लगता है ३० वर्ष में ही, ६० वर्ष पूरे होने का घंटा बजा दिया कि अब स्कूल बंद हो गया, आज के बाद अब यहाँ नहीं आना, फीस आदि का रिफंड के लिए चेक घर भेज दिया जाएगा ! :)
इस वर्ष मैं भी रिटायर हो रहा हूँ , सामर्थ्यवान एवं पर्याप्त शक्तिशाली बच्चों के कारण मेरे जैसे भाग्यवान लोग इस दुनिया में बहुत कम ही होंगे मगर जब अपने मित्रों को देखता हूँ तो दिल दहल जाता है ! कल ऑफिस में अपने दो हमउम्र मित्रों से बात करते समय , मैंने यह फैसला किया कि इन सर्वगुण संपन्न एवं अनुभवी रिटायर शेरों को संगठित करूंगा एवं इस शक्ति का उपयोग आपस में एक दूसरे की मदद देकर करेंगे ! यह कार्य करने के लिए "dignified lion's club" की स्थापना का संकल्प करता हूँ !
विवेक जी से कवि दिवस पर हुई चर्चा में , उन्होंने एक बेहतरीन आयडिया, जिस पर वह काम कर रहे हैं, के बारे बताया था कि हर शहर में वृद्धों का एक डाटा बेस तैयार किया जाएगा जिनमें उनकी आवश्यकताएं एवं सहायता देने हेतु, उन्हीं शहरों में रहने वाले स्वयंसेवक स्वेच्छिक रूप से आगे आयेंगे ! मेरी अपनी इच्छा, इस कार्य के लिए, ह्रदय से लगने की है जिसे अब ३० वर्ष (६० ) उम्र में मैं शुरू करना चाहता हूँ ! :)
रिटायरमेंट के वर्ष में, पहला तनाव यह होता है कि फंड, ग्रेचुटी के पैसे बच्चों और बच्चों की अम्मा द्वारा झपटने से कैसे बचाये जाएँ जिनपर इन लोगों की नज़र, पिछले सालों से टिकी है ! परिवार में बहुमत एवं असर माँ बेटे का है जो इस विषय में एकमत हैं ! मैंने रिटायरमेंट के साल अक्सर अपने साथियों को अप्रत्याशित तनाव में पाया है और वह भी अपने ही परिवार से, जिसके लिए बरसों से अपने मित्रों में, तारीफे करते नहीं अघाते थे, वे अब यह कैसे बताएं कि परिवार के तमाम जरूरतें, उनके रिटायर होने का इंतज़ार कर रहीं हैं !
रिटायरमेंट के समय इंसान अक्सर शेष बचे हुए, १५-२० वर्षों की सिक्यूरिटी के लिए बेहद तनाव में पाता है ! पूरे जीवन अपने परिवार के लिए, जी तोड़ मेहनत कर पालने वाले इन वृद्ध शेरों, को अपने घरों में ही उपेक्षा और हिकारत का शिकार होना पड़ता है , उन्हें यह अहसास कराया जाता है कि वे लालची हैं व उन्हें अपने बच्चों की आवश्यकताओं का ध्यान नहीं है !
घायल शेरनी, जो बरसों से अपने पति की बड़बड़ और अकड़ से परेशान रही है उसे यही मौक़ा सही मिलता है , बुड्ढे के कमजोर दिनों में ,सामर्थ्यवान पुत्र का साथ देकर,काफी संतोष का अनुभव करती है और वह पहले से ही टूटी कमर और असहाय अकेले व्यक्ति पर, जोरदार हमला करने का कोई मौका नहीं चूकती ! उसकी पूरी कोशिश यह रहती है कि इस बुड्ढे सरदार की, सिक्यूरिटी छीन कर, परिवार पर आश्रित कर दिया जाए इससे इसकी अकड़ भी सुधर जायेगी तथा बच्चों को पैसे भी मिल जायेंगे और फिर बेटे का दिल करे तो ठीक नहीं तो इस मरे और सड़े से इंसान का क्या करना ! :)
अफ़सोस यह है कि अक्सर पुत्र भी अपने पिता को सहयोग नहीं करते उन्हें अपनी जवानी में ही , पिता के पूरे जीवन के बचाये २०-३० लाख रूपये, उनके सपने पूरे करने, घर खरीदने अथवा कार खरीदने को मिल जाएँ, इससे अच्छा आसान साधन और कुछ नज़र नहीं आता !
इस वर्ष मैं भी रिटायर हो रहा हूँ , सामर्थ्यवान एवं पर्याप्त शक्तिशाली बच्चों के कारण मेरे जैसे भाग्यवान लोग इस दुनिया में बहुत कम ही होंगे मगर जब अपने मित्रों को देखता हूँ तो दिल दहल जाता है ! कल ऑफिस में अपने दो हमउम्र मित्रों से बात करते समय , मैंने यह फैसला किया कि इन सर्वगुण संपन्न एवं अनुभवी रिटायर शेरों को संगठित करूंगा एवं इस शक्ति का उपयोग आपस में एक दूसरे की मदद देकर करेंगे ! यह कार्य करने के लिए "dignified lion's club" की स्थापना का संकल्प करता हूँ !
विवेक जी से कवि दिवस पर हुई चर्चा में , उन्होंने एक बेहतरीन आयडिया, जिस पर वह काम कर रहे हैं, के बारे बताया था कि हर शहर में वृद्धों का एक डाटा बेस तैयार किया जाएगा जिनमें उनकी आवश्यकताएं एवं सहायता देने हेतु, उन्हीं शहरों में रहने वाले स्वयंसेवक स्वेच्छिक रूप से आगे आयेंगे ! मेरी अपनी इच्छा, इस कार्य के लिए, ह्रदय से लगने की है जिसे अब ३० वर्ष (६० ) उम्र में मैं शुरू करना चाहता हूँ ! :)
यहाँ मददगारों की कमीं नहीं है सिर्फ नेतृत्व चाहिए, भीड़ की भीड़ उठ खडी होगी मदद करने के लिए !!
सहायकों की कमीं नहीं है, साथ हज़ारों आयेंगे !
इन बूढ़ों की मदद के लिए हाथ हज़ारों आयेंगे !
waah ...bahut sundar idea .....
ReplyDeleteसुना है कि एक द्वार बंद होता है तो ईश्वर अनंत द्वार खोल देता है, देखने की नजर चाहिए, कुछ नया करने का जज्बा चाहिए बस, रिटायरमेंट के अपने फायदे ही फायदे है, जो काम तब हम करना चाहते थे जिम्मेदारीवश नहीं कर पाये तो अब किया जा सकता है, मन में संकल्प करे तो क्या नहीं हो सकता ? सटीक आलेख लेकिन आलेख के साथ चित्र कुछ बेबूझ सा लग रहा है :) !
ReplyDeleteअरे …
Deleteअपना अपना प्लान है :)
( सन्देश खुश रहने का है )
"dignified lions club" :) ??
Deleteगौरवशाली शेरो का क्लब
Deleteसुमन जी शेर को नहीं शायद अल्मारी देख कर असहज महसूस कर रही हैं :)
Deleteअच्छी फोटो है :)
लोग खुश ही नहीं होते ?? उम्र ही ऎसी है .....:)
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ReplyDeleteविवेक जी का कमेन्ट भूल से डिलीट हो गया है , अतः उनका कमेन्ट दुबारा दे रहा हूँ !
DeleteVivek ji has left a new comment on your post "रिटायरमेंट का वर्ष और अपने ही घर में वृद्ध शेरों क...":
बहुत बहुत साधुवाद आपके संकल्प के लिए,
आभार आपका विवेक जी ,
Deleteवृद्धों पर आपकी वेब साईट का इंतज़ार है !
शुभकामनाएँ ! उम्मीद है अवकाशप्राप्ति का बाद ब्लॉग पर सक्रियता और बढ़ेगी.
ReplyDeleteनई पोस्ट : कुछ कहते हैं दरवाजे
एक बात हमको, बिल्कुल भी नहीं भाती है,
ReplyDeleteकि साठ की उम्र, इतनी जल्दी आ जाती है।
कहते हैं सब लोग साठ में सठियाने लगते हैं ,
पर सक्सेना जी तो अभी तक ज़वान लगते हैं।
सरकार वफादारी का ये कैसा सिला देती है ,
भरी ज़वानी में परमानेंट तबादला कर देती है।
जीवन भर तो करते रहे सरकार की नौकरी ,
अब करनी पड़ेगी घरेलु सरकार की चाकरी।
जो रौब दफ्तर में अक्सर मारते थे सब पर ,
अब देखते हैं किस का हुक्म चलेगा घर पर।
शुभकामनाएं !
आपने घाव हरे कर दिए सरकार .....
Deleteएक अँजलि भर देना चाहँगा आपके इस यज्ञ में आहुति मैं भी कभी :)
ReplyDeleteआपका हमेशा स्वागत है प्रोफ़ेसर साहब !!
Deleteशब्द आपको रिटायर नहीं करेंगे, हमें बहुत कुछ पढ़ने को और मिलेगा, सुनने को और मिलेगा।
ReplyDeleteशब्द आपको रिटायर नहीं करेंगे, हमें बहुत पढ़ने को मिलेगा, सुनने को मिलेगा।
ReplyDeleteआभार इन मंगलकामनाओं के लिए ….
Deleteअवकाशप्राप्ति का बाद ब्लोगिग में आपकी सक्रियता बढ़ जायगी,जिससे हमे रोज कुछ नया पढने को मिलेगा,,,,!
DeleteRECENT POST - प्यार में दर्द है.
सुविचार संप्रेषित करती पोस्ट ...आपको भविष्य के लिए मंगलकामनाएं ...!!
ReplyDeleteबनाओ बनाओ, पर इस क्लब में हम जैसों का क्या काम? रिटायर तो कभी होंगे नहीं।
ReplyDeleteरिटायरमेंट जैसा सब्द आप जैसे सृजनशील लोगों के लिये है ही नही ।
ReplyDeleteसद्प्रयास अवश्य सफल होगा ......मंगलकामनाये .....
ReplyDeleteआप और रिटायर ?अब तो आप फ़ुल-टाइम जॉब में लग रहे हैं :बहुतों का आसरा बनकर आप बहुत बड़ा काम कर रहे हैं.मुझे विश्वास है बहुते से हाथ आपके साथ हो जाएँगे .
ReplyDeleteबड़ा करूण दृश्य खींच दिया सतीश जी आपने ! लेकिन सभी वृद्ध शेरों की दशा इतनी दयनीय नहीं होती और हर पत्नी घायल शेरनी के तरह हमलावर नहीं होती ! अपने परिवार की स्वार्थपरता के शिकार हुए ऐसे पीड़ित बुजुर्गों की सहायतार्थ आप डिग्नीफाइड लायंस क्लब की स्थापना कर रहे हैं बहुत ही नेक विचार है ! हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteGreat thoughts! Wish you best of luck!
ReplyDeleteमुझे लगता है वृद्धावस्था आने से पहले अपना सेल्फ हेल्प ग्रुप बना लेना चाहिये...ताकि बच्चे खुल के जी सकें...नेता कभी रिटायर नहीं होता तो हम क्यूँ...काम की कमी नहीं है...अब पैसों के लिए नहीं समाज के लिये काम कीजिये...
ReplyDeleteवाह !! आभार आपका
Deleteसार्थक और सकारात्मक आईडिया।
Deleteवीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो...
ReplyDeleteयुवाओं की हर कोई बात कर रहा है...लेकिन इस मुद्दे पर कम ही लोगों का ध्यान है...सतीश भाई, आपकी जागरूकता को साधुवाद...मैं हर कदम पर आपके साथ हूं..
जय हिंद...
बहुत सुन्दर विचार ,कदम बढाइये ,काफिला बन जायेंगे !
ReplyDeletelatest post कि आज होली है !
भाई अच्छा है गृहणियाँ अवकाश प्राप्त नहीं करती
ReplyDeleteजब तक तेल ईंधन है चलती रहती है
मेरे पति के पास अभी 3-4 है
तब तक आप रोज लिख मुझे मेल कर दिया कीजिये
बाद मे शायद मैं बूढ़ी हो जाऊँ ..... दिखे ही नहीं
हार्दिक शुभकामनायें
आपकी पंक्तियाँ बढ़िया लगीं :)
Deleteसतीश जी ! कवि और कविता कभी बूढी नहीं होती । आप आजीवन ऐसे ही रहेंगे ,जैसे अभी हैं ।
ReplyDelete...कौन कहता है कि आप रिटायर हो रहे हैं? आपके पास तो फुल टाइम जॉब पहले से है - ब्लॉगिंग!
ReplyDeleteइंटरनेट ने लोगों को रिटायर करना जाने कब से बंद कर दिया है!!!! :)
दूसरे पक्ष की ओर देखें तो रिटायरमेंट को पुरुषों का मेनोपॉज भी कहा गया है! ढेरों तनाव देता है! :)
आपसे सहानुभूति है! :)
बढिया !!
Deleteस्वागत है आपका रवि भाई !!
उम्र भर कार्य करने के बाद रिटायरमेंट के बाद ही वह समय मिल पाता है जब व्यक्ति अपने रूचि के कार्यों को करने को स्वतंत्र है...नौकरी से रिटायर होना ज़िंदगी से रिटायर होना नहीं...
ReplyDeleteसहायकों की कमीं नहीं है, साथ हज़ारों आयेंगे !
ReplyDeleteबूढ़े शेरों की मदद हेतु,अब हाथ हज़ारों आयेंगे !
एक शाश्वत सत्य किन्तु आज भी बच्चे माँ बाप से प्यार करते हैं
इसमे कोई संदेह नहीं एक सार्थक और सचेतक लेख के लिए प्रणाम
रिटायरमेंट आपको एक अवसर देता है उन मनभावन कामों को करने का जिन्हें आप अब तक नौकरी की व्यस्तता के कारण नहीं कर पाए थे बशर्ते कि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ हों और आपके ऊपर जिम्मेदारियों का बोझ बाकी न रह गया हो तथा समयबद्ध योजनाएं बनाकर उन्हें सेवानिवृत्ति के पहले अंजाम दे दिया गया हो. शुभकामनाएं इस अभिलाषा के साथ कि आप इस अवसर का पूरा-पूरा लाभ उठाने में समर्थ हों!
ReplyDeleteस्वागत है आपका मगर झिझक क्यों गए टाइगर :)
ReplyDeleteमुझे मालूम है कि तू २ साल की थी जबसे नाना को बहुत प्यार करती है मोटू !!
ReplyDeleteअब आया ऊंट पहाड के नीचे.:)
ReplyDeleteरामराम.
यह एक चुनौतीपूर्ण सामजिक मुद्दा है और आपकी पहल आश्वस्ति दायक है!
ReplyDeleteनाम सिंपल रखें -जैसे सीनियर सिटीजन वेलफेयर असोसिएशन , एज्ड पीपुल्स पैराडाइज ,बुजुर्ग कल्याण केंद्र आदि
bahut khoob satish ji . waah kuch aisi baat ho to dil khush ho jaata hai
ReplyDeletedushant ji ka sher yaad aa raha hai .
ek pathar to tabiyat se uchhalao yaaro, aasman me suraakh ho jaayenga
bahut badhayi satish ji
विजय भाई स्वागत है आपका यहाँ ,
Deleteआपकी, मुक्त सरल हृदय प्रशंसा, मनभावन है ,ऐसे कवि बहुत कम हैं जो खुद की मजबूत कलम के नवजूद दूसरों की मुक्त प्रशंसा करें ! आपका प्यार बना रहे आपको निराश नहीं करूंगा !!