Wednesday, February 21, 2024
अगर बहता है बहने दो, तुम्हारी आँख का पानी -सतीश सक्सेना
Thursday, February 1, 2024
साँसों को न भूलिए -सतीश सक्सेना
रात को करवट बदलते समय गहरी सांस खीचने और निकालने की आदत डाल रहा हूँ , उससे सुबह उठने पर, हाथ और पैरों में सुस्ती की जगह फुर्ती महसूस होने लगी , क्योंकि फेफड़ों ने खून में सोते समय अतिरिक्त
ऑक्सीजन की सप्लाई दे दी , नतीजा खून प्रवाह में फुर्ती और अतिरिक्त शक्ति मिली !यही योग है प्राणायाम है जिस पर गौर करने का समय नहीं है हमारे पास , यह मुफ़्त की दवाई है , जिसे परमात्मा ने हमारे शरीर के साथ ही हमें प्रदान की है , मगर हम इस शक्तिशाली औषधि पर ध्यान ही नहीं देते !
पचास साठ के आसपास के जो महिला या पुरुष , 100 मीटर तेज वाक के समय हांफ जाते हैं वे जान लें कि वे खतरे में हैं, उनकी ह्रदय आर्टरीज़ में रुकावट है और यह आसानी से reversible है सिर्फ जॉगिंग सीखना होगा , फलस्वरूप शरीर के अंगों में उत्पन्न कंपन एवं खुले फेफड़ों से रक्त में मिलती ऑक्सीजन, आसानी से बंद धमनियाँ खोलने में समर्थ हैं !
अन्यथा मेडिकल व्यापारी अपनी फाइव स्टार दुकाने लगाए ओपरेशन टेबल पर उनका इंतज़ार कर रहे हैं उसके बाद अगर बच गए तो भी बचा जीवन धीरे धीरे हलकी आवाज में बात करते, मृत्युभय में ही बीतेगा !
मंगलकामनाएं, सद्बुद्धि के लिए !