Wednesday, March 5, 2014

आज रात भी साथ बैठकर,कितनी देर स्वप्न देखे थे -सतीश सक्सेना

बरसों बीते, बिछुड़े तुमसे 
जाने कब से देख न पाया 
बार बार जाकर बस्ती में  
भी दरवाजे पहुँच न पाया
लेकिन फिर भी हार गए तुम,
ओ समाज के ठेकेदारों  !
आज रात भी साथ बैठकर, मनकों की माला पोए थे !

कौन छीन पायेगा हमसे
सपने जो मन में रहते हैं ! 
कौन रोक पायेगा आंसू  
जो हँसने, में भी बहते हैं !
तुम समझे थे हमें दूर कर, 
ये अनुराग ख़त्म कर दोगे !
लेकिन कितनी बार रात में, दोनों पास पास सोये थे !

दुनिया वाले हंस कर कहते 
दीवानों को अलग कर दिया
सारी शक्ति लगाकर अपनी
अरमानों  को दूर कर दिया ! 
जलने वालों की नज़रों में,
उजड़ी आंगन की फुलवारी ! 
मगर उसी दिन हम दोनों ने, वादे साथ साथ बोये थे !

उस दिन मेले में देखा था ,
आँखों आँखों बात हो गयी !
विरह व्यथा का वर्णन करते  
मन में ही बरसात हो गयी !
जब भी चाहें तब मिलते हैं,
क्या कर लेंगे बस्ती वाले !
दुनिया भर की, ऊँच नीच  के कपडे , आंसू से धोये थे !

मन मयूर के साथ हर समय 
रहने वाले  को क्या जानो !
अंतर्मन मंदिर की भाषा ,  
सप्त पदों को क्या पहचानो !
प्यार की भाषा सीख न पाये 
कैसे हम तुमको समझाएं !
पता नहीं कितने युग बीते, प्यार की दुनिया में खोये थे !

कैसे छीनोगे तुम हमसे
जो मेरे मन में रहती है !
कैसे छीनोगे वे यादें जो 
जन्मों से लिखी हुईं हैं  !
मरते दम तक साथ न छोड़ें,
जो मन में आये कर लेना !
इतने गहरे कष्ट याद कर, फफक फफक कर हम रोये थे !

20 comments:

  1. कैसे छीनोगे तुम हमसे
    जो मेरे मन में रहती है !
    कैसे छीनोगे वे यादें जो
    जन्मों से लिखी हुईं हैं !
    मरते दम तक साथ न छोड़ें,जो मन में आये कर लेना !
    इतने गहरे कष्ट यादकर,फफक फफक कर हम रोये थे !

    संवेदना के तह को छूने वाला गीत कोइ गीतों का नरेश ही लिख सकता है --

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  2. बहुत सुन्दर गीत ....

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  3. बहुत बढ़िया -

    आभार आदरणीय-

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  4. वाह ! वाह ! बहुत ही शानदार गीत |

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  5. बहुत बढ़िया .....!

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  6. तभी तो आप कवि हैं ,सतीश जी !

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  7. बेहद संवेदनशील...

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  8. संवेदना से भरे मन को छूती गहरी पंक्तियाँ
    अनमोल यादों कि कड़ियाँ

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  9. आपके गीतों का जवाब नहीं है, बधाई।

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  10. आपका लेखन हृदय में उतर जाता है, पर समस्या यह है हृदय में उतरने के पहले आँख नम कर जाता है।

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  11. ह्रदय स्पर्शी सुंदर संवेदनशील रचना ......

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  12. बहुत बढ़िया । मेरे नए पोस्ट DREAMS ALSO HAVE LIFE.पर आपका स्वागत है।

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  13. बहुत सुंदर एवं भावप्रधान रचना.

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  14. समाज के ठेकेदारों को प्रेम कहाँ समझ में आता है
    सतीश जी, बहुत सार्थक गीत है !

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  15. वाह...कितने सुन्दर भाव......बधाई....

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  16. वाह...कितने सुन्दर भाव......बधाई....

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  17. उस दिन मेले में देखा था ,
    आँखों आँखों बात हो गयी !
    विरहव्यथा का वर्णन करते
    मन में ही बरसात हो गयी !
    जब भी चाहें तब मिलते हैं,क्या कर लेंगे बस्ती वाले !
    दुनिया भर की, ऊँच नीच के कपडे , आंसू से धोये थे !

    वाह बहुत सुन्दर भाव

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  18. नयन गिरा की गरिमा अद्भुत शब्दों पर भारी पढती है ।
    जब-जब वह चुप-चुप दिखती है अनगिन प्रेम-कथा गढती है॥

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  19. मरते दम तक साथ न छोड़ें,जो मन में आये कर लेना !
    इतने गहरे कष्ट यादकर,फफक फफक कर हम रोये थे !
    ............. मन को छूती गहरी पंक्तियाँ

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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