कुछ समय पहले एक महिला ब्लागर ने किसी बात पर क्षुब्द्ध होकर कहा था कि मैंने हिंदी ब्लाग लिखना इसी लिए बंदकर दिया कि यहाँ पर लोग एक दूसरे पर बिना बात कीचड उछालते हैं ! उस समय अतिरंजित लगने वाली यह बात आज मुझे काफी प्रभावशाली लगती है ! आज लगता है ब्लाग रुपी चौपाल पर बैठ, हम सब ज्ञानी लोग यह मौका ढूँढ़ते रहते हैं कि कब नए अज्ञानी ( ज्ञानी )का मज़ाक उड़ाने का मौका मिले, और हम लगे हाथों उसकी हजामत बनाने में शामिल हों !
एक समय यह देख कर अजीब लगता था कि चौपाल पर बैठे कुछ लोग मेरे सादर नमन (कमेंट्स ) का जवाब देना भी पसंद नहीं करते जबकि मेरा नमन उनकी लेखन शैली के प्रति श्रद्धा मात्र और प्रणाम सिर्फ उनसे कुछ सीखने की इच्छा हेतु उनका ध्यान आकर्षित करने का एक साधन , मगर दूर रहने का कारण सिर्फ उनके ग्रुप धारणा का मेरी सोच का विरोधी होना था !
कुछ समय बाद समझ आया कि अधिकतर लोग किसी न किसी ग्रुप के सदस्य मात्र हैं और ९० प्रतिशत भीड़ की पीठ पर किसी न किसी नेता या नेत्री (महान ब्लागर ) का नाम लिखा हुआ है , और यह महान ब्लागर , अपने ग्रुप सदस्यों को, किसी का भी अपमान करने और नीचा दिखने के लिए, शाबाशी देने के साथ साथ, पूरा उत्साह वर्धन करने के लिए विभिन्न आयोजन भी करते हैं ! सबसे अधिक दुखदायी तथ्य यह है,कि अच्छी लेखनी से धनी कुछ योग्य लेख़क भी इनका नाम अपनी पीठ पर लिख कर न केवल गौरव समझते हैं बल्कि इनके इशारे मात्र से किसी का भी अपमान करने के लिए तैयार रहते हैं !
कुछ समय पहले ब्लाग जगत पर मजाक में कुछ पंक्तियाँ लिखी थीं , जो आज सच लगने लगी हैं ....
कुछ मनमौजी थे, छेड़ गए !
कुछ कलम छोड़ कर भाग गए
कुछ संत पुरूष भी पतित हुए
कुछ अपना भेष बदल बैठे ,
कुछ मार्ग प्रदर्शक, भाग लिए
कुछ मुंह काले करवा आए,
यह हिम्मत उन लोगों की है,जो दम सेवा का भरते हैं !!
कुछ ऋषी मुनी भी मुस्कानों के, आगे घुटने टेक गए !
कुछ यहाँ शिखन्डी भी आए
तलवार चलाते हाथों से,
कुछ धन संचय में रमे हुए,
वरदान शारदा से लेते !,
कुछ पायल,कंगन,झूमर के
गुणगान सुनाते झूम रहे ,
मैं कहाँ आ गया, क्या करने,दिग्भ्रमित बहुत हो जाता हूँ !
अरमान लिए आए थे हम , अब अपनी राहें भूल चले !
कुछ यहाँ बगुला भगत भी हैं ,जो प्रत्यक्ष में ईश पूजा में लगे रहते हैं मगर रात होते ही अन्य नामों से बनाये गए अपने ब्लाग पर जाकर लोगों को भरपूर गलियां देकर जहर उगलते हैं ! इनकी पहचान करना आसान नहीं है , समय के साथ ही उन्हें पहचाना जा सकता है ! मैं जिन्हें सिद्ध पुरुष समझता था वे अक्सर आवरण हटने पर मात्र गिद्ध पुरुष पाए गए !
मैं भी सोचता हूँ कि ऐसे लोगों को ढूँढने का प्रयत्न करुँ, जिनकी पीठ पर किसी का हाथ न हो, किसी का नाम न हों, उनका एक ग्रुप बनाया जाये , जो किसी की अवमानना न करें , चाहें कोई अच्छा लिखे या बुरा सबकी तारीफ करते हुए उसे प्रोत्साहित करे , समाज या धर्मं कोई हो हम सब उसको पढें और सराहें ! अपने धर्म के साथ साथ जैन, बौद्ध , ईसाइयत, सिख और इस्लाम के बारे में श्रद्धा पूर्वक जानने की इच्छा रखें और उनको अपने से अधिक सम्मान दें !
ऐसा करते हुए मुझे अपने हिन्दू और हिन्दुस्तानी होने पर हमेशा गर्व होता है !
कुछ समय पहले ब्लाग जगत पर मजाक में कुछ पंक्तियाँ लिखी थीं , जो आज सच लगने लगी हैं ....
कुछ मनमौजी थे, छेड़ गए !
कुछ कलम छोड़ कर भाग गए
कुछ संत पुरूष भी पतित हुए
कुछ अपना भेष बदल बैठे ,
कुछ मार्ग प्रदर्शक, भाग लिए
कुछ मुंह काले करवा आए,
यह हिम्मत उन लोगों की है,जो दम सेवा का भरते हैं !!
कुछ ऋषी मुनी भी मुस्कानों के, आगे घुटने टेक गए !
कुछ यहाँ शिखन्डी भी आए
तलवार चलाते हाथों से,
कुछ धन संचय में रमे हुए,
वरदान शारदा से लेते !,
कुछ पायल,कंगन,झूमर के
गुणगान सुनाते झूम रहे ,
मैं कहाँ आ गया, क्या करने,दिग्भ्रमित बहुत हो जाता हूँ !
अरमान लिए आए थे हम , अब अपनी राहें भूल चले !
कुछ यहाँ बगुला भगत भी हैं ,जो प्रत्यक्ष में ईश पूजा में लगे रहते हैं मगर रात होते ही अन्य नामों से बनाये गए अपने ब्लाग पर जाकर लोगों को भरपूर गलियां देकर जहर उगलते हैं ! इनकी पहचान करना आसान नहीं है , समय के साथ ही उन्हें पहचाना जा सकता है ! मैं जिन्हें सिद्ध पुरुष समझता था वे अक्सर आवरण हटने पर मात्र गिद्ध पुरुष पाए गए !
मैं भी सोचता हूँ कि ऐसे लोगों को ढूँढने का प्रयत्न करुँ, जिनकी पीठ पर किसी का हाथ न हो, किसी का नाम न हों, उनका एक ग्रुप बनाया जाये , जो किसी की अवमानना न करें , चाहें कोई अच्छा लिखे या बुरा सबकी तारीफ करते हुए उसे प्रोत्साहित करे , समाज या धर्मं कोई हो हम सब उसको पढें और सराहें ! अपने धर्म के साथ साथ जैन, बौद्ध , ईसाइयत, सिख और इस्लाम के बारे में श्रद्धा पूर्वक जानने की इच्छा रखें और उनको अपने से अधिक सम्मान दें !
ऐसा करते हुए मुझे अपने हिन्दू और हिन्दुस्तानी होने पर हमेशा गर्व होता है !