मैं बचपन से मांस नहीं खाता , मगर मैंने इसे कभी अभक्ष्य नहीं माना क्योंकि विकिपीडिया के अनुसार विश्व में 91 प्रतिशत लोग मांसभक्षी हैं , मेरे अपने देश में भी मांसभक्षियों का प्रतिशत 71 है मगर हम अक्सर मांस भक्षियों को अजीब तरह से देखते हैं जबकि विश्व में बहुमत उन्हीं का है , हम जानवरों के शरीर से निकला कच्चा दूध, उनके बच्चों से छीनकर आसानी से पी जाते हैं और उसे नॉनवेज नहीं मानते यही हमारी अविकसित मन की दशा है ! साइंटिफिक नजरिये से मिल्क एक नॉनवेज प्रोडक्ट है क्योंकि उसका मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर और डीएनए वही है जो सिर्फ जानवरों में पाया जाता है , अण्डों की तरह ही जानवरों के दूध में भी जानवरों की चर्बी बहुतायत में होती है , इसी लिए यह भी नॉनवेज ही माना जाएगा ! जिस शुद्ध घी को हम तथाकथित नॉन वेजिटेरियन, बिना परेशान हुए शौक से खाते हैं वह वास्तविक में जानवरों के शरीर की चर्बी है जिसे हम वेजिटेरियन समझ कर बचपन से खा रहे हैं हालांकि प्रकृति ने उसे जानवरों के बच्चों के लिए बनाया है !
इसी तरह से शराब के बारे में हम मानसिक अवरुद्धता और नासमझी के शिकार हैं , हालाँकि यह सच है कि शराब सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है , जबकि विश्व में अधिकांश विकसित देशों में वाइन, बियर, व्हिस्की हर शॉप पर चाय कॉफी के साथ आसानी से उपलब्ध है और उसका नियमित सेवन न अपराध है और न त्याज्य , हमारे यहाँ शायद ही कोई बचा होगा जिसने न पी हो बस फर्क इतना ही है कि हम सबने यह काम लोगों से और अपने परिवार से छिपा कर किया है , मगर सेवन सबने किया है , शायद इसी रोकटोक के कारण छिपकर और बेतहाशा पीने वालों की तादाद बढ़ी है ! मैंने जर्मनी , इटली , फ़्रांस ,स्पेन, स्विट्ज़रलैंड में एक भी व्यक्ति शराब पीकर लड़खड़ाते और बकवास करते नहीं देखा और जर्मनी में तो बियर गार्डन हैं जहाँ दस दस हजार लोग, एक साथ बैठकर बियर पीते हैं अधिकतर बियर गार्डन में बियर सर्विस , लड़कियों और महिलाओं के हाथ में होती है और किसी के साथ कोई बदसलूकी नहीं देखी जाती ! अति सर्वत्र वर्जयते सदियों से मान्य है , और अति वहीँ होती है जहाँ वर्जना अधिक हो मगर हम इसे सहजता से न देख सकते हैं और न समझ सकते हैं ! शराब की अति जहां जान लेने में समर्थ है वहीं सामान्य फ़ूड का हिस्सा मानने लेने पर इसका स्वस्थ उपयोग भी सम्भव है !
सेक्स अपराधों और शराब दुष्परिणामों के लिए हम विश्व में सबसे ऊपर के देशों में , माने जाते हैं , और उसका कारण केवल अज्ञानता है , जर्मनी में , मैं जिस किसी भी स्विमिंग पूल में तैरने जाता हूँ उनमें स्नान करने वाली, अंतरवस्त्रों में ही , खूबसूरत महिलायें अधिक होती हैं , मैंने एक भी पुरुष को उन्हें घूरते नहीं पाया जबकि हमारे देश में ऐसा होना एक अजूबा माना जाता और पुरुषों की वहां भरमार होती क्योंकि हमारे यहाँ, अपने घर में ही बिकिनी पहने हुए खुद की पत्नी को ही असहज होकर टोका जाएगा कि बच्चे क्या सोचेंगे , ऎसी मानसिकता हमारी अशिक्षा और अपरिपक्वता ही दर्शाती है और यही अशिक्षा हमारी असहजता का कारण है !
सो टिप्पणी करने से पहले, पोस्ट को एक बार ध्यान से पढ़ने का अनुरोध है , आशा है विचार होगा !
प्रणाम आप सबको !