नेह के प्यासे धन की भाषा
कभी समझ ना पाए थे !
जो चाहे थे ,नहीं मिल सका
जिसे न माँगा , पाए थे !
इस जीवन में, लाखों मौके,
हंस के छोड़े, हमने मीत !
धनकुबेर को, सर न झुकाया, बड़े अहंकारी थे गीत !
जीवन भर तो रहे अकेले
कभी समझ ना पाए थे !
जो चाहे थे ,नहीं मिल सका
जिसे न माँगा , पाए थे !
इस जीवन में, लाखों मौके,
हंस के छोड़े, हमने मीत !
धनकुबेर को, सर न झुकाया, बड़े अहंकारी थे गीत !
जीवन भर तो रहे अकेले
झोली कहीं नहीं फैलाई
गहरे अन्धकार में रहते ,
माँगा कभी दिया, न बाती
कभी न रोये, मंदिर जाकर ,
सदा मस्त रहते थे गीत !
कहीं किसी ने, दुखी न देखा, जीवन भर मुसकाए गीत !
गहरे अन्धकार में रहते ,
माँगा कभी दिया, न बाती
कभी न रोये, मंदिर जाकर ,
सदा मस्त रहते थे गीत !
कहीं किसी ने, दुखी न देखा, जीवन भर मुसकाए गीत !
सब कहते, ईश्वर लिखते ,
है, भाग्य सभी इंसानों का !
माता पिता छीन बच्चों से
चित्र बिगाड़ें, बचपन का !
कभी मान्यता दे न सकेंगे,
निर्मम रब को, मेरे गीत !
मंदिर, मस्जिद, चर्च न जाते, सर न झुकाएं मेरे गीत ! १०
है, भाग्य सभी इंसानों का !
माता पिता छीन बच्चों से
चित्र बिगाड़ें, बचपन का !
कभी मान्यता दे न सकेंगे,
निर्मम रब को, मेरे गीत !
मंदिर, मस्जिद, चर्च न जाते, सर न झुकाएं मेरे गीत ! १०
बचपन से, ही रहे खोजता
ऐसे , निर्मम, साईं को !
काश कहीं मिल जाएँ मुझे
मैं करूँ निरुत्तर, माधव को !
अब न कोई वरदान चाहिए,
सिर्फ शिकायत मेरे मीत !
विश्व नियंता के दरवाजे , कभी न जाएँ , मेरे गीत !
ऐसे , निर्मम, साईं को !
काश कहीं मिल जाएँ मुझे
मैं करूँ निरुत्तर, माधव को !
अब न कोई वरदान चाहिए,
सिर्फ शिकायत मेरे मीत !
विश्व नियंता के दरवाजे , कभी न जाएँ , मेरे गीत !
क्यों तकलीफें देते, उनको ?
जिनको शब्द नहीं मिल पाए !
क्यों दुधमुंहे, बिलखते रोते
असमय, माँ से अलग कराये !
तड़प तड़प कर अम्मा खोजें,
कौन सुनाये इनको गीत !
भूखे पेट , कांपते पैरों , ये कैसे , गा पायें गीत ??
जिनको शब्द नहीं मिल पाए !
क्यों दुधमुंहे, बिलखते रोते
असमय, माँ से अलग कराये !
तड़प तड़प कर अम्मा खोजें,
कौन सुनाये इनको गीत !
भूखे पेट , कांपते पैरों , ये कैसे , गा पायें गीत ??
जैसी करनी, वैसी भरनी !
पंडित , खूब सुनाते आये !
पर नन्हे हाथों की करनी
पर, मुझको विश्वास न आये
तेरे महलों क्यों न पहुँचती
ईश्वर, मासूमों की चीख !
क्षमा करें, यदि चढ़ा न पायें अर्ध्य, देव को, मेरे गीत !
पंडित , खूब सुनाते आये !
पर नन्हे हाथों की करनी
पर, मुझको विश्वास न आये
तेरे महलों क्यों न पहुँचती
ईश्वर, मासूमों की चीख !
क्षमा करें, यदि चढ़ा न पायें अर्ध्य, देव को, मेरे गीत !
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