आज अचानक लाइब्रेरी में, कुछ पुस्तकों को पलटते हुए, गोपाल गोडसे जी के द्वारा लिखी एक किताब "गाँधी वध और मैं " के पन्नों के बीच रखा,मुझे लिखा, उनका एक पत्र मिल गया , वह पत्र पढ़ते हुए, उनके साथ गुज़ारा गया समय और यादें, नज़रों के सामने घूम गयीं !
गाँधी वध से जुड़े हुए, अपने समय के अत्यंत विवादास्पद व्यक्तित्व , और लगभग 75 वर्ष की उम्र में उनके विचारों और विद्वता से, मैं वाकई प्रभावित हुआ था !
उन दिनों वे भारतीय इतिहास व पुरातत्व पर शोध कर रहे थे ! वे कहते थे कि यदि दिल्ली एवं देश के अन्य भागों में बने किले , मीनारें,परकोटे आदि आक्रमणकारियों ने बनवाये थे तो उनके आने से पहले, हम लोग कहाँ रहते थे और अगर हम लोगों के रहने के लिए किले आदि नहीं थे तो आक्रमणकारी देश में किस लिए आये थे और बाद में यहीं के होकर रह गए ?
यक़ीनन हमारा देश वैभवशाली था और हमारे पास विशाल शानदार किले , उन्हें बनाने की तकनीक एवं अन्य जानकारी थी !आक्रमण कारियों ने उन भवनोंपर कब्ज़ा किया एवं उनमें अपने रहने के हिसाब से आवश्यक बदलाव किया ! उनका विचार था कि आज के किले वस्तुतः वही,बदलाव किये गए, हमारे पुरातन भवन हैं !
यक़ीनन हमारा देश वैभवशाली था और हमारे पास विशाल शानदार किले , उन्हें बनाने की तकनीक एवं अन्य जानकारी थी !आक्रमण कारियों ने उन भवनोंपर कब्ज़ा किया एवं उनमें अपने रहने के हिसाब से आवश्यक बदलाव किया ! उनका विचार था कि आज के किले वस्तुतः वही,बदलाव किये गए, हमारे पुरातन भवन हैं !
वे आगरा एवं दिल्ली के पुराने भवनों में ,पुरातन भारतीय स्थापत्य कला के चिन्ह पाकर उत्साहित होते थे !
भारतीय स्थापत्य कला की विशेष पुरातन पुस्तकों का अध्ययन, उनका प्रिय विषय होता था
! जिन पुस्तकों की चर्चा उन्होंने मुझसे की थी उनमें "मयः मतम" एवं "मानसार" प्रमुख थीं !
! जिन पुस्तकों की चर्चा उन्होंने मुझसे की थी उनमें "मयः मतम" एवं "मानसार" प्रमुख थीं !
लगभग 75 वर्ष की आयु में वे स्फूर्ति में जवानों को मात करतेथे उनके साथ घुमते हुए मैंने कम समय में जो ज्ञान अर्जित किया, वह शायद ही कभी भुला पाऊंगा !
शुद्ध हिंदी भाषा का उच्चारण करते हुए, वे जब ऐतिहासिक पौराणिक काल में भारत देश का वैभव गुण गान करते थे, तो उनके पास से उठने का मन नहीं करता था !