Monday, January 11, 2016

सहज रहने नहीं देगी, तेरी मौजूदगी मुझको - सतीश सक्सेना

भरी आँखें रुलायेंगी तेरी,  ताजिन्दगी मुझको ,
तुम्हारी याद के संग आयेगी शर्मिंदगी मुझको !

हमें अरसा हुआ दुनियां के मेलों में नहीं जाते 
सहज रहने नहीं देगी, तेरी मौजूदगी मुझको !

न मिलने की तमन्ना शेष न दीदार की ख्वाहिश
बहुत तकलीफ ही देगी,तुम्हारी बंदगी मुझको !

जमाने भर से लड़ने में कभी नज़रें न नीची कीं   
कहीं मज़बूर न कर दे, तेरी बेपर्दगी  मुझको !

खुदा के सहज बन्दे को, दिखावे ही नहीं आते, 
न जाने क्यों लगे अच्छी मेरी आवारगी मुझको !

17 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 12 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  2. किरण आर्य जी ने आज से ब्लॉग बुलेटिन पर अपनी पारी की शुरुआत की है ... पढ़ें उन के द्वारा तैयार की गई ...
    ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "मन की बात के साथ नया आगाज" , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    ReplyDelete
  3. वाह एक और नायाब कृति ।

    ReplyDelete
  4. खुदा के सहज बन्दे को, दिखावे ही नहीं आते,
    न जाने क्यों लगे अच्छी मेरी आवारगी मुझको !
    एक से एक सभी नायाब शेर !

    ReplyDelete
  5. जमाने भर से लड़ने में कभी नज़रें न नीची कीं
    कहीं मज़बूर न कर दे, तेरी बेपर्दगी मुझको !
    वाह! वाह!
    सतीश जी ,बहुत बढ़िया लगी यह रचना आपकी.

    ReplyDelete
  6. जमाने भर से लड़ने में कभी नज़रें न नीची कीं
    कहीं मज़बूर न कर दे, तेरी बेपर्दगी मुझको !
    वाह वाह बहुत शानदार प्रस्तुति दिली दाद हाजिर है

    ReplyDelete
  7. हमें अरसा हुआ दुनियां के मेलों में नहीं जाते
    सहज रहने नहीं देगी, तेरी मौजूदगी मुझको !
    ..वाह! बहुत सुन्दर ...

    ReplyDelete
  8. अद्भुत भाव के साथ सुन्दर रचना है आपकी ,जहाँ हर पंक्तियाँ अनेकों अर्थ दे रही है।

    ReplyDelete
  9. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
    Replies
    1. बेहद खूबसूरत रचना ।

      Delete
    2. बहुत सुंदर रचना ।

      Delete
  10. सादगी भरी आवारगी, हम तो तरस गये।

    ReplyDelete
  11. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार, कल 28 जनवरी 2016 को में शामिल किया गया है।
    http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !

    ReplyDelete
  12. खूबसूरत ग़ज़ल । लेकिन याद के साथ शर्मिंदगी भला क्यों ?

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

Related Posts Plugin for Blogger,