आपकी कॉलोनी एवं परिचितों में एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं होगा जो वाक न करता हो , 40-45 के होते होते हर व्यक्ति हृदय रोग के भय से यंत्रवत वाक करना शुरू कर देता है , और हर चौथे व्यक्ति को इसके बावजूद भी हार्ट अटैक होता है !
कुछ लोग वाक नहीं करते जिसका कारण वे अपने जोड़ों के दर्द को बताकर अपनी मजबूरी बता देते हैं सच्चाई यह है कि शुरू में आलस्य के कारण वाक को तरजीह नहीं दी और अब शरीर इस योग्य नहीं रहा कि वे वाक कर सकें !
वाक करने का समय बेहद महत्वपूर्ण होता है , उसे दोस्तों के साथ अपनी कहानियां सुनाते हुए करना, कोई फल नहीं देगा बल्कि उस वक्त अपने शरीर के हर अंग से बातें करना होता है ! उठते गिरते क़दमों , हाथों, और सांसों में एक तारतम्य होना आवश्यक है उस वक्त इन अंगों और मस्तिष्क में लगातार समन्वय रहना चाहिए और भरपूर ऑक्सीजन मस्तिष्क तक पहुंचती रहनी चाहिए ! चलते हुए मस्तिष्क इन अंगों को लगातार मैसेज भेजता रहे और उन्हें विश्वास दिलाये कि वे ठीक और सुचारु रूप से कार्य कर रहे हैं और करेंगे ! आपस में उठती हुई इन विचार तरंगों का सम्प्रेषण, उन अंगों पर ध्यान केंद्रित रखते हुए लगातार होना चाहिए ! यह शक्तिशाली विचार सम्प्रेषण सुस्त और ख़राब होते अंगों को सक्रिय और स्वस्थ कर देगा !
सबसे पहला योगी कोई भी हुआ होगा मगर उसे योग सिखाने वाला कोई नहीं था , अकेले सुनसान जगह पर एकाग्रचित्त होकर बैठकर, सांसों पर ध्यान केंद्रित कर शरीर के अंगों तक भरपूर ऑक्सीजन पहुंचाना सीख लिया और इन्ही पर नियंत्रण कर बॉडी कोर के अंगों को कम्पन देना आया , यही योग था जिससे उन्हें शारीरिक शक्ति के साथ बौद्धिक शक्ति की भी प्राप्ति हुई !
जिस प्रकार हम लगातार एक ही भोजन से ऊब जाते हैं उसी तरह से शरीर को भी एक जैसा लगातार व्यवहार पसंद नहीं उसे वह आदत में ढाल लेता है और उसका फायदा उठाना बंद कर देता है ! सो लगातार एक जैसा भोजन और वाक में भी बदलाव आवश्यक है और लगातार करते रहना चाहिए ! बचपन से फिक्स आईडिया का त्याग करना आना चाहिए इससे मन में फुर्ती और प्रसन्नता आएगी !
साथ कोई दे, न दे , पर धीमे धीमे दौड़िये !
अखंडित विश्वास लेकर धीमे धीमे दौड़िये !
दर्द सारे ही भुलाकर,हिमालय से हृदय में
नियंत्रित तूफ़ान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !
जाति,धर्म,प्रदेश,बंधन पर न गौरव कीजिये
मानवी अभिमान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !
जोश आएगा दुबारा , बुझ गए से हृदय में
प्रज्वलित संकल्प लेकर धीमे धीमे दौड़िये !
तोड़ सीमायें सड़ी ,संकीर्ण मन विस्तृत करें
विश्व ही अपना समझकर धीमे धीमे दौड़िये !
समय ऐसा आएगा जब फासले थक जाएंगे
दूरियों को नमन कर के , धीमे धीमे दौड़िये !