२४ अगस्त ८५ को जन्मी गुडिया ने, २४ नवम्बर १२ को, अपने जीवन साथी के साथ, नया घर बसाने , अपना घर छोड़ कर, विदाई ली !
इन आंसुओं को क्या कहें, ख़ुशी के या अपनी लाडली के जाने के गम के !!!!
गुड़िया की विदाई पर, हमारे अमेरिकन मेहमान विश्वयात्री एडम ने, हमारे छलके आंसुओं से आहत होकर कहा था ....
"why sad ending of a such beautiful function ? "
मैं इस प्रश्न का जवाब उसे अभी तक नहीं दे पाया हूँ ......
आज गिरिजा कुलश्रेष्ठ का कमेंट्स, फिर आंसू छलका गया ...
बीतें तेरे जीवन की घड़ियाँ
आराम की ठंडी छांवो में
काँटा भी न चुभने पाए तेरे
मेरी लाडली तेरे पांओं में ...
जाओ बेटा , मुझे यकीन है कि तुम्हारा नया घोंसला, तुम्हें तुम्हारे पिता और भाई की याद नहीं आने देगा ....
और हम यही चाहते हैं !!!
इन आंसुओं को क्या कहें, ख़ुशी के या अपनी लाडली के जाने के गम के !!!!
गुड़िया की विदाई पर, हमारे अमेरिकन मेहमान विश्वयात्री एडम ने, हमारे छलके आंसुओं से आहत होकर कहा था ....
"why sad ending of a such beautiful function ? "
मैं इस प्रश्न का जवाब उसे अभी तक नहीं दे पाया हूँ ......
आज गिरिजा कुलश्रेष्ठ का कमेंट्स, फिर आंसू छलका गया ...
बीतें तेरे जीवन की घड़ियाँ
आराम की ठंडी छांवो में
काँटा भी न चुभने पाए तेरे
मेरी लाडली तेरे पांओं में ...
जाओ बेटा , मुझे यकीन है कि तुम्हारा नया घोंसला, तुम्हें तुम्हारे पिता और भाई की याद नहीं आने देगा ....
और हम यही चाहते हैं !!!