पूरे जीवन हमने अक्सर छल मुस्काते पाया है,
निश्छल मन ही रोते देखा, टूटा तारा सपने में !
सारे जीवन थे अभाव पर,महलों के आनंद लिए
बेबस जीवन को भी होता एक सहारा सपने में !
कई बार हम बने महाजन कंगाली के मौसम में
कितनी बार हुई धनवर्षा,स्वर्ण बुहारा सपने में !
यादें कौन भुला पाया है, जाने या अनजाने ही,
धीरे धीरे भिगो ही जाता, एक फुहारा सपने में !
अति सुन्दर.........
ReplyDeleteऐसा क्या करता है आखिर संग तुम्हारा सपने में
ReplyDeleteकितनी बार विजेता होकर तुमसे हारा सपने में !
यादें कौन भुला पाया है, जाने या अनजाने ही,
धीरे धीरे भिगो ही जाता, एक फुहारा सपने में !
जो दुखो और अभावो में जीते हैं उनके कितने ही सपने , सपने में ही पूरे होते हैं। इस संवेदना को छूती हुई कविता। कल फिर कुछ सपने बांटे जायेंगे लालकिले के प्राचीर से।
ReplyDeletebahut sundar..
ReplyDeletebahut sundar...
ReplyDeleteयादें कौन भुला पाया है, जाने या अनजाने ही,
ReplyDeleteधीरे धीरे भिगो ही जाता, एक फुहारा सपने में ---ओह! क्या कोमल अहसास।
बहुत ही प्यारा गीत है . अकिंचन के पास सपनों का ही धन होता है उम्मीदों का एक सहारा . और उम्मीद पर तो आसमान टिका होता है . बहुत भावभरी रचना .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव.
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति..... भैया माफी चाहता हूँ बहुत दिन बाद आना हुआ है..
ReplyDeleteस्वागत है नीलेश आपका !
Deleteसारे जीवन थे अभाव पर,महलों के आनंद लिए
ReplyDeleteबेबस जीवन को भी होता एक सहारा सपने में !
बहुत भावपूर्ण गीत. बधाई सतीश जी.
बहुत खूबसूरत!!
ReplyDeleteभाव जितने भोले, लफ्ज़ों का चयन भी उतना ही नज़ाकत भरा
आपके नग़्मे गहरा असर छोड़ जाते हैं दिल पर !!!
बहुत सुंदर!
ReplyDeleteहारने में होती है जीत पता है
ReplyDeleteहार हार के हारा सपनों में :)
वाह !
सुंदर
ReplyDeleteजो यथार्थ में संभव नहीं उसे संभव बनाते है सपने !
ReplyDeleteसार्थक रचना !
सपने कितना कुछ कर जाते हैं ... बहुत खूब ...
ReplyDeleteयादें कौन भुला पाया है, जाने या अनजाने ही,
ReplyDeleteधीरे धीरे भिगो ही जाता, एक फुहारा सपने में
......... कोमल अहसास बहुत खूब
सारे जीवन थे अभाव पर,महलों के आनंद लिए
ReplyDeleteबेबस जीवन को भी होता एक सहारा सपने में !
वाह, कितनी सच्ची बात।
पूरे जीवन हमने अक्सर छल मुस्काते पाया है,
ReplyDeleteनिश्छल मन ही रोते देखा, टूटा तारा सपने में !
__-------------------------------------------बहुत ख़ूब
बहुत सुंदर। सपने ही साकार भी हो जाते हैं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर, सुंदर सपने भी एक तरह की संपत्ति ही होते हैं... सादर अभिवादन
ReplyDeleteक्या बात है !!!!! बड़ी ही सुंदर , मनमोहक , भावपूर्ण रचना -------- शब्द कम पड़ रहे हैं प्रशंसा के लिए -- अनुपम रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई आदरणीय सतीश जी ---- दुःख है कि बड़ी देर से पढ़ी --- सादर शुभकामना
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब... सपनो के सहारे....
अविस्मरणीय रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।