Monday, November 14, 2022

बढ़ी उम्र में , कुछ समझना तो होगा, तुम्हें जानेमन अब बदलना तो होगा -सतीश

विकसित समाज में हमने श्रम करना गरीबों का काम मान लिया और जुटाई गयीं सुख सुविधाओं  का उपयोग अपने आराम के 
लिए 
करते समय यह भूल गए कि शरीर लम्बे समय तक किसी भी अभ्यास को आसानी से स्वीकार कर लेता है , और कुछ समय बाद उस आदत से बाहर निकलना उसके लिए असम्भव सा लगने लगता है ! अपने काम खुद न करने का अभ्यास हमारी शारीरिक प्रतिरक्षा शक्ति को बर्बाद करने में सक्षम है !

जब कोई एक्सरसाइज़, योगासन, जिम और स्ट्रेचिंग की बात करता है तब मुझे लगता है कि वह यह करने की कोशिश तो कर रहा है मगर शारीरिक श्रम करने जैसे मानवीय शक्ति के मूल आधार को ही भूल गया है जिसके सामने यह सब मात्र औपचारिकता है ! मेडिकल व्यवसाय का प्रचार इंसान पर इस कदर हॉवी हो चुका है अपने अपने छोटे से बच्चे को चश्मा लगवाते समय वह यह नहीं सोच पाता कि चश्मे का अविष्कार कब हुआ और उससे पहले हजारों वर्षों से हमारे बच्चे और बूढ़े कैसे देखते होंगे ? घुटने का ऑपरेशन करवाना तो हास्यास्पद ही है जो सिर्फ घुटनों का उपयोग न करने के कारण हुआ है ! बिना उपयोग, शरीर का हर अंग मानवीय मूर्खता पर, धीरे धीरे कराहते हुए बर्बाद होता जाता है और हम उसकी कराह और दर्द को बिना समझे मेडिकल व्यवसायियों की और भाग कर, अपने शरीर को सुधारने की कोशिश में और तेजी से नष्ट करते है !

स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही, बढ़ी उम्र में पछताने का मौक़ा भी नहीं देती ! हमें अपनी गलतियां मनन करते हुए समझना होगा कि पार्क में भीड़ के संग हाथ उठाकर हो हो कर हंसने को कोशिश से , निर्मल और मस्त हँसी का लाभ कभी नहीं मिलेगा ! बेहतरीन स्वास्थ्य के कुछ मूल बिंदुओं पर संकेत कर रहा हूँ , मित्रों से निवेदन है हर बिंदु को मनन करते हुए ही उसे पढ़ने का प्रयत्न करें  !
  • कोई भी शारीरिक एक्सरसाइज़ निरर्थक है जब तक मन उसे स्वीकार न कर ले , चाहे वह हंसने की चेष्टा, वाक या जॉगिंग ही क्यों न हो ! अपने अपने कष्ट भुलाकर खुलकर हंसना सबसे पहले सीखें इसके फलस्वरूप आयी मस्ती से बाकी सब सीखना आसान हो जाएगा ! इस बिंदु को कई बार पढ़ना और समझना होगा स्वास्थ्य को सही रखने की प्रमुख 10 बातों में यह सबसे महत्वपूर्ण एवं मेडिकल उपचार सबसे अंतिम आवश्यकता होनी चाहिए  !
  • मानवीय जीवन के लिए आवश्यक हवा , पानी , धूप ,नींद भरपूर लेनी है एवं भोजन उतना ही लें जितनी दिन में मेहनत की हो , बिना पसीना बहाये दिन में तीन बार भोजन करना आपको शीघ्र शारीरिक क्षरण की ओर ले जाएगा ! बिना मेहनत के तीन बार भोजन लेना इस खूबसूरत मानवीय शरीर के प्रति अपराध है ऐसे लोगों को एक बार भोजन करना स्वस्थ शरीर के लिए पर्याप्त है ! कुछ भी अभक्ष्य न खाएं , दूध सिर्फ अपनी मां का पीना था उनका दूध सूखने के साथ ही दांत निकलने के प्राकृतिक अर्थ पर विचार गहराई से करें तो आप जानवरों के शरीर का चर्बी युक्त हानिकारक दूध का निस्संदेह त्याग करने पर मजबूर होंगे ! दूध और मांस भोजन का एक विकल्प मात्र है और यह विकल्प सोचकर ही उपयोग में लाएं ! 
  •  मानवीय आलस्य जनित आदतों पर गौर करें , फेफड़ों पर दया करें उनका साइज पर गौर करते हुए उन्हें उतना खोलना  सीखें जिसके लिए वे बने हैं आपको बिना गुरु के योग क्या है समझ आएगा और धीमे धीमे खराब हवा में साँस लेने के कारण, आपके गाढ़े होते खून के लिए शुद्ध हवा की जरूरत है , बंद फेफड़े खोलने का प्रयत्न करें !
  • पैरों को मानवीय शरीर का आधा हिस्सा मिला है सो दिन के आधे समय में इनका उपयोग करना होगा , इसमें धीमे धीमे दौड़ना शामिल करें मगर हांफते हुए दौड़ने से आप अपने कमजोर हृदय को खतरे में डालेंगे उम्र चाहे कोई भी क्यों न हो, इसे न भूलें ! हर 40 मिनट वाक को बिना हांफे धीमे धीमे दौड़ कर समाप्त करें , इस आदत से आप अगले दो महीने में बिना हांफे दौड़ना सीख जाएंगे  !
  • दौड़ा या जॉगिंग करना या तेज चलना आपके शरीर में अवस्थित अंगों में कम्पन उत्पन्न करेगा यह कम्पन आपके जीर्ण और आलसी अंगों को फुर्ती देगा एवं  सारी बीमारियों को दूर करने में समर्थ होगा , इसे न भूलें  !
  • बेहतरीन और पूरी नींद लेना हमारी मूलभूत आवश्यकता है , मन से क्रोध अपमान आदि को भुला कर सोने का प्रयत्न करें , मानवीय कष्ट आपको सोने नहीं देंगे , इन्हें भूलकर हंसना सीखना ही होगा तभी बेहतर नींद आएगी याद रखें कि भूतकाल की घटनाएं केवल भूत ही हैं , वे अगर याद हैं तब आपको उदासी की और ले जाने में समर्थ भी होंगी और उदासी के साथ आप हंस नहीं पाएंगे , हंसना भूल जाना ही मौत है ! जब भी कष्ट याद आये उसे थूकना सीख लें क्योंकि इसे साथ लेकर चलना आपका नुकसान एवं कष्ट देने वाले का फायदा करेगा !
  • अभक्ष्य न खाएं , पहचान जो चीज आप की जीभ स्वीकार न करें उसे त्यागिये जैसे तेल और चर्बी , क्या आप सरसों के कुछ दाने खा सकते हैं अगर नहीं तब लाखों सरसों के दानों से निकले तेल में तले हुए पकौड़े क्यों , स्वाद को मारना ही होगा !
  • एक दिन कस कर मुट्ठी बंद कर रुमाल से बाँध लीजिये और तीन दिन बाद खोलिये आपको महीने भर व्यायाम करना होगा तब जकड़े जोड़ खुल पाएंगे अब घुटने के दर्द की कल्पना करें जिन्हे आप चलाते ही नहीं , सीढ़ी चढ़ना और दौड़ना तो शायद सोच भी न पाएं , मनन करियेगा अपनी भूलों पर  !
  • आजकल शायद ही कोई इंसान होगा जो वाक न करता होगा मगर उनका थुलथुल शरीर देखिये जिसपर वाक का कोई असर नहीं होता , कभी वाक के ऊपर सोचने का समय निकालिये, उत्तर मिलेगा ! वाक अकेले करें , और उसका उद्देश्य पर विचार करते हुए करें कि आप यहाँ क्या करने आये हैं , गौर करें अपने विभिन्न अंगों पर, उँगलियों पर, पैरों पर , पिंडलियों पर और पेट के उन अंगों पर जो वाक करते समय भी हिल नहीं रहे , फिर आप वाक कर क्यों रहें हैं ? वाक करने का अर्थ 45 मिनट रोज शरीर के फेफड़े , किडनी , लिवर , पेन्क्रियास , हृदय और जोड़ों को व्यायाम कराना होता है न कि दोस्तों के साथ चलते हुए अपने दफ्तर में की हुई बहादुरी का बखान करना !   
मेरा परिचय जान लीजिये , सतीश सक्सेना उम्र ६८ वर्ष , रिटायर होने से पहले जीवन में कभी वाक या व्यायाम नहीं किया , रिटायर होते समय उम्र जनित बीमारियों , जिसमें बीपी और बढ़ा पेट शामिल था को देखते हुए अपने मित्रों से कहा था कि अगले दो साल नहीं जी पाऊंगा , एक फ्लोर चढ़ने पर हांफता था और रुकना पड़ता था ! मगर मन में जीने की इच्छा और बच्चों से और कर्तव्य से प्यार के फलस्वरूप अपने खुद के कायाकल्प का संकल्प लिया था आलस्य का हाल यह था कि सब्जी लेने के लिए भी गाडी चाहिए और कभी दिल्ली के बस में नहीं चढ़ सका कि उसमें भागना पड़ता था !

६१ वर्ष की उम्र से दौड़ना सीखना सिखाया अपने ढीले वाले थुलथुल शरीर को और दो वर्षों में ही 12 किलो वजन घटाने के कारण आये उत्साह में लम्बी दौड़ें दौड़ना शुरू की , अब तक 10000 km दौड़ चुका हूँ  और शरीर हर बीमारी से मुक्त है ! 2021 में 100 days of running विश्व प्रतियोगिता में शामिल हुआ जिसमें 100 दिन लगातार दौड़ते हुए कुल 1849 km की दूरी तय करते हुए पूरे विश्व में दौड़ते हुए 13068 जवानों के मध्य रैंक 88/13068 एवं अपने उम्र ग्रुप (65-69) में 1/58 रहा ! अपने बारे में बताने का उद्देश्य अपना प्रचार न होकर आपको यह बताना है कि मेरे जैसा सुख सुविधा युक्त जीवन जीने वाला आलसी उम्र दराज अगर यह सब कर खुद का काया कल्प कर सकता है तो आप क्यों नहीं ?

डॉक्टरों और ऑपरेशन थियेटर से बचने का एकमात्र विकल्प यही है जिसे मेडिकल व्यवसायी कभी नहीं बताएँगे वे आपके भगवान बना रहना चाहते हैं ताकि आपके शरीर से उन्हें धन लाभ होता रहे  !

सादर प्रणाम आपको शुभकामनाओं के साथ !



  

6 comments:

  1. लाजवाब है उत्साह बना रहे शुभकामनाएं|

    ReplyDelete
  2. सुन्दर प्रविष्टि

    ReplyDelete
  3. बहुत उपयोगी सुझाव लिए सुन्दर पोस्ट ।

    ReplyDelete
  4. सचेत करता आलेख। प्रेरक और मार्गदर्शक।

    ReplyDelete
  5. आपके हर लेख को पढ़ती हूँ। विशेष बात यह लगती है कि आप स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो चुके सभी लोगों को जगाने का महत्त्वपूर्ण कार्य इन लेखों एवं कविताओं के माध्यम से कर रहे हैं, कौन कितनी प्रेरणा लेता है, कितना सीखता है यह तो उस पर है। आप भगवद्गीता का वह उपदेश सार्थक कर रहे हैं - कर्म करो, फल की इच्छा मत करो। इन लेखों से ऊर्जा मिलती है।

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर आलेख! बोध जगाता व प्रेरित करता, सदा की तरह!

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

Related Posts Plugin for Blogger,