पुत्रवधू की तलाश में बहुत से परिवारों के संपर्क में आता रहा हूँ , लोग फ़ोन करके अपनी पुत्री के बारे में
कम और अपने उच्च पदस्थ पुत्र की उच्च शिक्षा, और मासिक आय का उल्लेख अवश्य करते ! मैं यह जानकर स्तब्ध रह जाता कि जहाँ पुत्र एक अच्छे संस्थान से बी टेक करके सोफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत है वहीं पुत्री की शिक्षा साधारण रखी गयी है ! कारण हम अपनी बेटी को बाहर नहीं भेजना चाहते आदि आदि !
मैनें अपने कुछ दोस्तों से बातचीत की जिनके घर में भी लड़के को इंजिनियर और पुत्री का लक्ष्य टीचर बनाने का था कारण लडकी की शादी के लिए पैसे इकट्ठे करना ,या तो शादी कर लो या पढ़ा लो जैसे तर्क थे ! बहू के लिए जहाँ जेवर खरीदने का प्रावधान था वहीं बेटी के लिए जेवर पर कोई पैसा नहीं क्योंकि वह तो उसकी ससुराल से ही आता है तो हम क्यों करें ??
एक पिता के नाते मेरे लिए यह सब जानना बड़ा दर्दनाक है ,और उससे भी अधिक तकलीफदेह है , आसपास और परिवार के लोगों का उपरोक्त व्यवस्था का ही साथ देना और उसमें रक्त के रिश्ते भी शामिल हैं ! अपनी बेटी के हर जन्मदिन पर दिए गए आभूषणों पर उसकी माँ का अधिकार रहेगा क्योंकि वे उन आभूषणों को बेटी की शादी के बाद, उसे अन्य मौकों, अवसरों आदि पर ही देना चाहती हैं न कि शादी से पहले ही उसे दे दिए जाएँ !
मुझे लगता है कहीं न कहीं हम सब धोखेबाज़ हैं एक तरफ हम बेटे से भविष्य की उम्मीद की आशा करते हुए उसे सब कुछ देते हैं वहीं घर में सबसे कमज़ोर, अपनी ही जाई को सिर्फ शादी करके, अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं ,यह इस सबसे प्यारी और मासूम, जो कि जीवन भर अपने पिता और भाई के मुंह को देखती रहती है , के प्रति नाइंसाफी है !
कम और अपने उच्च पदस्थ पुत्र की उच्च शिक्षा, और मासिक आय का उल्लेख अवश्य करते ! मैं यह जानकर स्तब्ध रह जाता कि जहाँ पुत्र एक अच्छे संस्थान से बी टेक करके सोफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत है वहीं पुत्री की शिक्षा साधारण रखी गयी है ! कारण हम अपनी बेटी को बाहर नहीं भेजना चाहते आदि आदि !
मैनें अपने कुछ दोस्तों से बातचीत की जिनके घर में भी लड़के को इंजिनियर और पुत्री का लक्ष्य टीचर बनाने का था कारण लडकी की शादी के लिए पैसे इकट्ठे करना ,या तो शादी कर लो या पढ़ा लो जैसे तर्क थे ! बहू के लिए जहाँ जेवर खरीदने का प्रावधान था वहीं बेटी के लिए जेवर पर कोई पैसा नहीं क्योंकि वह तो उसकी ससुराल से ही आता है तो हम क्यों करें ??
एक पिता के नाते मेरे लिए यह सब जानना बड़ा दर्दनाक है ,और उससे भी अधिक तकलीफदेह है , आसपास और परिवार के लोगों का उपरोक्त व्यवस्था का ही साथ देना और उसमें रक्त के रिश्ते भी शामिल हैं ! अपनी बेटी के हर जन्मदिन पर दिए गए आभूषणों पर उसकी माँ का अधिकार रहेगा क्योंकि वे उन आभूषणों को बेटी की शादी के बाद, उसे अन्य मौकों, अवसरों आदि पर ही देना चाहती हैं न कि शादी से पहले ही उसे दे दिए जाएँ !
मुझे लगता है कहीं न कहीं हम सब धोखेबाज़ हैं एक तरफ हम बेटे से भविष्य की उम्मीद की आशा करते हुए उसे सब कुछ देते हैं वहीं घर में सबसे कमज़ोर, अपनी ही जाई को सिर्फ शादी करके, अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं ,यह इस सबसे प्यारी और मासूम, जो कि जीवन भर अपने पिता और भाई के मुंह को देखती रहती है , के प्रति नाइंसाफी है !