यूरोप यात्रा की खुशनुमा यादों के साथ, इस वर्ष ब्लॉग जगत की खट्टे, मीठे अनुभव लिए, आपके मध्य हूँ ! ब्लॉगजगत की यादों की बात करुँ तो पूरा वर्ष टिप्पणियों और लेखों में उलझा रहा और आत्मसंतुष्टि और सत्संग, ढूँढने के बावजूद कम ही मिल पाया ...
स्वप्रकाशित लेखों पर , भीड़ के द्वारा की गयी ,वाह वाही के कारण, बने अपने आभामंडल की चमक में मदांध, हम लोग अक्सर मूर्ख को कालिदास और कालिदास को मूर्ख कह कर, विद्वता को निर्ममता से रौंद डालते हैं !
ब्लॉग जगत की त्रासदी है कि पढने लायक लेख़क और उसके लेख को समझ कर टिप्पणिया देने वाले पाठक, की तलाश करना, सागर में बिना साधन, मोती ढूँढना है !
जो अच्छे लिखते हैं, वे लोकप्रिय न होने के कारण सामने नहीं आ पाते...मगर जो कूड़ा लिखते हैं, वे अधिक टिप्पणियां देने के कारण अधिक लोकप्रिय हैं ! ( मैं भी लगा रहता हूँ ...) :-)
दिन भर में ४० - ५० टिप्पणियां देने का लक्ष्य पूरा करने के लिए , अधिकतर लोग यहाँ, दूसरे को पढ़कर, अपना समय बर्बाद नहीं करते , किसी लेख की, पहली और आखिरी कुछ लाइनों से समझ न आये तो किसी अच्छे ब्लागर की टिप्पणी पढ़ कर, अपनी टिप्पणी ठोक देने से काम चला जाता है ! हाँ कभी कभी , जल्दी जल्दी समझने को कोशिश कर ,जो राय बने, उसे कायम कर, अक्सर मूर्ख को समझदार और समझदार को मूर्ख मान लेते हैं !
ब्लॉगजगत में पिछले वर्ष की उपलब्धियों के नाम पर कुछ ख़ास नहीं मिल पाया जो दिल को तसल्ली मिले ....
हाँ कुछ ऐसे स्वघोषित विद्वान् ;-) जरूर मिले जो यह समझा गए कि कुछ अच्छा लिखा करो तो लोग तारीफ़ भी करेंगे :-)))
अपने काम और व्यवहार के प्रति लोगों की बुद्धि समझ कर, अपने बाल नोचने का दिल कई बार किया है ....
अपने काम और व्यवहार के प्रति लोगों की बुद्धि समझ कर, अपने बाल नोचने का दिल कई बार किया है ....
इस वर्ष तो यही समझ आया कि मूर्खों से ईश्वर रक्षा करे और चालबाजों से दूरी बनी रहे, हालाँकि पहचानने में बार बार गलती की है ..... :-(
दोस्तों से अनुरोध है कि सच्चे मन से, अगले वर्ष की शुभकामनायें दे जाना, हमारे ब्लॉग पर...बहुत जरूरत है !
शुभकामनायें चाहिए कि अगले साल "हमें समझ जाने वाले" और "हमारी असलियत जानने वाले" समझदार, कम से कम टकरायें :-)), और कुछ भले और ईमानदार लोगों से भेंट हो तो इन लेखों का लिखना सार्थक हो !सबसे अंत में ईश्वर से प्रार्थना है कि मेरे पास इतना धन और शक्ति जरूर बचाए रखे कि वक्त आने पर, मेरे दरवाजे से , कोई मायूस होकर, वापस न लौट जाए !
किसी का एक आंसू,बिना उस पर अहसान किये, पोंछ सका, तो अगले वर्ष, अपना मन संतुष्ट मान लूँगा ...
किसी का एक आंसू,बिना उस पर अहसान किये, पोंछ सका, तो अगले वर्ष, अपना मन संतुष्ट मान लूँगा ...