अपने लिए भरपूर जीना ,और खुश रहना, कोई जीना नहीं हुआ !
मृत्यु बाद, गैर भी रोयें और कहें कि इस इंसान की अभी आवश्यकता थी , तब जीना सफल माना जाये !
***********************
एक तड़प सी उठती रही
अक्सर हमारी सांस से ,
जब तक रहेंगे हम यहाँ
कुछ काम होंगे, शान से !
गीत कुछ,ऐसे रचें जाएँ ,
जो सब के मन बसें !
जो सब के मन बसें !
हम विदा हो जाएँ तो, पदचिन्ह रहने चाहिए !
बात तो तब है कि वे
बात तो तब है कि वे
जगते रहे हों रात से !
और दरवाजे सजे हों
प्यार, बंदनवार से !
और दरवाजे सजे हों
प्यार, बंदनवार से !
आहटें पैरों की सुनकर,
साज़ भी थम जाएँ जब,
साज़ भी थम जाएँ जब,
देखकर हमको वहां , कुछ ढोल बजने चाहिए !
महक जाएँ बस्तियां ,
हम जहां ठहरें , वहां
आबाद होंगी वादियाँ
आबाद होंगी वादियाँ
मेरे जगने पर सुनें,
सब चहकना संसार का ,
और जाने पर मेरे ,आंसू छलकने चाहिए !
सब चहकना संसार का ,
और जाने पर मेरे ,आंसू छलकने चाहिए !
बात होगी खास , जब
मरने पर मेरे ,दोस्तों
रंजिशों को आके खुद
आंसू बहाना चाहिए !
अंत से पहले प्रभू से ,
शक्ति इतनी चाहिए !
द्वार से याचक, न खाली हाथ, जाने चाहिए !
गीत चाहें हों , अधूरे ,
गंध कस्तूरी की हो !
आधी गागर, गीत की ,
पर रागिनी भरपूर हो !
धीरे धीरे गीत मेरे,
ओठों पर आ जाएंगे !
हम रहें या ना रहें ,ये गीत रहने चाहिए !
http://www.janwani.in/Details.aspx?id=35019&boxid=30276632&eddate=2/23/2014
मरने पर मेरे ,दोस्तों
रंजिशों को आके खुद
आंसू बहाना चाहिए !
अंत से पहले प्रभू से ,
शक्ति इतनी चाहिए !
द्वार से याचक, न खाली हाथ, जाने चाहिए !
गीत चाहें हों , अधूरे ,
गंध कस्तूरी की हो !
आधी गागर, गीत की ,
पर रागिनी भरपूर हो !
धीरे धीरे गीत मेरे,
ओठों पर आ जाएंगे !
हम रहें या ना रहें ,ये गीत रहने चाहिए !
http://www.janwani.in/Details.aspx?id=35019&boxid=30276632&eddate=2/23/2014
बहुत सुन्दर ..!
ReplyDeletehum vida ho jayen to??
ReplyDeletejum saath lag jayenge......
kya bat...kya bat....kya bat...
pranam.
बहुत सुंदर भाव........
ReplyDeleteअगर आने पर मेरे ,
रंगत नहीं आ पाए तो
जाने से पहले हमें ,
दो बार ,रुकना चाहिए
आहटें पैरों की सुनकर,साज़ भी थम जाएँ जब,
देखकर हमको वहां , कुछ ढोल बजने चाहिए !
कभी बचपन में हम भी स्कूल असेम्बली में खड़े सोचते थे कि कभी प्रिंसिपल हमारे मरने की खबर दे बच्चों को, तो क्या कोई दुखी होगा????या सब छुट्टी हो जाने की खुशी मनाएँगे.....क्या मुझे कोई याद करेगा!!! खुद ही रो पड़ती थी उस ख्याल से!!!
:-)
अनु
आप अपने चाहने वालों के बीच
ReplyDeleteहमेशा खुश और स्वस्थ रहें |
शुभकामनाएँ!
एक तड़प सी उठती रही
ReplyDeleteअक्सर मेरी हर सांस से
जब तक जियेगे हम यहाँ
कुछ काम होंगे ,शान से !
कृत्य ऐसे कुछ करें,अनुसरण के लायक रहें !
हम विदा हो जाएँ तो, पदचिन्ह रहने चाहिए
Behad bhavapoorn rachana abhivyakti...abhaar
Bahut sundar bhav hai, saadhuwad .
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteक्या भाव है और क्या भाव-प्रवाह है...
बहुत सुन्दर और प्रेरित करती रचना...
कुँवर जी,
सुंदर भाव
ReplyDeleteइस संसार में किसी बहाने बने रहने का स्वार्थ मन से नहीं जा पाता है, क्या करें?
ReplyDeleteरहे ना रहे हम महका करेंगे,
ReplyDeleteबन के कली, बन के सबा, बाग-ए-वफां में...
जब हम ना होंगे, जब हमारी खांक पे तुम रुकोगे चलते चलते,
अश्कों से भीगी चांदनी में एक सदा सी सुनोगे चलते चलते...
वही पे कही हम तुम से मिलेंगे, बन के कली...
जय हिंद...
बहुत सुंदर भाव
Deleteबहुत सुंदर भाव .... सच तो यही है की नाम वंश से नहीं अपने कर्म से रहता है ...
ReplyDeleteकुछ कर गुजरने की ललक!...बहुत सुन्दर भाव!....आभार!
ReplyDeleteमंच पर जाने से मेरे ,
ReplyDeleteचेहरे न खिल पायें तो
जाने से पहले हमें ,
दो बार रुकना चाहिए !
आहटें पैरों की सुनकर,साज़ भी थम जाएँ जब,
देखकर हमको वहां , कुछ ढोल बजने चाहिए !
बहुत सही एहसास
यारा दिलदारा मेंरा दिल करता,
ReplyDeleteसदियों जहान में हो चर्चा हमारा...
सतीश जी,..ईश्वर आपकी ये तमन्ना पूरी करे,..मेरी प्रार्थना है,
MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...
बहुत नेक विचार प्रस्तुत किये हैं , गीत के बहाने से .
ReplyDeleteहालाँकि कहते हैं --चेरिटी बिगिन्स एट होम . यानि पहले आप खुद खुश रहें , तभी दूसरों के लिए शुभ कार्य कर पाएंगे .
बात होगी खास , जब
ReplyDeleteमरने पर मेरे ,दोस्तों
रंजिशों को आके खुद
आंसू बहाना चाहिए !
अंत से पहले प्रभू से , शक्ति इतनी चाहिए !
द्वार से याचक ,न खाली हाथ जाना चाहिए !
................................Nothing to say ,..exceelent creation ...speechless............. satish ji
एक तड़प सी उठती रही
ReplyDeleteअक्सर मेरी हर सांस से
जब तक जियेगे हम यहाँ
कुछ काम होंगे ,शान से !
कृत्य ऐसे कुछ करें,अनुसरण के लायक रहें !
हम विदा हो जाएँ तो, पदचिन्ह रहने चाहिए !
बहुत ही नेक विचार है आप क़े, ईश्वर जरूर पूरा भी करेगा ,मेरी भी शुभकामनायें
सतीश भाईसाहब क्या गज़ब गीत है यह मुझे बचपन से ही बहुत पसंद है।
ReplyDeleteपहले तो पोस्ट का शीर्षक देख घबरा गई कि आप जैसा जिंदादिल इंसान क्या लिख रहा है पूरी पोस्ट पढ़ी तो समझ आया। बहुत ही सुंदर विचारों से ओत-प्रोत पोस्ट बहुत अच्छी लगी।
सादर
सुंदर विचारों से ओत-प्रोत पोस्ट आभार!
ReplyDeleteअनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ... आभार
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteकृत्य ऐसे कुछ करें,अनुसरण के लायक रहें !
ReplyDeleteहम विदा हो जाएँ तो, पदचिन्ह रहने चाहिए !
बहुत सुन्दर गीत लिखा है .......प्रेरक भावों से सराबोर बहुत बधाई
sundar geet hai satish ji,
ReplyDeletesorry thik se tippani nahi kar pa rahi hun pc bimar chal raha hai :(
आपका आभार सुमन जी ...
Deletesachi behad sundar geet hai...
ReplyDeletesundar prerak prastuti ke liye aabhar!
हम बचपन से सोचते आ रहे हैं, जब इस दुनिया से जाएँ तो किसी को पता भी न चले, ना भारी भीड़ हो, ना कोई शोर, ना ही किसी की आँख से एक भी आंसू छलके हमारे जाने के वक़्त. किसी को रोता छोड़कर जाना बड़ा कठिन होता होगा ना.
ReplyDeleteबहुत नेक विचार हैं आपके निशब्द कर दिया आपने, सुन्दर भावना....आपके विचार बहुत अच्छे हैं. ईश्वर आपकी हर मनोकामना पूरी करे और आप दीर्घायु हों....
सर्वतोभद्र कामना की एक नि:छल अभिव्यक्ति !
ReplyDeleteभाई जी फिर से प्रालिफिक होना गज़बं ढारहा है !माई गाड!
इस छोटी जी ज़िन्दगी में कुछ तो ऐसा कर जाएँ कि लोग याद रखें...बहुत सुंदर भाव से लिखी गई कविता!
ReplyDeleteआप की पोस्ट स्वप्न रहस्य आज ही पढ़ पाई हूँ पर वहां टिप्पणी नहीं दी सोचा आप शायद पुरानी पोस्ट की टिप्पणी न भी देखें , स्वप्न के बारे में तो मुझे कुछ खास पता नहीं है पर मैं खुद अंक विज्ञान में बहुत यकीन रखती हूँ ,थोडा बहुत सीखा भी है और मेरी जीवन की ज्यादातर घटनाएँ अंक ४ और ८ से जुडी है
ReplyDelete=============================================================
आप की ये पोस्ट(हम विदा हो जाएँ तो .) भी काफी कुछ सोचने और सीखने को बाध्य करती है
बहुत श्रेष्ठ विचार हैं !
ReplyDeleteआहटें पैरों की सुनकर,साज़ भी थम जाएँ जब,
ReplyDeleteदेखकर हमको वहां , कुछ ढोल बजने चाहिए !
Read more: http://satish-saxena.blogspot.com/#ixzz0ZQwPAbI0
बढ़िया पोस्ट .कुछ काम कर जाएँ ,संज्ञा नहीं सर्वनाम कर जाएँ ...
भावनायें अच्छी हमेशा की तरह लेकिन रहने जाने को महत्व ही क्यों दिया जाये? गुस्ताखी माफ़ होगी, यकीन है:)
ReplyDeleteये रही परिपूर्ण और बालिग-रचना !
ReplyDeleteआपका जीवन यूँ ही प्रवाहमय बना रहे,भौति और साहित्यिक दोनों !
भौति=भौतिक
ReplyDeleteनिशब्द कर दिया आपने....बहुत सुंदर भाव
ReplyDeleteभावों का शब्दों में बढ़िया रूपांतरण।
ReplyDeleteहम विदा हो जाएं तो... फिदा हो गई मैं...एक शानदार कृति
ReplyDeleteआपकी ये रचना नईपुरानी हलचल में लिंक की जा रही है
सादर
यशोदा
jeevan ki sarthakta ko siddha karti post .bhut sundar bhav haen .aabhr,
ReplyDeleteकल 21/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (यशोदा अग्रवाल जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
आप अपने चाहने वालों के बीच
ReplyDeleteहमेशा खुश और स्वस्थ रहें |
शुभकामनाएँ!
(though written by one of our friends earlier also but feel like sharing this as my views also - regards. GYANI)
आपका शुक्रिया भाई जी ....
Deletebahut sundar vichaar hain aapke
ReplyDeleteaapki khwaish poori ho...bahut hee tabiyat se likha shandaar geet...geet hamare pyar ke dohrayein ye jawania..jab ham na ho tab hon hamari nishaniyan..ek accha sandesh samahit hai..sadar badhayee aaur amantran ke sath
ReplyDeleteसक्सेना जी, आप के गीत हुए मशहूर
ReplyDeleteपढ कर कितनो केहुये,कष्ट यहाँ पर दूर
हर बार की तरह इस बार की कविता भी लाजबाब हैं भाई जी आपकी ...
ReplyDeleteमेरी झोली में मक्की के दाने ,
मेरी वाणी में पताशे सी मिठास ,
मेरे होठों पे प्रभु का नाम ,
हर वक्त रहना चाहिए ||.....अनु
कल 25/04/2012 को आपकी किसी एक पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
ReplyDeleteआपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
... मैं तबसे सोच रही हूँ ...
प्रकृति का बहुत सुन्दर वर्णन!
ReplyDeleteचंले चपाटे बनाने पर ही आपको बाद में याद रखा जाता है। अच्छी रचना।
ReplyDeleteप्रभु कृपा से सब कामनाएं पूर्ण होती हैं.
ReplyDeleteयहाँ तक कि कोई कामना ही शेष नहीं रहती.
ईश्वर से प्रार्थना है कि आपकी सभी सात्विक
कामनाएं पूर्ण होवें.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
बहुत सुंदर भाव, प्रकृति का बहुत लाजबाब व सुन्दर वर्णन!
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteकाफी खूबसूरत सोच --कदाचित सभी की रहती है--आपने सार्थक अभिव्यक्ति दी है
ReplyDeleteआपने तो उस उम्र में जब अधिकांश लोग निष्क्रिय हो कर शिथिल होने लगते हैं, एक नया अध्याय प्रारंभ किया है -इसी ऊर्जा से भरे रहें आप !औरों को भी प्रोत्साहित करनवाले को ,बाद में क्या होगा इसकी चिन्ता अभी से क्यों हो रही है ?- अभी तो शुरुआत है जिन नये कामों की, उनमें कुछ नये प्रतिमान जोड़ने बाकी हैं. पूरी जीवन्तता के साथ जुटे रहिये. वह कहावत सुनी है न -हिम्मते मर्दाँ मददे ख़ुदा !
ReplyDeleteआपके शब्द अच्छे लगे , प्रणाम !
Deleteवतनपरस्ती के जज़्बे से भरपूर बहुत सुन्दर, उत्साहवर्धक और प्रेरणादायक गीत ! बिस्मिल अज़ीमाबाड़ी की की बेमिसाल नज़्म - 'सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है' की याद आ गयी.
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