Wednesday, October 21, 2015

कौन आये साथ मेरे दर्द सहने के लिए -सतीश सक्सेना

कौन आये साथ , गहरे दर्द सहने के लिए,
हम अकेले ही भले,जंगल में रहने के लिए !

जिस जगह जाओ वहां बौछार फूलों की रहे 
तुम बनाये ही गए , सम्मान पाने के लिए !

शिष्ट सुन्दर सुखद मनहर देवता आदर करें
क्या जरूरत जंगली से, प्यार करने के लिए !

माँद के अंदर न जाएँ, ज़ख्म ताजे बह रहे
समय देना है,बबर के घाव भरने के लिए !

जाति,मज़हब,देश से इंसान भी आज़ाद हो,  
पक्षियों  से सीखिये,उन्मुक्त उड़ने के लिए !




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