Sunday, August 3, 2014
36 comments:
एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !
- सतीश सक्सेना
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बहुत सुंदर .......
ReplyDeleteमन तो चंचल है रुकता कहाँ
ReplyDeleteअभी यहाँ तो अगले पल कहाँ ? ....सुन्दर प्रस्तुति |
: महादेव का कोप है या कुछ और ....?
नई पोस्ट माँ है धरती !
खूबसूरत और मासूम पंक्तियां ..प्यारा न्यारा मन
ReplyDeleteछोटी बहर की लहर, बहुत खूबसूरत है।
ReplyDeleteचंदा सूरज से लड़ आया
ReplyDeleteऐसे कभी न हारा मन !
बहुत सुन्दर गज़ल बधाई
इक कविता चुभती सी दुखती सी
ReplyDeleteवाह।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeleteदिनांक 04/08/2014 की नयी पुरानी हलचल पर आप की रचना भी लिंक की गयी है...
हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...
हलचल में शामिल की गयी सभी रचनाओं पर अपनी प्रतिकृयाएं दें...
सादर...
कुलदीप ठाकुर
शब्द संयोजन भाव संयोजन बड़ी खूबसूरती से किया है !
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति , आप की ये रचना चर्चामंच के लिए चुनी गई है , सोमवार दिनांक - 4 . 8 . 2014 को आपकी रचना का लिंक चर्चामंच पर होगा , कृपया पधारें धन्यवाद !
ReplyDeleteमन को समझाना पडता है , मन ही तो है मित्र हमारा ।
ReplyDeleteबहुरत ही सुन्दर भाव लिए अच्छी ग़ज़ल ... दिल के तारों को छूते हुए ...
ReplyDeleteआपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा. अंतरजाल पर हिंदी समृधि के लिए किया जा रहा आपका प्रयास सराहनीय है. कृपया अपने ब्लॉग को “ब्लॉगप्रहरी:एग्रीगेटर व हिंदी सोशल नेटवर्क” से जोड़ कर अधिक से अधिक पाठकों तक पहुचाएं. ब्लॉगप्रहरी भारत का सबसे आधुनिक और सम्पूर्ण ब्लॉग मंच है. ब्लॉगप्रहरी ब्लॉग डायरेक्टरी, माइक्रो ब्लॉग, सोशल नेटवर्क, ब्लॉग रैंकिंग, एग्रीगेटर और ब्लॉग से आमदनी की सुविधाओं के साथ एक सम्पूर्ण मंच प्रदान करता है.
ReplyDeleteअपने ब्लॉग को ब्लॉगप्रहरी से जोड़ने के लिए, यहाँ क्लिक करें http://www.blogprahari.com/add-your-blog अथवा पंजीयन करें http://www.blogprahari.com/signup .
अतार्जाल पर हिंदी को समृद्ध और सशक्त बनाने की हमारी प्रतिबद्धता आपके सहयोग के बिना पूरी नहीं हो सकती.
मोडरेटर
ब्लॉगप्रहरी नेटवर्क
सुन्दर शब्द संयोजन .... के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसादर
आपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा. अंतरजाल पर हिंदी समृधि के लिए किया जा रहा आपका प्रयास सराहनीय है. कृपया अपने ब्लॉग को “ब्लॉगप्रहरी:एग्रीगेटर व हिंदी सोशल नेटवर्क” से जोड़ कर अधिक से अधिक पाठकों तक पहुचाएं. ब्लॉगप्रहरी भारत का सबसे आधुनिक और सम्पूर्ण ब्लॉग मंच है. ब्लॉगप्रहरी ब्लॉग डायरेक्टरी, माइक्रो ब्लॉग, सोशल नेटवर्क, ब्लॉग रैंकिंग, एग्रीगेटर और ब्लॉग से आमदनी की सुविधाओं के साथ एक सम्पूर्ण मंच प्रदान करता है.
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मोडरेटर
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आपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा. अंतरजाल पर हिंदी समृधि के लिए किया जा रहा आपका प्रयास सराहनीय है. कृपया अपने ब्लॉग को “ब्लॉगप्रहरी:एग्रीगेटर व हिंदी सोशल नेटवर्क” से जोड़ कर अधिक से अधिक पाठकों तक पहुचाएं. ब्लॉगप्रहरी भारत का सबसे आधुनिक और सम्पूर्ण ब्लॉग मंच है. ब्लॉगप्रहरी ब्लॉग डायरेक्टरी, माइक्रो ब्लॉग, सोशल नेटवर्क, ब्लॉग रैंकिंग, एग्रीगेटर और ब्लॉग से आमदनी की सुविधाओं के साथ एक सम्पूर्ण मंच प्रदान करता है.
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मोडरेटर
ब्लॉगप्रहरी नेटवर्क
bechara man...kabhi n wash me aaya...kabhi baz n aaya....sundar rachna..
ReplyDeleteमाँ पर सुन्दर सुरभित गीत ,बहुत सुन्दर
ReplyDeletebahut khubsurt ...नमस्ते भैया
ReplyDeleteबेमन हुए बिना अमन भी तो नहीं मिलता..सुंदर रचना !
ReplyDeleteलाजवाब रचना...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया :)
ReplyDeleteचंदा सूरज से लड़ आया
ReplyDeleteऐसे कभी न हारा मन !
...वाह...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
कितनी मायूसी में सोया
ReplyDeleteउनके बिन बेचारा मन !
चंदा सूरज से लड़ आया
ऐसे कभी न हारा मन !
बहुत सुन्दर
कितनी मायूसी में सोया
ReplyDeleteउनके बिन बेचारा मन !
चंदा सूरज से लड़ आया
ऐसे कभी न हारा मन !
बहुत सुन्दर
बहुत सुंदर ..
ReplyDeleteवाह बहुत खूब ॥
ReplyDeleteमाँ और मन दोनों पर ,सुन्दर मनन !
ReplyDeleteवाह कहूँ कि आह कहूँ...क्या जाने मैं क्या कहूँ..
ReplyDeleteप्यारा सा मन :)
ReplyDeleteवाह ।
ReplyDeleteye man aisa hi hota hai ...
ReplyDeleteye man aisa hi hota hai ...
ReplyDeleteman kahan samjhta hai....
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