Tuesday, May 6, 2014

दुम को हिलाते रहिये -सतीश सक्सेना

उजड़े अरमानों के ही , दीप जलाते रहिये !
हर सड़े फूल को , फ़िरदौस बताते रहिये !


हाथ जोड़े , नज़र  मुस्तैद , दिखाये  रहिये ! 
आँख नीची रखें और दुम को हिलाते रहिये !

कौन जानें वे आज ,घर से लड़ के आएं हो 
उनके हमदर्द हो ,आँखों को भिगाये रहिये !

जलने वाले भी तो , शैतान नज़र रखते हैं !
उनकी नज़रों से, जमा माल बचाये रहिये !

बंदगी क्या पता, अंजाम तक पहुँच जाए
हर इक महताब को, आदाब बजाते रहिये !

27 comments:

  1. दुम तो कब से हिला रहे हैं
    फिर भी वो भाव खा रहे हैं
    कैसे हिलानी है दुम
    बस हमें ही नहीं बताना
    चाह रहे हैं ।

    बहुत खूब :)

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  2. बढ़िया मस्त , मज़ा आ गया बेहतरीन रचना बड़े भाई , धन्यवाद !
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  3. जलने वाले भी तो, शैतान नज़र रखते हैं !
    तीखी नज़रों से ये मुस्कान बचाते रहिये !
    :-):-)

    सादर
    अनु

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  4. Very nice couplets.बस यूँ ही लिखते रहिये :)

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  5. खूब.... बेहतरीन पंक्तियाँ

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  6. तीखी नजरों से ये मुस्कान बचाते रहिये ....
    वाह ! बहुत शुभकामनाये !

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  7. ☆★☆★☆



    क्या पता बॉस,कॉरिडोर में ही मिल जाए !
    आँख नीची रखे,औ दुम को हिलाते रहिये !

    वाह ! वाऽह…!

    खांसने और खखारने पे,ध्यान क्यों देते !
    आप काली को ,गुलाबी ही बताते रहिये !

    :)

    बहुत मारक रचना लिखी है आदरणीय सतीश सक्सेना जी
    बहुत ख़ूब बहुत ख़ूब के अलावा कुछ कहा ही नहीं जा रहा ...
    :))


    मंगलकामनाओं सहित...
    -राजेन्द्र स्वर्णकार


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  8. जलने वाले भी तो, शैतान नज़र रखते हैं !
    तीखी नज़रों से ये मुस्कान बचाते रहिये !
    वाह वाह कितना सही कहा है !

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  9. बहुत खूब सतीश भाई

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  10. वाह, बेहतरीन रचना, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  11. जलने वाले भी तो, शैतान नज़र रखते हैं !
    तीखी नज़रों से ये मुस्कान बचाते रहिये !

    ये वार्निंग तो बड़े काम की है ...सुन्दर रचना

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  12. प्रिय वाक्ये प्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः ।
    तस्मात् तद् एव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता ?
    सुभाषित

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  13. पते की बातें लिखे जा रहे हैं आजकल - ज़माना ही ऐसा है !

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  14. I do not know how your blog has been added to my blog list. i enter my blog through your blog which gives me a feeling as if have entered through a temple.
    may god bless you
    k k garg

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  15. खांसने और खखारने पे,ध्यान क्यों देते !
    आप काली को ,गुलाबी ही बताते रहिये !


    वाह क्या बढ़िया कटाक्ष किया है ....बहुत अच्छा भाई जी

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  16. Good. You need to come out of sycophancy.

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  17. सटीक व्यंग्य

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  18. सार्थक अभिव्यक्ति ....

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  19. कुछ लोगों की दुम से ही उनके दम का राज छुपा होता है

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  20. "अंजाम को ही जाम पिलाते रहिये" बहुत खूब
    कितना कर गुजरते हैं लोग लेकिन फिर भी सफलता से दूर रह जाते उनके लिए सटीक ।

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  21. मुकुट सक्सेना24 October, 2017 10:43

    बेहतरीन रचना

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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