Sunday, August 30, 2020

अरसे के बाद मिले जाना,इतने निशब्द,नहीं मिलते -सतीश सक्सेना

जाने कितने ही बार हमें, मौके पर शब्द नहीं मिलते !
अहसासों के आवेगों में जिह्वा को शब्द नहीं मिलते !


सदियों बीतीं हैं यादों में  , क्यों मौन डबडबाईं आँखें   
अरसे के बाद मिले जाना, इतने निशब्द, नहीं मिलते !

उस दिन घंटों की बातें भी मिनटों में कैसे निपट गयीं
मिलने के क्षण जाने कैसे मनचाहे शब्द नहीं मिलते !

कितना सब कहना सुनना था, पर वाणी कैसे मौन रहीं
दुनिया के व्यस्त बाज़ारों में, इतने अशब्द नहीं मिलते !

हर बार मिले तो आँखों की भाषा में ही प्रतिवाद किये
कैसे भी अभागे हों जाना , इतने प्रतिबद्ध नहीं मिलते !

7 comments:

  1. वाह बहुत सुन्दर निशब्द।

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  2. मन शांत हो और अपने अनुकूल हो तो शब्द सहज और यदि इसकी विपरीत हो तो शब्दों का अकाल पड़ना लाजमी है
    बहुत सुन्दर मनोभाव

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  3. वाह बहुत सुन्दर।
    शब्द नही मिलते।

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  4. बहुत सुंदर छन्द हैं ... बहुत बधाई ...

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  5. Thanks For Sharing The Amazing content. I Will also share with my
    friends. Great Content thanks a lot.
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  6. आतंस के प्रचंड भावावेग की सुंदर, भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
    सदियों बीतीं हैं यादों में ,
    क्यों मौन डबडबाईं आँखें
    अरसे के बाद मिले जाना,
    इतने निशब्द,नहीं मिलते !////
    हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏💐💐

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    Replies
    1. कृपया अंतस पढ़ें 🙏🙏

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एक निवेदन !
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- सतीश सक्सेना

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