मैराथन आसान ,भरोसा हो क़दमों की ताल का
साथ तुम्हारे दौड़ रहा है, बुड्ढा तिरेसठ साल का !
करत करत अभ्यास,पहाड़ों को रौंदा इस पाँव ने
हार न माने किसी उम्र में,साहस मानवकाल का !
इसी हौसले से जीता है, सिंधु और आकाश भी
सारी धरती लोहा माने , इंसानी इकबाल का !
गिरते क़दमों की हर आहट,साफ़ संदेशा देती है !
सारी धरती लोहा माने , इंसानी इकबाल का !
हिम्मत,मेहनत,धैर्य,ज़खीरा इंसानों की चाल का !
बहे पसीना कसे बदन से,मस्ती मेहनत की आयी !
रुक ना जाना,उठता गिरता रहे कदम भूचाल सा !
बहे पसीना कसे बदन से,मस्ती मेहनत की आयी !
रुक ना जाना,उठता गिरता रहे कदम भूचाल सा !
प्रेरक प्रस्तुति ...
ReplyDeleteहिम्मत और जोश दिलाती पंक्तियाँ..
ReplyDeleteआपके गीत सन्देश लिए होते हैं . प्रेरणा भरते हैं .
ReplyDeleteओजस्वी मन को मेरा नमन !!!
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