कौन सहारा दिया तुम्ही ने ,जो मैं तुमसे प्यार करूँ !
माँ समझातीं, पिता डांटते, अन्तर्यामी प्रभू बताते ,
कहते, सब कुछ,तब होता है,जब तेरा सत्कार करूँ ?
कहते,तुम दौड़े आते हो,अपमानित द्रोपदी, देखकर
अब तो तुलसी हर घर रोये क्यों मैं तुमसे प्यार करूँ !
अब तो तुलसी हर घर रोये क्यों मैं तुमसे प्यार करूँ !
आज मानवों के कार्यों पर,शर्मसार,राक्षसी कौम भी !
पतित मानवों का हिस्सा हो क्यों अच्छा व्यवहार करूँ !
आज राक्षसी,अपने बच्चे, छिपा रही,मानवी नज़र से
मानव कितना गिरा विश्व में,मैं ही क्यों उपकार करूँ !