अक्सर समाज में हम लोग दुहरे चेहरे के साथ जीते हैं ! पूरे जीवन, अपनी झूठी शानोशौकत से लदेफदे हम लोग , हर समय अपना काम येन केन प्रकारेण, निकालने में व्यस्त रहते हैं ! अपना काम निकालने के लिए , बेईमान जीवन के इन विभिन्न स्वरूपों को इस हलकी फुलकी हास्य रचना के माध्यम से ढालने का प्रयत्न है, अगर इसे पढ़कर आप मुस्करा दिए तो इसका लिखना सार्थक हो जाएगा !
आओ हम भी कुछ नाम करें
आओ हम भी कुछ नाम करें
कुछ छपने लायक काम करें
इक जैकपॉट लग जाये और
बस जीवन भर आराम करें
बस जीवन भर आराम करें
दुनिया न्योछावर हो हम पर,
मोहक स्वरुप के क्या कहने
मोहक स्वरुप के क्या कहने
बगुला करले ख़ुदकुशी देख, जब जब हम अपना रंग बदलें
हम चोरों और उचक्कों को
उस्तादी के गुण सिखलाएं
उस्तादी के गुण सिखलाएं
खुद परमब्रह्म भी घबराएं
जब हम पूजा करने बैठें !
भरपेट,आमरण अनशन कर,
जब गाँधीवादी बन जाएँ !
सारा समाज भौचक्का हो,जब जब हम अपना रंग बदलें !
जब गाँधीवादी बन जाएँ !
सारा समाज भौचक्का हो,जब जब हम अपना रंग बदलें !
दयनीय भाव के साथ साथ
हम हाथ जोड़, बेटी व्याहें
भरपूर गर्व के साथ साथ
हम हाथ जोड़, बेटी व्याहें
भरपूर गर्व के साथ साथ
हम पुत्र वधू लेने जाएँ !
मंडप में क्रोधित रूप लिए ,
हम लगते विश्वविजेता से,
हम लगते विश्वविजेता से,
समधी बेचारे गश खाएं,जब जब हम अपना रंग बदलें !
माथे पर चन्दन तिलक लगा,
जब पीत वस्त्र धारण करते !
शुक्राचार्यों की समझ लिए ,
गुरु वशिष्ठ जैसा रूप रखें !
सन्यासी करते त्राहि त्राहि,
जब हम संतों सा वेश रखें !
जब हम संतों सा वेश रखें !
गिरगिट शर्मिंदा हो भागे ,जब जब हम अपना रंग बदलें !