Tuesday, August 9, 2022

मानसिक अवरोध -सतीश सक्सेना

मैं बचपन से मांस नहीं खाता , मगर मैंने इसे कभी अभक्ष्य नहीं माना क्योंकि विकिपीडिया के अनुसार विश्व में 91 प्रतिशत लोग मांसभक्षी हैं , मेरे अपने देश में भी मांसभक्षियों का प्रतिशत 71 है मगर हम अक्सर मांस भक्षियों को अजीब तरह से देखते हैं जबकि विश्व में बहुमत उन्हीं का है , हम जानवरों के शरीर से निकला कच्चा दूध, उनके बच्चों से छीनकर आसानी से पी जाते हैं और उसे नॉनवेज नहीं मानते यही हमारी अविकसित मन की दशा है ! साइंटिफिक नजरिये से मिल्क एक नॉनवेज प्रोडक्ट है क्योंकि उसका मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर और डीएनए वही है जो सिर्फ जानवरों में पाया जाता है , अण्डों की तरह ही जानवरों के दूध में भी जानवरों की चर्बी बहुतायत में होती है , इसी लिए यह भी नॉनवेज ही माना जाएगा ! जिस शुद्ध घी को हम तथाकथित नॉन वेजिटेरियन, बिना परेशान हुए शौक से खाते हैं वह वास्तविक में जानवरों के शरीर की चर्बी है जिसे हम वेजिटेरियन समझ कर बचपन से खा रहे हैं हालांकि प्रकृति ने उसे जानवरों के बच्चों के लिए बनाया है !

इसी तरह से शराब के बारे में हम मानसिक अवरुद्धता और नासमझी के शिकार हैं , हालाँकि यह सच है कि शराब सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है , जबकि विश्व में अधिकांश विकसित देशों में वाइन, बियर, व्हिस्की हर शॉप पर चाय कॉफी के साथ आसानी से उपलब्ध है और उसका नियमित सेवन न अपराध है और न त्याज्य , हमारे यहाँ शायद ही कोई बचा होगा जिसने न पी हो बस फर्क इतना ही है कि हम सबने यह काम लोगों से और अपने परिवार से छिपा कर किया है , मगर सेवन सबने किया है , शायद इसी रोकटोक के कारण छिपकर और बेतहाशा पीने वालों की तादाद बढ़ी है ! मैंने जर्मनी , इटली , फ़्रांस ,स्पेन, स्विट्ज़रलैंड में एक भी व्यक्ति शराब पीकर लड़खड़ाते और बकवास करते नहीं देखा और जर्मनी में तो बियर गार्डन हैं जहाँ दस दस हजार लोग, एक साथ बैठकर बियर पीते हैं अधिकतर बियर गार्डन में बियर सर्विस , लड़कियों और महिलाओं के हाथ में होती है और किसी के साथ कोई बदसलूकी नहीं देखी जाती ! अति सर्वत्र वर्जयते सदियों से मान्य है , और अति वहीँ होती है जहाँ वर्जना अधिक हो मगर हम इसे सहजता से न देख सकते हैं और न समझ सकते हैं ! शराब की अति जहां जान लेने में समर्थ है वहीं सामान्य फ़ूड का हिस्सा मानने लेने पर इसका स्वस्थ उपयोग भी सम्भव है ! 

सेक्स अपराधों और शराब दुष्परिणामों के लिए हम विश्व में सबसे ऊपर के देशों में , माने जाते हैं , और उसका कारण केवल अज्ञानता है , जर्मनी में , मैं जिस किसी भी स्विमिंग पूल में तैरने जाता हूँ उनमें स्नान करने वाली, अंतरवस्त्रों में ही , खूबसूरत महिलायें अधिक होती हैं , मैंने एक भी पुरुष को उन्हें घूरते नहीं पाया जबकि हमारे देश में ऐसा होना एक अजूबा माना जाता और पुरुषों की वहां भरमार होती क्योंकि हमारे यहाँ, अपने घर में ही बिकिनी पहने हुए खुद की पत्नी को ही असहज होकर टोका जाएगा कि बच्चे क्या सोचेंगे , ऎसी मानसिकता हमारी अशिक्षा और अपरिपक्वता ही दर्शाती है और यही अशिक्षा हमारी असहजता का कारण है !

सो टिप्पणी करने से पहले, पोस्ट को एक बार ध्यान से पढ़ने का अनुरोध है , आशा है विचार होगा !
प्रणाम आप सबको ! 

Friday, August 5, 2022

रनिंग, तत्काल आपकी जान लेने में समर्थ है -सतीश सक्सेना

अजीब अजीब मित्र हैं मेरे यहाँ, वे सिर्फ़ मेरे रनिंग फ़ोटो को देख कर कहते हैं कि मैं भी रनिंग करूँगा, न वे रनिंग के ख़तरों के बारे में जानते हैं और न जीवन में कभी रनिंग की ट्रेनिंग की, अगर मैं उन्हें समझाने की कोशिश करूँ तो भी पढ़ते ही नहीं केवल अपने जोश के बल पर रनिंग करने का विश्वास है उन्हें ! भारत में कम से कम पाँच रनर, हर वर्ष दौड़ते हुए अपनी जान दे देते हैं, वे या तो कम समय में अपने आपको रनिंग एक्स्पर्ट समझने लगते हैं और लगातार बेहतर करने के प्रयास में, दोस्तों से तालियाँ बजवाने में, जान चली जाती है जबकि वे बेहतरीन विद्वान थे, कुछ तो मशहूर डॉक्टर थे , फिर भी वे अपने शरीर की चीत्कार को नहीं सुन पाए और असमय चले गये वह भी उस रनिंग के कारण जो उनकी जान बचाने में सक्षम थी ! पिछली पोस्ट पर मैंने इन ख़तरों के बारे में विस्तार से लिखा है मगर यहाँ ध्यान से पढ़ता कौन है ?

खुद मैं पिछले एक वर्ष से न के बराबर दौड़ा हूँ , 2021 में २३०० किलोमीटर दौड़ने वाला मैं इस वर्ष अब तक केवल १७० किलोमीटर ही दौड़ा हूँ ! पिछले डेढ़ महीने से जर्मनी में हूँ और यहाँ के बढ़िया मौसम में भी, न के बराबर दौड़ा हूँ, अधिकतर वॉक या तैराकी में ही हिस्सा लिया जो कि लो इम्पैक्ट व्यायाम है क्योंकि मैं लगातार अपने शरीर से बात करता रहता हूँ , अगर शरीर अनमना है, या कोई समस्या है, तब नहीं दौड़ता, चाहे शरीर में कितनी ही फुर्ती क्यों न हो

हर किसी को यह पता रहना चाहिए कि रनिंग एक हाई इम्पैक्ट व्यायाम है , इसमें आपका हर गिरता कदम, आपके शरीर से तीन गुना वजन के इम्पैक्ट से टकराता है और ऐसा एक मिनट में २०० बार होता है, इतनी वेग से टकराने से आपके शरीर में भयंकर इम्पैक्ट पैदा होता है जो आपकी जान लेने में समर्थ है!

Thursday, August 4, 2022

माँ, तुम्हें भी स्वयं का, कुछ ध्यान रखना चाहिए -सतीश सक्सेना

डायबिटीज और हृदय के , विश्व में सबसे अधिक रोगी भारत में हैं , लगभग हर चौथा व्यक्ति इसका शिकार है , यह दोनों बीमारियां परोक्ष में पता ही नहीं चलती , मगर धीरे धीरे शरीर को जकड़ती जाती हैं , इनसे मुक्ति पाने का आसान दवा रहित तरीका खुद को फुर्तीला बनाये रखना है , शायद ही कोई बदकिस्मत रनर विश्व में होगा जिसे रनिंग के बावजूद यह बीमारी बची होगी ! लगभग रोज 10000 कदम वाक अथवा 7 km दौड़ना काफी होता है इनसे मुक्ति दिलाने में ! 

इन दिनों हाई इम्पैक्ट एक्सरसाइज बंद कर रखी है सो म्यूनिख में आकर स्विमिंग ज्वाइन कर लो है , घर के पास ही एक बड़ा स्विमिंग सेण्टर है , जहाँ तीन स्विंमिंग पूल है बड़ा इंडोर स्विमिंग पूल जिसमें सामान्य तापमान पर पानी रहता है और अधिकतर प्रोफेशनल महिला /पुरुष तैरते हैं , दूसरा ओपन स्काई, जिसमें गर्म पानी रहता है और तीसरा स्विमिंग पूल बच्चों के लिए हालाँकि मैं बहुत अच्छा तैराक नहीं हूँ सो बिना थके आराम आराम लगभग 60 मीटर तक तैर सकता हूँ  इससे मेरा आजकल का लो इम्पैक्ट एक्सरसाइज का उद्देश्य पूरा हो जाता है !

हाई इम्पैक्ट एक्सरसाइज , उसे कहते हैं जिसमें जॉइंट्स पर भारी इम्पैक्ट पड़ता है , टेनिस , रनिंग जैसे खेल इसमें आते हैं , रनिंग करते समय हर वक्त एक पैर हवा में रहता है , दूसरा पैर जब जमीन पर गिरता है तब वह रनर के वजन का तीन गुने इम्पैक्ट के साथ जमीन से टकराता है, इससे घुटने, लिगमेंट्स और शरीर पर अधिक स्ट्रेस पड़ता है , दौड़ते समय यह क्रिया बहुत तेजी से और लगातार होती है, 21 किलोमीटर दौड़ में एक रनर को लगभग 30000 बार जमीन पर इस भारी वेग से प्रहार करना पड़ता है , अगर घुटने कमजोर हों , तब घुटने बरबाद होने तय हैं !  इस प्रकार एक सामान्य रनर एक मिनट में लगभग 200 बार अपने शरीर का तीन गुना वजन से अपने घुटनों के जोड़ों पर प्रहार करता है , और इतनी ही बार, इसी वेग से , उसकी बॉडी कोर में अवस्थित किडनी लिवर हृदय पेन्क्रियास आदि झटके लेते हैं , मात्र कपड़ों की रगड़ से ही, लगातार ढाई घंटे दौड़ने से , शरीर से खून छलकना आम बात है ! अगर कोई वयोवृद्ध व्यक्ति अचानक दौड़ने का सोचकर बच्चों की तरह दौड़ने का प्रयास करे तो उसके शरीर पर हुए खतरनाक प्रभाव का अंदाज़ा आप लगा सकते हैं ! जहाँ बोन डेन्सिटी, मजबूत करने के लिए इसे बेहतर माना जाता है वहीं ब्लड प्रेशर , मोटापे और कमजोर हड्डियों के इतिहास वाले लोगों को इसे न अपनाने की सलाह दी जाती है !

इसीलिए वृद्ध अवस्था में लोगों को रनिंग की जगह उनके लिए लो इम्पैक्ट एक्सरसाइज की ही सलाह दी जाती है , इसमें वॉकिंग, स्विमिंग , साइकिलिंग , रोइंग , योगा आदि आता है , इसका उपयोग एथलीट अधिकतर आंतरिक चोट रिकवरी के समय या बीच बीच में बॉडी को आराम देने के लिए करते हैं ! रनिंग करने से पहले हर किसी को लौ इम्पैक्ट एक्सरसाइज से ही शुरू करना चाहिए ! तथा दौड़ने के अभ्यास मध्य भी इसे जोड़कर रखना चाहिए तभी शरीर मुक्त मन से इसे अपना पाता है !

एक रनर को एक सप्ताह में एक दिन रेस्ट तथा एक दिन साइकिलिंग ( क्रॉस ट्रेनिंग ) अवश्य करनी चाहिए ! इससे वह आंतरिक तौर  पर घायल होने से बच जाता है , याद रहे जल्दबाजी करने से मसल्स इंजुरी होती है जिसकी रिकवरी में महीनों लगते हैं , इस मध्य दर्द झेलना पड़ता है सो अलग !

सो दोस्तों :
-रोज सुबह फेफड़ों में सांस भरिये निकालिये , शरीर को स्ट्रेच करके खुली हवा में वाक करने निकल जाइये , एक घंटे का एकाग्रचित्त वाक , जिसमें आप अपने अंगों से बातें करते चलेंगे , आपको एक नयी दुनिया में पहुंचा देगा !
-खाना कम से कम स्वादिष्ट और मात्रा में और भी कम , केवल उतना ग्रहण करें जितना आपका हक़ (पसीना बहाने का परिमाण ) है , अगर पूरे दिन मेहनत नहीं की और सिर्फ घर में लेते रहें हैं उस दिन भोजन न करें या नाम मात्र करें !
 - पानी खूब पीना होगा प्यास हो या न हो  
- जानवरों का दूध, केमिकल शुगर एवं समस्त तेल वर्जित हैं , कुछ समय बाद शीशे में खुद को पहचान नहीं पाओगे !
और हाँ दूसरों को गालियां देना , अपनी तकलीफों पर रोना बंद और जो खुशियां सहेजी हैं उन पर हँसना सीखना होगा !  
आज का फोटो देखिये इस सत्तर वर्षीय जवान का (कागजी उम्र 68)

Tuesday, August 2, 2022

खान पान, प्रौढ़ावस्था में -सतीश सक्सेना

पिछली पोस्ट में कई मित्रों का खान पान पर लिखने का आग्रह था , सो यह पोस्ट , बस पोस्ट पढ़ने से पहले दोस्तों से अनुरोध है कि लीक से हठ कर विचार करें तभी बात बनेगी शरीर बदलने के लिए हमें अपनी आदतें बदलनी होंगी , खाने में जो अच्छा लगता है , सारे जीवन खाया उसे त्याग दें जो नहीं खाया उसे खाना शुरू करें , रोटी दाल चावल के बग़ैर भी आधी दुनिया रहती है सो भोजन बदलें , मेहनतकश बनें और आप देखेंगे आपका शरीर भी बदल रहा है !  

अधिकतर मित्र लोग ५० का होते होते , इतने आलसी हो जाते हैं कि शरीर हिलते ही दर्द शुरू होने लगता है और वे सोचते हैं कि हमारी उमर हो गयी है , अब हर काम सावधानी से करना होगा , इस उमर के बाद अपने शरीर को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए , वे महँगे खानपान की तरफ़ झुकते हैं , उन्हें लगता है कि ड्राई फ़्रूट्स , अंडे , प्रोटीन युक्त भोजन आदि अगले सालों में शरीर को पुष्ट रखेगा और वे ऐसा ही करते हैं, बताइए क्या खाना है ? जबकि शरीर को भोजन की सीमित आवश्यकता ही होती है , मेहनत करने पर जितनी ऊर्जा ख़त्म होती है उसकी भरपायी शरीर एकदम सामान्य भोजन से ही पूरी कर लेता है ! जानवरों के दूध या महँगे ड्राई फ़्रूट्स में ऐसा कुछ नहीं होता जो सामान्य खेत की सब्ज़ी और गेहूं जैसे सामान्य फ़ूड में नहीं होता !

कुछ अन्य लोग रनिंग की ओर ध्यान देते हैं और अति कर देते हैं , यह बेहद ख़तरनाक है , हर एक को अपनी शारीरिक क्षमताओं का पूरा ज्ञान होना चाहिए , बिना इसे समझे, शरीर को हाई इम्पैक्ट एक्सरसाइज़ में झोंक देना , आपके ह्रदय को बर्बाद करने में सक्षम है ! याद रखें कि दौड़ते समय बॉडी कोर में अवस्थित उन नाज़ुक अंगों जैसे किड्नी , लीवर , ह्रदय , फेफड़े , पेंक्रियास आदि में तेज कम्पन और झटके लगते हैं जो पिछले कई वर्षों से बेजान जैसे पड़े रहे हैं ,  नतीजा बढ़ा हुआ ब्लडप्रेशर , धौंकनी जैसे चलते फेफड़े , कांपता पाचन तंत्र आपको किसी भी ख़तरे में डाल सकता है ! यह सब करने के लिए आवश्यक है कि सुस्त शरीर को आहिस्ता आहिस्ता चलाना और फिर इन कम्पनों, झटकों को झेलना सिखाया जायँ , इसमें शरीर की दशा अनुसार महीनों अथवा वर्षों लग सकते हैं , सो पहली बात सुस्त शरीर को पहलवान बनाने में जल्दी न करें अन्यथा जान तक जा सकती है !

अब भोजन का मामला उठाते हैं , अधिकतर लोगों को यह विश्वास होता है शरीर को मजबूत रखने के लिए बढ़िया स्वास्थ्यवर्धक भोजन आवश्यक है ! मेरा विश्वास है कि यह बिलकुल आवश्यक नहीं , भोजन विशिष्ट हो या साधारण उसका असर एक ही जैसा होता है , काजू के आटे की बनी रोटियाँ , शुद्ध घी के पराँठे, फ़र्श सलाद खाएँ, ढेरों फल फ़्रूट खाएँ अथवा सामान्य रोटी , दाल और सब्ज़ी जो रिक्शावाला खाता है , असर एक हो होगा ! कोई व्यक्ति, अखाड़े में लड़ने वाला पहलवान, बढ़िया खाना खाकर नहीं बनता बल्कि पूरे दिन पसीना बहाकर मज़बूत शरीर का मालिक बनता है , और उसे भूख भी अधिक इसीलिए लगती है  ओ खाने पर अधिकार उसी व्यक्ति का अधिक होगा जो मेहनत भी अधिक करता हो , कुर्सी पर बैठे व्यक्तियों को दिन में एक बार का भोजन पर्याप्त होगा , बिना मेहनत तीन बार का भोजन करने वाले लोग सिर्फ़ अपने पूर्वजों की लकीर पीट रहे होते हैं जो बेहद मेहनती थे !

हमें अपने भोजन से अखाद्य को निकालना होगा , प्राकृतिक भोजन से बेहतर कुछ नहीं , तेल अधिकतर इंसानों के लिए नुकसान करता है सो उसका त्याग करना होगा , शुगर की जगह गुड़ का उपयोग बेहतर है ! सीमित भोजन आपके शरीर के तंत्र पर अधिक जोर नहीं डालेगा और उसका फायदा अधिक होगा जबकि लोगों की सोच उसके उलट है क्योंकि बचपन से मन में बैठ चुका है , ब्रेकफास्ट , ऑफिस लंच और घर आकर रात को बीबी के हाथ का बनाया डिनर , शरीर की हाय हाय सुनाई ही नहीं देती , पेट का शेप बदलने लगता है तब भी ध्यान नहीं , शरीर बेचारा थक कर उसे भी आखिर अंगीकार कर लेता है !

सो भोजन उतना ही करना चाहिए जितना श्रम किया है , बिना मेहनत भोजन सिर्फ शरीर को बर्बाद करेगा , अनुरोध है कि मेहनत करना सीखें और भोजन घटाना शुरू करें, भूख पर क़ाबू पाने के लिए खाने से आधा घंटे पहले पानी पीने की आदत डालें , पेट भरा लगेगा ! 
अंत में :
- खुद पर विश्वास रखें कि आपका शरीर बेहद ताकतवर है मानसिक तौर पर ताकतवर लोगों पर, उम्र का कोई ख़ास असर नहीं होता , कम उम्र में ही बूढ़े वे लोग होते हैं जो खुद को कमजोर मानने लगते हैं , आप यक़ीन करें ६८ वर्ष की उमर में मैं वह सब काम आसानी से करता हूँ जो कोई ३५ वर्ष का व्यक्ति कर सकता है , अपने शरीर पर अविश्वास आपको बहुत तेज़ी से कमजोर बनाएगा !
-कोई भी संकल्प बेहद कमजोर और क्षणिक होगा अगर आप ख़ुशमिज़ाज नहीं हैं , मस्तमौला रहना सीखें , कष्टों को भूलना आवश्यक है , ख़ुशियों को हर समय याद रखिए दुःख आपके पास आएँगे ही नहीं ! स्वाभाविक हंसी से स्फूर्ति और ताज़गी आपके शरीर को नौजवानों जैसी शक्ति देने में समर्थ है !
-मृत्युभय, अधिक उम्र में आपको संभावित इलाज के लिए , धन जोड़ने के लिए प्रेरित करेगा और आप धन का उपयोग अपनी ख़ुशियों के लिए नहीं कर पाएँगे जबकि यह बेहद आवश्यक है !
-दिखावा , झूठ, नफ़रत और क्रोध को नज़दीक न आने दें आपके चेहरे की रंगत ही बदल जाएगी ! 
 
मंगलकामनाएँ आप सबको ! 
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