लगा सब धर्मों का मेला
भीड़ का है रेलम पेला
सूफियों का विरक्त संसार
मिले शर्तों के बदले राह
भीड़ का है रेलम पेला
अजान में है खिचाव भारी
भजन में आत्मा दिल हारी
बैठना , गिरिजा में चाहें ,
आँख में जब आंसू आएं !
मुहब्बत करना सिखलायें
कतारें, लंगर की प्यारे !
सभी घर अपने से लागे, सब जगह वही प्यार इज़हार !
सभी घर अपने से लागे, सब जगह वही प्यार इज़हार !
फ़क़ीरों का अल्हड संसार
हमारी सबसे यारी रे !
प्यार की, कष्टों में दरकार
मिले स्पर्श नेह इक साथ
मुसीबत में शबरी का संग
लगे परमेश्वर का दरबार ,
चर्च हो या मस्जिद प्यारे
मिले स्पर्श नेह इक साथ
मुसीबत में शबरी का संग
लगे परमेश्वर का दरबार ,
चर्च हो या मस्जिद प्यारे
हर भवन में , ईश्वर न्यारे !
पीठ पर है निर्भय अहसास
पीठ पर है निर्भय अहसास
आस्था के , वारे न्यारे !
हर जगह सम्मोहन भारी, भक्ति में कहाँ दुश्मनी यार !सूफियों का विरक्त संसार
हमारी दुनिया न्यारी रे !!
बड़े बूढ़े अब रहे कराह !
खाय कसमें जीवनसाथी
रोज ही बदले जाते यार
भर गया पेट सरे बाजार
देख प्यारों का ऐसा हाल !
कटी उंगली पर मांगे धार
बताओ क्या देंगे सरकार
काश इंसान समझ पाये, जानवर से निश्छल अनुराग !
काश इंसान समझ पाये, जानवर से निश्छल अनुराग !
मानवों का लोभी संसार
यहाँ सारे व्यापारी रे !!
शुरू से ऐसी ही ठानी
मिले, अंगारों से पानी
पियेंगे सागर तट से ही
आंसुओं में डूबा पानी,
कौन आये देने विश्वास
हमारी सांस आखिरी में
हंसाएंगे इन कष्टों को
डुबायें दर्द, दीवानी में !
कौन आये देने विश्वास
हमारी सांस आखिरी में
हंसाएंगे इन कष्टों को
डुबायें दर्द, दीवानी में !
बहुत कुछ समझ नहीं पाये, इश्क़ न करें किसी से यार !
मानवों से ही डर लागे
पागलों में ही, यारी रे !!