कुछ दिन पहले अपने भतीजे की सगाई समारोह में अपने खींचे हुए फोटोग्राफ्स देखते देखते एक फोटो पर निगाह पडी तो उसे देखता ही रह गया ! वास्तविक जीवन में स्नेह प्रदर्शन का यह दुर्लभ फोटो आज के समय में असंभव जैसा है ! सास बहू के मध्य प्यार की कोई कमी नहीं अपने देश में मगर दोनों के चेहरे पर प्रथम मिलन की ऐसी ख़ुशी , इस चित्र को दुर्लभ बना देती है !
मानव फोटोग्राफी में विभिन्न मौकों पर, चेहरे की अभिव्यक्तियों का छायांकन मेरा बहुत पुराना शौक रहा है ! मगर ऐसी स्वाभाविक अभिव्यक्ति यहाँ मिलेगी, मैंने यह कल्पना भी नहीं की थी !
इस चित्र में सास अपनी होने वाली बहू का स्वागत ,समारोह स्थल के द्वार पर कर रही हैं , एक हाथ में स्वागत थाल पकडे ,बहू को कुंकुम लगाती आँखों का स्नेह , बरसों की प्रतीक्षा, पूरी होने की साफ़ साफ़ सन्देश दे रहा है !
और दूसरी ओर "अम्मा मैं आ गयी " सन्देश देती ख़ुशी में अश्रुपूरित यह ऑंखें , इस फोटो को अनमोल बना गयी !
किसी भी फोटोग्राफर के लिए, प्यार की यह स्वाभाविक अभिव्यक्ति ,कैमरे में ठीक समय पर कैद करना लगभग असंभव सा हो जाता है !
काश टी वी सीरियल पर सास बहुओं को आपस में लड़ाते हमारे प्रोडयूसर ,डायरेक्टर तथा लेख़क ऐसे स्नेह को महसूस कर सकें !
मानव फोटोग्राफी में विभिन्न मौकों पर, चेहरे की अभिव्यक्तियों का छायांकन मेरा बहुत पुराना शौक रहा है ! मगर ऐसी स्वाभाविक अभिव्यक्ति यहाँ मिलेगी, मैंने यह कल्पना भी नहीं की थी !
इस चित्र में सास अपनी होने वाली बहू का स्वागत ,समारोह स्थल के द्वार पर कर रही हैं , एक हाथ में स्वागत थाल पकडे ,बहू को कुंकुम लगाती आँखों का स्नेह , बरसों की प्रतीक्षा, पूरी होने की साफ़ साफ़ सन्देश दे रहा है !
और दूसरी ओर "अम्मा मैं आ गयी " सन्देश देती ख़ुशी में अश्रुपूरित यह ऑंखें , इस फोटो को अनमोल बना गयी !
किसी भी फोटोग्राफर के लिए, प्यार की यह स्वाभाविक अभिव्यक्ति ,कैमरे में ठीक समय पर कैद करना लगभग असंभव सा हो जाता है !
काश टी वी सीरियल पर सास बहुओं को आपस में लड़ाते हमारे प्रोडयूसर ,डायरेक्टर तथा लेख़क ऐसे स्नेह को महसूस कर सकें !
सच कहा सतीश जी, सही समय पर क्लिक हो जाए तो फोटो यादगार बन जाते हैं.
ReplyDeleteयहां भी कुछ ऐसे ही लम्हे कैद हैं
http://www.facebook.com/album.php?aid=15235&id=100001354461670
देखिए तो सही
आज आपकी कई पोस्ट पढी, बहुत अच्छा लगा.
wondefful...
ReplyDeleteएक अनोखे स्नेह और विश्वास की अभिव्यक्ति......
ReplyDeleteregards
सतीश भाई सचमुच जो आपने कैमरे में कैद किया है वह दुर्लभ दृश्य है। पर माफ करें, जो बात आपने शब्दों में लिखी है,वह उनके चेहरे से बयान हो रही है,आंखें तो उसमें नजर आ ही नहीं रहीं। इसलिए -आंखों का स्नेह -या -अश्रुपूरित यह आंखें- शब्द आपके बयान में फिट नहीं बैठ रहे हैं।
ReplyDeleteसतीशजी, इस रिश्ते में बहुत मिठास है ना जाने क्यों इसे बदनाम कर दिया गया है। इसी कारण सास भी और बहु भी पूर्वाग्रह पाल लेती है। लेकिन जब स्थितियां साफ होती हैं तब तक थोड़ी कडुवाहट रिश्ते में आ जाती है। एक माँ से पूछेंगे कि उसके जीवन का सबसे हसीन क्षण कौन सा है तो वो यही कहेगी कि जब बेटा बहु को लेकर आता है। मेरी एक कविता की कुछ पंक्तियां देखिए -
ReplyDeleteतुम गठजोड़े में लिपटे हो
मेंहदी के हाथ लिए हाथों में
हल्दी के पैरों की पद छाप
दिखायी देती मेरे आंगन में
हर ओर बज रही शहनाई
मेरे घर के हर कोने में
मैं आज मनाऊँ इस दिन को
उस पल का इंतजार लिए मन में।
यह कविता बेटे को जन्मदिन पर लिखकर दी थी।
नहीं ऐसा नहीं है कि टीवी सीरियल सिर्फ सास बहु को लड़ते ही दिखाते है प्यार भी दिखाते है पर दोनों ही अति कि हद तक होता है जो वास्तविक नहीं होता है | रही बात सास बहु के झगडे की तो मुझे लगता है कि इस विषय को जरूरत से ज्यादा तुल दिया जाता है घर में तो माँ बेटी बाप बेटे में भी झगडा होता है पर हम उसको सामान्य मानते है तो सास बहु के तकरार को सामान्य क्यों नहीं मानते | कहा भी गया है कि जहा चार बर्तन होंगे तो आपस में टक्करायेंगे ही |
ReplyDeleteसही समय पर क्लिक हो जाए तो फोटो यादगार बन जाते हैं.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर फोटो है, आभार
ReplyDeleteसास-बहू दोनों को शुभकामनायें
यह स्नेह ताउम्र बना रहे
प्रणाम
फोटोग्राफर को केवल कैमरे का ही ज्ञान नहीं होता है वरन मनुष्य और समाज की भावनाओं का भी ज्ञान होता है |
ReplyDelete@ राजेश उत्साही ,
ReplyDeleteबड़ी तेज निगाह है यार , अगर बात शब्दों से की जाए तो आपने ठीक कहा है मगर यह फोटो मेरा द्वारा लिया गया है, और आँखों की भावाव्यक्ति फोटो से दिखाई ना पड़े पर मैंने देखा है सो व्यक्त किया ! आपका आना अच्छा लगता है राजेश भाई ! आभार !
सतीश भाई,
ReplyDeleteये विडंबना ही है हमारे सामाजिक परिवेश की...सास-बहू का स्नेह कहीं दिखता है तो वो दुर्लभ फोटो के रूप में यादगार बन जाता है...ये इतना स्वाभाविक क्यों नहीं होता जितना मां और बेटी का स्नेह, जो हर पल एक-दूसरे के लिए दिखता है...बात तभी बनेगी जब सास दिल से बहू को बेटी और बेटी सास को मां माने...फिर उस रिश्ते का अहसास जीवन में इतना रच-बस जाएगा कि कभी हमें फोटो के तौर पर सास-बहू के प्यार को दुर्लभ पल को दर्शाने की ज़रूरत नहीं रह जाएगी...काश आपके इस तरह के लेखन से ही हमारी सोच में कुछ बदलाव आए...
(आजकल व्यस्तता के चलते रेगुलर कमेंट देने नहीं आ पा रहा हूं...आप बड़े भाई हैं, इसलिए आप पर हक़ बनता है)
जय हिंद...
बहुत बढ़िया भाव हैं सतीश जी ,सच में चित्र दुर्लभ है
ReplyDeleteइस लिए नहीं कि दोनों के चेहरे पर स्नेह और आदर के भाव हैं बल्कि इस लिए कि आप ने तस्वीर बहुत सही समय पर ,natural तरीक़े से खींची है,जिस के भाव सद्भावना ,स्नेह और आदर के प्रतीक हैं
बहुत सुंदर!
सुन्दर भावनाओं को व्यक्त करती अच्छी फोटोग्राफी
ReplyDeleteaankhon se bhare neh ko kaid karna kaha aasaan hota hai, pyaari tasweer
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी आपकी पोस्ट .. और चित्र देखकर तो मन पलकित हो गया .. पर वास्तविक जीवन के लंबे अनुभव के आधार में मैं इतना तो अवश्य कह सकती हूं कि .. बिल्कुल शुरूआती दौर में सास और बहू के मध्य चाहे जितना भी प्यार क्यूं न देखने को मिले .. पर कालांतर में ये संबंध किसी न किसी प्रकार की गलतफहमी के चपेट में आ जाते हैं .. खासकर जहां एक पक्ष भावनात्मक तौर पर कमजोर हो .. और अधिकांश जगह ऐसा हो ही जाया करता है .. अर्थ का पक्ष भी आजकल बहुत मायने रखने लगा है .. जिसका पारिवारिक मामलों मे कोई असर नहीं रहना चाहिए !!
ReplyDeleteदुर्लभ दृश्य है।
ReplyDeleteएक दुर्लभ दृश्य
ReplyDeleteसतीश भाई सहमत हूं। थोड़ी मेहनत और करते तो यह आपकी आंखों और कैमरे द्वारा देखे गए प्रसंग की यादगार रचना बन जाता। पर इसमें कोई शक नहीं है कि फोटो यह बयान कर ही रहा है कि उन दोनों के बीच स्नेह का मजबूत धागा बुना जा रहा है।
ReplyDeleteऔर सतीश भाई आपको अच्छा लगता है इसीलिए चले आते हैं और कह भी जाते हैं,जो कहना होता है। आभारी हूं।
सच मे बहुत सुन्दर व दुर्लभ चित्र है।
ReplyDeleteआशा है ध्यान देंगी !
ReplyDeleteयह सम्बोधन है भाई जान आपका मेरे लिए. मेरा लिंग परिवर्तन कब हुआ, इसका ज्ञान-भान मुझे तो नहीं हुआ लेकिन दिल्ली वालों को पुख्ता यकीन तो है ही, उस यकीन के साथ सम्बोधन तक स्त्रियों वाले दिए जा रहे हैं. ऊपर वाला मेरे हाल पर रहम करे. सतीश भाई, आप ज्योतिष भी जानते हैं ना.
** अब आते हैं आपके दुर्लभ फोटो की तरफ-
अब भी बहुत सी सास-बहुएं हैं जो माँ-बेटी की तरह रहती हैं. मैं ने अपनी माँ का बहुओं के साथ व्यवहार देखा है. मेरी बहनों को शिकायत पैदा हो गयी थी कि अम्मा को बहू मिली तो बेटियों को भूल गईं.
फिलहाल, आपके फोटो में हर्ष मिलन का जो सम्मिश्रण नजर आता है क्या ऐसा नहीं हो सकता कि सास मन ही मन यह सोच कर प्रसन्न हो कि आ गया मेरा शिकार.
दूसरी तरफ बहू इस ख्याल में मग्न हो कि अब आएगा ऊँट पहाड़ के नीचे.
फिर भी, यह चित्र इस बात का जीता जागता सबूत है कि मानवता-प्रेम-स्नेह की अभी मौत नहीं हुई और हमारे, भारतीय समाज में इंसानियत अब भी जिंदा है.
aapke alag alag tarah ke posts, sach me hame apka FAN/AC bana gaye.......:)
ReplyDeleteaap sach me dharoghar ho sir, ham blogger ke liye..:)
"when you receive something unexpectedly makes you speechless for a moment"
ReplyDeleteSatishji today I am in that state because of you ! Esp the photograph captured, speaks the moment , looking at each others eyes with a smile, shared many things…
Being a simple normal house wife I cannot raise to the level of these persons who are learned scholars & lead a name & fame in society. I am not used to blogging or give comment; today I am here to write a few lines. Thanks Satishji !
Myself & my new addition member to our family Daughter (in-law) is showered blessings from all corners of the world. I will definitely want to maintain a relation as mother daughter.
Also here I will like to say that Daughter in law cannot be replaced in place of a daughter, Yes she will plant herself in this new place, & grew slowly into a big tree,with buds, flower & fruit in course of time. As plants need sunshine & water to grow. Here i she will need support & love from all family members more than we give our daughter. This relation is two side of coin.
I , Thank one & all for your views & Blessings
Vaah! bahut badhiya satish ji
ReplyDeleteसुन्दर तस्वीर ..!
ReplyDeleteतस्वीर में नजर आ रहा स्नेह व्यवहार ताउम्र बना रहे ...!
अच्छी तस्वीर खींची है ।
ReplyDeleteयही कामना है कि ये प्यार शादी के बाद भी बना रहे ।
बड़े भाई... हमारे यहाँ यह मुद्रा प्रेम/स्नेह प्रदर्शन की उनिवर्सल मुद्रा है... दाहिने हाथ की चारों उँगलियों को समेटकर, अपनी तर्जनी से ठोड़ी के नीचे हाथ जमाकर..बस चेहरे को ज़रा सा ऊपर करके कहना, “अले ले ले! कितनी प्याली लग रही है मेरी बिटिया रानी.” लेकिन यह घटना इतनी क्षणिक होती है कि इसको क़ैद करना सचमुच एक यादगार लम्हे को क़ैद करने जैसा है. हमरी पूरबिया ज़ुबान में कहें तो गूलर का फूल हाथ लग गया है आपके!!
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन और एकदम उचित समय पर ली गई तस्वीर है...... बेहतरीन!
ReplyDeleteतस्वीर इतनी ज़बरदस्त है कि चेहरे के भाव और मौके की ख़ुशी महसूस की जा सकती है....
सही कहा आपने. ये दुर्लभ क्षण होते हैं और ऐसा चित्रांकन भी बहुत मुश्किल है. सास बहु में आजन्म स्नेह बना रहे, यही मेरी कामना है., हमारे द्वारा आज ही खींचे एक चित्र को भेज रहा हूँ (इमेल से)
ReplyDeleteफ़ोटो और थीम तो बहुत सुंदर और शिक्षादायक है. यह किसी ब्लागर सास बहु का फ़ोटो तो हो ही नही सकता:)
ReplyDeleteरामराम.
सुन्दर और एकदम नेचुरल तस्वीर.
ReplyDeleteगुरुदेव... शटर स्पीड केतना था कि एतना आत्मीय छन भी धरा गया कैमेरा में!! अंगरेजी में ग्रेट वर्क!!!
ReplyDeleteसतीश जी ,बहुत सुन्दर क्षण को पकड़ा है आपने यह पहला क्षण ही हृदय में भावी संबंधों की नींव बन जाता है .
ReplyDelete20वर्ष पहले पुत्र के विवाह पर वधू के स्वागत-हेतु मेरी कविता का अंश,यही भाव लिए हुए -
*
द्वार खडा हरसिंगार फूल बरसाता है
तुम्हारे स्वागत में ,
पधारो, प्रिय पुत्र- वधू !
ममता की भेंट लिए खडी हूँ कब से ,
सुनने को तुम्हारे मृदु पगों की रुनझुन !
सुहाग रचे चरण तुम्हारे , ओ कुल- लक्ष्मी ,
आएँगे यह देहरी पार कर सदा निवास करने यहाँ .....
जो कुछ मेरा है तुम्हे अर्पित !
ग्रहण करो आँचल पसार कर ,प्रिय वधू ,
समय के झंझावातों से बचा लाई हूं जो ,
अपने आँचल की ओट दे ,
सौंपती हूँ तुम्हें -
उजाले की परंपरा !
ले जाना है तुम्हे
और उज्ज्वल ,और प्रखर ,और ज्योतिर्मय बनाकर
कि बाट जोहती हैं अगली पीढियाँ !
.......
*
और यह कविता सार्थक हुई है!
चित्र का यह स्नेहिल क्षण आजीवन पल्लवित होता रहे !
- प्रतिभा.
sahi baat bhai ji......or haan beech me charcha n ho saki par white wine swad nahi lagi...
ReplyDeleteसही समय पर क्लिक हो जाए तो फ़ोटो यादगार बन जाती है ........इस एक वाक्य के अलावा सब कुछ धुंधला पड गया है । और यकीनन कि क्लिक तो समय पर ही हुआ है ...........बेहतरीन पोस्ट सतीश भाई
ReplyDeleteबहुत कम अवसरों पर फिजिक्स ऐसी केमिस्ट्री को फ्रेम कर पाता है!
ReplyDeleteआभार और बधाई।
आपने एक यादगार लम्हे को कैद किया है ......स्नेह हो भी तो उसे दर्शाने के मौके बहुत कम मिलते है .....या बहुत बार संकोचवश हम स्नेह प्रदर्शित नहीं करते ......एक बात याद आ रही है---मेरी बेटी जब पढने के लिए मुझसे दूर दूसरे शहर गई तो फ़ोन पर बात होती थी....बात खतम करते समय वो हमेशा कहती ---"love you mom"और मैं "ह्म्म्म्म" कर देती..........उसे शिकायत रहती --आप नहीं बोल सकते ?........और सच मे जब मैने कहना शुरू किया " me too " तो इतनी खुश हो गई वो, मैं बता नहीं सकती ......इसी तरह मैनें देखा है हम बच्चों के बड़े होने पर उनसे थोड़ी दूरी बनाकर रखते हैं------पर यकीन मानिये एक जादू की झप्पी बहुत असरदार होती है ---- जिंदगी भर के लिए -------
ReplyDeleteआपने एक यादगार लम्हे को कैद किया है .....
ReplyDeleteदोनों को शुभकामनायें. यह स्नेह ताउम्र बना रहे
आपने एक यादगार लम्हे को कैद किया है .....
ReplyDeleteदोनों को शुभकामनायें. यह स्नेह ताउम्र बना रहे
बहुत ही सुंदर जी. धन्यवाद
ReplyDeleteGOOD FOTO + GOOD EMOTION
ReplyDeleteसुन्दर!
ReplyDeleteयह चित्र जो बखान कर रहा है, हजारों शब्द न कर पायें। यह चित्र ही अपने आप में पोस्ट है।
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteराजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
मोहक!
ReplyDeleteदेर तक फोटोग्राफ को देखते रहने का मन करता है ,. जैसे कोई रोचक पुस्तक हो और रोचकता खत्म ही न होती हो... अच्छा लगा देख कर ... वैसे सास बहुवों के रिश्तों मे अब काफी बदलाव आ रहे हैं ... बजह कुछ भी हो
मोहक!
ReplyDeleteदेर तक फोटोग्राफ को देखते रहने का मन करता है ,. जैसे कोई रोचक पुस्तक हो और रोचकता खत्म ही न होती हो... अच्छा लगा देख कर ... वैसे सास बहुवों के रिश्तों मे अब काफी बदलाव आ रहे हैं ... बजह कुछ भी हो
पिक्चर सच में आपने अच्छे लिए हैं--चेहरे के भाव स्पष्ट हैं।
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