कैसे प्यार छिना, पापा की
कैसे जुदा हुई थी लाड़ो
भारी गाजे बाजे से !
जब से विदा हुई है घर से ,
क्या कुछ बहा, हवाओं में !
क्या कुछ बहा, हवाओं में !
कुछ तो दुनिया ने समझाया , कुछ अम्मा की बांहों ने !
किसने सीमाएं समझायी
किसने गुड़िया छीनी थी !
किसने उसकी उम्र बतायी
किसने तकिया छीनी थी !
कहाँ गए अधिकार पुराने,
क्या सुन लिया दिशाओं में !
क्या सुन लिया दिशाओं में !
कुछ तो बहिनों ने बतलाया, कुछ कह दिया बुआओं ने !
कहाँ गया भाई से लड़ना
अपने उन , सम्मानों को !
अपने उन अधिकारों को !
कुछ तो डर ने समझाया था
कुछ पढ़ लिया रिवाजों में !
कुछ भाभी ने हंसकर बोला, कुछ कह दिया इशारों ने !
पापा की जेबें, न जाने
कब से राह , देखती हैं !
कौन तलाशी लेगा आके
किसकी चाह देखती हैं !
कब से राह , देखती हैं !
कौन तलाशी लेगा आके
किसकी चाह देखती हैं !
कुछ दूरी पर रहे लाड़ली,
सुखद गांव की छावों में !
सुखद गांव की छावों में !
कुछ गुलमोहर ने समझाया, कुछ घर के सन्नाटों ने !
कैसे बड़ी हो गयी मैना
कैसे उड़ना सीख लिया !
कैसे ढूंढें, तिनके घर के ,
कैसे जीना सीख लिया !
खेल, खिलौने खोये अपने,
इन ससुराल की राहों में !
कुछ तो आंसू ने समझाया , कुछ बाबुल की बाँहों ने !
कैसे उड़ना सीख लिया !
कैसे ढूंढें, तिनके घर के ,
कैसे जीना सीख लिया !
खेल, खिलौने खोये अपने,
इन ससुराल की राहों में !
कुछ तो आंसू ने समझाया , कुछ बाबुल की बाँहों ने !