Monday, May 4, 2015

घनघोर घटायें बन जातीं,बंजारिन अखियाँ शाम ढले ! - सतीश सक्सेना

कड़वे तानें दरवाजे पर , दे जाएँ सखियाँ  शाम ढले !
तुमने ही भुलाये थे वादे, बतलायें चिड़ियाँ शाम ढले  !

मेरे आँगन में इक जोड़ा , 
बरसों से चीं चीं करता है !
जाने क्यों आता देख मुझे,
कुछ गुमसुम हो जाता है !
कसमें, वादे, सपने जैसे 
हँसते रोते , ही बड़े हुए  !
जाने किन पश्चातापों से, 
भर आईं अँखियाँ शाम ढले  !
तुमने ही भुलाये थे वादे, बतलायें चिड़ियाँ शाम ढले  !

शहनाई की धुन में अक्सर 
मंज़र , बाराती हो जाए !
ढोलक मृदंग के साथ सभी
चौखटें ,गुलाबी हो जाएँ !
ये स्मृति चिन्ह न जाने कब
से प्रश्न चिन्ह बन खड़े हुए !
जाने क्यों नज़र झुकाएं हैं,
चूड़ी की कनियाँ शाम ढले !
तुमने ही भुलाये थे वादे, बतलायें चिड़ियाँ शाम ढले !

सावन भादो तेरी यादों के 
दुनिया से छिपाए रहता हूँ !
ऐसे भी दिखाएँ क्यों आंसू 
बारिश में, चलते रोता हूँ !
कितने सपने रो पड़े बिना  
फूटी किस्मत से, लड़े हुए !
घनघोर घटायें बन जातीं,
बंजारिन अँखियाँ शाम ढले !
तुमने ही भुलाये थे वादे, बतलायें चिड़ियाँ शाम ढले !

क्यों जाम उठाने से पहले 
आँखें भी छलके जाती हैं
मदिरालय में, मेरे आते ही 
साकी भी छल के जाती है
मैं आता दर्द भूलने को ,
पर जैसे  भाले गड़े हुए  !
हर बार शराबी प्याले में, 
रंजीदा अँखियाँ शाम ढले !
तुमने ही भुलाये थे वादे, बतलायें चिड़ियाँ शाम ढले !

कोई भी उदासी का फोटो,
तेरी नज़रें, दिल दहलाएं !
मुस्कान किसी चेहरे पे हो 
तू बार बार सम्मुख आये !
वे ख्वाब सुनहरे भी टूटे 
जो नवरत्नों से जड़े हुए  !
दिन जैसे तैसे कट जाता, 
लहराती रतियाँ शाम ढले !
तुमने ही भुलाये थे वादे, बतलायें चिड़ियाँ शाम ढले  !

15 comments:

  1. दर्द छलक रहा है गीत में --सुन्दर रचना अतीत की याद में सतीश जी ! सुन्दर कहूँ या कहूँ आह !

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  2. घनघोर घटायें बन जातीं,बंजारिन अखियाँ शाम ढले !
    तुमने ही भुलाये थे वादे , बतलायें चिड़ियाँ शाम ढ़ले--हर शब्द मनो भावों के साथ गूँथ से गए हैं--सुन्दर और मोहक पंक्तियाँ।

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  3. भाव पूर्ण |उम्दा लिखा है |

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  4. गीत जो जीवन को जीवन से जोड़ते हैं

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  5. वे ख्वाब सुनहरे भी टूटे
    थे, नवरत्नों से जड़े हुए !
    दिन जैसे तैसे कट जाता, लहराती रतियाँ शाम ढ़ले !
    तुमने ही भुलाये थे वादे , बतलायें चिड़ियाँ शाम ढ़ले !

    आह भी और वाह भी।

    ReplyDelete
  6. कोई भी उदासी का फोटो,
    तेरी नज़रें दिल दहलाएं !
    मुस्कान किसी चेहरे पे हो
    तू बार बार सम्मुख आये !
    वे ख्वाब सुनहरे भी टूटे
    थे, नवरत्नों से जड़े हुए !
    दिन जैसे तैसे कट जाता, लहराती रतियाँ शाम ढ़ले !
    तुमने ही भुलाये थे वादे , बतलायें चिड़ियाँ शाम ढ़ले !

    बेहतरीन दिल को छूती हुई.यादों में खो जाने को विवश करती

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  7. Something very painful, troubling, deep sensation - words which could not be fulfilled. Poetic pain. Good.

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  8. सुन्दर प्रस्तुति

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  9. Koi bhi udasi ka photo,teri nazren dil dahlain muskaan kisi chehre pe ho,tu baar baar sammukh aaye.....kya gazab tasveer pesh ki h pyaar ki inteha ki ...Aadaab Satish ji

    ReplyDelete
  10. Koi bhi udasi ka photo,teri nazren dil dahlain muskaan kisi chehre pe ho,tu baar baar sammukh aaye.....kya gazab tasveer pesh ki h pyaar ki inteha ki ...Aadaab Satish ji

    ReplyDelete
  11. दिन जैसे तैसे कट जाता, लहराती रतियाँ शाम ढ़ले !
    तुमने ही भुलाये थे वादे,बतलायें चिड़ियाँ शाम ढ़ले !
    Laajawaab

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- सतीश सक्सेना

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