
निराशा बेहद खतरनाक रोल अदा करती है इससे बाहर निकलने के लिए नयी रुचियाँ और उत्साह पैदा करना होगा अन्यथा यह निराशा असमय जान लेने में समर्थ है !
गोपालदास नीरज की यह कालजयी रचना मुझे बेहद पसंद है
जिन मुश्किलों में मुस्कुराना हो मना,
उन मुश्किलों में मुस्कुराना , धर्म है।
जिस वक़्त जीना गैर मुमकिन सा लगे,
उस वक़्त जीना फर्ज है इंसान का,
लाजिम लहर के साथ है तब खेलना,
जब हो समुन्द्र पे नशा तूफ़ान का
जिस वायु का दीपक बुझना ध्येय हो
उस वायु में दीपक जलाना धर्म है।
जब हाथ से टूटे न अपनी हथकड़ी
तब मांग लो ताकत स्वयं जंजीर से
जिस दम न थमती हो नयन सावन झड़ी
उस दम हंसी ले लो किसी तस्वीर से
जब गीत गाना गुनगुनाना जुर्म हो
तब गीत गाना गुनगुनाना धर्म है।