कुछ श्राप भी दुनिया में आशीर्वाद हो गए,
जब भी तपाया आग में, फौलाद हो गए !
यह राह खतरनाक है , सोचा ही नहीं था ,
हम जैसे सख्तजान भी, बरबाद हो गए !
कितने तो कट गए बिना आवाज किये ही
बच वे ही सके, जो कहीं आबाद हो गये !
ख़त ध्यान से पढ़ने की जरूरत ही नहीं थी
हर शब्द के मनचाहे से, अनुवाद हो गए !
क्यों दर पे तेरे आके ही सर झुक गया मेरा
काफिर न जाने क्यों यहाँ , सज़्ज़ाद हो गए !
न जाने कब से तेरे सामने बेबस रहे थे हम
इस बार उड़ाया तो , हम आज़ाद हो गए !
जब भी तपाया आग में, फौलाद हो गए !
यह राह खतरनाक है , सोचा ही नहीं था ,
हम जैसे सख्तजान भी, बरबाद हो गए !
कितने तो कट गए बिना आवाज किये ही
बच वे ही सके, जो कहीं आबाद हो गये !
ख़त ध्यान से पढ़ने की जरूरत ही नहीं थी
हर शब्द के मनचाहे से, अनुवाद हो गए !
क्यों दर पे तेरे आके ही सर झुक गया मेरा
काफिर न जाने क्यों यहाँ , सज़्ज़ाद हो गए !
न जाने कब से तेरे सामने बेबस रहे थे हम
इस बार उड़ाया तो , हम आज़ाद हो गए !
जय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteआपने लिखा...
कुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये दिनांक 27/03/2016 को आप की इस रचना का लिंक होगा...
चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर...
आप भी आयेगा....
धन्यवाद...
सुन्दर ग़ज़ल।
ReplyDeleteवाह जनाब वाह
ReplyDeleteक्यों दर पे तेरे आके ही सर झुक गया मेरा
ReplyDeleteकाफिर न जाने क्यों यहाँ सज़्ज़ाद हो गए !
..बहुत सही ...
very nice sir
ReplyDeleteवाह ! बढ़िया ।
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
सख्तजान कभी बर्बाद नहीं होते...बन्धु...
ReplyDeleteबहुत बढिया प्रस्तुती।
ReplyDeleteयह राह खतरनाक है, सोंचा ही नहीं था
ReplyDeleteहम जैसे सख्तजान भी, बरबाद हो गए !
सुना है एक सौ एक राहे होती है सौ राहें संसार में ले जाती है
और एक राह परमात्मा की ओर, संसार में ले जाने वाली
सभी सौ राहे खतरनाक तो नहीं पर हाँ निराशाजनक जरूर होती है !
बहुत सुंदर, दिल की बात कही भाई जी अगर अन्यथा न लें तो आप की इजाज़त से .....कब तक ग़ुलामी सहते किसी की ...बात जब दिल की मानी तो आज़ाद हो गये | स्वस्थ रहें .
ReplyDelete"आज़ाद" पसंद आया एक शेर और सही , आभार सुझाव के लिए !
Deleteख़त ध्यान से पढ़ने की जरूरत ही नहीं थी
ReplyDeleteहर शब्द के मनचाहे से, अनुवाद हो गए ...
वाह बहुत ही कमाल के शब्द लिखे हैं सतीश जी ... बहुत सुन्दर रचना ...
वाह, बहुत खूब
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