"अगर हम तुम्हें , बिन मुखौटे के पाते !
असल देखकर बस, दहल ही तो जाते " - सतीश सक्सेना
"आज गांधी होते तो वे भी भारत की स्थिति देख दहल जाते , बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता पर अगर भारतीय सोंच न बदली तो हाथ कुछ नहीं आएगा !" दुनियां के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति ओबामा के इस कथन पर भ्रष्ट भारतीय मीडिया को, विचार करने का समय ही नहीं है !
आखिर विश्वनेताओं को भी , बिना पाकिस्तानी प्रयत्नों के, हमारे मूर्ख नेताओं की पहचान हो ही गयी, अमेरिका स्थापित विश्व नेता है इसमें कोई संदेह नहीं ! सुरक्षापरिषद में स्थायी सदस्यता के लिए अमेरिका का मुंह ताकते भारत को , अपनी सोंच में आमूल चूल परिवर्तन बगैर यह सपना, सिर्फ सपना ही रहेगा अब यह तय है !
चंद आतंकवादियों के कारण पूरी क़ौम को बदनाम करके, अपने ही देश में भय का वातावरण पैदा करके , अनपढ़ बहुसंख्यक भीड़ से सुरक्षित समर्थन हासिल करने की चेष्टा , देर सवेर अंतराष्ट्रीय जगत में भारत का मखौल उड़वाएगी !
कट्टर विचारधाराओं द्वारा, अपने ही देश में,पैदा अल्पसंख्यक भारतीय बच्चों पर शक कर, उन्हें दोयम दर्जे का नागरिक बनाने का षड़यंत्र , हमारी राजनीति को बहुत मंहगा पडेगा ! लगातार झूठ बोलकर , जोर जोर से गाल बजाने , घटिया शब्दों का प्रयोग कर, औरों का अपमान करने की राजनीति अधिक देर एक नहीं टिक पायेगी ! २० -३० प्रतिशत अल्पसंख्यक जनता को तुम कोने में धकेल नहीं पाओगे ,यह समझने में इन राजनीतिज्ञ मूर्खों को बहुत समय लगेगा !
मूरख जनता चुन लेती धनवानों को !
बाद में रोती, रोटी और मकानों को !
रामलीला मैदान में,भारी भीड़ जुटी,
आस लगाए सुनती, महिमावानों को !
काली दाढ़ी , आँख दबाये , मुस्कायें ,
अब तो जल्दी पंख लगें,अरमानों को ! - सतीश सक्सेना
और यह सड़ी गली समझ ५० वर्ष से ऊपर के उम्रदराज भ्रष्ट लोगों की है , संतोष की बात यह है कि इस देश के बच्चों और नवयुवकों , जो दुनियां की सबसे बड़े पढ़े लिखे समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, के लिए जाति विरादरी का इक्कीसवीं शताब्दी में अब कोई महत्व नहीं है ! इन्हीं नवयुवको को आगे आकर,अपने ही घर के बूढ़ों की अविश्वास की नीति और सुने सुनाये किस्से कहानियों से ध्यान हटाना होगा !
मूर्खों अनपढ़ों की भीड़ आसानी से अफवाहों पर भरोसा ही नहीं करती बल्कि उसे फैलाने में अपना योगदान भी करती है ! राजनितिक पार्टियों ने सामाजिक भय और आस्था को जमकर भुनाया है और इसमें घी डालने का कार्य, मीडिया ने करते हुए, जम कर नोट कमाए ! सरकार असहाय सी इसमें बहती रही ! नेताओं के पास ऐसा कुछ भी तो नहीं जिसके कारण उसे वोट मिल सकें ! भागो भागो भेड़िया आया , और भाग कर एक जुट हो जाओ हम उस भेड़िये से पहले से ही आगाह करते रहे हैं अतः हमें वोट दो !
बस्स्स , जीत गए लच्छेदार जोरदार सपने दिखाने वाले मदारी , उनका ढोल बजबाने के लिए, मीडिया को खरीदने के लिए कुबेर तैयार पहले ही थे सो यह काम और भी आसानी से हो गया !
इन दिनों सारे भांड, एवं राजनैतिक दलाल अपने आपको राष्ट्रभक्त कहने लगे , ऐसा लगने लगा जैसे देश किसी युद्ध स्थिति से गुजर रहा है , और सिर्फ एक विचारधारा के लोग ही राष्ट्रभक्त हैं और जो उनका साथ नहीं दे रहे वे सब चोर हैं ! इन स्वयंभू देशभक्तों को पहचानना, इस देश के सम्मान की रक्षा में, सबसे बड़ी आवश्यकता है !
अनपढ़ों के वोट से , बरसीं घटायें इन दिनों !
साधू सन्यासी भी आ मूरख बनाएँ इन दिनों !
झूठ, मक्कारी, मदारी और धन के जोर पर ,
कैसे कैसे लोग भी , योद्धा कहायें इन दिनों !
देखते ही देखते सरदार को , रुखसत किया ,
बंदरों ने सीख लीं कितनी कलायें इन दिनों ! - सतीश सक्सेना
आज देश में अधिकतर जनप्रतिनिधि बेईमान हैं , जो बच्चा १०वींं , १२ वीं क्लास बड़ी मुश्किल में पास होता हो , उस निकम्मे और नालायक को आम तौर पर राजनीति में भेजा जाता था , वह पहले किसी बड़े नेता की छत्रछाया में उसका भक्त बन जाता था , और धीरे धीरे ५ -१० वर्ष में पार्षद , या किसी कमेटी का मेंबर बनकर लोगों के काम कराने योग्य हो जाता था ! जल्दी ही यह छुटभैया किसी लाल बत्ती धारक के संपर्क में आकर उसकी दलाली कर, जनता ( बिजिनिस मैन ) के काम कराना शुरू कर नोट कमाना सीख जाता है ! इसका अगला प्रोमोशन एमएलए का टिकट लेना होता है और यह काम बड़े नेताओं को खुश करके आसानी से होता है ! बूढ़े चिकने चुपड़े चेहरे वाले, सफ़ेद भक्क खादी धारी नेता जी को "खुस" करने की लिस्ट काफी घृणित है उसे यहाँ चर्चा करना भी उचित नहीं है !
ये नेता रहे तो , वतन बेंच देंगे !
ये पुरखों के सारे जतन बेंच देंगे
कुबेरों का कर्जा लिए शीश पर ये
अगर बस चले तो सदन बेंच देंगे
नए राज भक्तों की इन तालियों
के,नशे में ये भारतरतन बेंच देंगे
मान्यवर बने हैं करोड़ों लुटाकर
उगाही में, सारा वतन बेंच देंगे ! - सतीश सक्सेना
इस प्रकार देश के कर्णधार बनते हैं, जो हमारे नीति निर्धारक और भाग्य विधाता हैं , ऐसे में अरविन्द केजरीवाल का उदय इस देश में नयी आशा का संचार है ! इसमें संदेह नहीं कि अरविन्द के सभी साथी ईमानदार नहीं हो सकते मगर अनुभव की कमी और कुछ मूर्खताओं के बावजूद तमाम लोगों को साथ लेकर चलना अरविन्द की मजबूरी है ! यह स्थिति युवाओं के आगे आने से सुधरेगी , हर हालत में सड़े विचारों और उम्रदराजों की सोंच से पीछा छुटाना होगा , पर विश्वास यही है कि यह दुबला पतला योगी हार नहीं मानने वाला ....
ठट्ठा, मज़ाक, उपहास और
अपमान हुआ है गांधी का !
चोरों, मक्कारों के द्वारा
अवमान हुआ है,आंधी का !
राजा,कुबेर,भ्रष्टाचारी , सब एक मंच पर पंहुच गए !
जनता, मूरख बन हारी है ,विश्वास नहीं हारा होगा !
संसद से चोर भगाने को,
लड़ना होगा धनवानों से
ईमानदार युग लाने को
पिटना होगा बेईमानों से
सारी शक्तियां एकजुट हों,योगी पर ताली बजा रहीं !
थप्पड़ ,घूँसा ,अपमानों से , ईमान नहीं हारा होगा !
यह उम्मीद करता हूँ कि हमारी भोली जनता में इन भ्रष्ट राजनेताओं को पहचानने की नयी शक्ति विकसित होगी और वोट देने के अधिकार का सदुपयोग होगा !
http://satish-saxena.blogspot.in/2014/11/blog-post_23.html