कड़वे तानें दरवाजे पर , दे जाएँ सखियाँ शाम ढले !
तुमने ही भुलाये थे वादे, बतलायें चिड़ियाँ शाम ढले !
तुमने ही भुलाये थे वादे, बतलायें चिड़ियाँ शाम ढले !
मेरे आँगन में इक जोड़ा ,
बरसों से चीं चीं करता है !
जाने क्यों आता देख मुझे,
कुछ गुमसुम हो जाता है !
कसमें, वादे, सपने जैसे
हँसते रोते , ही बड़े हुए !
जाने किन पश्चातापों से,
भर आईं अँखियाँ शाम ढले !
तुमने ही भुलाये थे वादे, बतलायें चिड़ियाँ शाम ढले !
शहनाई की धुन में अक्सर
मंज़र , बाराती हो जाए !
ढोलक मृदंग के साथ सभी
चौखटें ,गुलाबी हो जाएँ !
ये स्मृति चिन्ह न जाने कब
से प्रश्न चिन्ह बन खड़े हुए !
जाने क्यों नज़र झुकाएं हैं,चौखटें ,गुलाबी हो जाएँ !
ये स्मृति चिन्ह न जाने कब
से प्रश्न चिन्ह बन खड़े हुए !
चूड़ी की कनियाँ शाम ढले !
तुमने ही भुलाये थे वादे, बतलायें चिड़ियाँ शाम ढले !
सावन भादो तेरी यादों के
दुनिया से छिपाए रहता हूँ !
ऐसे भी दिखाएँ क्यों आंसू
बारिश में, चलते रोता हूँ !
कितने सपने रो पड़े बिना
फूटी किस्मत से, लड़े हुए !
घनघोर घटायें बन जातीं,
बंजारिन अँखियाँ शाम ढले !
तुमने ही भुलाये थे वादे, बतलायें चिड़ियाँ शाम ढले !
क्यों जाम उठाने से पहले
आँखें भी छलके जाती हैं
मदिरालय में, मेरे आते ही
साकी भी छल के जाती है
मैं आता दर्द भूलने को ,
पर जैसे भाले गड़े हुए !
हर बार शराबी प्याले में,
रंजीदा अँखियाँ शाम ढले !
तुमने ही भुलाये थे वादे, बतलायें चिड़ियाँ शाम ढले !
कोई भी उदासी का फोटो,
तेरी नज़रें, दिल दहलाएं !
मुस्कान किसी चेहरे पे हो
तू बार बार सम्मुख आये !
वे ख्वाब सुनहरे भी टूटे
जो नवरत्नों से जड़े हुए !
दिन जैसे तैसे कट जाता,
लहराती रतियाँ शाम ढले !
तुमने ही भुलाये थे वादे, बतलायें चिड़ियाँ शाम ढले !
दर्द छलक रहा है गीत में --सुन्दर रचना अतीत की याद में सतीश जी ! सुन्दर कहूँ या कहूँ आह !
ReplyDeleteअति सुंदर !
ReplyDeleteघनघोर घटायें बन जातीं,बंजारिन अखियाँ शाम ढले !
ReplyDeleteतुमने ही भुलाये थे वादे , बतलायें चिड़ियाँ शाम ढ़ले--हर शब्द मनो भावों के साथ गूँथ से गए हैं--सुन्दर और मोहक पंक्तियाँ।
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteभाव पूर्ण |उम्दा लिखा है |
ReplyDeleteबहुत खूब !
ReplyDeleteगीत जो जीवन को जीवन से जोड़ते हैं
ReplyDeleteवे ख्वाब सुनहरे भी टूटे
ReplyDeleteथे, नवरत्नों से जड़े हुए !
दिन जैसे तैसे कट जाता, लहराती रतियाँ शाम ढ़ले !
तुमने ही भुलाये थे वादे , बतलायें चिड़ियाँ शाम ढ़ले !
आह भी और वाह भी।
कोई भी उदासी का फोटो,
ReplyDeleteतेरी नज़रें दिल दहलाएं !
मुस्कान किसी चेहरे पे हो
तू बार बार सम्मुख आये !
वे ख्वाब सुनहरे भी टूटे
थे, नवरत्नों से जड़े हुए !
दिन जैसे तैसे कट जाता, लहराती रतियाँ शाम ढ़ले !
तुमने ही भुलाये थे वादे , बतलायें चिड़ियाँ शाम ढ़ले !
बेहतरीन दिल को छूती हुई.यादों में खो जाने को विवश करती
Something very painful, troubling, deep sensation - words which could not be fulfilled. Poetic pain. Good.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteKoi bhi udasi ka photo,teri nazren dil dahlain muskaan kisi chehre pe ho,tu baar baar sammukh aaye.....kya gazab tasveer pesh ki h pyaar ki inteha ki ...Aadaab Satish ji
ReplyDeleteKoi bhi udasi ka photo,teri nazren dil dahlain muskaan kisi chehre pe ho,tu baar baar sammukh aaye.....kya gazab tasveer pesh ki h pyaar ki inteha ki ...Aadaab Satish ji
ReplyDeleteदिन जैसे तैसे कट जाता, लहराती रतियाँ शाम ढ़ले !
ReplyDeleteतुमने ही भुलाये थे वादे,बतलायें चिड़ियाँ शाम ढ़ले !
Laajawaab
Excellent poem..!!
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