डॉ टी एस दराल ने एक पोस्ट लिखी जिसमें चार ब्लागर साथियों के द्वारा एक साथ बैठकर किये गए भोजन का जिक्र था , जिसमें आत्मीयता की एक गहरी झलक दिखती थी ! डॉ अरविन्द मिश्र के दिल्ली आगमन पर डॉ दराल साहब की तरफ से दिए गए, इस भोज पर वीरू भाई भी उपस्थित थे यकीनन चार ब्लागरों का यह मिलन, नायाब ही था मगर इसने मुझे अन्य कई ब्लोगर भोजों की याद दिलाई और यकीन करें, किसी में भी गर्मजोशी की कमी नहीं पायी गयी !
दिल्ली में मुझे ब्लोगर मीटिंग का पहला मौका, अजय कुमार झा के जरिये मिला था जब उन्होंने एक खुला आमंत्रण देकर हम लोगों को एक जगह इकट्ठा करने का प्रयत्न किया था और लगभग ४ घंटे चले इस सम्मलेन में ब्लागिंग की असीमित क्षमताओं पर अच्छा विमर्श किया गया !
इसमें शिरकत करने वालों में, इंग्लॅण्ड से डॉ कविता वाचक्नवी एवं जर्मनी से राज भाटिया , पंडित डी.के.शर्मा "वत्स" , खुशदीप सहगल , डॉ टी एस दराल आदि लोग मौजूद थे !
इसमें शिरकत करने वालों में, इंग्लॅण्ड से डॉ कविता वाचक्नवी एवं जर्मनी से राज भाटिया , पंडित डी.के.शर्मा "वत्स" , खुशदीप सहगल , डॉ टी एस दराल आदि लोग मौजूद थे !
ब्लागर मीटिंग्स के नाम के साथ अविनाश वाचस्पति का नाम अवश्य जुड़ता है, सब लोगों को जोड़ने का उनका उत्साह, नवोदितों के लिए ,हिंदी ब्लागिंग की शक्ति को ,नए शिखर पर पंहुचाने के लिए बहुत हिम्मत देगा !
आज भी नए लोगों से, मिलने की इच्छा होते हुए भीं, हर जगह पहल की कमी महसूस होती है ! इस प्रकार के सम्मलेन और मुलाकातें, निस्संदेह एक नवीन वातावरण के निर्माण में मदद देगी ! फलस्वरूप न केवल आपसी स्नेह बढेगा बल्कि आप अपनी शक्ति को भी बढ़ते हुए महसूस करेंगे ! मेरे अपने द्वारा, ब्लॉग जगत में रूचि बढ़ने का एक अच्छा कारण यह मुलाकातें रहीं जहाँ मैं प्रत्यक्ष रूप से, अपने पसंद के लेखकों को आमने सामने सुन सका ! जिन लोगों से मैं मिल चूका हूँ ,पहली मुलाकात में ही समीर लाल , रचना , अविनाश वाचस्पति ,रविन्द्र प्रभात, खुशदीप सहगल , डॉ दराल ,ताऊ रामपुरिया, योगेन्द्र मौदगिल, सलिल वर्मा, अनूप शुक्ल, बी एस पाबला ,राज भाटिया, शाहनवाज़, निर्मला कपिला,ललित शर्मा ,रतन सिंह शेखावत, अमरेन्द्र त्रिपाठी, दिनेश राय द्विवेदी,सुनीता शानू स्मार्ट इंडियन ,राजीव तनेजा ,शहरोज़, दीपक बाबा, एवं डॉ अरविन्द मिश्र ने, अपनी शख्शियत की , एक गहरी छाप छोड़ी !
हिंदी लेखन क्षेत्र में , ब्लोगिंग की उपलब्धियों को नकारा नहीं जा सकता ! गूगल के द्वारा दिए गए प्लेटफार्म के जरिये हिंदी भाषा में जो काम, अब तक हो चुका है ,कुछ वर्ष पहले इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी ! जिन लोगों ने, सार्वजनिक मंच पर , अपनी अभिव्यक्ति लाने के बारे में कभी सोंचा भी नहीं होगा, वे अब ब्लोगिंग के जरिये अपने विचार न केवल धड़ल्ले से व्यक्त कर रहे हैं बल्कि खासे सफल भी हैं !
इसमें कोई संदेह नहीं कि जहाँ हम लोग, इस शानदार प्लेटफार्म के जरिये ,एकता के सूत्र में बंधने में कामयाबी मिलने की आशा कर रहे हैं वहीँ यहाँ कुछ लोग अपने कट्टर राजनीतिक, धार्मिक विचारों को भी स्वर देने का प्रयत्न कर रहे हैं ! अपरिमित सीमायें होने से, ब्लॉग जगत लगभग हर क्षेत्र में ही अपना सफल योगदान कर रहा है !
ब्लाग जगत में, एक से एक विद्वान् कार्यरत हैं , जिन्हें पढना ही सौभाग्य माना जाता है, मगर अक्सर वे भिन्न विचार धाराओं से जुड़े रहने के कारण एक साथ नहीं बैठ पाते ! विभिन्न राजनैतिक पार्टियों , समाजों और धर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाले मनीषी, अगर एक स्थान पर जुड़ सकें तो विद्वानों का कुम्भ होने का सपना पूरा हो सकता है !
पिछले कुछ दिनों से यह देखा जा रहा है कि ब्लोगिंग में पहले से कार्यरत लोगों की दिलचस्पी कुछ कम हुई है ! इस सम्बन्ध में खुशदीप सहगल का एक लेख आया था जिसमें इस प्रवृत्ति की और चिंता प्रकट की गयी थी ! मुझे लगता है देर सबेर यह संक्रमण काल भी गुजर जाएगा यदि हम लोग लेखन गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखें !
आप सबको विनम्र शुभकामनायें !
पिछले कुछ दिनों से यह देखा जा रहा है कि ब्लोगिंग में पहले से कार्यरत लोगों की दिलचस्पी कुछ कम हुई है ! इस सम्बन्ध में खुशदीप सहगल का एक लेख आया था जिसमें इस प्रवृत्ति की और चिंता प्रकट की गयी थी ! मुझे लगता है देर सबेर यह संक्रमण काल भी गुजर जाएगा यदि हम लोग लेखन गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखें !
हजारों तरह के लोग , यहाँ अपनी अपनी समझ के अनुसार लिख रहे हैं , स्वाभाविक है कि जिस क्वालिटी की मानसिकता होगी, लेख में उसी समझ की झलक नज़र आएगी ! पाठकों की वाह -वाह करती टिप्पणियों की बेपनाह शक्ति, यहाँ मूर्ख को विद्वान् और विद्वान् को नासमझ बनाने में समर्थ है ! अतः पाठकों को टिप्पणी अस्त्र का प्रयोग सोंच समझ कर करना होगा !जहाँ एक ओर नए ब्लोगर को मिली टिप्पणी, उसमें नवजीवन संचार कर, बेहतर लेखन की प्रेरणा देती हैं वही टिप्पणी, किसी स्वच्छ चादर में लिपटे धूर्त को, रावण बनाने में समर्थ है ! प्रोत्साहन का दुरुपयोग और सदुपयोग यहाँ बखूबी महसूस होता है !
आवश्यकता है केवल एक सकारात्मक सोंच और उत्साह की जिसके प्रभाव से नकारात्मक शक्तियों का ह्रास हो और बेहतर लोग समाज और देश के शुभ निर्माण में लगें !आप सबको विनम्र शुभकामनायें !