रचना पिता को समर्पित हैं , श्रद्धाश्रुओं के साथ !!
चले गए वे अपने घर से
पर वे मन से दूर नहीं हैं !
चले गए वे इस जीवन से
लेकिन लगते दूर नहीं हैं !
उन्हें याद करने पर अपने,
कंधे हाथ रखे पाएंगे !
अपने आसपास रहने का, वे आभास दिए जायेंगे !
उन्हें याद करने पर अपने,
कंधे हाथ रखे पाएंगे !
अपने आसपास रहने का, वे आभास दिए जायेंगे !
अब न मिलेगी पप्पी उनकी
पर स्पर्श , तो बाकी होगा !
अब न मिलेगी आहट उनकी
पर अहसास तो बाकी होगा !
कितने ताकतवर लगते थे,
वे कठिनाई के मौकों पर !
जब जब याद करेंगे उनको , हँसते हुए खड़े पाएंगे !
वे कठिनाई के मौकों पर !
जब जब याद करेंगे उनको , हँसते हुए खड़े पाएंगे !
अपने कष्ट नही कह पाये
जब जब वे बीमार पड़े थे
हाथ नहीं फैलाया आगे
स्वाभिमान के धनी बड़े थे
पाई पाई बचा के कैसे,
घर की दीवारें बनवाई !
जब देखेंगे खाली कुर्सी, पापा याद बड़े आयेंगे !
घर की दीवारें बनवाई !
जब देखेंगे खाली कुर्सी, पापा याद बड़े आयेंगे !
तिनका तिनका जोड़ उन्होंने
अपना घर निर्माण किया था !
कैसे कैसे हम बच्चों को
अपने पैरों खड़ा किया था
हमें पता है वे सुख दुःख
के सपनों में, जरूर आयेंगे !
हमें रास्ते प्यास लगी तो , जल से भरे घड़े पाएंगे !
उनके बचे काम को हमने
तन मन से पूरा करना है,
उनके दायित्यों को सबने
हंस हंसकर पूरा करना है !
चले गए वे बिना बताये
पर ऐसा आभास रहेगा !
दुःख में हमें सहारा देने, पापा पास खड़े पाएंगे !
अपना घर निर्माण किया था !
कैसे कैसे हम बच्चों को
अपने पैरों खड़ा किया था
हमें पता है वे सुख दुःख
के सपनों में, जरूर आयेंगे !
हमें रास्ते प्यास लगी तो , जल से भरे घड़े पाएंगे !
उनके बचे काम को हमने
तन मन से पूरा करना है,
उनके दायित्यों को सबने
हंस हंसकर पूरा करना है !
चले गए वे बिना बताये
पर ऐसा आभास रहेगा !
दुःख में हमें सहारा देने, पापा पास खड़े पाएंगे !
सुबह-सुबह मन भाउक हो गया..आप भी न..
ReplyDeleteडबडबाई ऑखों से विनम्र श्रध्दॉञ्जलि ।
ReplyDeleteवंदनीय पिता की स्मृति में सराहनीय भावाभिव्यक्ति !
ReplyDeleteजनक हमेशा साथ ही रहते हैं किसी ना किसी रूप में
ReplyDeleteमाता-पिता से बढ़कर और नहीं धन कोई
ReplyDeleteपिता वटवृक्ष जैसा माँ है उसकी परछाई
जिंदगी यहीं पर फली फूली मुस्कुराई !
बहुत सुन्दर गीत है आपका !
माता पिता के जीवित रहते यदि उनकी हमें अहमियत समझ में आये तो
ReplyDeleteयही सच्ची श्रद्धा है उनके प्रति !
मैंने भी उनकी भाभी की अंगरेज़ी कविता का अनुवाद किया है और उन्हें भेजा है!! यह रचना मुझे अपने पिता जी और दादा जी दोनों की याद दिलाती है, बड़े भाई!! इन दोनों का बड़ा प्रभाव रहा है मुझपर... और सच पूछिए तो इन्हें मैंने आजतक ज़िन्दा रखा है, अपने अन्दर!!
ReplyDeleteसलिल दादा आपकी सुन्दर कविता बहुत अनमोल है मेरे लिए |
Deleteसादर
अनु
परिवार सदा ही ऐसे ही प्रतिष्ठित रहें, अपने देश में।
ReplyDeleteमन को गहरे छूती है आपकी कलम ... जज्बाती रचना ...
ReplyDeleteतिनका तिनका जोड़ उन्होंने
ReplyDeleteइस घर का निर्माण किया था !
बड़ी शान से, हम बच्चों को
पढ़ा लिखा कर,बड़ा किया था !
उनकी बगिया को महकाकर,यादें खुशबूदार रखेंगे !
हमें पता है हर सुख दुःख में,पापा पास खड़े पाएंगे !
बहुत सुन्दर !
latest post प्रिया का एहसास
बहुत शानदार प्रस्तुति
ReplyDelete"अपने कष्ट नही कह पाये
जब जब वे बीमार पड़े थे
हाथ नहीं फैलाया आगे
स्वाभिमान के धनी बड़े थे
पाई पाई बचा के कैसे, घर की दीवारें बनवाई !
जब देखेंगे खाली कुर्सी, पापा याद बड़े आयेंगे !"
गहरे भाव मन को छू गए |
आशा
पिता किसी वृक्ष जैसे ही होते हैं , छाया से धूप में आने पर समझ आता है !
ReplyDeleteनमन !
बहुत मार्मिक रचना, पेड के गिर जाने के बाद ही उसका महत्व समझ आता है, सादर नमन.
ReplyDeleteरामराम.
नहीं ताउजी....पिता ऐसा वृक्ष हैं जिनके रहते हुए भी उनकी छाँव की महत्ता समझ आती हैं......और जाने के बाद रह जाती हैं स्मृतियाँ शेष!
Deleteसादर.
अनु
मैंने सहेज ली है आपकी ये कविता.......माँ को सुनाई ...उन्होंने आपको स्नेहाशीष भेजे हैं.
ReplyDeleteऔर क्या कहूँ....कुछ भावनाओं को शब्दों की दरकार नहीं होती.
आभार आपका.
सादर
अनु
उनकी बगिया को महकाकर,यादें खुशबूदार रखेंगे !
ReplyDeleteहमें पता है हर सुख दुःख में,सपने में जरूर आयेंगे !
snvedana aur saantvana ke saath saarthak panktiyon ko naman
भावपूर्ण रचना.
ReplyDeleteअब तो उनके बचे काम को
श्रद्धा से पूरे कर लेना !
उनके दायित्वों को ही बस
मान सहित पूरे कर लेना !
तभी सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
खुबसूरत अभिव्यक्ति !भावपूर्ण रचना.
ReplyDeleteसराहनीय भावाभिव्यक्ति !
ReplyDeleteअत्यंत भावपूर्ण रचना ...माँ की महिमा तो सभी गाते है किन्तु पिता का स्नेह कम ही लोग लिख पाते है। सादर नमन...
ReplyDeleteअनु जी के पिता जी को श्रद्धाँजलि !
ReplyDeleteऔर आप के शब्दों को नमन !
जब देखेंगे खाली कुर्सी, पापा याद बड़े आयेंगे !
ReplyDeletesunder bhavon se saja geet hamesha ki tarah
badhai
rachana
बहुत सुन्दर श्रद्धा पुष्प
ReplyDeleteचले गए वे अपने घर से
पर मन से वे दूर नहीं हैं !
चले गए है इस जीवन से
लेकिन लगते दूर नहीं हैं ! पूरी रचना का सार मानो इन्हीं पंक्तियों में आ गया , जहाँ के बाद कुछ भी कहने की आवश्यकता नहीं या जहाँ से सब कुछ कहने की आवश्यकता शुरू होती है ..
बहुत सुन्दर श्रद्धा सुमन ..
ReplyDeleteपिता के नहीं रहने के बाद हमें कैसा लगता है... कहना मुश्किल है.. उस दर्द के शब्द नहीं है........ बहुत ही मर्मस्पर्सी रचना.....
ReplyDeleteपिता के प्रति श्रद्धा सुमन मन को भावुक कर गए ... बेहतरीन रचना
ReplyDeleteभावपूर्ण मर्मस्पर्शी रचना.
ReplyDeleteएक बच्चे के विकास में उसे उसके लक्ष्य तकपहुँचने का मार्ग दिखाने में माँ के साथ साथ पिता का योगदान भी बहुत महत्पूर्ण होता है.
आपकी संवेदनशीलता से ह्रदय प्रभावित है सर !
ReplyDeleteपिताजी के प्रति आदर सम्मान और नेह के भाव को बहुत ही संवेदन शील तरीके से प्रदर्शित किया है
उन्हें नमन !
bahut khubsurat ........namste
ReplyDeleteअच्छा लगता है यादों के पन्ने पलटना.......
ReplyDeleteसादर
अनु
मर्मस्पर्शी ...
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी ...
ReplyDeleteबहुत ह्रदय स्पर्शी सच में पढ़कर आँसू आ गए .......आई लव यू पापा....
ReplyDeleteबहुत याद आई पिताजी की ...मैं जो कुछ हूं ...उनसे हूं ..... बेशक मां के साथ भी ....
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी रचना !
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी रचना !
ReplyDeleteमार्मिक
ReplyDelete😭😭😭😭😭
ReplyDeleteपिता ऐसा वृक्ष हैं जिनके रहते हुए भी उनकी छाँव की महत्ता समझ आती हैं......और जाने के बाद रह जाती हैं
ReplyDelete