
Wednesday, April 7, 2021
वारे न्यारे , क्रिप्टो करेंसी से - सतीश सक्सेना

Friday, February 19, 2021
सम्मान से अधिक प्रोत्साहन देना आवश्यक है -सतीश सक्सेना
हिंदी जगत में ब्लॉगिंग का आगमन , हिंदी के नवोदित लेखकों के लिए संजीवनी का काम कर गया , झिझकती लड़खड़ाती शर्मीली सैकड़ों कलमें हिंदी की चाल दिखाने के लिए फ्लोर पर पहली बार जब आयीं थी तो उनमें कितनी ही खड़े होने लायक भी नहीं थीं , मगर पाठक रुपी दर्शकों ने वाह वाह कर उन्हें प्रोत्साहन दिया और कांपते हुए क़दमों को अहसास दिलाया कि वे न केवल चल रही हैं बल्कि बेहतरीन निशान भी छोड़ रही हैं !
यह उनके लिए अविश्वसनीय ही था कि जिन्होंने पूरी जिंदगी कुछ नहीं लिखा उनका लिखना न केवल पढ़ने योग्य है बल्कि तालियों के साथ हिंदी जगत में उन्हें एक सम्मानित पहचान भी मिल रही है , इस विश्वास के साथ ही उनके लेखन में विविधता और पैनापन बढ़ने लगा और कुछ समय पश्चात, उनके बेकार लेख वाकई अपनी जगह बनाने में कामयाब हुए, आज उनमें से कई हिंदी जगत में बेहतरीन लेखक हैं और प्रिंट मीडिया उनके लेख लगातार छापकर उन्हें सम्मानित कर रही है !
हिंदी ब्लॉगिंग से लेखकों के उदय में, मैं समीर लाल ( उड़न तश्तरी ) का बहुत बड़ा योगदान मानता हूँ , 2008 में समीर लाल ही थे जो नियमित तौर पर प्रतिदिन लगभग सौ ब्लॉगरों के ब्लॉग पर जा जाकर वाह वाही कर टिप्पणी करते थे , कई लोग कहते थे कि इतनी टिप्पणियां कोई एक व्यक्ति कर ही नहीं सकता यह असंभव ही था कि एक व्यक्ति इतने ब्लॉगों पर जाकर पढ़े और टिप्पणी करे ! कुछ कहते थे कि उन्होंने कोई सॉफ्टवेयर बनवाया है जो इतनी टिप्पणी रोज करता है और कई उनकी मजाक बनाते थे कि वे किसी ब्लॉग को पढ़ते नहीं है बस खुद के ब्लॉग पर टिप्पणी पाने के लिए वे सबके ब्लॉग पर नियमित टिपियाते हैं ! मगर सच्चाई यही थी कि उनकी टिप्पणी पाने पर एक जोश महसूस होता था कि मैंने कुछ अच्छा लिखा है जो कनाडा से उड़नतश्तरी ने आकर कमेंट दिया है ! हिंदी ब्लॉगिंग को बढ़ाने में समीर लाल का योगदान अमर और सैकड़ों लेखनियों के लिए जीवन दायक रहा , इस योगदान के लिए वे हमेशा वंदनीय रहेंगे !
रनिंग करते समय, स्टेडियम के रनिंग ट्रेक पर या खुली सड़क पर जब कोई भारी वजन का व्यक्ति या महिला दौड़ने का प्रयत्न करते देखता हूँ तब मैं उसकी हिम्मत अफ़ज़ाई अवश्य करता हूँ , शाब्बाश बच्चे तुम अवश्य जीतोगे एक दिन, बस हिम्मत नहीं हारना , दुनियां तुम्हें दौड़ते देख हँस रही है इसकी बिना परवाह किये धीरे धीरे बिना हांफे दौड़ना, सीखते रहो एक दिन तुम्हारा स्लिम शरीर इसी ट्रेक पर तेज गति से भागते हुए दुनिया देखेगी !
अंत में , बढ़ा वजन घटाने के लिए !
-दिन में 12 गिलास पानी कम से कम पीना ही है !
-डिनर ७ -८ बजे तक और बहुत हल्का बिना रोटी चावल के !
कोई भी मीठी चीज नहीं खानी है ! मिल्क प्रोडक्ट कम करें !
-रोज आधा घंटा तेज वाक करें बिना हांफे , और आखिरी दो मिनट बिना हांफते हुए दौड़ कर समाप्त करें ! विश्वास रखें कि वे बहुत जल्द सामान्य पहले जैसे स्मार्ट होंगे ! शरीर आसानी से हर परिस्थिति में अभ्यस्त हो जाने में समर्थ है , रनिंग सिखने के साथ ही शरीर की ढेरों उम्र जनित बीमारियां डायबिटीज , बीपी , कब्ज ,दर्द आदि खुदबखुद गायब हो जायँगी !
Tuesday, February 16, 2021
45 वर्ष की उम्र में नीरसता क्यों -सतीश सक्सेना
अधिक मिलेगा , दयनीय हाल बना दिया है हमने अपने समाज का और इसके जिम्मेदार हम अधेड़ावस्था के लोग ही हैं जो भुक्तभोगी होने के बावजूद, अपने ज़िंदा रहते, व्यवस्था परिवर्तन की कोशिश करते, युवाओं का मजाक बनाते हैं और उन्हें चोरी करने पर मजबूर करते हैं सो झूठ और चोरी करना हमारे व्यवहार का हिस्सा बन गया है हम एक बीमार अपराधी समाज का अंग बन कर रह रहे हैं और ऐसे ही मरना हमारी नियति है !
Friday, February 12, 2021
वजन घटाना आसान है , सिर्फ इच्छाशक्ति मजबूत हो -सतीश सक्सेना
अभी कुछ दिन पहले ही ठंडक और कोरोना के कारण , घर में जमकर खाया और कम्बल की मेहरबानी के कारण एक दिन चेक करने पर पाया कि पूरे तीन किलो वजन बढ़ चुका है , इस उम्र ( 66 वर्ष ) में मुझे बुढ़ापा नहीं चाहिए सो उसी दिन तय कर लिया था कि एक सप्ताह में वजन
सामान्य करना है !Friday, January 1, 2021
हो सकें तो उन्मुक्त होकर हंसना सीखें , आप उम्रदराज़ होंगे -सतीश सक्सेना
हमने तो दोस्ती में जान देना सीखा है और वह भी बिना कहे बिना अहसान , अहसास दिलाये , ऐसे लोग हमें नहीं मिले ! खैर अब आगे दोस्ती ही नहीं करना सिर्फ हेलो कैसे हैं , से आगे नहीं जाना, यही संकल्प है अगले कुछ दिन या वर्षों के लिए , जो भी हाथ में हों !
आप सब से ऐसी शुभकामनायें चाहिए कि अगले साल "हमें समझ जाने वाले" और "हमारी असलियत जानने वाले" समझदार, कम से कम टकरायें :-)), और कुछ भले और ईमानदार लोगों से भेंट हो तो इन लेखों का लिखना सार्थक हो ! सबसे अंत में ईश्वर से प्रार्थना है कि मेरे पास इतना धन और शक्ति जरूर बचाए रखे कि वक्त आने पर, मेरे दरवाजे से , कोई मायूस होकर, वापस न लौट जाए !किसी का एक आंसू , बिना उस पर अहसान किये, पोंछ सका, तो अगले वर्ष, अपना मन संतुष्ट मान लूँगा ...
आप सब, नववर्ष पर उन्मुक्त नजरें मिलाकर, खुलकर हंसें और हंसाएं , यही कामना है !
Saturday, December 26, 2020
तो फिर मेरी चाल देख ले -सतीश सक्सेना
शायद यह अकेला समाज है जहाँ ऊपरी दिखावे को सम्मान देना सिखाया जाता है ! अगर सामने से कोई गेरुआ वस्त्र धारी और पैर में खड़ाऊं पहने आ रहा है तो पक्का उस महात्मा के चरणों में झुकना होगा और आशीर्वाद मांगना ही है चाहे वह बुड्ढा पूरे जीवन डाके डालकर दाढ़ी बढ़ाकर छिपने के लिए बाबा क्यों न बना हो और किसी गए गुजरे का आशीर्वाद पाने के योग्य भी न हो !