रमजान के मुबारक महीने पर, इस देश की एक बच्ची रख्शंदा Pretty woman ने, बेहद दर्द के साथ एक ऐसी पोस्ट, आई है ईद, लेकर उदासियाँ कितनी... लिखी ! जिसने दिल को झकझोर सा दिया ! हमारे विशाल ह्रदय वाले देश में, पूरी कौम को बदनाम करने की कोशिश बुरी तरह नाकामयाब होगी, इसमे हमें बताना होगा कि हम दोनों एक दूसरे धर्मों का तहे दिल से सम्मान करते हैं ! धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करने वालों को एक प्यार का संदेश पढाना होगा !
चल उठा कलम कुछ ऐसा लिख,
जिससे घर का सम्मान बढ़े ,
कुछ कागज काले कर ऐसे,
जिससे आपस में प्यार बढ़े
रहमत चाचा से गले मिलें ,
होली और ईद साथ आकर !
तो रक्त पिपासु दरिंदों को,नरसिंह बहुत मिल जायेंगे !
अनजान शहर सुनसान डगर
कोई साथी नज़र नही आए
पर शक्ति एक दे रही साथ
हो विजय सदा सच्चाई की
कुछ नयी कहानी ऐसी लिख,
जिससे अंगारे ठन्डे हों !
मानवता के मतवाले को, हमदर्द बहुत मिल जायेंगे !
कुछ तान नयी छेड़ो ऐसी
झंकार उठे, सारा मंज़र,
कुछ ऐसी परम्परा जन्में ,
हम ईद मनाएँ खुश होकर
होली पर,मोहिद रंग खेलें,
गौरव हों दुखी,मुहर्रम पर !
इस धर्मयुद्ध में , संग देने , सारथी बहुत मिल जायेंगे !
यों सदा बादलों सा हमने,
अपना मन स्वच्छ रखा साथी
ले गिरते पंख कबूतर के
दी हमने दीपक को बाती
पर सहनशक्ति को यदि तुमने
कोई कमजोरी समझा तो
इस अंगनाई के गुलमोहर , अंगारों में ढल जायेंगे !
चल उठा कलम कुछ ऐसा लिख,
जिससे घर का सम्मान बढ़े ,
कुछ कागज काले कर ऐसे,
जिससे आपस में प्यार बढ़े
रहमत चाचा से गले मिलें ,
होली और ईद साथ आकर !
तो रक्त पिपासु दरिंदों को,नरसिंह बहुत मिल जायेंगे !
अनजान शहर सुनसान डगर
कोई साथी नज़र नही आए
पर शक्ति एक दे रही साथ
हो विजय सदा सच्चाई की
कुछ नयी कहानी ऐसी लिख,
जिससे अंगारे ठन्डे हों !
मानवता के मतवाले को, हमदर्द बहुत मिल जायेंगे !
कुछ तान नयी छेड़ो ऐसी
झंकार उठे, सारा मंज़र,
कुछ ऐसी परम्परा जन्में ,
हम ईद मनाएँ खुश होकर
होली पर,मोहिद रंग खेलें,
गौरव हों दुखी,मुहर्रम पर !
इस धर्मयुद्ध में , संग देने , सारथी बहुत मिल जायेंगे !
वह दिन आएगा बहुत जल्द
नफरत के सौदागर ! सुनलें ,
जब माहे मुबारक के मौके,
जगमग होगा बुतखाना भी
मुस्लिम बच्चे , प्रसाद लेते ,
मन्दिर में , देखे जायेंगे !
मंदिर मस्ज़िद में फर्क नहीं,हमराह बहुत मिल जायेंगे !
ये जहर उगलते लोग तुम्हे
आपस में, लड़वा डालेंगे ,
ना हिन्दू हैं,ना मुसलमान
ये मानवता के दुश्मन हैं
चौकस रहना शैतानों से ,
जो हम दोनों के बीच रहें !
तू आँख खोल पहचान इन्हें,जयचंद बहुत दिख जायेंगे !
आतंकवाद के खिलाफ लड़ता हमारा देश, आपस में फूट डालने के प्रयास में लगे कुछ कम अक्ल लोग,और उन्हें हौसला देते उनके मूर्ख अनुयायी, जो अनजाने में जयचंदों के हाथ मजबूत कर रहे हैं ! देश के दुश्मनों द्बारा जगह जगह होते बम विस्फोट ! ऐसे शक और माहौल में ज़रूरत है अपने परिवार के ज़ख्मों पर मलहम लगाने की और उग्रवादियों के हौसले कमज़ोर करने की ! ऐसे में श्रद्धेय राकेश खंडेलवाल ने अपनी कलम से, इस गीत को एक और आशीर्वाद भेजा है !नफरत के सौदागर ! सुनलें ,
जब माहे मुबारक के मौके,
जगमग होगा बुतखाना भी
मुस्लिम बच्चे , प्रसाद लेते ,
मन्दिर में , देखे जायेंगे !
मंदिर मस्ज़िद में फर्क नहीं,हमराह बहुत मिल जायेंगे !
ये जहर उगलते लोग तुम्हे
आपस में, लड़वा डालेंगे ,
ना हिन्दू हैं,ना मुसलमान
ये मानवता के दुश्मन हैं
चौकस रहना शैतानों से ,
जो हम दोनों के बीच रहें !
तू आँख खोल पहचान इन्हें,जयचंद बहुत दिख जायेंगे !
यों सदा बादलों सा हमने,
अपना मन स्वच्छ रखा साथी
ले गिरते पंख कबूतर के
दी हमने दीपक को बाती
पर सहनशक्ति को यदि तुमने
कोई कमजोरी समझा तो
इस अंगनाई के गुलमोहर , अंगारों में ढल जायेंगे !