Thursday, July 16, 2015

बड़ी पहचान छोटी हो,गवारा दिल नहीं करता -सतीश सक्सेना

कहीं बंध जाएँ खूंटे से आवारा दिल नहीं करता !
भरोसा करके सो जाए बंजारा,दिल नहीं करता !

दया पाकर कोई भिक्षा,फकीरों को नहीं भाती 
तुम्हारे  द्वार जाने को, दुबारा दिल नहीं करता !

मेरे हिन्दोस्तां की शान खो जायेगी , नफरत में  
बड़ी पहचान छोटी हो,गवारा दिल नहीं करता !

जमाने भर के भोजन को, मेरे पुरखों ने खोला है,
ये लंगर बंद करने को, हमारा दिल नहीं करता !

जिन्होंने साथ छोड़ा था मुसीबत में , पहाड़ों पर 
उन्हीं बैसाखियों का लें सहारा दिल नहीं करता !

24 comments:

  1. कहीं रुक जाएँ सुस्ताने आवारा दिल नहीं करता !
    यहीं पर तान दें चादर, बंजारा दिल नहीं करता !
    यह शेर सबसे अच्छा लगा !

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  2. वाह बहुत बढिया.

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  3. वाह बहुत बढिया.

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  4. कहीं रुक जाएँ सुस्ताने आवारा दिल नहीं करता !
    यहीं पर तान दें चादर, बंजारा दिल नहीं करता !

    बहुत खूब ! सब समेट दिया आवारा बंजारे दिल में ही ।

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  5. मेरे हिन्दोस्तां की शान खो जायेगी , नफरत में
    बड़ी पहचान छोटी हो,गवारा दिल नहीं करता !

    वाह!

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  6. उन्ही बैसाखियों का लें सहारा दिल नही करता .. वाह ..बहुत ही सुन्दर ..

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  7. ये दिल भी कितना पागल है जो सच कह देता है
    खूबसूरत भाव

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  8. दया पाकर कोई भिक्षा,फकीरों को नहीं भाती
    तुम्हारे द्वार जाने को , दुबारा दिल नहीं करता !
    वाह ! बहुत प्रभावशाली गजल...

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  9. मेरे हिन्दोस्तां की शान खो जायेगी , नफरत में
    बड़ी पहचान छोटी हो,गवारा दिल नहीं करता !
    बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति सक्सेनाजी

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  10. अपनी दिली भाव को किस खूबसूरती से प्रतीकात्मक शब्दों से सजाया है--ये आपके कलम की कलाकारी है --साधुवाद।

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  11. जिन्होंने साथ छोड़ा था मुसीबत में , पहाड़ों पर
    उन्हीं बैसाखियों का लें सहारा दिल नहीं करता !

    क्या बात है. सुंदर गज़ल.

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  12. बहुत ही कमल के शेर हैं ... हर शेर गहरी बात को बाखूबी कह रहा है ...

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  13. बहुत गहरी बात कही, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  14. बहुत सुन्दर रचना

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  15. वाह!एक एक पद सचाई का वर्णन करता हुआ।

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  16. सुसंस्कार शब्दों में ध्वनित हो रहा है।

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  17. मेरे हिन्दोस्तां की शान खो जायेगी , नफरत में
    बड़ी पहचान छोटी हो,गवारा दिल नहीं करता !
    Lovely!

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  18. हर शेर की आपस में प्रतिस्पर्धा सी है। सभी बहुत सुंदर है । मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है ।

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  19. मेरे हिन्दोस्तां की शान खो जायेगी , नफरत में
    बड़ी पहचान छोटी हो,गवारा दिल नहीं करता !
    बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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  20. जिन्होंने साथ छोड़ा था मुसीबत में , पहाड़ों पर
    उन्हीं बैसाखियों का लें सहारा दिल नहीं करता !

    बहुत खूबसूरत गज़ल।

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  21. शब्दों के जादूगर। बहुत बढ़िया लिखा है। बहुत बढ़िया लगा। 'जिन्होंने साथ छोड़ा था मुसीबत में , पहाड़ों पर
    उन्हीं बैसाखियों का लें सहारा .......'

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  22. बहुत खूब सतीश जी

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- सतीश सक्सेना

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