Wednesday, March 19, 2014

माँ को अक्सर मैंने घर के, कपडे धोते ही देखा है -सतीश सक्सेना

बेटा, मैंने इस जीवन में 
ऐसा इक इंसान न देखा !
जीवन के झंझावातों में 
जिसने कोई कष्ट न देखा !
वैभव सम्पन्नों का जीवन  
बीमारी से , लड़ते बीता ,
जलन द्वेष और भेदभाव की    
इन गलियों में चलते चलते ,
धनकुबेर जितने पाये थे , उनको रोते ही देखा है !

ऊपर से बढ़िया स्वभाव ले 
हम सब दुनिया में आये हैं,
अक्सर झूठे व्यवहारों से , 
इस दुनिया को भरमाये हैं ,
सारे जग को धोखा देते ,
ऋषि मुनियों का वेश बनाए  
जो बखान करते हैं अपने, 
पाप पुण्य की चर्चा करते,
उनकी माँ को अक्सर मैंने, कपडे धोते ही देखा है !

शुभचिंतक से, लगते सारे 
चेहरों पै विश्वास न करना
गुरु मन्त्र पा, उस्तादों  से   
ऐसे भी उपवास न करना
कर्म श्रेष्ठ है, धर्म गौण है ,
तंत्र मंत्र विश्वास न करना 
भक्तों को रोमांचित करके,
रहे नाचते,  रंग मंच पर ,  
श्रीवर, संत, साध्वी को भी , मूर्ख बनाते ही देखा है !

पूरा जीवन बीता इनका 
अपनी तारीफें करवाने ,
बैठे जहाँ , वहीँ गायेंगे 
अपने सम्मानों के गाने , 
ऊपर पहलवान से लगते,
बार बार पिटते हैं घर में !
बात बात पर झाग उगलते 
विनयशील को,गाली देते 
पगड़ी बांधे इन पुतलों को, घर में लुटते ही देखा है ! 

जीवन भर दो चेहरे रखते 
समय देख के रंग बदलते
अपना सारा जीवन काला    
औरों पर ये, छींटे  कसते !
लोकलुभावन मोहक बातें
मंत्रोच्चारण बीच बीच में 
रावण मन,रामायण पढ़ते, 
रोज दिखायी पड़ते, ऐसे 
श्वेत वसन शुक्राचार्यों को, मंदिर बैठे ही देखा है !

27 comments:

  1. बहुत सुन्दर और कोमल भाव......
    मर्मस्पर्शी अभिव्यक्तियाँ आपकी लेखनी से खुद-ब-खुद लिखी चली जाती हैं......
    सादर
    अनु

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  2. सच कहा आपने "पर उपदेश कुशल बहुतेरे" .... मार्मिक भाव

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  3. जीवन विरोधाभासों से भरा है..

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  4. वाह, परिवेश से उपजी सटीक व प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति!

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  5. दिखने दिखाने और होने में फर्क बहुत है !

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  6. जो बखान करते हैं अपने, बड़ी शान से बाते करते ,
    उनकी माँ को अक्सर मैंने , कपडे धोते ही देखा है !

    सपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाए ....
    RECENT पोस्ट - रंग रंगीली होली आई.

    ReplyDelete
  7. जो बखान करते हैं अपने, बड़ी शान से बाते करते ,
    उनकी माँ को अक्सर मैंने , कपडे धोते ही देखा है !

    सपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाए ....
    RECENT पोस्ट - रंग रंगीली होली आई.

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  8. जीवन भर चेहरे दो रखते
    समय देख कर रंग बदलते
    सड़ा हुआ सा जीवन लेकर
    औरों पर ये, छींटे कसते ! ...katu saty

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  9. बाहर कुछ और अन्दर कुछ । अधिकतर देखा गया है । होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  10. देखना है लिखना है फिर कहना है देखा है :)

    वाह हमेशा की तरह जानदार रचना ।

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  11. सुंदर गीत...

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  12. Wah maja aa gaya, Satish bhai..Loved it...posting it on my FB page fab.com/abadhya

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  13. श्रुतियों ने कहा है - " मातृ देवो भव ।"
    अनुपम । अनिवर्चनीय ।

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  14. unlimited-potential
    बहुत अच्छा |
    सुंदर लेखन |कटाक्ष |

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  15. आज के जीवन की विसंगतियों को उजागर कर दिया है -जो दिखता है या दिखाया जाता है, वास्तविकता उससे बिलकुल भिन्न होती है .

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  16. सच का सुंदर वर्णन....भावपूर्ण अभिव्यक्ति !

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  17. जीवन भर चेहरे दो रखते
    समय देख कर रंग बदलते
    सड़ा हुआ सा जीवन लेकर
    औरों पर ये, छींटे कसते !
    रोज दिखायी देते ऐसे रावण मन,रामायण पढ़ते,
    श्वेतवसन शुक्राचार्यों को , मंदिर में बैठे देखा है !

    ..सुंदर शब्दों से सजी बेहतरीन प्रस्तुति..होली की शुभकामनाएं

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  18. वह ... दुनिया में हर तरह के लोग हैं ... पर माँ का कहना सही अहि कष्ट सभी को आते हैं ... पर सहना ही जीवन है ...

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  19. माँ माँ ही होती है , उसको भूलने वाले इंसान नहीं हो सकते.

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  20. आपके प्रस्तुति अति सुंदर है जो भावों को उचित अभिव्यक्ति देती है.

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  21. आपकी उत्कृष्ट अभिव्यक्ति भावों को उचित माध्यम दे रही है...

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  22. जीवन का कटु सत्य बताती रचना ....

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  23. बहुत ही लाजवाब.

    रामराम

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  24. कड़वी पर सच्ची बातें

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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