बेहतरीन रचना, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत खूब
ReplyDeleteजलने वाले भी तो, शैतान नज़र रखते हैं !
ReplyDeleteतीखी नज़रों से ये मुस्कान बचाते रहिये !
ये वार्निंग तो बड़े काम की है ...सुन्दर रचना
प्रिय वाक्ये प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।
ReplyDeleteतस्मात् तद् एव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता ?
सुभाषित
पते की बातें लिखे जा रहे हैं आजकल - ज़माना ही ऐसा है !
ReplyDeleteI do not know how your blog has been added to my blog list. i enter my blog through your blog which gives me a feeling as if have entered through a temple.
ReplyDeletemay god bless you
k k garg
खांसने और खखारने पे,ध्यान क्यों देते !
ReplyDeleteआप काली को ,गुलाबी ही बताते रहिये !
वाह क्या बढ़िया कटाक्ष किया है ....बहुत अच्छा भाई जी
Good. You need to come out of sycophancy.
ReplyDeleteसटीक व्यंग्य
ReplyDeleteबढिया है.
ReplyDeleteजबरदस्त...
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteकुछ लोगों की दुम से ही उनके दम का राज छुपा होता है
ReplyDelete"अंजाम को ही जाम पिलाते रहिये" बहुत खूब
ReplyDeleteकितना कर गुजरते हैं लोग लेकिन फिर भी सफलता से दूर रह जाते उनके लिए सटीक ।
बेहतरीन रचना
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