डॉ अमर ज्योति के जन्मदिन पर प्यार सहित ....
आइये एक अनूठे शायर के बारे में बात करते हैं ....सर्वहारा वर्ग और समाज के लिए, इनकी तीखी कलम से जो रचनाएं दी गयी है, वे अमर और अमूल्य हैं ! आधुनिक समय में जब एक से एक बेहतरीन रचनाकार इन्टरनेट के कारण आसानी से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में समर्थ है ! उस समय भी डॉ अमर ज्योति अपने तीखे और सूफियाना अंदाज़ के कारण अलग ही खड़े नज़र आते हैं !
हिंदी, इंग्लिश में एम. ए. तथा इंग्लिश में पी एच डी डॉ अमर ज्योति एक बैंक अधिकारी हैं !
डॉ अमरज्योति " नदीम " का प्रथम ग़ज़ल संग्रह "आँखों में कल का सपना है " का लोकार्पण कवि सम्राट गोपालदास नीरज के हाथों पिछले वर्ष किया गया है !
इस लेख की शुरुआत "अम्मा " की याद से करते हैं , कितनी तड़प है इस रचना में माँ को याद करते समय इनके भाव देखिये .....
सर्दी में गुनगुनी धूप में , ममता भरी रजाई अम्मा ,
जीवन की हर शीत लहर में बार बार याद आई अम्मा
बासी रोटी सेंक चुपड़ कर , उसे परांठा कर देती थी ,
कैसे थे अभाव और क्या क्या करती थी चतुराई अम्मा
बरसात का मौसम कुछ लोगों के लिए दुखदायी भी होता , अमर ज्योति अपनी नज़र से वह देखते हैं जो शायद बहुत कम लोगों को ही दिखता होगा !
बदली के छाने से, मोरों के आने से,
दहशत सी होती है सावन के आने से
सारे फुटपाथों पर ,पानी भर जाता है !
रात भर भटकते हैं बिस्तर छिन जाने से
सर्वहारा वर्ग के लिए उनकी लेखनी द्वारा खींचे गए चित्र दिल में एक टीस पैदा करते हैं !
"दूर से ही सुनीं वेदों की ऋचाएं अक्सर
यज्ञ में तो कभी शम्बूक बुलाए न गए
इसी बस्ती में सुदामा भी किशन भी हैं नदीम
ये अलग बात है मिलने कभी आये न गए "
इनकी एक ग़ज़ल में दर्द की थाह नहीं मिलती ....
"तुम तो कहते थे हर रिश्ता टूट चुका
फिर क्यों रोये रातों की तन्हाई में "
राजा लिख रानी लिख
फिर से वही कहानी लिख ..
"अबकी बार दिवाली में जब घर आयेंगे मेरे पापा
खिल मिठाई दिए फुलझड़ी सब लायेंगे मेरे पापा "
"वो ठहाके बहुत लगता था
दर्द दिल में छिपा रहा होगा "