Sunday, July 31, 2011

हिंदी ब्लोगिंग में स्नेह और प्यार -सतीश सक्सेना

डॉ टी एस दराल ने एक पोस्ट लिखी जिसमें चार ब्लागर साथियों  के द्वारा एक साथ बैठकर किये गए भोजन का जिक्र था , जिसमें आत्मीयता की एक गहरी झलक दिखती थी ! डॉ अरविन्द मिश्र के दिल्ली आगमन पर डॉ दराल साहब की तरफ से दिए गए, इस भोज पर वीरू भाई भी उपस्थित थे यकीनन चार ब्लागरों  का यह मिलन, नायाब ही था मगर इसने मुझे अन्य कई ब्लोगर भोजों की याद दिलाई और यकीन करें, किसी में भी गर्मजोशी की कमी नहीं पायी गयी !
दिल्ली में मुझे ब्लोगर मीटिंग का पहला मौका, अजय कुमार झा के जरिये मिला था जब उन्होंने एक खुला आमंत्रण देकर हम लोगों को एक जगह इकट्ठा करने का प्रयत्न किया था और लगभग  ४ घंटे चले इस  सम्मलेन  में ब्लागिंग की असीमित क्षमताओं पर अच्छा विमर्श किया गया !
इसमें शिरकत करने वालों में, इंग्लॅण्ड से डॉ कविता वाचक्नवी एवं जर्मनी से राज भाटिया ,  पंडित डी.के.शर्मा "वत्स" , खुशदीप सहगल , डॉ टी एस दराल आदि लोग मौजूद थे ! 

ब्लागर मीटिंग्स के नाम के साथ  अविनाश वाचस्पति का नाम  अवश्य जुड़ता है, सब लोगों को जोड़ने का उनका उत्साह, नवोदितों के लिए ,हिंदी ब्लागिंग की शक्ति  को ,नए शिखर पर  पंहुचाने के  लिए बहुत हिम्मत देगा  !
आज भी नए लोगों से, मिलने की इच्छा होते हुए भीं, हर जगह पहल की कमी महसूस होती है ! इस प्रकार के सम्मलेन और मुलाकातें, निस्संदेह एक नवीन वातावरण के निर्माण में मदद देगी ! फलस्वरूप न केवल आपसी स्नेह बढेगा बल्कि आप अपनी शक्ति को भी बढ़ते हुए महसूस करेंगे !  मेरे अपने द्वारा, ब्लॉग जगत में रूचि बढ़ने का एक अच्छा कारण यह मुलाकातें रहीं जहाँ मैं प्रत्यक्ष रूप से, अपने पसंद के लेखकों को आमने सामने सुन सका  ! जिन लोगों  से मैं मिल चूका हूँ ,पहली मुलाकात में ही समीर लाल , रचना , अविनाश वाचस्पति ,रविन्द्र प्रभातखुशदीप सहगल , डॉ दराल ,ताऊ रामपुरिया, योगेन्द्र मौदगिल, सलिल वर्मा, अनूप शुक्ल, बी एस पाबला ,राज भाटिया, शाहनवाज़, निर्मला कपिला,ललित शर्मा ,रतन सिंह शेखावत,  अमरेन्द्र त्रिपाठी, दिनेश राय द्विवेदी,सुनीता शानू  स्मार्ट इंडियन ,राजीव तनेजा ,शहरोज़, दीपक बाबा, एवं डॉ अरविन्द मिश्र ने, अपनी  शख्शियत की , एक गहरी छाप छोड़ी !
 हिंदी लेखन क्षेत्र में , ब्लोगिंग की उपलब्धियों को नकारा नहीं जा सकता ! गूगल के द्वारा दिए गए प्लेटफार्म के जरिये हिंदी भाषा में जो काम, अब तक हो चुका है ,कुछ वर्ष पहले इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी ! जिन लोगों ने, सार्वजनिक मंच पर , अपनी अभिव्यक्ति लाने के बारे में कभी सोंचा भी नहीं होगा, वे अब ब्लोगिंग के जरिये अपने विचार न केवल धड़ल्ले से व्यक्त कर रहे हैं बल्कि खासे सफल भी हैं !
इसमें कोई संदेह नहीं कि जहाँ हम लोग, इस शानदार प्लेटफार्म के जरिये ,एकता के सूत्र में बंधने में कामयाबी मिलने की आशा कर रहे हैं वहीँ यहाँ कुछ लोग अपने कट्टर राजनीतिक, धार्मिक विचारों को भी स्वर देने का प्रयत्न कर रहे हैं ! अपरिमित सीमायें होने से, ब्लॉग जगत लगभग हर क्षेत्र में  ही अपना सफल योगदान कर रहा है !
ब्लाग जगत में, एक से एक विद्वान् कार्यरत हैं , जिन्हें पढना ही सौभाग्य माना जाता है, मगर अक्सर वे भिन्न विचार धाराओं से जुड़े रहने के कारण एक साथ नहीं बैठ पाते ! विभिन्न राजनैतिक पार्टियों , समाजों और धर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाले मनीषी, अगर एक स्थान पर जुड़ सकें तो विद्वानों का कुम्भ होने का सपना पूरा हो सकता है ! 


पिछले कुछ दिनों से यह देखा जा रहा है कि ब्लोगिंग में पहले से कार्यरत लोगों की दिलचस्पी कुछ कम हुई है !  इस सम्बन्ध में खुशदीप सहगल का एक लेख आया था जिसमें इस प्रवृत्ति की और चिंता प्रकट की गयी थी ! मुझे लगता है देर सबेर यह संक्रमण काल भी गुजर जाएगा यदि हम लोग लेखन गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखें  !
हजारों तरह के लोग , यहाँ अपनी अपनी समझ के अनुसार लिख रहे हैं  , स्वाभाविक है कि जिस  क्वालिटी की मानसिकता होगी, लेख में उसी समझ की झलक नज़र आएगी  ! पाठकों की वाह -वाह करती टिप्पणियों की बेपनाह शक्ति, यहाँ मूर्ख को विद्वान् और विद्वान् को नासमझ बनाने में समर्थ है ! अतः पाठकों को टिप्पणी अस्त्र का प्रयोग सोंच समझ कर  करना होगा !जहाँ एक  ओर  नए ब्लोगर को मिली टिप्पणी, उसमें नवजीवन संचार कर, बेहतर लेखन की प्रेरणा देती हैं वही टिप्पणी, किसी स्वच्छ चादर में लिपटे धूर्त को, रावण बनाने में समर्थ है ! प्रोत्साहन का दुरुपयोग और सदुपयोग यहाँ बखूबी महसूस होता है !     
आवश्यकता है केवल एक सकारात्मक सोंच और उत्साह की जिसके प्रभाव से नकारात्मक   शक्तियों का ह्रास हो और बेहतर लोग समाज और देश के शुभ निर्माण में लगें !
आप सबको विनम्र शुभकामनायें !

Monday, July 25, 2011

गर्व ,शक्ति शाली होने का - सतीश सक्सेना

"हमारा मीडिया ऐसा कुछ क्यूं नही दिखाता कि देश के लोगों का मनोबल बढे । " 
पिछली पोस्ट पर आशा जोगलेकर   के यह कमेन्ट पढ़कर मन में आया कि क्यों न अपने देश के बारे में कुछ लिखा जाए जिसे मीडिया ने नज़रन्दाज़ किया हुआ है !

क्या आप जानते हैं कि .....

-संयुक्त राष्ट्र संघ में हमारा देश सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता का प्रथम एवं सम्मानित दावेदार है इसकी स्थायी  सदस्यता  के साथ ही हम आधिकारिक तौर पर विश्व शक्ति मान लिए जायेंगे जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ में किसी भी प्रस्ताव पर, वीटो करने की शक्ति होगी  !

-ग्लोबल फायर पॉवर में हमारा देश  अमेरिका, रूस और चाइना के बाद चौथे नंबर पर आता है ! न्यूक्लियर कमांड अथोरिटी के साथ हमारा देश विश्व के सबसे शक्तिशाली देशों में गिनती किया जाता है !

-कुल विदेशी मुद्रा एवं गोल्ड रिज़र्व में हम विश्व में, चाइना ,जापान , रूस , सउदी अरब , ताइवान और ब्राज़ील के बाद सातवे नंबर पर ( ३१६,८०१ मिलियन $ )खड़े हैं ! आश्चर्य है कि अमेरिका (१४०,६०७ मिलियन $) फ़्रांस और इंग्लॅण्ड जैसी विश्व शक्तियों के पास हमसे कम धन है ! :-)

-न्यूक्लियर पॉवर देशों को सबसे अधिक समस्या यूरेनियम सप्लाई की रहती है अभी हाल में आंध्र प्रदेश में  यूरेनियम का सबसे बड़ा भंडार पाया गया है ! यह अब तक विश्व में पाए गए भंडारों में सबसे बड़ा है ! जानकारी के लिए यह बताना आवश्यक होगा कि इस मूल्यवान और दुर्लभ धातु का उपयोग विद्युत् उत्पादन तथा न्यूक्लियर बम बनाने में किया जाता है  ! 


- विश्व में यूरेनियम की कमी और इसपर कंट्रोल के कारण , न्यूक्लियर पॉवर का बेहतर विकल्प थोरियम को माना जाता है और यह यूरेनियम के मुकाबले अधिक सुरक्षित है ! यह गर्व का विषय है कि विश्व में थोरियम के सबसे बड़े भण्डार भारत में पाए जाते हैं और थोरियम से बिजली पैदा करने का पहला रिएक्टर भी भारत में है ! इन भंडारों के होते हुए हमारे देश में, न केवल आने वाले समय में न्यूक्लियर फ्यूल की समस्या ख़त्म होगी बल्कि समय के साथ विश्व को मदद के लिए, हमारी आवश्यकता पड़ सकती है ! 


-भारत न्यूक्लियर हथियार रखने वाले ८ देशों में से एक राष्ट्र है जिन्होंने न्यूक्लियर हथियारों का जखीरा रखने की पुष्टि कर दी है ! हमारे पास इन हथियारों के लिए एक मज़बूत डेलिवरी सिस्टम  है जो कि जमीन  पर  अग्नि और पृथ्वी मिसाइल से , हवा  से मार करने के लिए दसाल्ट  मिराज  २००० H, सुखोई एस यू -30 MKI तथा पानी में  न्यूक्लियर सबमैरीन  एवं आई एन एस विक्रमादित्य एंटी एयर क्राफ्ट कैरियर  के जरिये , विश्व  के किसी भी कोने में, मार करने की क्षमता रखता है ! यह वे सुविधाएँ हैं जिन्हें विश्व का कोई भी राष्ट्र ,अपनी सेना में शामिल होने पर गर्व कर सकता है !
शक्तिशाली भारत का एक नागरिक होने पर मुझे गर्व है !

Friday, July 22, 2011

अंतर्राष्ट्रीय सागर में शक्तिशाली भारतीय कदम -सतीश सक्सेना

सोमालियाई समुद्री डाकू ( गूगल से साभार )
"आई एन एस गोदावरी ने एक ग्रीक शिप को हाइजैक होने से बचाया ..." 

टाइम्स ऑफ़ इंडिया  में  यह खबर पढ़ कर  मन को बड़ी तसल्ली हुई ! एक आम भारतीय के मन में आ सकता है कि यह विशाल भारतीय वार शिप, अदन की खाड़ी में, बदनाम सोमालियाई समुद्री डाकुओं के बीच में, क्या कर रहा है ? शायद बहुत कम लोगों को पता  होगा कि २००८ से ही भारतीय नौ सेना के कद्दावर वारशिप , समुद्री डाकुओं के खिलाफ वहां तैनात हैं ! केवल आई एन एस गोदावरी ने ही  लगभग दो माह में विभिन्न देशों के २१९ जहाजों  को इस खाड़ी से निकलने में अपना सुरक्षा कवर दिया है !

अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग के लिए सोमालिया से लगा हुआ समुद्री भाग इन पाइरेट्स के कारण एक भयावह रूट बनता जा रहा है, हालाँकि अन्तराष्ट्रीय समाज में विलेन जैसे लगते यह पाइरेट्स, वहा के लोकल हीरो भी माने जाते हैं, जो उनके हिसाब से, सोमालिया समुद्री सीमा में गन्दगी फैलाकर, मछली उद्योग को बर्बाद कर रहे इन विदेशी जहाज़ों को, सजा देने का काम कर रहे हैं  !

सोमालिया में सिविल वार की समाप्ति पर, वहां की रेगुलर सेना और कास्ट गार्ड बेरोजगार हैं और वे प्राइवेट सेना बनाकर , समुद्र सीमा रक्षा के नाम पर , आते जाते जहाज़ों से बसूली करने  और बदनाम सोमालियाई समुद्री डाकू बनकर खासे विश्व में कुख्यात हो चुके हैं ! यह सच है कि सोमालियाई सागर में , विदेशी जहाजों द्वारा, वहां से निकलते हुए . जहरीला कचरा फेंकने के कारण , वहां के , मछली उद्योग को बहुत नुकसान पंहुचा है , जिससे वहां के बेरोजगार लोग ,समुद्री डाको के द्वारा अपना जीवनयापन शुरू कर एक नया कुख्यात उद्योग विकसित कर चुके है ! 

बहरहाल इन लोगों के भय के कारण वहा से निकलने वाले जहाज और नाविक त्रस्त हैं ! भारतीय नेवी के आई एन एस तबार एवं आई एन एस गोदावरी , अंतर्राष्ट्रीय सागर में, न केवल भारतीयों के जान माल की रक्षा कर रहे हैं बल्कि कई अन्य देशों के जहाज़ों पर आक्रमण करते, इन समुद्री डाकुओं के जहाज़ों को डुबा कर, इन पाइरेट्स की कमर तोड़ने में, महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर ,विश्व में ,अपने देश का गौरव बढ़ा रहे हैं !

हमारे देश का यह गौरवशाली कदम, अन्तराष्ट्रीय जगत में सम्मान के साथ याद किया जायेगा !  

Sunday, July 17, 2011

टूटे घोंसले -सतीश सक्सेना

शालीमार गार्डन एक्सटेंशन -II में बन रही एक चार मंजिल इमारत अचानक गिर गयी , काम में लगे, लगभग २० मजदूर बुरी तरह घायल और ३ की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी ! इस चार मंजिला भवन में, धन कमाने के लिए, १२ एच आई जी  और ३६ एम आई जी फ्लैट  बनाये जा रहे थे !

आजकल एन सी आर में, प्रापर्टी में पैसा लगाने का मतलब, सोने का पेंड लगाना है ! २५० गज का एक प्लाट  खरीदकर उसमें ४ मंजिल भवन बना , लगभग ढाई करोड़ में बेंच सकते हैं ! अक्सर ऐसी जगह पर, प्लाट एक करोड़ का मिल जाता है और बनाने की कीमत में काफी फर्क है ! ख़राब और घटिया मैटरियल लगाकर किया गया निर्माण, अच्छी क्वालिटी के निर्माण से लगभग आधा होता है !इस प्रकार क्वालिटी से समझौता कर करोड़ों रुपये कमाए जा सकते हैं !
भवन निर्माण की गुणवत्ता पर कंट्रोल और देखरेख के लिए कोई नियम एवं रेगुलेशन नहीं हैं !आम आदमी, पूरी तौर पर, पैसों के इन व्यापारिओं पर निर्भर होता है !
इन भवनों के निर्माण में, ख़राब क्वालिटी के लोकल बने सीमेंट के साथ साथ, बहुत कम मात्रा में स्टील का उपयोग किया जाता है ! अंडरग्राउंड बिजली की घटिया वाइरिंग तथा ख़राब पानी के पाइप , चार साल भी ठीक से नहीं चल पाते ! खराब वायरिंग के कारण, ऐसी किसी भी आपदा के समय, इनमें आग लगने का खतरा बहुत अधिक है , और आग से बचाने का कोई भी सुरक्षा उपाय यहाँ नहीं किया जाता !
देहली हरिद्वार रिज़ पर बसा यह एरिया, सिज्मिक ज़ोन ४ में पड़ता है यहाँ ५ से ८ तीव्रता वाले अर्थ क्वेक आने की सम्भावना रहती है अतः दिल्ली और आसपास का एरिया, हाई रिस्क एरिया में माना जाता है !किसी संभावित प्राकृतिक डिजास्टर के समय, इस प्रकार के भवनों के होते, आपातकाल स्थिति आते देर नहीं लगेगी और जनहानि की संभावना बहुत अधिक होगी ! इस समस्या से निपटने के लिए तुरंत एक भवन रेगुलेशन एक्ट बनाया जाना चाहिए जिसमें चोरों और बेईमानों से निपटने के लिए बेहद कड़े प्रावधान हों !
एन सी आर के ऐसे रिहाईशी इलाकों पर जाकर देखें तो हर तरफ जीर्ण शीर्ण मकानों का जंगल खड़ा दिखेगा जिनमें हँसते खेलते हुए निर्दोष ,असहाय परिवार दिखाई पड़ेंगे ! इस प्रकार बनाई गयी कालोनियां एवं भवन , ७ रेक्टर स्केल पर आये भूकम्प को कैसे सह पाएंगी , यह सोंचकर दहल जाता हूं मैं !
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