Monday, November 1, 2021

परीक्षा मानव शक्ति की -सतीश सक्सेना

आज लगातार दौड़ते हुए सौवाँ दिन था , इस बार अपनी शक्ति और सामर्थ्य की खुद परीक्षा लेनी थी , भरोसा था पिछले छह वर्षों की सतत
मेहनत और अपने ऊपर विश्वास का जिसके कारण यह एग्जाम पास किया इसमें आप सब मित्रों का प्रोत्साहन और साथ शामिल था , उसके लिए आप सबको प्रणाम !

इन सौ दिनों में तमाम अनुभव हुए, साठ बार 21 km या अधिक दौड़ना और दो बार लगातार 10 दिन तक रोज हाफ मैराथन (21 Km) दौड़ा , रोज लगभग 3 से चार घंटे दौड़ने के कारण वजन बेहद तेजी से घटा और अधिक पौष्टिक भोजन लेने का ध्यान नहीं रखने के कारण दो या तीन बार रुकने पर, चक्कर आते प्रतीत हुए तब यह अहसास हुआ कि इतना अधिक पसीना ( लगभग 3 लीटर रोज ) बहने से शरीर से आवश्यक साल्ट्स सोडियम, कैल्सियम, मैग्निसियम की कमी काफी हुई है और इसका नतीजा जीवन में पहली बार कमजोरी महसूस हुई अतः अगले दिनों नियमित खाना छोड़ 3 कोर्स मील्स लेना शुरू कर दिया , इससे धीरे धीरे सामान्य महसूस करने लगा और सौ दिन पूरे हुए , फायदा यह हुआ है कि 20 km लगातार दौड़ने पर भी पैरों में थकान का नाम नहीं है ! पिछले सौ दिन में 1849 km दौड़ा हूँ एवं पूरे विश्व में दौड़ते 13073 लोगों में मेरा रैंक 68 रहा , यह मेरे लिए भी अविश्वसनीय है , भरोसा नहीं होता कि मैं 67 वर्ष की उम्र में लगातार 100 दिन तक रोज 19 km दौड़ पाया हूँ !

कई बार घुटने में दर्द कमर दर्द हार्ट पल्पिटेशन आदि ने परेशान अवश्य किया मगर भय और चिंता को कभी खुद पर हॉवी नहीं होने दिया , और नतीजा आनंददायक मिला ! शरीर का सारा अनावश्यक फैट गायब और न थकने वाली अथाह शक्ति , और जवानी किसे कहते हैं, इसका अहसास और आखिरकार मैंने कायाकल्प कर दिखाया ! यहाँ लिखने का उद्देश्य सिर्फ अपने हम उम्र साथियों को विश्वास दिलाना मात्र है कि मानव शरीर पर भरोसा न छोड़ें वह बेहद शक्तिशाली है !

साथ कोई दे, न दे , पर धीमे धीमे दौड़िये !
अखंडित विश्वास लेकर धीमे धीमे दौड़िये !
दर्द सारे ही भुलाकर, हिमालय से हृदय में
नियंत्रित तूफ़ान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !
जाति,धर्म,प्रदेश,बंधन पर न गौरव कीजिये
मानवी अभिमान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !
जोश आएगा दुबारा , बुझ गए से हृदय में
प्रज्वलित संकल्प लेकर धीमे धीमे दौड़िये !
समय ऐसा आएगा जब फासले थक जाएंगे
दूरियों को नमन कर के , धीमे धीमे दौड़िये !

Saturday, September 25, 2021

पता नहीं क्यों खाते पीते, ज्ञान की बातें, होती हैं -सतीश सक्सेना

डी पी एस ग्रेटर नॉएडा के, एक क्षात्र, रानू , जो कि, पढने लिखने में बहुत अच्छे होने के साथ साथ, खाने पीने में, भी मस्त हैं, के मन की बातें यहाँ दे रहा हूँ ! जब भी हम सब साथ साथ , खाने पर एक साथ बैठते तो बच्चों से उनके भविष्य की चर्चा तथा क्लास में उनकी पोजीशन की चर्चा जरूर होती ! स्वादिष्ट खाने के समय , पढाई की चर्चा , उनके मुहं का टेस्ट बदलने के लिए काफ़ी होती है ! 

मन को काबू कर अंग्रेजी 
ग्रामर लेकर , बैठा हूँ  !
जैसे तैसे रसगुल्लों से , 
ध्यान हटाए , बैठा हूँ !
मगर ध्यान में बार बार, 
ही आतिशबाजी होती है !
अलजब्रा के ही खिलाफ  
क्यों नारे बाजी होती है !
नाना,पापा की बातें सुन ,
नींद सी आने लगती है !
इतने बढ़िया मौसम में,एक्जाम की बातें,होती हैं !


समझ नहीं आते बच्चों के 
कष्ट , समस्याएं भारी !
पढ़ते, अक्षर नजर न आएं 
दिखे किचन की अलमारी ! 
टीवी पर कार्टून, यहाँ 
भूगोल की बाते होती हैं 
खाने पीने के मौसम मे, 
दुःख की बातें, होती हैं !
ग्रेट खली,इंग्लिश ग्रामर, 
में हर दम कुश्ती होती है !
जाने क्यों घर में हर मौके,क्लास की बातें होती हैं ?

फीस बढ़ा ले भले प्रिंसिपल 
पर बच्चों की क्लासों में !
चॉकलेट लडडू फ्री होंगे 
आने वाले , सालों में !
कठिन गणित का प्रश्न क्लास
में, मैडम जब समझाती हैं !
उसी समय क्यों याद हमारे,
मीठी बातें , आती हैं  !
बिना जलेबी और समोसा 
कैसे मन भी पढ़ पाए
सारे अक्षर गड्मड होते , खाली आंतें रोती  हैं !

हाथ में बल्ला लेकर जब मैं
याद सचिन को करता हूँ,
ध्यान लगा के उस हीरो का 
सीधा छक्का जड़ता हूँ !
मगर हमेशा अगले पल
ये खुशियां भी खो जाती हैं !
पता नहीं ,  जब  ध्यान 
हमारे कृष्णा मैडम आतीं हैं !
ऐसे मस्ती के मौके, क्यों  
याद सजा की आती है !
अक्सर घर में खाते पीते, ज्ञान  की बातें, होती हैं !

Tuesday, August 31, 2021

कौन मनाये जन्माष्टमी, कृष्ण कन्हैया चला गया -सतीश सक्सेना

कौन मनाये जन्माष्टमी, किशन हमारा चला गया !
16 Feb 1968 -25 August 2021 
सबका हाथ बटाते मोहक आँखों वाला चला गया !

इतने लोगों के रहते भी , कैसी किस्मत पायी थी,
बहिनों के रक्षाबंधन पर, सबसे प्यारा चला गया ! 

सबकी कड़वी बातें सुनकर एक शब्द न कहता था
सबको रोता छोड़ अकेला राज दुलारा चला गया ! 

राजकुमारों जैसा बचपन , लेकर किस्मत पायी थी   
चुपके से घरबार छोड़कर आँख का तारा चला गया !

जहाँ बैठता रौनक लाता था हर शख्श के चेहरे पर
रोता छोड़ अँधेरे सबको , इक ध्रुव तारा चला गया !

Saturday, July 17, 2021

जकड़े घुटने पकड़ के बैठा , ढूंढ रहा उपचार आदमी -सतीश सक्सेना

दौड़ते समय घुटनों को नुकसान न पहुँचने पाए इसके लिए कृपया बताइए कि क्या करना चाहिए? मेरे एक मित्र संजय त्रिपाठी का इस प्रश्न का जवाब लगभग हर पोस्ट में देने का प्रयत्न करता हूँ ! #healthblunders लिंक पर मेरे वे लेख दुबारा ध्यान से पढ़ेंगे तो जवाब स्पष्ट मिलेगा , संक्षिप्त में कहूं तो घुटने में नुकसान केवल उन्हें होता है जो घुटनों को बहुत जतन से संभाल कर रखते हैं या बहुत दुरूपयोग करते हैं , घुटने हों या शरीर के अन्य अंग प्रकृति ने उन्हें उपयोग के लिए ही बनाया है , उनका भरपूर उपयोग होना चाहिए अगर नहीं किया है तब जॉइंट जकड जाएंगे ! सो शुरू करें उन्हें प्यार से चलना सिखाना वे आपको सौ वर्षों तक साथ देंगे !

आज से एक रनिंग प्रोग्राम ज्वाइन किया है जिसमें अगले ३० दिनों में कम से कम 194.7 km दौड़ना या साइकिलिंग करना होगा  ! कोच रविंदर सिंह का यह प्रोग्राम बाँध कर रखेगा मुझे एक माह तक लगभग रोज 7 km दौड़ना होगा या साइकिलिंग करना है मगर हर हाल में  195 km पूरे करने होंगे और निस्संदेह 66+ वर्ष के नौजवान के लिए यह बिलकुल मुश्किल नहीं है !

सो आज पहले दिन काफी दिन से खड़ी साईकिल राइडिंग के लिए उसका हेलमेट , हैंड ग्लव्स , शार्ट , रेफ्लेक्टेड जर्सी , फ़्लैश लाइट , वाटर बोतल , जीपीएस वाच , strava अप्प , स्पोर्ट्स शू , आई कार्ड , कुछ रूपये , गॉगल्स , हेड बैंड , स्माल टॉवल , एक्स्ट्रा टायर , टूल्स , एयर पंप , आदि संभाल कर रात को ही तैयार कर इकठ्ठा रख दिए थे ! सुबह सुबह ५ बजे वाच में से स्पोर्ट्स अप्प स्ट्रावा में साइकिल राइड ऑन कर चल दिया दिल्ली की और डीएनडी से आश्रम , इंडिया गेट , प्रगति मैदान , निजामुद्दीन ब्रिज , मयूरविहार होते हुए लगभग 7 बजे घर बापस पंहुचा तो पूरा शरीर पसीने के साथ आनंदमय था कि आज बहुत दिन बाद साइकिल से की गयी यात्रा 30.69 km को 17 km प्रति घंटा की एवरेज स्पीड से तय करने में 1:52 का समय लगा !  इस पूरी यात्रा में कोई कष्ट हुआ तो वह प्रगति मैदान की दुर्दशा देखकर हुआ जिसे डेवलपमेंट की भेंट चढ़ा दिया गया ! राजधानी में यही एक मात्र जगह थी जहाँ बच्चे हमेशा चहकते हुए मिलते थे ! 

अब तक मैं पिछले लगभग छह वर्ष में अपने काया कल्प अनुष्ठान में कुल 7225 km दौड़ने के साथ साथ 2760 km साइकिल भी चला चुका हूँ जो कि लम्बी दौड़ के रनर के लिए बहुत आवश्यक है ! मजबूत जांघों के मसल्स के लिए साईकिल चलाना बहुत आवश्यक है , इससे चोटिल होने का खतरा कम हो जाता है !

अंत में मित्रों से दुबारा अनुरोध है कि उन्हें यह ध्यान रखना होगा कि उन्हें रनिंग बिलकुल नहीं आती है और न उनके शरीर को , उन्हें भूल जाना होगा कि रनिंग करने में कुछ नहीं है इसमें सीखना क्या ? बिना शरीर को सिखाये हुए रनिंग आपकी जान लेने में समर्थ है सो अपने सुस्त और वजनदार शरीर को मेहरबानी कर धीरे धीरे रनिंग सिखाएं जिस दिन आपका शरीर दौड़ना सीख गया उस दिन आप खुद को शीशे में पहचान नहीं पाएंगे !
शुभकामनायें !



Wednesday, July 14, 2021

उनसे कहिये, चलने का अंदाज बदल लें -सतीश सक्सेना

Strava नाम का एक अप्प रनर्स और साइकिलिस्ट में बहुत पॉपुलर है यह दौड़ते हुए न केवल हमारी रनिंग /वाकिंग के टाइमिंग पर नजर रखता है बल्कि हमारे रुट को ट्रेक भी करता है ताकि हमें अपना सम्पूर्ण हेल्थ डाटा मिल सके , इसके अनुसार सतीश सक्सेना उम्र 66+ ने 2015 सितम्बर से लेकर अबतक दौड़ते हुए 7216 Km की दूरी तय की है , इसमें 10 km की दूरी का उनका सर्वश्रेष्ठ समय 64 मिनट्स और 21.10 Km की रनिंग का समय 2:16:31 रहा ! शुरुआत में लम्बी दूरी तय करते हुए अधिकतम हार्ट रेट चिंताजनक 200 तक पंहुच जाता था जो समय के साथ धीरे धीरे कम होता हुआ अब 165 के आसपास रहता है जो काफी संतोषजनक है !

रनिंग एक हाई इम्पैक्ट एक्सरसाइज है जो कि कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को बेहतर करने के साथ साथ हड्डियों को मजबूत करने में भी सहायक है ! दौड़ते समय रनर के हर गिरते हुए कदम पर, रनर के शरीर के वजन का तीन गुना इम्पैक्ट उसके घुटने पर पड़ता है जो कि उसकी कमजोर आंतरिक मसल्स को चोटिल करने को पर्याप्त है , अतः दौड़ने की शुरुआत करने से पहले शरीर को उसे झेलने हेतु ,धीरे धीरे अभ्यस्त बनाना होता है ताकि शरीर के अवयव इस शानदार हाई इंटेंसिटी क्रिया को आसानी से वर्दाश्त कर सके !

दौड़ने से आपके हृदय और फेफड़ों के कार्य में आश्चर्यजनक सुधार के अतिरिक्त , मसल्स का मजबूत होना , बेहतर नींद और स्वच्छ खून , पेट के रोग , बढ़ा हुआ वजन , डायबिटीज, हृदय रोग और हाइपरटेंशन गायब होते नजर आते हैं !

ध्यान रहे दौड़ते समय आपके पूरे शरीर के हर आंतरिक अवयव में जबरदस्त इम्पैक्ट और कम्पन लगातार होता है , जिससे पूरे शरीर में हलचल होती है और फेफड़े व् हृदय अपने पूरी गति के साथ ऑक्सीजन खींच कर खून में पम्प करते हैं , अगर आप दौड़ते समय अपने हर गिरते उठते कदम के साथ साँस नहीं ले पा रहे हैं तब आप ऑक्सीजन की कमी के कारण शीघ्र हांफने लगेंगे और कुछ कदम दौड़ने के साथ ही थक कर रुकने को विवश हो जाएंगे अतः दौड़ते समय सांसों को कदमों के साथ लयबद्ध करना आवश्यक होता है !

अब इतने वर्ष दौड़ने के बाद मैं अपने आपको एक सहज रनर मानता हूँ उक्त सारी बीमारियां  पता ही नहीं कहाँ गायब हो गयीं और अब सुबह की लम्बी दौड़ के बाद शरीर से टपकता पसीना वरदान जैसा लगता है साथ ही पूरे दिन मूड की मस्ती मुफ्त ! 
सो आइये गुनगुनाएं  ...

सुनी सुनाई खबरों पर,एतबार बदल लें !
झूठी खबरों के सस्ते अखबार बदल लें !

चलते, अहंकार की चाल,नज़र आती है !

उनसे कहिये,चलने का अंदाज बदल लें !




Monday, July 12, 2021

नियंत्रित तूफ़ान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये -सतीश सक्सेना

आज सुबह पांच बजे मैं गाडी लेकर DND toll पर पहुँच गया था , बढ़िया मौसम मगर आद्रता 90 प्रतिशत , गाडी एक साइड पार्क कर, रिंग रोड तक जाकर बापस लौटने का (लगभग 8 Km )
मन बनाया और थोड़ी स्ट्रेचिंग के बाद , गहरी गहरी साँस लेकर, बेहद सहज मन से दौड़ना शुरू किया ! आज का संकल्प था कि सहज मन से ही दौड़ना है , न दूरी की चिंता और न समय की , खाली सड़क के किनारे किनारे, पेट के बढे हुए एक टायर पर विचारों को केंद्रित करते हुए कि इस सप्ताह इससे मुक्ति पानी ही है, दौड़ते दौड़ते कब यमुना ब्रिज आ गया पता ही नहीं चला , दिल्ली पुलिस पीसीआर के हैडकांस्टेबल द्वारा गुड मॉर्निंग सर का जवाब देते हुए अच्छा लगा ! इस रुट के लगभग सारे ड्यूटी अफसर जानते हैं कि एक 67 वर्ष का रिटायर्ड जवान नोएडा से दिल्ली तक दौड़ता है !

आज की 8 km की लम्बी दौड़ की विशेषता सहजता रही , बिना किसी तनाव, गरमी ,पसीने पर ध्यान दिए बिना यह बेहद आसान था हालाँकि बढ़ी आद्रता के कारण, बापसी में कार तक पंहुचने पर ऊपर से नीचे तक पसीने से नहाया हुआ था ! 

काया कल्प के संकल्प में सहजता ही आवश्यक है जिसे आज के दिखावटी जगत में पाना बेहद मुश्किल होता है ! सहज आप तभी हो सकेंगे जब मन स्वच्छ हो ईमानदार हो खुद के लिए भी और गैरों के लिए भी ! स्वस्थ मन और शरीर को पाने के लिए आप को भय त्यागना होगा , मृत्यु भय पर विजय पाने के लिए अपनी आंतरिक सुरक्षा शक्ति पर भरोसा रखें कि वह अजेय है किसी भी बीमारी से उसका शरीर सुरक्षित रखने में वह सक्षम है और हाँ, अपने विशाल प्रभामण्डल और तथाकथित आदर सम्मान भार को सर से उतारकर घर पर रख देना होगा अन्यथा यह गर्व बर्बाद कर देने में सक्षम है मेरे हमउम्र तीन मित्र इस वर्ष मोटापे की भेंट चढ़ गए और कुछ हार्ट अटैक की कगार पर हैं ,काश वे समय रहते चेत गए होते ! 

भारत हृदय रोग और डायबिटीज की वैश्विक राजधानी बन चुका है , हर चौथा व्यक्ति इसका शिकार है और उसे पता ही नहीं , चलते समय या सीढियाँ चढ़ते समय सांस फूलता है, उसे यह तक पता नहीं कि साँस फूलने का मतलब क्या होता है और न उसके पास समय है कि इस बेकार विषय पर ध्यान दे मोटापे को वह उम्र का तकाजा समझता है ! खैर  ...

बरसों से आलसी शरीर को सुंदर और स्वस्थ बनाने के लिए कृत्रिम प्रसाधनों , दवाओं का त्याग करना होगा , उनसे शरीर स्वस्थ होगा का विचार, केवल खुद को मूर्ख बनाना है ! शरीर स्वस्थ रखने के लिए जो अंग जिस कार्य के लिए बने हैं उनका सहज भरपूर उपयोग करना सीखना होगा ! गलत लोक श्रुतियों और मान्यताओं, सामाजिक भेदभाव पर खुले मन से विचार कर उनका त्याग करें आप खुद ब खुद सहज होते जाएंगे ! 

साथ कोई दे, न दे , पर धीमे धीमे दौड़िये !
अखंडित विश्वास लेकर धीमे धीमे दौड़िये !

दर्द सारे ही भुलाकर,हिमालय से हृदय में 
नियंत्रित तूफ़ान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !

जाति,धर्म,प्रदेश,बंधन पर न गौरव कीजिये 
मानवी अभिमान लेकर, धीमे धीमे दौड़िये !

जोश आएगा दुबारा , बुझ गए से  हृदय में 
प्रज्वलित संकल्प लेकर धीमे धीमे दौड़िये !
   
तोड़ सीमायें सड़ी ,संकीर्ण मन विस्तृत करें  
विश्व ही अपना समझकर धीमे धीमे दौड़िये !

समय ऐसा आएगा जब फासले थक जाएंगे  
दूरियों को नमन कर के , धीमे धीमे दौड़िये !

Friday, July 9, 2021

मैं धीमी आवाजों को अभिव्यक्ति दिलाने लिखता हूँ -सतीश सक्सेना

 एक दोस्त ने , बढे हुए वजन को घटाने के लिए व्हाट्सप्प यूनिवर्सिटी के किसी ग्रेजुएट का बताया फार्मूला भेजा और पूंछा कि क्या इसे दो दिन कर लूँ ? उसे पढ़ने पर पता चला कि उसमें 17 तरीके के किचेन अवयव शामिल थे , जिनको तलाश करने और बनाने में ही वजन दो किलो घट जाएगा और उसका विवरण इतना जबरदस्त था कि पालन करने वाले को यह फार्मूला रामवाण ही लगेगा !

हमारे देश में ज्ञानियों की भरमार है , ज्ञान देने वाले और लेने वाले दोनों एक से हैं , उनकी हर बीमारी खाने से जुड़ी मानी जाती है और उनकी हर समस्या का निदान भी खाने में ही होता है बस शरीर को तकलीफ न देना पड़े और वजन घट जाए इसकी तलाश जीवन भर चलती रहती है ! जैसे तैसे जब वे 45 के होते हैं तब उन्हें लगता है कि शरीर बेडौल होने लगा है और वे इसका इलाज टहलना मानते हैं सो पड़ोस के किसी एक मित्र के साथ पार्क में आधा घंटा, ऑफिस में मारे हुए तीर उस दोस्त को सुनाते हुए, टहलना शुरू करते हैं जो ताउम्र चलता है बिना यह समझने का प्रयत्न किये कि इस क्रिया से एक किलो भी वजन हिला नहीं है ! उम्र बढ़ने के साथ स्वतः शारीरिक क्षरण के साथ बीमारियां बढ़ने लगती हैं जिनका इलाज वे सड़क छाप ज्ञानियों के दिए फार्मूलों से करते हैं ! इन फॉर्मूलों में अदरक , हल्दी , काली मिर्च , लौंग, दालचीनी , निम्बू , हरा धनिया, सेंधा नमक , जीरा , अजवायन , हींग  और लहसुन अवश्य होता है जो हम बचपन से खाते रहे हैं !

उपरोक्त फार्मूला में नाटकीयता की भरमार है ताकि गुरु के प्रति आदर भावना और अधिक हो , जबकि सप्ताह में दो दिन अगर रोटी आदि नियमित भोजन बंद कर पहले दिन केवल सब्जियां उबालकर अथवा कच्ची सलाद और दुसरे दिन केवल फलों का सेवन, भरपूर पानी पीते हुए करें तब वजन डेढ़ से ढाई किलो घट जाता है और अगर साथ में रोज ब्रिस्क वाकिंग या रनिंग करें तब यह वजन कभी शरीर पर कब्ज़ा नहीं कर सकता ! 

आज सुबह दौड़ते हुए मेरे पास से एक नौजवान आगे निकला गया उसके हावभाव से लग रहा है कि वह दौड़ने में नौसिखिया है , नतीजा थोड़ी देर बाद ही वह हांफने लगा और वाक करने लगा ! तब मैंने उसे समझाया कि हांफते हुए दौड़ना जान ले सकता है , हांफने का मतलब तुम्हें सही पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही अतः हृदय पर अधिक दवाब पड़ रहा है ! मेरे साथ दौड़ो और दौड़ते हुए मेरी तरह साँस लो , हर गिरते उठते कदम पर सांस खींचना और छोड़ना शामिल होना चाहिए जिस दिन कदम ताल के साथ सांस लेना और छोड़ना सीख गए उस दिन तुम कितनी ही दूरी दौड़ोगे , थकोगे नहीं !

सो अगर अपने बीमार हृदय, पेन्क्रियास और मोटापे से पीछा छुटाना है तो दौड़ना सीखना शुरू करें ! आप हर उम्र में खुश रहेंगे, स्वस्थ रहेंगे !   

  

Wednesday, April 7, 2021

वारे न्यारे , क्रिप्टो करेंसी से - सतीश सक्सेना

22 मई 2010 को एक प्रोग्रामर लैज़लो हनी (Laszlo Hanyecz) ने, पापा जॉन के दो पिज़्जा खरीदने के लिए 10000 bitcoin दिए थे , इन्होने सपने में भी नहीं सोंचा होगा कि दो पीज़ा लायक यह डिजिटल करेंसी , सिर्फ दस साल बाद Rs 40000000000/= की होगी ,आज एक बिट कॉइन का रेट भारतीय करेंसी में 50 लाख रुपया है ! उनका पीज़ा बिल 30 $ का था और उन दिनों बिट कॉइन की कीमत एक पैनी से भी कम थी लगभग $0.003, सो उन्होंने यह बिल पेमेंट अपने डिजिटल करेंसी बैलेट से करने का फैसला किया और उन्हें डिजिटल वालेट में बेकार पड़े 10000 बिट कॉइन खर्च करने का फैसला किया और वे क्रिप्टो करेंसी इतिहास में सबसे महंगा पीज़ा खाने वाले के नाम से सुरक्षित हो गए ! विश्व का सबसे महंगा पीज़ा खाने वाला व्यक्ति को यह नहीं पता होगा कि वह खा क्या रहा है ! क्रिप्टो कैलेंडर में यह तिथि बिटकॉइन पीज़ा डे के नाम से सुरक्षित है !

बिट कॉइन , एथेरियम कॉइन या डॉग कॉइन आदि एक स्वतंत्र करेंसी है जिसके ऊपर विश्व के किसी भी देश का प्रभुत्व नहीं है ! यह एक ऐसा सिक्का जिसकी कीमत विश्व बाजार भाव निर्धारित करता है और उसे कोई भी व्यक्ति किसी भी अन्य व्यक्ति को जो उसे मान्यता देता हो , दे सकता है ! अब तक जापान , अमेरिका , फ्रांस ,जर्मनी , कनाडा , नीदरलैंड ,सिंगापुर और रूस और तमाम देश मान्यता दे चुके हैं ! भारत में कई क्रिप्टो एक्सचेंज खुल चुके हैं जिसके जरिये इसकी खरीद फरोख्त की जा सकती है , शीघ्र ही रिज़र्व बैंक भी, अपना क्रिप्टो करेंसी ज़ारी करने पर विचार कर रहा है !
क्रिप्टो कॉइन लेनदेन विश्व का सबसे सुरक्षित लेनदेन है , इसकी खरीद फरोख्त ब्लॉक चेन नामक एक नवीनतम टेक्नोलॉजी करती है जो कि अपने आप में औटोमैटिक है ! इसमें धन के लेनदेन में कोई बैंकिंग सिस्टम का उपयोग नहीं होता और टेक्नोलॉजी में सबसे कठिन मानकधारी है, शायद इसी लिए सबसे पहले मान्यता देने वालों में जापान , अमेरिका , जर्मनी जैसे विकसित राज्य आगे आये है , आने वाले समय में इसे विश्व करेंसी का दर्जा मिलेगा ऐसा इन देशों में अनुमान है !
पहले पहल मैंने बिट कॉइन का नाम शायद आठ वर्ष पहले सुना था , और आम भारतीय की तरह सरसरी नजर से पढ़कर भूल गया, 2013 में भी अगर किसी ने 10000 रूपये के बिट कॉइन खरीद लिये होते तो आज वह 2 करोड़ का मालिक था ! खरीदना आसान है , wazirx या zebpay पर रजिस्ट्रेशन कराइये , KYC पूरा करें और मनचाही क्रिप्टो खरीदें , मगर याद रहे यह धन बहुत तेजी से बढ़ता है उतनी ही तेजी से गिरता भी है , बेहतर सिलेक्शन में ही धन लगाएं और भुला दें यह सोचकर कि कहीं लुट गए और हो सकता है कुछ वर्षों बाद आपको एक दबा हुआ खजाना मिल जाए !
विश्व की पहली डिजिटल करेंसी बिटकॉइन, एक छद्मनाम सातोशी नाकामोतो नामक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने , 2008 में लांच की थी और इसकी कीमत ज़ीरो थी जो कि अगले तीन साल में बढ़कर 1$ प्रति बिट कॉइन और आजकल इसकी कीमत लगभग $50000 है ! विश्व में इतनी तेज प्रगति का यह अकेला पहलवान है सो इसको समय रहते नमस्कार करना सीख लेना चाहिए ...

Friday, February 19, 2021

सम्मान से अधिक प्रोत्साहन देना आवश्यक है -सतीश सक्सेना

हिंदी जगत में ब्लॉगिंग का आगमन , हिंदी के नवोदित लेखकों के लिए संजीवनी का काम कर गया , झिझकती लड़खड़ाती शर्मीली सैकड़ों कलमें हिंदी की चाल दिखाने के लिए फ्लोर पर पहली बार जब आयीं थी तो उनमें कितनी ही खड़े होने लायक भी नहीं थीं , मगर पाठक रुपी दर्शकों ने वाह वाह कर उन्हें प्रोत्साहन दिया और कांपते हुए क़दमों को अहसास दिलाया कि वे न केवल चल रही हैं बल्कि बेहतरीन निशान भी छोड़ रही हैं ! 

यह उनके लिए अविश्वसनीय ही था कि जिन्होंने पूरी जिंदगी कुछ नहीं लिखा उनका लिखना न केवल पढ़ने योग्य है बल्कि तालियों के साथ हिंदी जगत में उन्हें एक सम्मानित पहचान भी मिल रही है , इस विश्वास के साथ ही उनके लेखन में विविधता और पैनापन बढ़ने लगा और कुछ समय पश्चात, उनके बेकार लेख वाकई अपनी जगह बनाने में कामयाब हुए, आज उनमें से कई हिंदी जगत में बेहतरीन लेखक हैं और प्रिंट मीडिया उनके लेख लगातार छापकर उन्हें सम्मानित कर रही है ! 

हिंदी ब्लॉगिंग से लेखकों के उदय में, मैं समीर लाल ( उड़न तश्तरी ) का बहुत बड़ा योगदान मानता हूँ , 2008 में समीर लाल ही थे जो नियमित तौर पर प्रतिदिन लगभग सौ ब्लॉगरों के ब्लॉग पर जा जाकर वाह वाही कर टिप्पणी करते थे , कई लोग कहते थे कि इतनी टिप्पणियां कोई एक व्यक्ति कर ही नहीं सकता यह असंभव ही था कि एक व्यक्ति इतने ब्लॉगों पर जाकर पढ़े और टिप्पणी करे ! कुछ कहते थे कि उन्होंने कोई सॉफ्टवेयर बनवाया है जो इतनी टिप्पणी रोज करता है और कई उनकी मजाक बनाते थे कि वे किसी ब्लॉग को पढ़ते नहीं है बस खुद के ब्लॉग पर टिप्पणी पाने के लिए वे सबके ब्लॉग पर नियमित टिपियाते हैं ! मगर सच्चाई यही थी कि उनकी टिप्पणी पाने पर एक जोश महसूस होता था कि मैंने कुछ अच्छा लिखा है जो कनाडा से उड़नतश्तरी ने आकर कमेंट दिया है ! हिंदी ब्लॉगिंग को बढ़ाने में समीर लाल का योगदान अमर और सैकड़ों लेखनियों के लिए जीवन दायक रहा , इस योगदान के लिए वे हमेशा वंदनीय रहेंगे !

रनिंग करते समय, स्टेडियम के रनिंग ट्रेक पर या खुली सड़क पर जब कोई भारी वजन का व्यक्ति या महिला दौड़ने का प्रयत्न करते देखता हूँ तब मैं उसकी हिम्मत अफ़ज़ाई अवश्य करता हूँ , शाब्बाश बच्चे तुम अवश्य जीतोगे एक दिन, बस हिम्मत नहीं हारना , दुनियां तुम्हें दौड़ते देख हँस रही है इसकी बिना परवाह किये धीरे धीरे बिना हांफे दौड़ना, सीखते रहो एक दिन तुम्हारा स्लिम शरीर इसी ट्रेक पर तेज गति से भागते हुए दुनिया देखेगी !

अंत में , बढ़ा वजन घटाने के लिए !
-दिन में 12 गिलास पानी कम से कम पीना ही है !
-डिनर ७ -८ बजे तक और बहुत हल्का बिना रोटी चावल के !
कोई भी मीठी चीज नहीं खानी है ! मिल्क प्रोडक्ट कम करें !
-रोज आधा घंटा तेज वाक करें बिना हांफे , और आखिरी दो मिनट बिना हांफते हुए दौड़ कर समाप्त करें ! विश्वास रखें कि वे बहुत जल्द सामान्य पहले जैसे स्मार्ट होंगे ! शरीर आसानी से हर परिस्थिति में अभ्यस्त हो जाने में समर्थ है , रनिंग सिखने के साथ ही शरीर की ढेरों उम्र जनित बीमारियां डायबिटीज , बीपी , कब्ज ,दर्द आदि खुदबखुद गायब हो जायँगी ! 

Tuesday, February 16, 2021

45 वर्ष की उम्र में नीरसता क्यों -सतीश सक्सेना

उम्र बढ़ने के साथ नीरसता आनी ही है, मैं ऐसा नहीं मानता !  नीरसता की शुरुआत, जीवन में नयी रुचियों और अपनी इच्छाओं का गला घोटने से होती है और इसके पीछे के कारणों में प्रमुख , बढ़ी उम्र में सामाजिक वर्जनाएं , खुल कर हंसने में भय, अकेलेपन के
कारण आये आलस्य जनित बीमारियों द्वारा शरीर का अशक्त होना अधिक है ! हमारे समाज में, "सब लोग क्या कहेंगे" के दबाव से निकलना, डरपोक और भयभीत लोगों के लिए असम्भव बन जाता है ! 

समाज की नजर में, उम्र अधिक होने का अर्थ चुस्त और जीवंत डिज़ाइन के कपडे, मस्त उन्मुक्त हंसी, मनचाहे मित्रों और शौक को त्यागना होता है , उनके हिसाब से अधिक उम्र में ऐसा करना बेहूदगी होता है और अधेड़ अवस्था में तो यह अशोभनीय,  खासतौर पर तब यह और भी आवश्यक हो जाता है जब उनके बच्चे विवाह योग्य हो जाते हों ! सामाजिक परिवेश उन्हें मजबूर करता है कि वे बढ़ती उम्र में चुस्त दुरुस्त कपडे छोड़कर ढीले वाले कपडे , चप्पल और मोटा चश्मा लगाकर अखबार पढ़ें और पैरों पर हाथ लगाने वालों को हाथ उठाकर , धीमी आवाज में आशीर्वाद और वरदान देना शुरू करें और सबके मध्य ज्यादा बात न करें !

अधिकतर हमारे यहाँ जवान बच्चों की माँ और बहू /दामाद वाले पुरुषों को बूढ़ा मान लिया जाता है और इस नाते 45 वर्ष की भरपूर जवानी में औरतों को शालीन और 55 पार मजबूत पुरुषों को भी पापा जी बनना पड़ता है ! हर प्रकार की मित्रता चाहे वह कितनी शुद्ध और आवश्यक क्यों न हो , उनके लिए अशोभनीय बन जाती है ! उन्मुक्त हँसी का असमय छिन जाना उनके शरीर को असमय क्षरण की गारंटी देने में सहायक सिद्ध होता है !  

महिलाओं का और भी बुरा हाल है , उनकी युवावस्था पापा मम्मी की तीक्ष्ण नज़रों में कटती है और विवाह पश्चात पतिदेव की वर्जनाओं और सुरक्षा में, 40-45 होते होते बच्चे समझाने लगते हैं कि माँ किस साड़ी में अधिक ग्रेसफुल दिखती हैं उनके लिए माँ का चहकना ,हंसना अजीब लगने लगता है , खुलकर हंसने के लिए यह वयस्क लड़कियां जीवन भर तरसती हैं उनके पास एक ही जगह होती है जहाँ वे ठठ्ठा मारकर स्कूली दिनों जैसा हंस पाए जिस जगह उनके परिवार का कोई व्यक्ति दूर दूर तक न हो और वे ऐसा ही करती भी हैं बशर्ते वह क्षण किसी को पता नहीं चलने चाहिए !

हर घर में अपनी भूलों या गलतियों को छिपाना सबसे पहले सिखाया जाता है , बच्चों को कहा जाता है कि अपने घर की यह बात किसी और को नहीं बतानी है ! कोई भी रुका काम कराने का तरीका रिश्वत देना है चाहे वह सरकारी काम हो अथवा मंदिर , भगवान के दर्शन करने को गरीबों और रईसों के रास्ते अलग है , अधिक पैसा दो और साईं बाबा के दर्शन करें अधिक चढ़ावा देंगे तो फल भी

अधिक मिलेगा , दयनीय हाल बना दिया है हमने अपने समाज का और इसके जिम्मेदार हम अधेड़ावस्था के लोग ही हैं जो भुक्तभोगी होने के बावजूद, अपने ज़िंदा रहते, व्यवस्था परिवर्तन की कोशिश करते, युवाओं का मजाक बनाते हैं और उन्हें चोरी करने पर मजबूर करते हैं सो झूठ और चोरी करना हमारे व्यवहार का हिस्सा बन गया है हम एक बीमार अपराधी समाज का अंग बन कर रह रहे हैं और ऐसे ही मरना हमारी नियति है !

विश्व में विकसित देशों के मुकाबले हम कहीं नहीं ठहरते, वहां क्राइम और भ्रष्टाचार का नामोनिशान नहीं है , वे ईमानदार हैं , उम्रदराज हैं उनमें बीमारियों से कराहते लोग न के बराबर हैं , उनका वातावरण, हवा, शुद्ध और पीने के लिए बहती नदियों में स्वच्छ पानी उपलब्ध है उनके पास बड़ी खुली सड़कें और पक्की बस्तियां सैकड़ों वर्षों से हैं ,उनके यहाँ सामाजिक वर्जनाएं न के बराबर हैं , वहां राह चलती लड़कियों को कोई नहीं घूरता , अपने अभिन्न मित्रों के साथ , उन्मुक्त रूप से हंसने के लिए वे परिवार की और से भी मुक्त हैं और वे भरपूर खुशहाल जिंदगी गुजारते हैं ! यूरोपीय देशों में मैंने वाइन / बियर खरीदते अक्सर वृद्धाओं को देखा है वहीँ हमारे देश में ऐसा देखना पाप या अजूबा होता है और भीड़ लग जायेगी उनका चेहरा देखने के लिए ! 

अधिकतर महिलाएं और पुरुष बढ़ती हुई अवस्था में इसे घुटन से मुक्ति चाहते हैं , मगर उनकी हिम्मत नहीं है कि वे किसी को अपनी मित्रता का अहसास दिलाएं , मेरी कुछ महिला मित्रों ने इसे स्वीकार भी किया है, वे हंसना चाहती हैं मगर उनकी हिम्मत नहीं कि वे बेड़ियाँ तोड़ सकें यहाँ तक कि शुद्ध मित्रता आवाहन को स्वीकार कर सकें , उनके लिए पारिवारिक संबंधों से इतर, विपरीत सेक्स मित्रता स्वीकारना और हंसना मना है  चाहे वह मित्रता कितनी ही सहज और निश्छल क्यों न हो भयभीत महिलायें ऐसा सोंच भी नहीं सकतीं कि उनकी मित्रता परिवार से इतर हो अन्यथा बदनाम होने की गारंटी पक्की है !


चूँकि अधिकतर अविकसित देशों में, सत्ता पर बैठने वाले पुरानी मानसिकता में डूबे हुए अधेड़ या वृद्ध बैठे हैं जिन्होंने वर्जनाओं की भरमार पूरी उम्र झेली है और वे मानसिक तौर पर इसको तोड़ने में नाकामयाब रहे , नयी पीढ़ी के लिए वे अपने पुराने उसूलों की कानूनी जामा पहनाने में देर नहीं लगाते हैं और भयभीत युवा उन्हें तोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाते इसी कारण पूरा विश्व दो भागों में विभक्त हो चुका है , अविकसित देश वाले समाज को, विकसित मस्तिष्क वाला समाज बनने में सैकड़ों वर्ष और तकलीफ भरा रास्ता तय करना होगा , पीढ़िया बीत जाएंगी खुलकर हंसना सीखने में , भयमुक्त समाज का नारा लगाएंगे मगर अर्थ समझने में उम्र गुजर जायेगी !
स्वस्थ शरीर को बनाने के लिए उन्मुक्त एवं बनावट मुक्त हंसना बेहद आवश्यक है , और फलस्वरूप स्वस्थ मस्तिष्क का मालिक , हमेशा जवान रह सकता है !

अंत में कुछ पंक्तियाँ पढ़ें ..

सज़ा मिले मानवता का , उपहास बनाने वालों को,
कुछ तो शिक्षा मिले काश, कानून बनाने वालों को !

अगर यकीं होता , मौलाना मरते भरी जवानी में ,
हूरें और शराब मिलेगी , ज़न्नत जाने वालों को !
 


Friday, February 12, 2021

वजन घटाना आसान है , सिर्फ इच्छाशक्ति मजबूत हो -सतीश सक्सेना

अभी कुछ दिन पहले ही ठंडक और कोरोना के कारण , घर में जमकर खाया और कम्बल की मेहरबानी के कारण एक दिन चेक करने पर पाया कि पूरे तीन किलो वजन बढ़ चुका है , इस उम्र ( 66 वर्ष ) में मुझे बुढ़ापा नहीं चाहिए सो उसी दिन तय कर लिया था कि एक सप्ताह में वजन

सामान्य करना है !

पूरे आठ दिन में रोटी सिर्फ एक बार (घी नमक प्याज मिर्च के साथ), खिचड़ी दो बार दही, घी और धनिये की चटनी के साथ , एक बार बिरयानी रायता , ६ बार टमाटर सूप , दूध की चाय चार बार , ग्रीन टी 10 बार , कहवा २ बार , केला 3 (दो बार ), खजूर लगभग 200 grm ( ४ बार ), उबले अंडे 6 (3 बार ) , पनीर 600 ग्राम (3 बार ), कैप्सिकम , प्याज रोस्टेड और चना जोर गरम ढाई सौ ग्राम के साथ 100 ग्राम चीज़ भी खायीं गयी साथ में रोज १२ गिलास पानी कम से कम पिया !

इन दिनों जो त्यागा गया उसमें, किसी भी शेप में मीठा (बिस्कुट , गजक , रेवड़ी आदि ) , दूध और आयल प्रमुख था ! मानसिक तौर पर लोगों से अपेक्षाएं करना छोड़कर खुद को मस्तमौला रखा , विपरीत परिस्थितियों में और अधिक खुश रहा एवं बोरियत से बचने के लिए रोज दो बार मार्केट /पार्क वाक किया !

मगर वजन घटाने में सबसे अधिक भूमिका रही मेरे द्वारा इस ठण्ड के दिनों में भी , सुबह स्लीवलेस वेस्ट में की गयी धीमे धीमे लम्बी दौड़ , इन आठ दिनों में मैंने, strava रिकॉर्ड के अनुसार 50 km की दूरी दौड़ते हुए तय की तथा एक दिन 15 km साइकिल चलाकर पसीना बहाया !

यह मेरा आज का फोटो है जो इस अवसर पर लगाया गया ताकि उनकी आँखें खुलें , और संकल्प लें कि बुढ़ापा मात्र नाम है अगर मेहनत करने की जिद कर लें , मानवीय शरीर हर बीमारी से आसानी से पार पाने में सक्षम है एक बार विश्वास तो करके देखें तो सही !
सादर मंगलकामनाएं आप सबको ! हँसते रहें हंसाते रहें ...

Friday, January 1, 2021

हो सकें तो उन्मुक्त होकर हंसना सीखें , आप उम्रदराज़ होंगे -सतीश सक्सेना

पिछले वर्ष की भूलें इस वर्ष न हों यही कामना है इस वर्ष , ऐसे मित्रों से रक्षा करे जो सिर्फ दिखावे का प्यार अपनापन जतायें , जिन्हें प्यार की समझ ही न हो ! मैंने जीवन भर दिखावा नहीं किया किसी को भी अगर अपना कहा तब अपनापन का अर्थ समझकर ही कहा और निभाया मगर हमारे समाज में अपनापन है कहां , वहां सिर्फ कहने को अपनापन मिलेगा यह भूल गया , नतीजा यार लोग अपनी औकात दिखा गए !

हमने तो दोस्ती में जान देना सीखा है और वह भी बिना कहे बिना अहसान , अहसास दिलाये , ऐसे लोग हमें नहीं मिले ! खैर अब आगे दोस्ती ही नहीं करना सिर्फ हेलो कैसे हैं , से आगे नहीं जाना, यही संकल्प है अगले कुछ दिन या वर्षों के लिए , जो भी हाथ में हों ! 

आप सब से ऐसी शुभकामनायें चाहिए कि अगले साल "हमें समझ जाने वाले" और "हमारी असलियत जानने वाले" समझदार, कम से कम टकरायें :-)), और कुछ भले और ईमानदार लोगों से भेंट हो तो इन लेखों का लिखना सार्थक हो ! सबसे अंत में ईश्वर से प्रार्थना है कि मेरे पास इतना धन और शक्ति जरूर बचाए रखे कि वक्त आने पर, मेरे दरवाजे से , कोई मायूस होकर, वापस न लौट जाए !किसी का एक आंसू , बिना उस पर अहसान किये, पोंछ सका, तो अगले वर्ष, अपना मन संतुष्ट मान लूँगा ...

आप सब, नववर्ष पर उन्मुक्त नजरें मिला
कर, खुलकर हंसें और हंसाएं , यही कामना है !
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