Thursday, October 3, 2024

नन्नू बोली को को को -सतीश सक्सेना

किंडरगार्डन तैयारी में  ,
मम्मा पापा से लड़ने पर 
बाबा जब जब गुस्सा होते   
नन्नू बोली , को को को !

गीता बबिता संगीता ने
अनु मनु और तनु बुलाईं 
ओली के दुद्दू को लेकर 
चूंचूं भागा,  को को को !

किस किस की मैं बात बताऊँ 
एक राज की बात बताऊँ 
दादी ने जब दही गिराया 
बाबा बोले,  को को को !

बाबा मेरे सबसे अच्छे ,
मुझको आइसक्रीम खिलाते 
आइसक्रीम माँगती जब मैं 
पापा करते , को को को !
 

Monday, September 16, 2024

बुढ़ापा , एक सोच ब्लॉक माइंड लोगों की -सतीश सक्सेना


70 वर्ष की उम्र में मैं सुबह ५ बजे से लेकर रात ११ बजे तक ऐक्टिव रहता हूँ , दिन में आज तक नहीं सोया ! सब कुछ सामान्य खाता पीता हूँ , वजन बढ़ने से रोकने के लिए पिछले कुछ साल से रोटी , दूध और शुगर की मात्रा बहुत कम कर दी है ! 

हमारे यहाँ लोग चिंतित रहते हैं कि बुढ़ापे में पौष्टिक खाना , टॉनिक आदि लेना चाहिये, भोजन के ज़रिए अपने शरीर को मजबूर बनाने के

लिए कभी कुछ नहीं खाया , अगर पौष्टिक डाइट की बात करें तो मैंने नाश्ते में सप्ताह में दो बार उनके अंडों के अलावा कुछ नहीं लेता ! 

मैं अपना आदर्श उस ग़रीब रिक्शेवाले को मानता हूँ , जो पूरे दिन १०० किलो वजन लेकर रिक्शा ढोता है और दिन में लगभग ५० किमी रोज़ चलता है ! सुबह चार रोटी सब्ज़ी , लंच में चार ठंडी रोटी सब्ज़ी और रात में घर जाकर जो रखा है उसे खाकर गहरी नींद सोता है ! उसके पास डॉ के पास जाने को पैसा नहीं होते , उसका बुख़ार बिना दवा दो चार दिन में ठीक हो जाता है ! 

मैंने जितने डॉ दोस्तों को जानता हूँ उनमें से कोई अपने घर में पैरासीटामोल तक का उपयोग नहीं करते , वे सब यह दवाएँ अपने रोगियों पर ही चलाते हैं , मैं आज तक इन दवाओं से बचा हूँ ! 

सो अगर स्वस्थ रहना चाहते हो तब यह सूत्र याद रख लें 

- दुख और कष्टों को याद न रखिए , मुक्त होकर ख़ुद को हँसना सिखाइए !

- अगर धन है तब उसे खर्च करना सीखें , वह सब करिए जो कभी न किया हो और मन ख़ुश हो !

- पहली आवश्यकता सबसे अधिक गहरी साँस लेना सीखें दिन में जब याद आए तभी , इससे बरसों से बिना गहरी सांस लिये बंद फ़ेफ़डे खुलेंगे और थके हुए हृदय को ताक़त मिलेगी , स्वच्छ खून पतला होकर रक्त कोशिकाओं और बीमारियों को साफ़ कर देगा !

-दूसरी आवश्यकता पानी की , इसे खूब पीजिए , जब चाहे पीजिए 

- तीसरी आवश्यकता खाना की जिसे कम से कम खायें , केवल उतना जितनी आपने मेहनत की हो , भूख न लगे तो खाना नहीं खाना है !

- बाज़ार का कोई भोजन न खायें , आजकल हार्ट अटैक का कारण नमकीन बिस्किट , ब्रेड आदि सबमें गंदे तेलों का उपयोग करना होता है , पाम आयल दुनियाँ के कितने ही देशों ने बैन कर दिया है मगर हमारे यहाँ धड़ल्ले से उपयोग होता है !

कल सुबह १० किलोमीटर दौड़ने का दिल है सो पाँच बजे निकलूँगा फ़िल्मी गाने के साथ , सुनना हो तो कल मिलना !


प्रणाम आप सबको !

Tuesday, August 27, 2024

संवेदना -सतीश सक्सेना

बीमारी में हाल , न पूछो माली से !
जाकर पूछो बिन पत्तों की डाली से

कितने मूक संदेशा , आये जाली से
नयनों से ही बातें , नयनों वाली से !

प्यार न जाने कितने रूपों में आता
हमने उसे छलकते देखा,गाली से !

दर्द तुम्हें एहसास न होगा , शब्दों से ,
समझ न पाये यदि आँखों की लाली से

कितने घर की गंद छिपाये छाती में !
जाकर पूछो , बाहर गंदी नाली से !

हिन्दी कवि -सतीश सक्सेना

कितनी ही रचनाएँ लोगों ने कॉपी करके अपने नाम से छपवायीं हैं , मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता !

कॉपी करने वाले से हमेशा मूल रचनाकार की रचना ही श्रेष्ठ होती है , अगर आप हिन्दी की जानकार हैं तब ध्यान से मेरी रचनाओं को पढ़िए और तुलना करें भौंडी रचनाओं से जो एक चाटुकार द्वारा लिखी गई हों आपको फ़र्क़ पता चल जाएगा !

फ़ेसबुक पर मेरे लगभग ७००० मित्र हैं उनमें आपको कवि नाम लगाये कोई नहीं मिलेगा , जो ख़ुद को कवि लिखता हो मैं उसे कविता के योग्य ही नहीं मानता , कविता लिखी नहीं जाती बल्कि अंतर्मन से उत्सर्जित होती है ! आज कल के हिन्दी कवि भांड और चाटुकार से अधिक कुछ नहीं जो पूँछ हिलाते मिलते हैं हर उस किसी के आगे , जो उन्हें धन या पद से पुरस्कृत कर सके !

मेरी लगभग ३५० रचनायें फ्री हैं सबके लिए , इन चोरों के लिए भी जो इन्हें अपने नाम से छपवाने चाहे , शौक़ से छपवायें , हाँ भोंडी पेरोडी छापना सिर्फ़ एक सस्ता मजाक है जो नहीं करना चाहिये ! मैंने जो कुछ लिखा समाज के लिए लिखा है अगर किसी काम आ जायें तो मेहनत सफल मानूँगा !

मंच कवियों की भौंडी रचनाओं ने हिन्दी को बर्बाद किया है , सस्ते हिन्दी प्रेमियों को सस्ती रचनायें सुनाते यह भांड गवैये, जब से इन्हें चाटुकारिता के बदले सरकारी पुरस्कार मिले हैं , ख़ुद को साहित्यकार कहने लगे हैं , विश्व में हिन्दी की प्रतिष्ठा धूल में मिला दी है !

काव्यमंच पर आज मसखरे छाये हैं !
शायर बनकर यहाँ , गवैये आये हैं !

पैर दबा, कवि मंचों के अध्यक्ष बने,
आँख नचाके,काव्य सुनाने आये हैं !

रजवाड़ों से,आत्मकथाओं के बदले
डॉक्टरेट मालिश पुराण में पाये हैं !

पूँछ हिलाए लेट लेटकर तब जाकर
कितने जोकर , पद्मश्री कहलाये हैं !

Friday, April 19, 2024

गढ़ दिया तुमने हमें अब, भाग्य अपना ख़ुद गढ़ेंगे -सतीश सक्सेना

आदरणीय रमाकान्त सिंह जी का अनुरोध पाकर, उनकी ही प्रथम पंक्तियों से, इस कविता की रचना हुई , आभार भाई  ! 

गढ़ दिया तुमने हमें अब, भाग्य अपना ख़ुद गढ़ेंगे !

धरा से सहनशीलता ले,
अग्नि का ताप सहा हमने 
पवन के ठन्डे झोंको संग 
सलिल से शीतलता पायी 
यही पर ज्ञान लिया तुमसे
परिश्रम की क्षमता आयी 
अब हुआ विश्वास सचमुच 
छू सकेंगे हम गगन ,अब 
ज्ञान पाकर शारदा से, 
भाग्य अपना खुद लिखेंगे !
गढ़ दिया तुमने हमें अब, भाग्य अपना खुद गढ़ेंगे !

अब हमें विश्वास अपना
रास्ता पाएंगे , हम भी  !
ज्ञान का आधार लेकर ,
विश्व को समझेंगे हम भी 
अपने विद्यालय से ही तो 
मिल सका है बोध हमको 
शक्तिशाली पंख पाकर 
छू सकेंगे चाँद हम ,अब 
प्रबल इच्छाशक्ति  लेकर, 
भाग्य अपना खुद बुनेंगे !
गढ़ दिया तुमने हमें अब , भाग्य अपना खुद गढ़ेंगे !

https://www.facebook.com/ramakant.singh.509

Monday, March 4, 2024

बिना ज़रूरत होते ऑपरेशन -सतीश सक्सेना

क्या आपको पता है कि हमारे देश में 66.8% यूटेरस रिमूवल सर्जरी प्राइवेट हॉस्पिटल में की जाती है , और आप यकीन नहीं कर पाएंगे कि उसमें ९५ प्रतिशत बिना जरूरत की जाती है , थॉमसन रॉयटर फाउंडेशन की एक रिसर्च के हवाले से यह रिपोर्ट  द प्रिंट ने पब्लिश की है ! अधिकतर ऑपरेशन रोगी और उसके परिवार को कैंसर आदि का भय दिला कर की जाती है , जबकि उसका इलाज
बिना ऑपरेशन के आसानी से संभव है , एक रिपोर्ट के अनुसार हृदय के लगभग पचास प्रतिशत ऑपरेशन बिना जरूरत किये जा रहे हैं ! हर महीने ऑपरेशन के टारगेट फिक्स किये जाते हैं , हर माह के अंत में, डॉ को निश्चित मात्रा में अपने टारगेट पाने होंगे अन्यथा उसका प्रमोशन और सैलरी में रूकावट निश्चित है !   
  
बिज़नेस स्टैण्डर्ड में छपी आज की खबर (४ मार्च २४ ) के अनुसार पॉश ग्रेटर कैलाश दिल्ली के एक हॉस्पिटल में एक गॉल ब्लेडर का ऑपरेशन होस्पिटल में काम करने वाले एक टेक्नीशियन ने किया , जिसे सर्जन बताया गया , नतीजा बीमार की मृत्यु हो गयी और यह काम सिर्फ २००००/- जैसी मामूली रकम हासिल करने के लिए किया गया जिसका अंजाम एक गरीब आदमी की मौत से हुआ, जबकि यह इंसान इस विश्वास के साथ इस अस्पताल में आया था कि वह दर्द से निजात पा जाएगा , यह शुक्र था कि उसकी बिलखती पत्नी को बाद में पता चला कि जिसे सर्जन बताया गया था वह डॉ वहां मामूली टेक्नीशियन है , पुलिस ने इन सबको गिरफ्तार कर जेल भेजा है !

डब्लू एच ओ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग ४५ परसेंट फ़र्ज़ी डॉक्टर्स हैं , इनमें से अधिकतर कस्बाई और ग्रामीण इलाकों में कार्यरत है , तगड़ा मुनाफ़ा और अनपढ़ों का इलाज करते समय जीना मरना तो लगा ही रहता है , सो परवाह न हॉस्पिटल करते हैं और न रोगी के परिवार वाले , बहुत काम केसेस में ही यह धंधा उजागर होता है और अब यह धंधा अधिक धन कमाने और मेडिकल पढ़ाई में हुए खर्चे वसूल करने के लिए शहरों और यहाँ तक कि राजधानी में भी आम हो गया है !

अगर अब भी आँखें न खुली हों तब मैं आपको डॉ अरुण गाडरे एवं डॉ अभय शुक्ल की लिखी किताब Dissenting Diagnosis अवश्य पढ़िए आप बुढ़ापा आते ही हर साल टेस्ट कराने बंद कर देंगे ! मैं इन दोनों डॉक्टरों के ज़मीर को सलाम करता हूँ जिन्होंने अपने व्यवसाय में होती गलत प्रैक्टिस का भंडाफोड़ करने की हिम्मत की !

प्रणाम आप सबको !

https://theprint.in/health/95-hysterectomies-in-india-unnecessary-66-8-in-pvt-sector-report-by-obgyn-group-think-tank/1865540/

https://www.thehindu.com/news/cities/Delhi/fake-doctors-racket-owner-performed-at-least-3000-surgeries-a-year-say-police/article67545733.ece

https://satish-saxena.blogspot.com/2016/06/blog-post_85.html 

Wednesday, February 21, 2024

अगर बहता है बहने दो, तुम्हारी आँख का पानी -सतीश सक्सेना

पिछले तीन माह घर में रहने के दौरान मेरी आँखों का कैटरेक्ट अधिक तेज़ी से बढ़ा , आज दौड़ते हुए बायीं आँख से लगातार गाढ़ा पानी निकल रहा था , अपने हेडबैंड से उसे साफ़ करते हुए , आँखों में ठंडी हवा की ठंडक से ,अधिक बेहतर लग रहा था ! पिछले तीन माह में प्रदूषण के कारण दौड़ना नहीं हुआ नतीजा फेफड़े तो सही रहे मगर आँखों पर दुष्प्रभाव पड़ा , दौड़ते समय प्रभावित आँख से गाढ़ा पानी निकलना ही कैटरेक्ट को दूर रखता था , सोते समय रात को यह गाढ़ा पानी आँखों के अंदर ही रह जाता था और कैटरेक्ट अधिक जमा होता था , सो आँखों का नुक़सान तेज़ी से हुआ !

अधिकतर आँखों से पानी निकलते ही हम डॉ के पास भागते हैं जबकि यह आँखों को स्वच्छ रखने की, शरीर द्वारा अपनायी सामान्य प्रक्रिया है , इससे आँखें स्वच्छ और पारदर्शी होती हैं ऐसा मेरा विश्वास है , पिछले तीन महीने रज़ाई में लेटे लेटे मुझे यह याद ही नहीं आया और आँखों का बहुत नुक़सान हुआ , अब कोशिश रहेगी कि आँखों को स्वच्छ रखने की यह नियमित प्रक्रिया जारी रहे और शायद यह धुंधली परत धीरे धीरे कम हो जाये !  हमारे पूर्वज गुफ़ामानव अपनी आँख के कैटरेक्ट को ऐसे ही ठीक करते रहे हैं , सो पानी निकलता है तो निकलने दें एवं जल से लगातार धोने की आदत , निस्संदेह कैटरेक्ट को दूर रखने में सहायक होगी !

७० वर्ष होने तक मैंने अभी ख़ुद को मेडिकल व्यापारियों के जाल से बचाये रखा है , अगर शरीर आँखों की इस समस्या को ख़ुद ठीक न कर सका तब आने वाले समय में ऑपरेशन कराना ही होगा जो मेरा आख़िरी विकल्प होगा ! आँखों के सामान्य व्यायाम आदि पर अधिक ध्यान देना होगा ताकि आँखें बिना चश्मा आदि के उपयोग बिना अधिक समय तक साथ दें !

जमा होने नहीं पाये , तुम्हारी आँख का पानी  !
यही ठंडक बहुत देगा, तुम्हारी आँख का पानी !

हमेशा रोकने में ही , लगायी  शक्ति जीवन में  !
न जाने कितनी यादों को समेटे आँख का पानी !

शुभकामनाएँ आप सबको !
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