Wednesday, March 7, 2018

साथ तुम्हारे दौड़ रहा है, बुड्ढा तिरेसठ साल का - सतीश सक्सेना

मैराथन आसान ,भरोसा हो क़दमों की ताल का
साथ तुम्हारे दौड़ रहा है, बुड्ढा तिरेसठ साल का !

करत करत अभ्यास,पहाड़ों को रौंदा इस पाँव ने 
हार न माने किसी उम्र में,साहस मानवकाल का !

इसी हौसले से जीता है, सिंधु और आकाश भी
सारी धरती लोहा माने , इंसानी  इकबाल का !


गिरते क़दमों की हर आहट,साफ़ संदेशा देती है !
हिम्मत,मेहनत,धैर्य,ज़खीरा इंसानों की चाल का !

बहे पसीना कसे बदन से,मस्ती मेहनत की आयी !
रुक ना जाना,उठता गिरता रहे कदम भूचाल सा !

4 comments:

  1. प्रेरक प्रस्तुति ...

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  2. हिम्मत और जोश दिलाती पंक्तियाँ..

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  3. आपके गीत सन्देश लिए होते हैं . प्रेरणा भरते हैं .

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  4. ओजस्वी मन को मेरा नमन !!!

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एक निवेदन !
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- सतीश सक्सेना

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