Sunday, February 28, 2010

पुत्री का प्यार -सतीश सक्सेना

                   पुत्रवधू की तलाश में बहुत से परिवारों के संपर्क में आता रहा हूँ , लोग फ़ोन करके अपनी पुत्री के बारे में
कम और अपने उच्च पदस्थ पुत्र की उच्च शिक्षा, और मासिक आय का उल्लेख अवश्य करते  ! मैं यह जानकर स्तब्ध रह जाता कि  जहाँ पुत्र एक अच्छे संस्थान से बी टेक करके सोफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत है वहीं पुत्री की शिक्षा साधारण रखी गयी है ! कारण हम अपनी बेटी को बाहर नहीं भेजना चाहते आदि आदि !


                 मैनें अपने कुछ दोस्तों से बातचीत की  जिनके घर में भी लड़के को इंजिनियर और पुत्री  का लक्ष्य टीचर बनाने का था कारण  लडकी की शादी के लिए पैसे इकट्ठे करना ,या तो शादी कर लो या पढ़ा लो जैसे तर्क थे ! बहू के लिए जहाँ जेवर खरीदने  का प्रावधान था वहीं बेटी के लिए जेवर पर कोई पैसा नहीं क्योंकि वह तो उसकी ससुराल  से ही आता है तो हम क्यों करें ??


                 एक पिता के नाते मेरे लिए यह सब जानना बड़ा दर्दनाक है ,और उससे भी अधिक तकलीफदेह है , आसपास और परिवार के लोगों का उपरोक्त व्यवस्था का ही साथ देना और उसमें रक्त के रिश्ते भी शामिल हैं ! अपनी बेटी के हर जन्मदिन पर  दिए  गए आभूषणों पर उसकी माँ का अधिकार रहेगा क्योंकि वे उन आभूषणों  को  बेटी की शादी के बाद, उसे अन्य मौकों, अवसरों आदि पर ही देना चाहती हैं  न कि शादी से पहले ही उसे दे दिए जाएँ ! 


                  मुझे लगता है कहीं न कहीं हम सब धोखेबाज़ हैं एक तरफ हम बेटे से भविष्य की उम्मीद की आशा करते हुए उसे सब कुछ देते हैं वहीं घर में सबसे कमज़ोर, अपनी ही जाई को सिर्फ शादी करके, अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं ,यह इस सबसे प्यारी और मासूम, जो कि जीवन भर अपने पिता और भाई के मुंह को देखती रहती है , के प्रति नाइंसाफी  है  !   

Friday, February 26, 2010

आओ तुमको गले लगा लें - सतीश सक्सेना

इस उत्सव में ,रंगों में डूब कर वसंत का स्वागत करते हैं हम लोग ! पूरा परिवार ही रंगों में सराबोर होकर कुछ समय के लिए जैसे मस्ती में डूब जाता है  ! इस ख़ूबसूरत मौके पर लगभग हर इंसान का, दुश्मनों से भी गले मिलने की इच्छा पैदा हो जाती है ! एक बार अपने अन्दर झांक कर देखो ,दिल टटोल कर देखो एक आवाज आती है ...


भूले -भटके उन  अपनों  के , 
कैसे  दरवाजे ,   खुलवाएं ?
मन में रंजिश पाल के बैठे 
कैसे अब उनको समझाएं ?
इस होली पर क्यों न सुलगते 
दिल के, ये अंगार बुझा दें !
बचपन के दिन याद करें,और आयें हंसकर गले लगा लें !

बरसों मन में गुस्सा बोई 
ईर्ष्या के पौधे उग आये !
रोते  गाते , हम दोनों ने 
घर बबूल के वृक्ष उगाये 
इस होली पर क्यों न साथियो 
आओ रंग गुलाल लगा लें !
भूलें उन कडवी बातों को , अपना भी घर -बार सजा लें !

बरसों बीते  तांडव  करते  ,
कितनी रात जागते काटी
भूल गए साँसे गिनती  की ,
सारी उम्र गुजरती जाती ! 
क्यों न नयी उम्मीदें लेकर,
फिर से घर को स्वर्ग बनालें !
इस होली पर  रंग विरंगे,मिलकर वन्दनवार  लगा लें !

कितने  वर्षों से , शीशे  के ,
सम्मुख आकर मुग्ध हुए हैं 
कितनी बार मस्त होकर के
अपने यश पर मस्त हुए हैं ! 
इस होली पर नशा भुलाके,
इन चरणों में शीश झुकालें !
प्यार और मस्ती  में  डूबें, दिल से  अहंकार  जला दें  !

Thursday, February 18, 2010

भीड़ इकट्ठी करने का नया नुस्खा -सतीश सक्सेना


I have gone thru your ... Kundli and made 2 predictions (see attchment)
With Regards
Dr J.S. Arora
General Secretary
National Thalassemia Welfare Society &
Federation of Indian Thalassemics
KG-1/97 Vikas puri
New Delhi 110018
Ph. 91-11-25507483, 09311166711
URL: www.thalassemiaindia.org
E Mail;- drjsarora@bol.net.in
drjsarora@gmail.com

धर्मभीरु लोगों  की भावनाओं का फायदा उठाते हुए उन्हें भ्रगु संहिता जैसी दैवीय भविष्यवानियों से विस्मित कर, उनकी शरण में आने का कार्य कराना, कितना आसान हो गया है, समाज में अच्छे भले सम्मानित लोग भी यह कार्य करते हैं यह जान कर मैं खुद अचंभित रह गया ! 
उपरोक्त मेल मुझे आज मिली, जिसे पढ़ कर स्पाम में डालते डालते डॉ जे एस अरोरा का पूरा पता और वेब साईट देख कर विश्वास नहीं हुआ कि एक पढ़ा लिखा सम्मानित डाक्टर और भविष्यवाणी , अजीब उहापोह की स्थिति में मैंने अटैचमेंट खोला , प्रेडिक्शन की पहली लाइन थी 
 I knew you would open this email on Thursday, 18 February 2010 at exactly 10:33 AM
और यह अटैचमेंट मैंने कंप्यूटर टाइम ठीक १०:३३ ऍम पर ही खोला था !
उसके  बाद थाल्सिमिया टेस्ट कराने का अनुरोध था .....
मेरा डाक्टर साहब से अनुरोध है ...
कि वे तुरंत थाल्सेमिया टेस्ट कराने के लिए, एक टिनी सोफ्टवेयर के जरिये कम्पुटर की घडी की रीडिंग लेकर , अचम्भे  में डाल, टेस्ट जरूर करवाने की सलाह देना बंद करें ! भारतीय कानून ऐसे किसी भी ट्रिक को दिखाकर किसी की भावनाओं से खिलवाड़ करने की इजाज़त नहीं देते ! उनका हॉस्पिटल फ्री ट्रीटमेंट करता है तो भी इस ट्रिक के जरिये वे लोगों को नाजायज प्रभावित करने के दोषी तो हैं ही !
आशा है वे इसका जवाब जरूर देंगे !!           

Wednesday, February 17, 2010

क्या आपने कभी किसी बेसहारा की मदद की है ??

35 वर्षीय प्रवेश झा, अनपढ़ पत्नी और दो बच्चों का पिता, जिसे अक्टूबर २००९ में ही बिकानो प्राइवेट लिमिटेड, लारेंस रोड दिल्ली में ३५००.०० प्रति माह पर नौकरी मिली थी , नयी नौकरी की खुशियाँ दो माह ही मना पाया था कि सिरदर्द की बीमारी का कारण एक खतरनाक 4th स्टेज कैंसर (Glioblostoma )बताया गया, और इस गरीब की सारी खुशियाँ, सारे सपने इस महानगर में की चकाचौंध में बुझ गए हैं ! 
मेरे  एक मित्र ने जब इस असहाय परिवार के बारे में बताया दो दिल हिल गया ! फिर एक बार भगवान् से अपने लिए शक्ति मांग रहा हूँ कि इसकी मदद के लायक बना अगर इस रोती लडकी और दो छोटे बच्चों की आंख का एक आंसू भी पोंछ सका तो मैं अपने आपको अच्छा आदमी मान पाऊंगा !
प्रवेश झा की मदद के लिए पता दे रहा हूँ ...
प्रवेश झा 
C/o Bal Kishan Tanwar
wz 408, Basai Dara pur
Near Kirti Nagar , New Delhi-110015
Ph: 9999864887,9555323916, 9334269989
or 
Satish Saxena 
9811076451 
पुनश्च : इस पोस्ट के प्रकाशित होने के तुरंत बाद  प्रवेश झा के भाई से फ़ोन पर बात होने पर प्रवेश झा के निधन का समाचार मिला  है और इसके साथ ही एक लडकी और उसके दो बच्चे बेसहारा हो गए ....! 



     

Thursday, February 11, 2010

ब्लाग जगत में चलता हुआ एक अघोषित युद्ध - सतीश सक्सेना


ब्लाग जगत में आज कल एक अघोषित युद्ध सा छिड़ा लगता है ,अपना अपना वर्चस्व बनाये रखने के लिए, इस  लड़ाई का अंत क्या होगा कुछ नहीं मालूम मगर हम जैसे निर्गुट मेंबर क्या करें यह समझ नहीं आता ! जो अंदाज़ा हुआ है उसके अनुसार एक तरफ एक मस्त मौला  और फक्कड़ सा इंसान , जिस पर लगातार होते वार देख कर मैं  कभी विस्मित सा होता था और हैरान होता था कि क्या सहनशक्ति पायी है इस भले आदमी नें  और दूसरी तरफ एक बढ़िया दिल  वाला शानदार व्यक्तित्व जिसने बिना किसी  उद्देश्य सैकड़ों नवोदित लडखडाते ब्लागर्स को सहारा दिया और उनकी हिम्मत अफजाई की ! निस्संदेह ये सबके सम्मान के अधिकारी हैं  ! 

आश्चर्य है कि यह ब्लाग जगत ऐसा किसको क्या दे रहा है कि सृजन शीलता छोड़ इनके अनुयायियों ने अपने अपने सेनानायक बनाकर, एक दूसरे के खिलाफ हल्ला बोल रखा है और अगर  जल्द स्थिति न सुलझी तो बात गाली गलोग से भी आगे, अनुयायिओं में  मारपीट तक भी पहुँच सकती है ! और अफ़सोस है कि अधिकतर अनुयायी जवान  प्रतिभाशाली लड़के हैं जिनके दिल में आग भरने का कार्य  कुछ वरिष्ठ मगर पिटे हुए ब्लागर, कर रहे हैं ! 

प्रतिभाशाली नयी पौध को आगे बढ़ाने की जगह उनमें द्वेष भावना विकसित करने का यह प्रयास सर्वाधिक निंदनीय है और जो भी इसके प्रायोजक हैं उनकी भर्त्सना होनी ही चाहिए  ! हिन्दी के उत्थान के नाम पर यह लोग एक जहरीली फसल बोने का कार्य कर रहे हैं जिससे इस भाषा की खुशबू,बढ़ने के वजाय कम ही होगी ! 
मैं उम्मीद करता हूँ  कि कुछ जानकार लोग सामने आकर इस समस्या से अवगत कराने में सार्थक भूमिका अदा करेंगे ! 

ब्लाग जगत कि क्रियायों प्रतिक्रियाओं से, लगातार नियमित संपर्क न रखने के कारण, किंकर्तव्यविमूढ़  सा महसूस कर रहा हूँ  ! आजकल यही नहीं समझ पा रहा हूँ कि मैं जिन्हें बहुत अच्छा रचनाकार और सृजन शील समझ रहा हूँ किस गैंग  के मेम्बर हैं  ! ऐसा लगता है कि जमूरों को अपने से अधिक भीड़ इकट्ठी करते देख मदारी अपना आपा खो रहे हैं !  

Monday, February 8, 2010

दिल्ली ब्लागर मिलन में फोटोग्राफर श्री एम् वर्मा एवं डॉ टी एस दराल ! - सतीश सक्सेना

हंसते चेहरे वाले संजू राजीव तनेजा  माहौल को लगातार खुशगवार बनाये रहे , खुशदीप सहगल का एक  प्रयोग, पोस्ट टाइटिल के साथ अपना नाम लिखना बहुत पसंद आया और धन्यवाद के साथ अपना रहा हूँ !    
पूरी व्यवस्था के दौरान फोटोग्राफी का दायित्व संभाले रहे डॉ टी एस दराल एवं बाद में शामिल होने वाले जज्वाती एम् वर्मा जी तथा युगक्रांति  वाले यशवंत मेहता !! अगर यह महानुभाव अपना कैमरा न लाते तो शायद सबको भली भांति जानने का मौका इतनी आसानी से न मिलता ! पंडित डी के शर्मा "वत्स" अधिकतर शांत स्वभाव  से वक्ताओं को सुनने में ही मग्न रहे !   
"अपनी भाषा संयत हो" पर बोलने बालों में से मेरा ध्यान पद्म सिंह ने सिर्फ एक वाक्य बोल कर ही आकर्षित कर लिया कि इसमें नवजवानों से अधिक भागीदारी बड़ी उम्र के ब्लागर की भी है ! संयत भाषा का उपयोग दोनों ही उम्र के लोग करें तभी शोभा देता है ! स्पष्टवादिता और आत्मविश्वास से भरे इस युवक की ऑंखें बहुत कुछ कहती हैं ...  और नवजवानों में भावुक मिथिलेश दुबे  नीशू  और मुसाफिर से लगने वाले नवजवान नीरज जाट  एवं श्री बी पी सिंह बिना अधिक बोले भी प्रसंशा हासिल करने में कामयाब रहे !


सबसे शांत स्वभाव में बैठे सुनते रहे राज भाटिया सबको , मैंने काफी पहले राज के बारे में कुछ लिखा था ! प्रवासी जीवन जीते हुए भारतीयों का दर्द और अपनी मिटटी से अलग होने का गम कभी महसूस करना हो तो राज भाटिया को पढ़ें . पराया देश में बैठे राज, अपने पुराने संस्कारों को ढूँढ़ते रहते हैं ! प्रवासियों में राज का ब्लाग पराया देश  अपने आप में अनूठा है  !   


अंत में चलते चलते अजय कुमार झा के बारे में , सिर्फ एक बार फ़ोन पर बातचीत करने से ही महसूस हुआ कि एक अच्छे इंसान से मुलाकात होगी ! और यह इंसान वैसा ही मिला ! अजय गहरी सोच समझ, प्रतिभाशाली और हिन्दी ब्लाग जगत को बहुत आगे ले जाने का माद्दा रखने वाले ,जीवट के ब्लागर हैं ! मेरी हार्दिक शुभकामनायें !  

दिल्ली ब्लागर मिलन में राज भाटिया ,खुशदीप के साथ विनीत कुमार को सुनना !-सतीश सक्सेना


                 मैं अगर अपनी पसंद की बात कहूं तो शांत राज भाटिया और अविनाश वाचस्पति के साथ बैठ कर विनीत कुमार को सुनना, सुखकर और आनंद दायक लगा, टीवी मिडिया जैसे विषय पर गहरी पकड़, स्पष्ट अभिव्यक्ति और आत्मविश्वास, उनकी प्रतिभा को, अन्य लोगों से साफ़ साफ़ अलग कर रही थी !

               मुझे लगता है कि आने वाले समय में विनीत अपनी विशिष्ट जगह बनाने में कामयाब होंगे ! इससे पूर्व, मुझे इनके किसी भी लेख को, पढने का सौभाग्य नहीं मिला था !

खुशदीप सहगल, समाज और हिंदी ब्लाग को बहुत कुछ देंगे, ऐसा मेरा विश्वास है , उनके निष्छल मन को समझ पाना किसी के लिए भी आसान है !

चिकित्सा क्षेत्र के लोग साहित्य,समाज :-) और कला से कम ही वास्ता रखते हैं , मगर अपने व्यस्त समय को भूल , फक्कड़ों और मस्तमौलों के बीच ,पूरी रूचि के और मुस्कान के साथ डॉ टी एस दराल लगातार सबको बांधे रहे ! उन्होंने चिकित्सा क्षेत्र के बारे में अपने कुछ अमूल्य नुस्खे ब्लॉग जगत को देते रहने का वायदा किया है !

एक बेहतरीन दिल के मालिक विनोद पाण्डेय से पहली बार मिलने पर ऐसा नहीं लगा कि इन्हें पहले से नहीं जनता हूँ , इतनी गहरी आत्मीयता ईश्वर बहुत कम लोगों को ही देते हैं !
क्रमश .....

Sunday, February 7, 2010

दिल्ली ब्लागर मिलन - एक सुखद मुलाकात -1

आज की सुखद मुलाकात के लिए सबसे पहले धन्यवाद अजय कुमार झा को देना चाहता हूँ , जिनके कारण मैं पहली बार कुछ बेहतरीन शख्शियतों से आमने सामने परिचित हो सका !इस बैठक से पहले मन में एक संकोच और कुछ शंकाएं थी, जो इस हंसमुख और सुदर्शन व्यक्तित्व से मिलते ही समाप्त हो गयीं ! वहाँ उपस्थित कुछ साथियों से, मैं पहले से ही परिचित था मगर कुछ से पहली बार मुलाकात हुई, !
                                                    डॉ कविता वाचक्नवी  से यहाँ मिलना एक सुखद आश्चर्य जैसा ही रहा, उनसे मिलने के  लिए आज मैं आजाद भवन सभागार, इन्द्रप्रस्थ एस्टेट जाना चाहता था, जहाँ उन्हें उनके कार्य के लिए "अक्षरम सूचना प्रोद्योगिकी सम्मान" दिया जाना था ! इसके अतिरिक्त ८ वें  अन्तराष्ट्रीय हिंदी उत्सव में वे वेब पत्रकारिता पर  उनको वक्ता के रूप में सुनने की मेरी बेहद इच्छा भी थी ! हिंदी की सेवा में समर्पित, ब्रिटेन में बसी इस विद्वान महिला का इस ब्लागर मिलन में शामिल होना मेरी नज़र में, गौरव का विषय है ! अपने संक्षिप्त भाषण में उन्होंने तथाकथित भारतीय संस्कारों के नाम पर हो रही दकियानूसी सोच से बाहर निकालने का आवाहन किया !


सरवत एम् जमाल साहब जैसी संवेदनशील प्रतिभा का भी दिल्ली में मिलने का मैं सोच भी नहीं सकता, बेहद खूबसूरत दिल के मालिक सरवत जमाल साहब अपनी धर्मपत्नी अलका मिश्रा के आदेश पर श्री राज भाटिया को कुछ आयुर्वेदिक दिशा निर्देशन देने हेतु लखनऊ से यहाँ पहुंचे थे ! अलका जी जडी बूटियों पर अपने ज्ञान को हिन्दी जगत में बाँट रहीं हैं , और इस तरह यह दोनों पति पत्नी ग़ज़ल और आयुर्वेद के क्षेत्र में बहुत निस्संदेह सराहनीय कार्य कर रहे हैं !


मसिजीवी और अविनाश वाचस्पति जैसे हिंदी ब्लाग जगत के समर्पित लोगों से ऐसे आयोजनों पर मिलना किसी भी हिंदी प्रेमी के लिए सौभाग्य से कम क्या होगा ! अविनाश वाचस्पति और अजय कुमार झा ने बार बार अनुरोध किये जाने पर भी, किसी भी प्रकार की वित्तीय सहायता लेने हेतु विनम्रता से मना कर देना आज के समय में चर्चा का विषय हो सकता है !३०-३५ लोगों के भोजन की व्यवस्था और चायपान करवाना दिल्ली शहर में आसान बात नहीं है !


....क्रमश:





   
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