क्यों न रवैये , हम ऐसे अख्तियार करें !
बेटी जितना ही, दमाद को प्यार करे !
राजनीति ने,धर्म का झंडा उठा लिया !
बस्ती के बच्चों को भी, हुशियार करें !
और किसी की लाड़ली,घर ले आये हो
इस बन्दर से अधिक,उसी को प्यार करें !
काले बादल,घुमड़ घुमड़ कर आये हैं,
इनका प्यार झेलने , छत तैयार करें !
सास तुम्हें भी पलकों पर ही रखतीं हैं
अम्मा जैसा ही, उन को भी प्यार करें !
राजनीति ने,धर्म का झंडा उठा लिया !
बस्ती के बच्चों को भी, हुशियार करें !
और किसी की लाड़ली,घर ले आये हो
इस बन्दर से अधिक,उसी को प्यार करें !
काले बादल,घुमड़ घुमड़ कर आये हैं,
इनका प्यार झेलने , छत तैयार करें !
सास तुम्हें भी पलकों पर ही रखतीं हैं
अम्मा जैसा ही, उन को भी प्यार करें !
क्यों न हर से प्यार करें, बेटी हो या दामाद, बेटा हो या बहू ...... :) सिर्फ प्यार करें :)
ReplyDeleteजैसे दामाद प्यारा होता है वैसे ही बहू भी प्यारी होनी चाहिए..बहुत बढिया..
ReplyDeletewah...
ReplyDeleteबहुत प्यारी सीख देती ग़ज़ल...
ReplyDelete~सादर
सीधे बोलिये ना बंदर को वोट मत दीजिये :) हा हा
ReplyDeleteबहुत खूब घुमाया है ।
sundar avm sarthak vichar ....
ReplyDeleteसुंदर....
ReplyDeleteअच्छा ,तो बेटा बंदर हो गया - ये तो सरासर अन्याय है -उस बेचारे का क्या कुसूर ?
ReplyDeleteउतम विचार सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteलेटेस्ट पोस्ट कुछ मुक्तक !
बहुत महीन सी भावों को समेटा ह आपने इस रचना में , पढ कर अच्छा लगा..
ReplyDeleteकाले बादल , चारो तरफ से आये हैं !
ReplyDeleteइनका प्यार झेलने , छत तैयार करें !
समझ जाये तो तीर का निशाना सही
वरना माहौल पर ऐसे वार का क्या करें
सादर
काले बादल , चारो तरफ से आये हैं !
ReplyDeleteइनका प्यार झेलने , छत तैयार करें !
समझ जाये तो तीर का निशाना सही
वरना माहौल पर ऐसे वार का क्या करें
सादर
सही बात है, काश सब ऐसा ही करें।
ReplyDeletekitne pyare vichar hain,kash sabhi yesa karte....
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