16 Feb 1968 -25 August 2021 |
सबका हाथ बटाते मोहक आँखों वाला चला गया !
इतने लोगों के रहते भी , कैसी किस्मत पायी थी,
बहिनों के रक्षाबंधन पर, सबसे प्यारा चला गया !
सबकी कड़वी बातें सुनकर एक शब्द न कहता था
सबको रोता छोड़ अकेला राज दुलारा चला गया !
राजकुमारों जैसा बचपन , लेकर किस्मत पायी थी
चुपके से घरबार छोड़कर आँख का तारा चला गया !
जहाँ बैठता रौनक लाता था हर शख्श के चेहरे पर
रोता छोड़ अँधेरे सबको , इक ध्रुव तारा चला गया !