Wednesday, August 11, 2010

कुत्तों का फैसला - सतीश सक्सेना

भारत के पूरे कुत्ता समुदाय के लिए डूब मरने की घटना हो गयी कि गिरिजेश राव को एक मासूम पामेरियन ने काट लिया   ! जूली  डार्लिंग को यह नहीं पता था कि जिसे वह अपने घर में अतिक्रमण करते, दो पैर का कुत्ता समझ कर काटने जा रही है, वह गिरिजेश राव हैं एक बहुत बड़े ब्लागर  और इस खरोंच लगने के कारण वे जानवरों से प्यार करते कुत्ते नुमा इंसानों पर एक पूरी पोस्ट लिख कर यह साबित कर देंगे कि उन्हें कुत्तों जैसे उन इंसानों से भी डर लगता है जो रोज सुबह कुत्तों के साथ ही खाते पीते हैं ! 
खैर मुझे गिरिजेश राव की यह पोस्ट पढ़कर बड़ा गुस्सा आया जूली पर ,कि इस बेवकूफ जूली  ने कुत्तों के साथ, हमें भी बदनाम कर दिया और गूफी ( मेरा जर्मन शेफर्ड ) को अपने दरवार में हाज़िर होने की आवाज लगायी आखिर कुत्तों का सरदार मैंने पाला हुआ है या पता नहीं उसने मुझे पाला है !
गूफी ने सारी कहानी सुनने के बाद , जूली  का पक्ष जानने के लिए, एक दिन की मोहलत मांगी कि आयोग बैठाना है और जूली  -गिरिजेश राव प्रकरण के गवाहों से बात भी करनी है !
अगले दिन कोने के पार्क में , मज़बूत बदन वाले और गंभीर मगर इंसानों की सोहबत पसंद करने वाले गूफी ( जर्मन शेफर्ड ) की अध्यक्षता में एक मीटिंग हुई जिसकी सेक्रेटरी  एक लेब्राडोर कुतिया को बनाया गया जो कि इंसानों को प्यार करने के लिए मशहूर है ! प्रधान और सेक्रेटरी के चुनाव पर रॉटवेलर, बुलमॉसटिफ और डाबरमैन ने यह कहते हुए विरोध किया  किया कि इन पोस्टों के लिए ,हमारा नाम इसलिए नहीं लिया गया क्योंकि गूफी का मालिक सतीश सक्सेना , गिरिजेश राव का दोस्त है और हमारी जाति को बदनाम करने के लिए कमेटी में सीधे साधे कुत्तों को लेकर , जूली को सज़ा दिलाना चाहता  हैं ! इन तीनों ने यह भी धमकी दे डाली कि अगर जूली डार्लिंग को कुछ भी कहा गया तो हम गिरिजेश राव से सीधे निबटेंगे ! 
 मगर गूफी ने उनकी आपत्ति यह कहते हुए खारिज कर दी कि यह  एग्रेसिव कुत्तों को न लेने की सावधानियां  इसलिए  भी जरूरी थीं कि कोई इंसान यह न कह सके कि गिरिजेश राव के साथ कुत्तों ने न्याय नहीं किया !

पूरे दिन चली मीटिंग में निम्न बातें निकल कर सामने आयीं !..
१. इस घटना के समय बुद्धिमान जूली  को गिरिजेश राव की संदेहात्मक हरकतें पसंद नहीं आई थीं और ऐसी हरकतें पूरी कुत्ता कौम को बदनाम करती हैं ..जूली  के वकील का यह सबसे महत्वपूर्ण कथन था !
२.हद तो तब हो गयी जब जूली  को यह पता चला कि गिरिजेश राव एक ब्लागर है अगर यह जूली  को पहले ही मालूम होता तो वह उसे घर में ही न घुसने देती और यह हादसा टाला जा सकता था !
३.गिरिजेश राव अपने अधिकतर कुत्ता प्रेमी पड़ोसियों  को, कुत्ता समझते रहे हैं , यह देख सभी कुत्तों में उनके प्रति बरसों से ,बहुत गुस्सा था  और मौके की तलाश में थे !
४. शुक्र मानना चाहिए कि वे जूली डार्लिंग के घर गए जिसकी दंतुली ही चावल के दानों जैसी थी  अगर प्रवीण पाण्डेय अथवा सतीश सक्सेना से मिलने गए होते तब उन्हें पता चलता कि कुत्ते( जर्मन शेफर्ड ) और कुत्तों को पालने वाले (प्रवीण पाण्डे , सतीश सक्सेना ) कुत्ते कैसे होते हैं ! यहाँ तो मालिक भी काटने वालों में से हैं !
कुत्तों की मीटिंग से निकले यह रहस्योदघाटन, सुनकर सन्न हूँ समझ नहीं आता गिरिजेश राव को कैसे  तसल्ली  दी जाये ! 
( कृपया इस पोस्ट को गंभीर न लें यह महज़ हास्य है ! गिरिजेश राव जी से क्षमा याचना सहित  :-) )

27 comments:

  1. अरे आपने तो मीटिंग की पूरी रपट ही रख दी .... बड़े उम्दा रिपोर्टर हैं आप .... हा हा हा ....आभार

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  2. h...h...h...haa....ha....ha...nice...

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  3. यही प्रश्न मैने अपने श्वानों के समक्ष रखा। एक ने तुरन्त अपने दोनो अगले पैर उठाकर मेरे वक्ष पर टिका दिये। अर्थ स्पष्ट था कि यदि जूली को कुछ भी कहा तो मालिक तुम गये काम से। दो बिन्दु बताये।
    पहला तो यह जूली जैसी श्वानिकायें तो केवल पुचकारने के लिये होती हैं, काटने का एकाधिकार हमारा है। अवश्य आत्मरक्षा में दाँत चलाये गये होंगे जूली ने।
    दूसरा कि आपके ब्लॉग में उतर जाने के बाद हमें आपका प्यार मिलना कम हो गया है। हम पर ब्लॉग लिख भले ही आप कितना ही प्यार दिखाने का प्रयास कर लो पर ब्लॉगर श्वान-समाज के लिये असह्य हो गये हैं।

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  4. ha ha ha ha ha ............Very Hilarious post.It is beyond imagination.Too good depict

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  5. विडम्बना!!
    श्वानजगत में अपने खिलाफ़ प्रतिक्रिया को भी स्थान नहिं।
    अपने वाहन के पक्ष में कहीं भैरव देव भी मैदान में न आ जाय।

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  6. विडम्बना!!
    श्वानजगत में अपने खिलाफ़ प्रतिक्रिया को भी स्थान नहिं।
    अपने वाहन के पक्ष में कहीं भैरव देव भी मैदान में न आ जाय।

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  7. मनोरंजक. आभार.

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  8. सतीश भाई,
    गूफ़ी ने एक प्रस्ताव और भी पारित कराया है....जिसे आपने चालाकी से इनसान होने की वजह से छिपा दिया...ये प्रस्ताव है कि अगर भूल से भी किसी ने कुत्ते की तुलना इनसान से करने की कोशिश की या किसी कुत्ते को इनसान कहा तो उसे इंटरनेशनल कुत्ता कोर्ट में अवमानना का मुकदमा भुगतना पड़ेगा...

    एक प्रस्ताव ये पारित किया गया कि वार क्राइम के लिए और न जाने कितने शहीद कुत्तों का खून हर फिल्म में पीने वाले धर्मेंद्र पर महाभियोग चलाया जाए...ताकि फिर कोई ये कहने की ज़ुर्रत न कर सके...कुत्ते, कमीने, मैं तेरा ख़ून पी जाऊंगा...

    जय हिंद...

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  9. आपने तो बहुत बड़े-बड़े नाम लिख दिए हैं भाई हम तो एकदम से डर गए हैं आपके राजकुमार और राजकुमारी से। हमारी तो सात पीढी भी इन्‍हें अपशब्‍द नहीं कहेगी। आप हमारी तरफ से ही इन्‍हें प्‍यार कर लें। खुदा खैर करे।

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  10. चिहुआऊआँ ने भी तो कुछ कहा होगा -कैसे भयंकर भयंकर प्राणी पाल रखे ही आपने भी -दुर दुर !

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  11. ब्लॉगर श्वान-समाज के लिये असह्य हो गये हैं- इसमें से श्वान अलग भी कर दें, तो भी कथ्य न सिर्फ प्रमाणित ही रहेगा बल्कि व्यापकता भी आ जायेगी. :)

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  12. @ सतीश जी ,
    मेरे ख्याल से पशु प्रेम और अप्रेम के बीच दोनों ही पोस्ट गैरज़रुरी आक्रामक्ता के साथ छापी गई हैं ! शायद इन्हें (दोनों को) सौम्यता के साथ छापना उचित होता ! पर यह आप दोनों की अपनी निजता और अधिकार है कि क्या और कैसे करें !
    आदर सहित !

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  13. ..गिरिजेश राव अपने अधिकतर कुत्ता प्रेमी पड़ोसियों को, कुत्ता समझते रहे हैं , यह देख सभी कुत्तों में उनके प्रति बरसों से ,बहुत गुस्सा था और मौके की तलाश में थे !..
    ...यह कारण एकदम सही लग रहा है. मेरा 'सुंदर'
    भी यही कह रहा था.
    .. हा..हा..हा..सुई तो लगाना ही पड़ेगा, मन चाहे डा0 दराल से पूछ लें.

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  14. @ अली साहब,
    आपका शुक्रिया प्रतिक्रिया देने के लिए , गिरिजेश राव आदरणीय है और मैं उनके सम्मान करने वालों में शामिल हूँ यकीन करें ! उनकी पोस्ट का शीर्षक निस्संदेह चौंकाने वाला था और उनकी जैसी शख्शियत वाले से उम्मीद नहीं की जा सकती थी मगर उनकी पोस्ट की खासियत थी कि उसमें व्यंग्य पुट अच्छा भला था अतः कडवाहट बहुत कम हो गयी थी !

    अतः उनकी पोस्ट पढ़ कर सोचा क्यों न एक मज़ाक हो जाए और इस उम्मीद के साथ कि वे बुरा नहीं मानेंगे यह हास्य लिखा गया !अगर भावना हंसने की हो तो यह बुरा लेख नहीं है !इस पोस्ट का उद्देश्य उनका दिल दुखाने का तो बिलकुल नहीं है !

    अफ़सोस है कि उन्होंने कमेंट्स नहीं दिया यकीन मानिए कि अगर उन्हें बुरा लगा हो तो मैं इसे अविलम्ब हटाने में बिलम्ब नहीं करूंगा !

    हमें आभासी जगत में ईमानदार तो होना ही चाहिए !

    सादर

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  15. हा हा हा कमाल है। शुभकामनायें।

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  16. धन्यवाद। वह व्यंग्य ही है - उन लोगों के ऊपर जो जानवर पालते हैं लेकिन इंसानों की परवाह नहीं करते। उस पोस्ट में मनुष्यों की 'इंसान' श्रेणी भी बताई गई है जो कुत्ता पालती है और उसे सभ्याचरण की सीख देती है, खुद बिगड़ नहीं जाती। उस पोस्ट के शीर्षक को एक बार पुन: ध्यान से पढ़ें - समझ में आ जाएगा।
    इस संसार में कुछ भी मनुष्य से महत्त्वपूर्ण नहीं है।
    ब्लॉगर कैसा जो आम सी घटना को भी ऐसे न प्रस्तुत कर दे कि रंजन हो और सोचने को मजबूर हों!
    चलते चलते वहीं की टिप्पणी से:)
    कुत्ता चिंतन:
    मनुष्यतंत्र - कुत्ते मनुष्य के काबू में रहते हैं। वह उन्हें पट्टे पहना कर घुमाता, सू सू वगैरह कराता है।
    कुत्ता तंत्र - मनुष्य कुत्तों के काबू में रहते हैं। कुत्ते मनुष्य को घरों के अन्दर रहने को बाध्य कर देते हैं।
    क्रांति तंत्र - मनुष्य को इस अपराध के लिए फाँसी दे दी जाती है कि उसे कुत्ते ने काट लिया।
    आप किस तंत्र में रह रहे हैं?
    PS: यह 'बड़ा' 'छोटा' विशेषण कुत्तों और इंसानों को शोभा देते हैं, ब्लॉगरों को नहीं। ब्लॉगर तो बस ब्लॉगर होते हैं। है कि नहीं? :)

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  17. "मो सम कौन" का कमेन्ट :
    Saxena saahab,
    comment post nahin ho paa raha hai, jaane kyon, shaayad irrelevent lag raha ho google ko, ha ha ha.
    "हम तो खुद ये भुगत चुके हैं जी, बस राव साहब जैसे खुश्किस्मत नहीं कि किसी प्यारी सी, सुंदर सी और मासूम सी ने काटा हो।
    हम तो फ़िर भी यही कहेंगे कि जिसने काटा उसका भी भला और जिसको काटा उसका भी भला।

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  18. हा हा हा

    गज़ब की त्वरित प्रतिक्रिया

    अगर जूली डार्लिंग को कुछ भी कहा गया तो हम गिरिजेश राव से सीधे निबटेंगे !

    मैं तो डर गया :-)

    बी एस पाबला

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  19. अब हम क्या बोले ........एक हमारे घर भी पला हुआ है .........सो हम तो चुप ही रहेगे !

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  20. बस पढ़ कर आनंद ले लिया..कहना कुछ नहीं है....:)

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  21. बाप रे सक्सेना साहब ...
    आपके गुफी से बच के रहने में ही भलाई है...
    लेकिन आप उसे भी समझाइये अपनी जूली डार्लिंग को तरीके रखे...अब अगर हमारे किसी माननीय ब्लोगर को कुछ हुआ तो हम भी आपातकालीन बैठक बुलायेंगे...और फिर जो फैसला होगा हम उसके जिम्मेवार नहीं होंगे...
    हाँ नहीं तो..!!
    हा हा हा हा

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  22. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

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  23. प्रॉब्लम वो नहीं सक्सेना साहब जो आपने बताई , प्रॉब्लम ये है की कुत्ता समाज को शर्म ही नहीं आती ,. डूब मरना तो बहुत दूर की बात है ! अगर इन्हें ज़रा भी शर्म आती तो क्या ये देश के ३५००० करोड़ में से २५००० करोड़ खाने-खिलाने वाले का इस तरह दुम हिलाकर बचाव करते ? शर्म उन बेशर्मों को नहीं आ रही जो इस कुता समाज को पाल रहे है तो कुत्ता समाज को क्या आयेगी ?

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  24. सतीश जी मेरी नजर में तो आपका और राव साहब दोनों ही के लेख बेहतरीन व्यंग थे और मैंने दोनों का ही मजा लिया.

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  25. आहा क्या मज़ेदार--क्या ढंग से चोट दिया आपने--कुत्ते समाज को इतने गम्भीरता से आपने समझा है --बेचारों सही कुत्तों का क्या होगा?--बेमिशाल आपका ये व्यंग है।

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  26. हमको तो पिछले साल बन्दर ने काट खाया था. हम किसको दोष दें :)

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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