क्यों तुम चिंतित से लगते
हो, बेटी जीत दिलाएगी !
हो, बेटी जीत दिलाएगी !
विदुषी पुत्री जिस घर जाए
खुशिया उस घर आएँगी !
कर्मठ बेटी के होने से ,
बड़े आत्मविश्वासी गीत !

कर्मठ बेटी के होने से ,
बड़े आत्मविश्वासी गीत !
इसके पीछे चलते चलते,जग सीखेगा,जीना मीत !
जब से बेटी गोद में आई
घर में रौनक आयी है !
दोनों हाथों दान किया पर
कमी , कभी न आई है !
लगता नारायणी गा रहीं,
अपने घर में आकर गीत !
उनके हाथ, बरसता वैभव, अक्षय होते मेरे गीत !
जब से बेटी गोद में आई
घर में रौनक आयी है !
दोनों हाथों दान किया पर
कमी , कभी न आई है !
लगता नारायणी गा रहीं,
अपने घर में आकर गीत !
उनके हाथ, बरसता वैभव, अक्षय होते मेरे गीत !
जबसे इसने चलना सीखा
सुबह सबेरे उठते इसके
चहक उठे,मेरा घर बार !
इसके जाने से ही घर में
सूना सा, लगता संसार !
जलतरंग सी जहाँ बजेगी,
मधुर सुधा बरसाए प्रीत !
बाबुल का सम्मान बढाए , सब गाएंगे इसके गीत !
अच्युतम केशवम
पूज्य नारायणम
ईश पुरुषोत्तमम
कृष्ण आवाहनम
सिद्धि विनायक स्थापित
कर, विष्णुस्तवन गायें ईश !
सारे द्वार सुरक्षित घर के , निश्चित रहते मेरे गीत !
ॐ सर्व मंगल मांगल्ये
शिवे, सर्वार्थ साधिके !
शरण्ये त्रयम्बके गौरि
नारायणी नमोस्तु ते !
दोनों कर श्रद्धा से जोड़े,
पुत्रि वन्दना करते गीत !
गौरी गरिमामयी रहेगी, आशीर्वाद भेजते गीत !
घर में रौनक आई थी !
इसके आने की आहट से
चेहरे, रंगत छायी थी !
स्नेही मन जहाँ रहेगी ,
खूब सहारा दें जगदीश !
अन्नपूर्णा दान करेगी , आशिष देते मेरे गीत !
रोज कबूतर करके आएं ,
अभिनंदन गुड़िया के घर का !
सारे घर को महका जाएँ ,
कुछ चन्दन उसकी यादों का !
चंचल,कल्याणी,मनभावन,
जहाँ रहे बजता संगीत !
यादें इसकी जब जब आएं, आह्लादित कर जाते गीत !
इसके आने की आहट से
चेहरे, रंगत छायी थी !
स्नेही मन जहाँ रहेगी ,
खूब सहारा दें जगदीश !
अन्नपूर्णा दान करेगी , आशिष देते मेरे गीत !
रोज कबूतर करके आएं ,
अभिनंदन गुड़िया के घर का !
सारे घर को महका जाएँ ,
कुछ चन्दन उसकी यादों का !
चंचल,कल्याणी,मनभावन,
जहाँ रहे बजता संगीत !
यादें इसकी जब जब आएं, आह्लादित कर जाते गीत !
सुबह सबेरे उठते इसके
चहक उठे,मेरा घर बार !
इसके जाने से ही घर में
सूना सा, लगता संसार !
जलतरंग सी जहाँ बजेगी,
मधुर सुधा बरसाए प्रीत !
बाबुल का सम्मान बढाए , सब गाएंगे इसके गीत !
अच्युतम केशवम
पूज्य नारायणम
ईश पुरुषोत्तमम
कृष्ण आवाहनम
सिद्धि विनायक स्थापित
कर, विष्णुस्तवन गायें ईश !
सारे द्वार सुरक्षित घर के , निश्चित रहते मेरे गीत !
ॐ सर्व मंगल मांगल्ये
शिवे, सर्वार्थ साधिके !
शरण्ये त्रयम्बके गौरि
नारायणी नमोस्तु ते !
दोनों कर श्रद्धा से जोड़े,
पुत्रि वन्दना करते गीत !
गौरी गरिमामयी रहेगी, आशीर्वाद भेजते गीत !
पुत्री का ऐसा मान..निश्चय ही नारी- शक्ति का पुनर्स्थापन है.
ReplyDeleteहृदय से निकले बहुत सुंदर उद्गार ....
ReplyDeleteप्रभावशाली रचना ....
शुभकामनायें सतीश जी ॥
दोनों कर श्रद्धा से जोड़े, पुत्रि वन्दना करते गीत !
ReplyDeleteगौरी गरिमामयी रहेगी, आशीर्वाद भेजते गीत !,,,,बहुत खूब,,,सतीश जी,,
बेटियाँ हमेशा मा बाप लिए गौरव होती है,,,,,
RECENT POST बदनसीबी,
सच ही बेटियाँ घर को गुंजायमान कर देती हैं .... बहुत प्यारा और सुंदर गीत
ReplyDeleteसुबह सबेरे उठते इसके
ReplyDeleteचहक उठे, मेरा घर बार !
इसके जाने से ही घर में
सूना सा लगता संसार !
बिटिया रानी को ढेर सारी शुभकामनाएं.
सही कहा बच्चे स्कूल भी चले जातें हैं तो घर सूना हो जाता है...
पिता का विश्वास फलीभूत होगा ही होगा
ReplyDelete...बेटियों को समर्पित उत्तम गीत !
ReplyDeleteजब होता है जन्म किसी के , आँगन में बेटी का,
ReplyDeleteसदा लाडली होती है वह, प्यारी माँ की गोदी का!
समय गुजरता ज्यों-ज्यों , लता सी है वह बढती,
माँ बाप का पाकर प्यार ,फूलों सी है वह खिलती!,,,,,
WELCOME TO MY RECENT POST बदनसीबी,
आशीर्वाद भेजते गीत !
ReplyDeletekya sunder baat kahe hain.....
बेटियों की महिमा निराली ………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteसच, बेटियां घर की रौनक होती हैं...... हृदयस्पर्शी गीत
ReplyDeleteसच बेटियां घर की रौनक होती हैं...... हृदयस्पर्शी गीत
ReplyDeleteपुत्री बिना ये जीवन सूना...
ReplyDeleteजैसे बिना फूल की बगिया..!
बेटी मान, बेटी अभिमान,
बेटी हम सबके जीवन की शान!:)
~फिर भी उसे विदा करना पड़ता है..... ये बात बहुत दुखदायी होती है...:(
सादर!!!
मन संतुष्ट हुआ पढ़कर... सब आप जैसा ही सोचें तो कठिन नहीं है सुधार...
ReplyDeleteशुभकामनायें आदरणीय-
ReplyDeleteबिटिया रानी को आशीष ||
सुबह सबेरे उठते इसके
ReplyDeleteचहक उठे, मेरा घर बार !
इसके जाने से ही घर में
सूना सा लगता संसार !
जलतरंग सी जहाँ बजेगी,मधुर सुधा बरसाए प्रीत !
बाबुल का सम्मान बढाए, करें प्रभावित मेरे गीत !
इन पंक्तियों को पढ़कर मन भर आया
सुन्दर गीत है ....
एक पिता के ह्रदय की भावनाओं का बहुत सुन्दर चित्रण...सच बेटी का प्यार जीवन का सबसे बड़ा सहारा है, उसके दूर रहने पर भी...
ReplyDeleteआज तो आपने सारा वातावरण पवित्र सा कर दिया ! इतनी मधुर और सरस वन्दना बेटी वन्दना के नाम आनंदित कर गयी ! बेटी के लिए बहुत सी शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद सतीश जी ! रचना बहुत अच्छी लगी !
ReplyDeleteक्यों तुम चिंतित से लगते
ReplyDeleteहो, बेटी जीत दिलाएगी !
विदुषी पुत्री जिस घर जाए
खुशिया उस घर आएँगी !
बहुत सुंदर भावनाएं..बेटी होती ही ऐसी है..
बहुत ही प्यारी सी रचना.... सचमुच बेटियाँ घर की रौनक होती हैं।
ReplyDeleteबेटियां घर की रौनक होती हैं.
ReplyDeleteबेटियां सजाती घर और गूंजती सरगम सी जहाँ से वे गुजर जाती . बेटी ही रौनक होती है घर की और लक्ष्मी का स्वरूप भी । बहुत सुन्दर गीत बेटियों को समर्पित किया आपने . आभार .
ReplyDeleteबेटियों के लिए आपकी भावनाएं सदा ही विभोर करने वाली होती हैं.
ReplyDeleteसुन्दर गीत.
बहुत अच्छा लगा सतीश जी ये मान देख के ... पुत्रियां मान देने योग्य होती हैं ... बस दिल में समझने वाली बात है ...
ReplyDeleteबेटी कदम जहाँ पड़ते हैं,
ReplyDeleteभाग्य पसरता बिन आहट के।
बहुत सुन्दर मनभावन गीत है ,बधाई .,पुत्री को आशीर्वाद !
ReplyDeleteNew post बिल पास हो गया
New postअनुभूति : चाल,चलन,चरित्र
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति राजनीतिक सोच :भुनाती दामिनी की मौत आप भी जाने मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ?
ReplyDeleteBeautiful geet saxenaji
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर एवं सार्थक गीत बेटियों के होने से ही घर,घर लगता है..। शुभकामनायें
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर एवं सार्थक गीत बेटियों के होने से ही घर, घर जैसा लगता है ....शुभकामनायें
ReplyDeleteसतीश जी
ReplyDeleteकिसी की भी वन्दना करना उसको इश्वर बनाना होता हैं
आप की बेटियाँ / बहने { मी included } अगर आप के लिये केवल और केवल इंसान रहे तो हम सब ज्यादा खुश होंगी
कविता पर कमेन्ट नहीं कर रही
सुंदर गीत सतीशजी...
ReplyDeleteबधाई।।।
बहुत ही प्यारी रचना है...
ReplyDelete:-)
बहुत सुन्दर......
ReplyDeleteआपकी भावनाओं को नमन....
सादर
अनु
कोमल प्यारी नन्ही बिटिया सी कविता
ReplyDeleteसच्ची हृदयस्पर्शी बात
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी,आशीर्वाद!
ReplyDeleteसुबह के उजास जैसा, पवित्र.
ReplyDeleteपुत्री की तुलना किसी से नहीं की जा सकती है। दुनिया की अनूपम कृति है।
ReplyDeleteबहुत उत्कृष्ट सोच है आपकी, बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
बालिकाएं है विपुल धन
ReplyDeleteइनसे जीवन सुख-सम्पन्न
बिटिया है तो कल है...
ReplyDeleteजय हिंद...
बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है.
ReplyDeleteहर शब्द में ममता , प्यार और आशीर्वाद झलकता हो जैसे !
betiyon se hi to ghar sansaar me rounak hai...betiyon ke prati aapke prem ki sundar abhivyakti..
ReplyDeleteवाह :)
ReplyDeleteदोनों कर श्रद्धा से जोड़े, पुत्रि वन्दना करते गीत !
ReplyDeleteगौरी गरिमामयी रहेगी, आशीर्वाद भेजते गीत !
ह्रदय से निकले उदगारों ने दिल खुश कर दिया. काश ऐसी सोच सभी की हो.
बेटी खुशियाँ घर लाएगी कल लाती थी . आज भी घर को रौशन करती जायेगी .
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत दिल के करीब ....
ओस की बूंदों सी होती है बेटियाँ
ReplyDeleteदो दो कुलों की लाज को ढ़ोती है बेटियाँ
सुबह सबेरे उठते इसके
चहक उठे, मेरा घर बार !
इसके जाने से ही घर में
सूना सा लगता संसार !
जलतरंग सी जहाँ बजेगी,मधुर सुधा बरसाए प्रीत !
बाबुल का सम्मान बढाए, करें प्रभावित मेरे गीत !
काश..! सभी पिता ऐसा ही सोचने लगें,,,निश्चय समाज की बहुत सारी बुराइयां स्वत: ही समाप्त हो जाएंगी अथवा कहें कि समाज की सूरत बदल जाएगी.
ReplyDeleteउम्दा सोच..बधाई.
no words to say........
ReplyDeleteभैया पहली बार आपसे असहमत हूँ ... हम या तो उन्हें एक दम पूज्य बना देते हैं या फिर दासी .... अपने एकदम बराबर कब खड़ा करेंगे हम उनको ?
ReplyDeleteआप तो कवि हो आनंद...
Deleteइस रचना को उसी भाव से देखो !
इसका शाब्दिक अर्थ नहीं ...
शुभकामनायें !
बड़ा अच्छा लगता हैं जब भी आपको पढता हूँ। एक विश्वास सा आता हैं। लिखते रहिये, हम गुनगुनाते रहेंगे "मेरे गीत"
ReplyDeleteशुक्रिया राहुल जी ...
Deleteबहुत सुन्दर......
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर भावों का वर्णन!
ReplyDeletebahut sunder ...
ReplyDeleteविदुषी पुत्री जिस घर जाए
ReplyDeleteखुशिया उस घर आएँगी !
बिलकुल सच्ची बात लिखी है. सुन्दर वंदना. बहुत अच्छी लगी.
विदुषी पुत्री जिस घर जाए
ReplyDeleteखुशिया उस घर आएँगी !
ऐसा ही हो !
मन को छू गयी ये दुआएं !
सतीश जी,
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना! पिता अपनी बेटी के प्रति कितना संवेदनशील है इन भावों के दर्शन सम्पूर्ण गीत में हो रहे हैं। सुन्दर रचना के लिए दिल से बधाई!!!
एक प्यारी बेटी के वात्सल्यमय पिता का ऐसा स्नेह अतुल्य है ।
ReplyDeleteआपकी कविताओं ने हमेशा स्त्री को सम्मान दिया है ...
ReplyDeleteशुक्रिया ....!!
जिस घर में बेटी इठलाये हवा वहां पर गाये गीत
ReplyDeleteबेटी को आशीष सदा दें आपके प्यारे,'मेरे गीत'
आभारी हूँ आपके आशीर्वाद के लिए !
Deleteबिटिया के प्रति भावों की सार्थक अनुभूति
ReplyDeleteवात्सल्य में डूबी एक सुन्दर भाव पूर्ण रचना... इश्वर आपकी पुत्री को सुख, स्वास्थ्य वा दीर्घायु प्रदान करें!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सुन्दर वंदना...
ReplyDeletebahut sunder...
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन रचना | एक पिता के भाव मैं भलीभांति महसूस कर सकता हूँ | बिटिया जल्दी ही तंदरुस्त हो जाएगी ईश्वर से यही प्रार्थना करूँगा | आभार
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
समय मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी आयें और पसंद आए तो प्रतिक्रिया जताएं और फॉलो करें |
बेटी के लिए आपका प्यार पूरी तरह रचना में दिख रहा है...बिटिया खूब खुश रहे...स्नेहाशीष !!
ReplyDeleteजिस घर में पुत्री को इतना इज्जत मिलता,सुख-सम्पत्ति विराजमान रहता है--पुत्री वंदना के इतने सुन्दरशब्द,मधुर भाव --- अतिउत्तम
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुति...
ReplyDeleteदिल से निकले शब्द.. दिल तक ही पहुंचते हैं..बहुत सुंदर।
ReplyDeleteमैंने भी इस दिन कुछ लिखा..
http://theparulsworld.blogspot.in/2014/09/blog-post_28.html, आपका स्वागत है।