रूप धुरंधर बना लिया !
एक हाथ में रामायण
दूसरे में डंडा उठा लिया !
वोट मांगते द्वार द्वार ,
कुलवान बताये जाते हैं !
राजनीति में हैं जब से , गुणवान बताये जाते हैं !
कुलवान बताये जाते हैं !
राजनीति में हैं जब से , गुणवान बताये जाते हैं !
देश भक्ति के गाने गाकर
सारे जग को मूर्ख बनाकर
भरे तिजोरी अपनी जाकर
धर्म,देश गुणगान सुनाके
सेवा कर मेवा खाओ,
गुरुवाण बताये जाते हैं !
गुरुवाण बताये जाते हैं !
लिए तमंचा चाकू, ये हनुमान बताये जाते हैं !
चोर, उचक्के , राजा के ,
दीवान , बताये जाते हैं !
दीवान , बताये जाते हैं !
करें दलाली फिर भी, सेवादार बताये जाते हैं !
नोट करोड़ों पड़ें दिखायी
कीर्तन करते राजगुरु का !
इंतज़ार मे बस चुनाव के
वंदन गाते महाबली का !
इंतज़ार मे बस चुनाव के
वंदन गाते महाबली का !
सारे शहर में भोंपू से ,
कुलवान बताये जाते हैं !
धन के बल पर बस्ती में,बलवान बताये जाते हैं !
कुलवान बताये जाते हैं !
धन के बल पर बस्ती में,बलवान बताये जाते हैं !
पढ़े नहीं पर करें दलाली
राजनीति से, नोट कमाए
बच्चों बच्चों ने देखा है ,
भोलेजन को मूर्ख बनाए
बटमारों की टोली में , राजनीति से, नोट कमाए
बच्चों बच्चों ने देखा है ,
भोलेजन को मूर्ख बनाए
इंसान बताये जाते हैं !
गलियों में तस्वीर लगा, भगवान् बताये जाते हैं !
घर के बूढ़े मार लालची
अश्वमेध को निकले हैं !
और पुलिंदे हत्यारों के
शोधपत्र में , बदले हैं !
हाथ खून से रंगे देश की
आन बताये जाते हैं !
चोर उचक्के शंकर का, वरदान बताये जाते हैं !
लगता अपना धर्म इन्हीं
के बल पर चलता आया है !
इन्ही के बल पर लगता
जैसे देश सुरक्षित पाया है !
लम्बा चोगा पहनाकर,
अफगान बताये जाते हैं !
चिथड़े हैं, पर रेशम का ,ये थान बताये जाते हैं !
चुनाव धुलाई मशीन : आभार काजल कुमार
वाह....सामयिक दर्द।
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन लिखा है आपने सतीश जी..बधाई..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ..होली की शुभकामनायें
ReplyDeleteसामयिक उम्दा प्रस्तुति...!
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें ।
RECENT POST - फिर से होली आई.
A fair satire on modern day character of so called higher ones. Satish ji has good flavor to depict the social dichotomies.
ReplyDeleteदेश को यही देखना लिखा हो तो भाग्य को ही कोस सकते हैं।
ReplyDeleteकैसे कैसे लोग यहाँ, इंसान बताये जाते हैं -
ReplyDeleteबहुत बढ़िया......सार्थक हमेशा की तरह !!
सादर
अनु
सभी की मति मारी गई है तभी तो देशका बंटाढार हो रहा है .
ReplyDeleteपरम्पराओं की तुलना में विवेक को महत्व दिया जाना चाहिए । सदैव की तरह सुन्दर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसुंदर रचना...रंगों से सराबोर होली की शुभकामनायें...
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही करारा ... तेज धार लेखनी की .. मज़ा आ गया सतीश जी ... लाजवाब ...
ReplyDeleteहोली की हार्दिक बधाई ...
सुन्दर प्रस्तुती,आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteज़माना ही बस इनका रह गया है , लोग इनके पीछे ही भागते है क्या कर लीजे आप,जब सब इधर ही भाग रहा है सिवाय सर मारने के
ReplyDeleteसुन्दर रचना हमेशा की तरह काजल कुमार जी का यह
ReplyDeleteकार्टून बड़ा अच्छा लगा :)
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएँ !
रंगों का ये पर्व खूब मुबारक़ हो आपको...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ..सुन्दर,सामयिक प्रस्तुति...
ReplyDeleteनैतिक सामाजिक मूल्यों
ReplyDeleteमें बड़ी बनावट आयी है,
राजाओं के आचरणों में
बड़ी गिरावट आयी है !
चोर, उचक्के , राजा के , दीवान बताये जाते हैं !
करें दलाली फिर भी, पालनहार बताये जाते हैं !
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क्या बेबाक सच्ची तस्वीर खींची है ,,,जितनी भी तारीफ़ करूँ कम है,,,, पढता गया और यूँ लगा मानो मंच पर बेहतरीन काव्य-पाठ चल रहा है ।
अभिनन्दन ! अभिनन्दन !! अभिनन्दन !!!
हार्दिक बधाई