Saturday, July 8, 2017

क्षमा करें,यदि चढ़ा न पायें, अर्ध्य देव को,मेरे गीत - सतीश सक्सेना

नेह के प्यासे धन की भाषा
कभी समझ ना पाए थे !
जो चाहे थे ,नहीं मिल सका 
जिसे न माँगा , पाए थे !

इस जीवन में, लाखों मौके,
हंस के छोड़े, हमने मीत !
धनकुबेर को, सर न झुकाया, बड़े अहंकारी थे गीत !


जीवन भर तो रहे अकेले
झोली कहीं नहीं फैलाई
गहरे अन्धकार में रहते ,
माँगा कभी दिया, न बाती
कभी न रोये, मंदिर जाकर ,
सदा मस्त रहते थे गीत !
कहीं किसी ने, दुखी न देखा, जीवन भर मुसकाए गीत  !

सब कहते, ईश्वर लिखते ,
है, भाग्य सभी इंसानों का !
माता पिता छीन बच्चों से
चित्र बिगाड़ें, बचपन का !
कभी मान्यता दे न सकेंगे,
निर्मम रब को, मेरे गीत !
मंदिर, मस्जिद, चर्च न जाते, सर न झुकाएं मेरे गीत ! १०

बचपन से, ही रहे खोजता
ऐसे , निर्मम, साईं को !
काश कहीं मिल जाएँ मुझे
मैं करूँ निरुत्तर, माधव को !
अब न कोई वरदान चाहिए,
सिर्फ शिकायत मेरे मीत !
विश्व नियंता के दरवाजे , कभी न जाएँ , मेरे गीत !

क्यों तकलीफें देते, उनको ?
जिनको शब्द नहीं मिल पाए !
क्यों दुधमुंहे, बिलखते रोते
असमय, माँ से अलग कराये !
तड़प तड़प कर अम्मा खोजें,
कौन सुनाये इनको गीत !
भूखे पेट , कांपते पैरों , ये कैसे , गा पायें गीत ??

जैसी करनी, वैसी भरनी !
पंडित , खूब सुनाते आये !
पर नन्हे हाथों की करनी
पर, मुझको विश्वास न आये
तेरे महलों क्यों न पहुँचती 
ईश्वर, मासूमों की चीख !
क्षमा करें, यदि चढ़ा न पायें अर्ध्य, देव को, मेरे गीत !

#हिन्दी_ब्लॉगिंग

Wednesday, July 5, 2017

साधन संपन्न आम आदमी -सतीश सक्सेना

            आज आपने जीवन की सबसे लम्बी साइकलिंग की , 61 km ,3 घण्टे में पूरे हुए इस बीच 3 मिनट का नेहरूपार्क पर रुक कर बॉडी स्ट्रेचिंग की !
            बेहतरीन मौसम में पैडल मारते हुए मैं याद कर रहा था जब 1977 में दिल्ली आया था नौकरी ज्वाइन करने ,तब से अब तक एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब मैं कह पाता कि आज मैं पैदल 1 km बिना मोटर साइकिल या कार के चला ,38 वर्ष निकाल दिए मैंने आलस्य में, बिना पैरों का उपयोग किये, यह ज़हालत का सबसे बड़ा नमूना था ! आम आदमी जैसा था मैं, जिसकी सोंच थी कि साधन संपन्न होने का अर्थ अपने शरीर को आराम देना और बढ़िया भोजन बस ! 
            मगर अब मैं आम आदमी जैसा सुस्त और ढीले शरीर का मालिक नहीं, 63 वर्ष की उम्र में मैंने धीरे धीरे अपने शरीर को लगातार घंटो दौड़ना सिखा दिया ,आज 61 km साईकिल 20 km /hour की स्पीड से तय करके शरीर की अपरिमित शक्ति को महसूस कर अच्छा लग रहा है !

#हिन्दी_ब्लॉगिंग

Monday, July 3, 2017

लेखन क्वालिटी -सतीश सक्सेना

ब्लॉग लेखन में कुछ सक्रियता तो आयी मगर आवश्यकता इस उत्साह को बनाये रखने की है ! हमें विस्तार से विगत का आकलन करना होगा अन्यथा कुछ दिनों में सब जोश ठंडा हो जाएगा !
फेसबुक के शुरू होने के साथ अधिकतर ने ब्लॉग लेखन बंद कर दिया इसके पीछे उन्हें कमेंट का न मिलना या कमेंट संख्या में भारी कमी थी, लोगों का अधिक ध्यान फेसबुक पर था जहाँ आसानी से लाइक और कमेंट मिल रहे थे और वे अधिक इंटरैक्टिव भी थे ! अपनी रचनाओं पर लोगों का ध्यान न देख कर निराशा और अपमान बोध जैसा महसूस हुआ और सबने अपना रुख फेसबुक की ओर कर लिया जहाँ अधिक पहचान मिलने की आशा थी !

मेरे ब्लॉग पर आने वाले कमेंट में 80 प्रतिशत की गिरावट आयी मगर मेरा लेखन इस कारण कभी कम न हुआ , ब्लॉग लेखन का उद्देश्य मेरे लेखन का संकलन मात्र रहा था मेरा विश्वास था कि इसे देर सबेर लोग पढ़ेंगे ज़रूर ,
इसमें बनावट से लोगों को प्रभावित करने की चेष्टा रंचमात्र भी नहीं थी !

मेरा अभी भी दृढ विश्वास है कि गूगल के दिए इस मुफ्त प्लेटफॉर्म से बेहतर और कोई प्लेटफॉर्म नहीं है जहाँ लोग अपनी रचनाये सदा के लिए सुरक्षित रख सकते हैं ! सो ब्लॉगर साथियों से अनुरोध है कि वे दिल से लिखें और क्वालिटी कंटेंट लिखें ताकि आज न सही कल आने वाली पीढ़ी उनकी अभिव्यक्ति समझे और पुरानी पीढ़ी को अपने साथ महसूस कर सके !

मंगलकामनाएं आपकी कलम को !
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

Sunday, July 2, 2017

हिन्दी लेखन में ब्लॉगर -सतीश सक्सेना

ब्लॉग लेखन में कोई संदेह नहीं कि टिप्पणियां जीवनदान का काम करती हैं , अगर सराहा न जाय तब बड़े बड़े कलम भी घुटनों के  बल बैठते नज़र आएंगे ! मेरे शुरुआत के दिनों में उड़नतश्तरी की त्वरित टिप्पणियों का बड़ा योगदान रहा है और आज भी मैं उनका शुक्र गुज़ार हूँ,  तब से अब तक 584 से अधिक रचनाएं , गद्य अथवा पद्य के रूप में ब्लॉग पर लिख चुका हूँ तथा पाठकों से 16649 टिप्पणियां एवं कुल 518380 पेज व्यू  मिले हैं ! यह पाठक ही हैं जिन्होंने इन्हें मन से सराहा और उन के कारण कलम को सहारा मिलता रहा !

किसी भी रचनाकार के लिए, ध्यान से पढ़ के दिया गया कमेन्ट, प्रेरणा दायक होने के  साथ साथ, उसके कार्य की समीक्षा और सुधार के लिए बेहद आवश्यक होता है , और मैं आभारी हूँ अपने उन मित्रों का जो लगातार मुझे पढ़ते रहे और उत्साह देते रहे ! इस बीच जब जब लेखन से मन उचाट हुआ इन्होने मुझे आकर जगाया और कहा कि लिखिए हमें पढ़ना है, और इन्ही मित्रों के कारण, कलम आज भी गति शील है !

साधारणतया ब्लॉग लेखन का एक उद्देश्य, अपने आपको स्थापित करने के साथ साथ, लोकप्रियता हासिल करना तो निस्संदेह रहता ही है, अपनी तारीफ़ सभी को अच्छी लगती है बशर्ते वह योग्य लोगों द्वारा पढ़ कर की जाए !  अक्सर टिप्पणियों के बदले में, लेख अथवा कविता को बिना पढ़े मिली ब्लोगर वाहवाही, अक्सर हमारे ज्ञान का बंटाधार करने को काफी है ! केवल वाहवाही की टिप्पणियां हमारे अहम् और फ़र्ज़ी प्रभामंडल को बढाने में ही सफल होती हैं चाहे हमारा लेखन कूड़ा ही क्यों न हो !

मेरा यह मानना है कि ब्लोगिंग के जरिये लेखन में विकास , भाषा  के साथ साथ , मानसिकता में बदलाव भी लाने में सक्षम है जो शायद भारतीय समाज की सबसे बड़ी आवश्यकता है !
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

Saturday, July 1, 2017

रुकिए नहीं, दौड़ते रहें , रुकना अंत होगा अभिव्यक्ति का, जीवन दौड़ का -सतीश सक्सेना

मेरे लिए ब्लॉगिंग करना हमेशा स्फूर्तिदायक रहा है, ब्लॉगिंग मेरे लिए पहले दिन से लेकर आजतक मेरे विचारों का एकमात्र संकलन स्थल रहा है और इसकी उपयोगिता मेरे लिए कभी कम नहीं हुई भले ही लोग आएं या न आएं ! शुरू से लेकर अबतक लगभग ४ पोस्ट प्रति माह लिखता रहा हूँ जो लगातार जारी रही दुखद यह है कि लोगों ने लिखना बंद कर दिया शायद इसलिए कि अब कमेंट मिलने कम हो गए !
लेखन से आपको अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का अवसर मिलता है इसपर तालियों की आशा नहीं करनी चाहिए बल्कि हर नए लेख को और अधिक ईमानदारी से लिखने का प्रयास करते रहना है !

लेखन पर कमेंट न मिलना निराशा का कारण नहीं होना चाहिए बल्कि लेखन में निखार लाने के प्रति कृतसंकल्प होना चाहिए ,निश्चित ही सतत लेखन, आपकी अभिव्यक्ति में सुधार करने में सहायक होगा !

मेरा मानना है कि आप सकारात्मक लिखते रहिये अगर आपके विचारों में , रचनात्मकता है तो लोग एक दिन आपके लेखन को अवश्य पढ़ेंगे और उसे सम्मान भी मिलेगा !

सस्नेह मंगलकामनाएं कि आपकी कलम सुनहरी हो !
#हिन्दी_ब्लॉगिंग

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