बेटा, मैंने इस जीवन में
ऐसा इक इंसान न देखा !
जिसने कोई कष्ट न देखा !
वैभव सम्पन्नों का जीवन
बीमारी से , लड़ते बीता ,
जलन द्वेष और भेदभाव की
इन गलियों में चलते चलते ,
धनकुबेर जितने पाये थे , उनको रोते ही देखा है !
ऊपर से बढ़िया स्वभाव ले
हम सब दुनिया में आये हैं,
अक्सर झूठे व्यवहारों से ,
इस दुनिया को भरमाये हैं ,
सारे जग को धोखा देते ,
ऋषि मुनियों का वेश बनाए
जो बखान करते हैं अपने,
पाप पुण्य की चर्चा करते,
उनकी माँ को अक्सर मैंने, कपडे धोते ही देखा है !
शुभचिंतक से, लगते सारे
चेहरों पै विश्वास न करना
गुरु मन्त्र पा, उस्तादों से
ऐसे भी उपवास न करना
कर्म श्रेष्ठ है, धर्म गौण है ,
तंत्र मंत्र विश्वास न करना
भक्तों को रोमांचित करके,
रहे नाचते, रंग मंच पर ,
श्रीवर, संत, साध्वी को भी , मूर्ख बनाते ही देखा है !
पूरा जीवन बीता इनका
अपनी तारीफें करवाने ,
बैठे जहाँ , वहीँ गायेंगे
अपने सम्मानों के गाने ,
ऊपर पहलवान से लगते,
बार बार पिटते हैं घर में !
बात बात पर झाग उगलते
विनयशील को,गाली देते
पगड़ी बांधे इन पुतलों को, घर में लुटते ही देखा है !
जीवन भर दो चेहरे रखते
समय देख के रंग बदलते
अपना सारा जीवन काला
औरों पर ये, छींटे कसते !
लोकलुभावन मोहक बातें
मंत्रोच्चारण बीच बीच में
रावण मन,रामायण पढ़ते,
रोज दिखायी पड़ते, ऐसे
श्वेत वसन शुक्राचार्यों को, मंदिर बैठे ही देखा है !
बीमारी से , लड़ते बीता ,
जलन द्वेष और भेदभाव की
इन गलियों में चलते चलते ,
धनकुबेर जितने पाये थे , उनको रोते ही देखा है !
ऊपर से बढ़िया स्वभाव ले
हम सब दुनिया में आये हैं,
अक्सर झूठे व्यवहारों से ,
इस दुनिया को भरमाये हैं ,
सारे जग को धोखा देते ,
ऋषि मुनियों का वेश बनाए
जो बखान करते हैं अपने,
पाप पुण्य की चर्चा करते,
उनकी माँ को अक्सर मैंने, कपडे धोते ही देखा है !
शुभचिंतक से, लगते सारे
चेहरों पै विश्वास न करना
गुरु मन्त्र पा, उस्तादों से
ऐसे भी उपवास न करना
कर्म श्रेष्ठ है, धर्म गौण है ,
तंत्र मंत्र विश्वास न करना
भक्तों को रोमांचित करके,
रहे नाचते, रंग मंच पर ,
श्रीवर, संत, साध्वी को भी , मूर्ख बनाते ही देखा है !
पूरा जीवन बीता इनका
अपनी तारीफें करवाने ,
बैठे जहाँ , वहीँ गायेंगे
अपने सम्मानों के गाने ,
ऊपर पहलवान से लगते,
बार बार पिटते हैं घर में !
बात बात पर झाग उगलते
विनयशील को,गाली देते
पगड़ी बांधे इन पुतलों को, घर में लुटते ही देखा है !
जीवन भर दो चेहरे रखते
समय देख के रंग बदलते
अपना सारा जीवन काला
औरों पर ये, छींटे कसते !
लोकलुभावन मोहक बातें
मंत्रोच्चारण बीच बीच में
रावण मन,रामायण पढ़ते,
रोज दिखायी पड़ते, ऐसे
श्वेत वसन शुक्राचार्यों को, मंदिर बैठे ही देखा है !
बहुत सुन्दर और कोमल भाव......
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी अभिव्यक्तियाँ आपकी लेखनी से खुद-ब-खुद लिखी चली जाती हैं......
सादर
अनु
सच कहा आपने "पर उपदेश कुशल बहुतेरे" .... मार्मिक भाव
ReplyDeleteजीवन विरोधाभासों से भरा है..
ReplyDeleteबहुत बढिया..
ReplyDeleteवाह, परिवेश से उपजी सटीक व प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteदिखने दिखाने और होने में फर्क बहुत है !
ReplyDeleteजो बखान करते हैं अपने, बड़ी शान से बाते करते ,
ReplyDeleteउनकी माँ को अक्सर मैंने , कपडे धोते ही देखा है !
सपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाए ....
RECENT पोस्ट - रंग रंगीली होली आई.
जो बखान करते हैं अपने, बड़ी शान से बाते करते ,
ReplyDeleteउनकी माँ को अक्सर मैंने , कपडे धोते ही देखा है !
सपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाए ....
RECENT पोस्ट - रंग रंगीली होली आई.
जीवन भर चेहरे दो रखते
ReplyDeleteसमय देख कर रंग बदलते
सड़ा हुआ सा जीवन लेकर
औरों पर ये, छींटे कसते ! ...katu saty
बाहर कुछ और अन्दर कुछ । अधिकतर देखा गया है । होली की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteदेखना है लिखना है फिर कहना है देखा है :)
ReplyDeleteवाह हमेशा की तरह जानदार रचना ।
सुंदर गीत...
ReplyDeleteWah maja aa gaya, Satish bhai..Loved it...posting it on my FB page fab.com/abadhya
ReplyDeleteश्रुतियों ने कहा है - " मातृ देवो भव ।"
ReplyDeleteअनुपम । अनिवर्चनीय ।
unlimited-potential
ReplyDeleteबहुत अच्छा |
सुंदर लेखन |कटाक्ष |
आज के जीवन की विसंगतियों को उजागर कर दिया है -जो दिखता है या दिखाया जाता है, वास्तविकता उससे बिलकुल भिन्न होती है .
ReplyDeleteसच का सुंदर वर्णन....भावपूर्ण अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteजीवन भर चेहरे दो रखते
ReplyDeleteसमय देख कर रंग बदलते
सड़ा हुआ सा जीवन लेकर
औरों पर ये, छींटे कसते !
रोज दिखायी देते ऐसे रावण मन,रामायण पढ़ते,
श्वेतवसन शुक्राचार्यों को , मंदिर में बैठे देखा है !
..सुंदर शब्दों से सजी बेहतरीन प्रस्तुति..होली की शुभकामनाएं
वह ... दुनिया में हर तरह के लोग हैं ... पर माँ का कहना सही अहि कष्ट सभी को आते हैं ... पर सहना ही जीवन है ...
ReplyDeleteमाँ माँ ही होती है , उसको भूलने वाले इंसान नहीं हो सकते.
ReplyDeleteआपके प्रस्तुति अति सुंदर है जो भावों को उचित अभिव्यक्ति देती है.
ReplyDeleteआपकी उत्कृष्ट अभिव्यक्ति भावों को उचित माध्यम दे रही है...
ReplyDeleteजीवन का कटु सत्य बताती रचना ....
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब.
ReplyDeleteरामराम
कड़वी पर सच्ची बातें
ReplyDeleteवाह, ख़ूब
ReplyDeleteजीवन का कटु सत्य बताती रचना ....
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