कौन आये साथ , गहरे दर्द सहने के लिए,
हम अकेले ही भले,जंगल में रहने के लिए !
जिस जगह जाओ वहां बौछार फूलों की रहे
तुम बनाये ही गए , सम्मान पाने के लिए !
शिष्ट सुन्दर सुखद मनहर देवता आदर करें
क्या जरूरत जंगली से, प्यार करने के लिए !
माँद के अंदर न जाएँ, ज़ख्म ताजे बह रहे
समय देना है,बबर के घाव भरने के लिए !
जाति,मज़हब,देश से इंसान भी आज़ाद हो,
पक्षियों से सीखिये,उन्मुक्त उड़ने के लिए !
हम अकेले ही भले,जंगल में रहने के लिए !
जिस जगह जाओ वहां बौछार फूलों की रहे
तुम बनाये ही गए , सम्मान पाने के लिए !
शिष्ट सुन्दर सुखद मनहर देवता आदर करें
क्या जरूरत जंगली से, प्यार करने के लिए !
माँद के अंदर न जाएँ, ज़ख्म ताजे बह रहे
समय देना है,बबर के घाव भरने के लिए !
जाति,मज़हब,देश से इंसान भी आज़ाद हो,
पक्षियों से सीखिये,उन्मुक्त उड़ने के लिए !