Friday, July 1, 2016

आ जाएँ , बैठें पास मेरे , बतलायें, भारत कहां लिखूँ - सतीश सक्सेना

लो आज  कष्ट की स्याही से
संतप्त ह्रदय का गान लिखूं
धनपतियों से इफ़्तार दिला 
मैं निर्धन का रमजान लिखूं 
बतलाओ तुमको यार कहूँ ,
या केवल मित्र सुजान लिखूं !
अनुराग कहां सम्मानित हो
मनुहार  रचाये  चरणों में  !
आ जाएं कभी आनंदमयी, बतलायें  व्यथा मन कहां लिखूं ! 

नेताओं को कह देश भक्त ,
अधपके देश की शान लिखूं 
धन पर मरते, सन्यासी को  
दरवेशों का लोबान लिखूं !
या बरसों बाद मिले, जीवन 
में, भूखे का जलपान लिखूं 
धनपति बनने को राष्ट्रभक्त 
उग आये, रातों रात यहाँ !
कह जाएं किसी दिन रूपमयी , मन का वृन्दावन कहां लिखूं !

सूरज  को श्रद्धा नत होकर , 
मंत्री का स्वागत गान लिखूं !
या तिल तिल कर मरते, निर्जल 
इन वृक्षों को , उपहार लिखूं !
उम्मीदों में , बादलों  सहित, 
आती बारिश जलधार लिखूं !
कोसों तक प्यार नहीं दिखता 
नफ़रत फैलाती , दुनिया में !
पथ दिखलायें ,अनुरागमयी, बोलें  न , बुलावन कहां लिखूं !

संक्रमण काल में गीत बना
कर छंदों का अपमान लिखूं 
या धूर्त काल में गीतों की 
चोरी कर काव्य महान लिखूं
फिर महागुरु के चरण पकड़ 
कर, उनको दिव्य सुजान लिखूं 
कवितायें जन्म कहाँ लेंगी  ,
गुरु शिष्य बिकाऊ जिस घर में,
आ जाएं एक दिन दिव्यमयी, कह जाएं, स्तवन कहां लिखूं  !

बंगाल सिंध कश्मीर कटा, 
नफरत में, हिंदुस्तान लिखूं ,
जिसके रिश्ते, आधे उसमें 
उस घर को, पाकिस्तान लिखूं !
गांधार, पाणिनी आर्यक्षेत्र को 
अब अफ़ग़ानिस्तान लिखूं !
कुल, जाति, धर्म, फ़र्ज़ी गुरुर 
पाले, नफरत में  हांफ रहे !
आ जाएं किसी दिन करुणमयी , समझाएं तपोवन कहां लिखूं !


13 comments:

  1. अपने मन को नादान लिखूं
    कवि पर तेरा ऋणदान लिखूं
    संक्रमण काल है गीतों का,
    चोरी कर काव्य महान लिखूं
    ना जाने कितने बरसों से
    इक भूखे का,जलपान लिखूं
    धनपति बनने को हैं व्याकुल
    जनभक्त भरे , मेरे घर में ,
    अा जाएं कभी तो रूपमयी, मन का वृंदाबन कहां लिखूं !
    कवि मन की व्यथा ... गहन भाव. लाज़वाब रचना

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  2. कुछ नहीं सारे बे‌ईमान महान लिखो
    ईमानदारी और ईमानदार के
    अंतिम यात्रा का अभी से इतिहास लिखो
    वाह वाह गाने वाले देश के भाँडों
    के जोकर और जमूँरों के गान लिखो

    रहने दो बहुत अच्छा लिखा है
    मेरे कहने सुनने बताने का
    मत कोई गान लिखो :)

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  3. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 03 जुलाई 2016 को लिंक की गई है............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  4. बरसाते , सूर्य थपेड़ों पर
    वृक्षों का शीतल प्यार लिखूं
    कुछ दूर सही,बौछार सहित,
    अाती वारिश जलधार लिखूं
    जितना भी प्यार लिखूं कम है
    नफरत फैलाती दुनियाँ में ,
    अा जाएं कभी अनुरागमयी, बोलो न बुलावन कहां लिखूं !
    वाह ! अति प्रभावशाली कविता...आभार !

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  5. बहुत बढ़िया ....आप यूं ही लिखते रहें

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  6. Batlayen Bharat kahani likhoon? Bahut sahee sawal.

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  7. बिगड़े हालतों में कैसे गर्व से भारत लिखे, यह यक्ष प्र्श्न है ...बहुत सटीक रचना

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  8. वाह हर छंद कुछ गहरे प्रश्न खड़े कर रहा है ... इन प्रश्नों का जवाब किसी के पास नहीं दीखता है ...

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  9. इस तपती हुई अशान्त और व्यथित धरती पर आप तपोवन लिखने की कामना कर रहे हैं - कहाँ से लायेंगे उसके उपादान और उस महान् चिन्तन के पोषक और अनुकर्ता !

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  10. कुछ बेईमान, महान गिना
    अधपके देश की शान लिखूं
    धन पर मरते धनवानों को
    दरवेशों का लोबान लिखूं !
    या छन्दों का इम्तहान बता
    कर हिंदी का अपमान लिखूं
    कवितायें जन्म कहाँ लेंगीं ?
    हों सभी बिकाऊ जिस घर में
    अा जाएं एक दिन दिव्यमयी, बतलायें, स्तवन कहां लिखूं !

    जबरदस्त !!

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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