जाने कितने ही बार हमें, मौके पर शब्द नहीं मिलते !
अहसासों के आवेगों में जिह्वा को शब्द नहीं मिलते !
अहसासों के आवेगों में जिह्वा को शब्द नहीं मिलते !
सदियों बीतीं हैं यादों में , क्यों मौन डबडबाईं आँखें
अरसे के बाद मिले जाना, इतने निशब्द, नहीं मिलते !
उस दिन घंटों की बातें भी मिनटों में कैसे निपट गयीं
मिलने के क्षण जाने कैसे मनचाहे शब्द नहीं मिलते !
उस दिन घंटों की बातें भी मिनटों में कैसे निपट गयीं
मिलने के क्षण जाने कैसे मनचाहे शब्द नहीं मिलते !
कितना सब कहना सुनना था, पर वाणी कैसे मौन रहीं
दुनिया के व्यस्त बाज़ारों में, इतने अशब्द नहीं मिलते !
हर बार मिले तो आँखों की भाषा में ही प्रतिवाद किये
दुनिया के व्यस्त बाज़ारों में, इतने अशब्द नहीं मिलते !
हर बार मिले तो आँखों की भाषा में ही प्रतिवाद किये
कैसे भी अभागे हों जाना , इतने प्रतिबद्ध नहीं मिलते !