Tuesday, March 11, 2014

कवि दिवस ( ९ मार्च ) और विवेक जी के संकल्प - सतीश सक्सेना

बेतुल में कविदिवस 
मैं ८० के दशक से कवितायें लिख रहा हूँ मगर आज तक उन्हें किसी मंच , कवि गोष्ठी अथवा मित्रों के समूह में कभी नहीं सुनाया ! १९७७ से ट्रेड यूनियन मूवमेंट लीडर शिप में रहा हूँ तथा मंच से सैकड़ों बार भीड़ में, भाषण देने के कारण, पब्लिक सम्बोधन में कभी कोई झिझक नहीं रही ! मेरे लिए यह एक सामान्य बात कहने की, प्रक्रिया भर है फिर भी मैं आत्म प्रचार से चिढ़ता रहा हूँ , परिणाम स्वरुप मेरे साथ बरसों काम करने वाले मित्र भी यह नहीं जानते कि मैं कविता लेखन करता हूँ ! ब्लॉग जगत में मेरे आने का कारण, यश अर्जन न होकर मेरी कविताओं और लेखों को एक जगह कलमबद्ध करना मात्र रहा है ताकि भविष्य में, समाज के लिए उपयोगी मानी जाएँ तो वे लोगों के काम आ जाएँ !

मगर जब विवेक जी के विचारों के लिए बने संगठन, आनंद ही आनंद, के मध्य भारत के संयोजक विश्वास जी ने जब मुझे बेतुल आने का निमंत्रण दिया तो मैं प्रारम्भिक झिझक के बाद भी, मना नहीं कर सका , आश्चर्य हुआ
महात्मा विवेक जी 
कि वे मेरी अधिकाँश कवितायें पहले ही ब्लॉग के माध्यम से पढ़ चुके थे ! सामजिक पृष्ठभूमि पर लिखी कविताओं के कारण ही, वे तथा आनंद ही आनंद से जुड़े लोग, मुझसे परिचित थे ! बेतुल के कविसम्मेलन में मुझे प्रभावशाली  कवि मदन मोहन समर,मनवीर मधुर,ज्योति खरे,संतोष त्रिवेदी,शरद जैसवाल ,दीपक अग्रवाल, शुभम शर्मा के साथ मंच पर बैठने का मान मिला ! 

बहुत कम लोग जानते होंगे, स्वयं प्रचार के अभाव में, साधारण से दिखने वाले इस युवक ( विवेक जी ) ने, अपनी उच्च शिक्षा एवं अन्तराष्ट्रीय जीविका को त्याग कर , इस देश की संस्कृति पुनरुत्थान का , जो संकल्प लिया है , वह अद्वितीय है ! त्याग की इस अनुपम मिसाल युक्त आकर्षक व्यक्तित्व की वाणी जब जब मैंने सुनी तब तब उस सौम्य व् मीठी वाणी  में मुझे विवेक जी नहीं साक्षात विवेकानंद सुनाई पड़ रहे थे ! आकर्षक एवं मोहक व्यक्तित्व के मालिक विवेक से जब मैंने उनके विवाह के बारे में जानना चाहा तो उनका कहना था कि विवाह तो हो चुका इन संकल्पों से ! 


कवियों और कविता के प्रति उनकी आस्था और विश्वास है कि बरसों से सुप्त पड़ी कविता भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान में एक नयी रोशनी ला सकती है सो कवियों को जगाना होगा एवं इस कार्य का आगाज़ पूरे देश में पहली बार कवि दिवस ( ९ मार्च ) की उद्घोषणा करते हुए किया है ! भविष्य में विवेक जी की योजना इन कवि सम्मेलनों को देश के अन्य हिस्सों तथा विदेशों में ले जाने की है !

उनके द्वारा किया गए कार्यों में से, मुझे सबसे अधिक आकर्षित, वृद्ध सहायता कार्यक्रम ने किया है जिसमें वे देश में वृद्धों के लिए एक डाटा बैंक बनवा रहे हैं तथा उन लोगों की मदद के लिए एक लोकल सर्कल होगा जो हर क्षण वृद्धों की सहायता में  तत्पर रहेगा !

परिवार , एवं समस्त भौतिक सुखों का त्याग इतनी कम उम्र में आसान नहीं होता ! इस अशिक्षित देश में, एक नयी अध्यात्मिक सांस्कृतिक लौ प्रज्ज्वलन का प्रयत्न करते, इस महात्मा का मैं अभिवादन करता हूँ !

18 comments:

  1. विवेक जी से परिचय करवाने के लिए आभार सतीश जी......

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  2. आदरणीय विवेक जी से मिलवाने का आपका आभारी हूँ। ऐसा चमत्कृत व्यक्तित्व और प्रेरणा देती विभूति आज के समय में वास्तव में दुर्लभ है। बड़ा ही आनन्द आया इस आयोजन से।

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  3. आपकी कविता पढ़ी तो है, पर साक्षात सुनने की भी इच्छा है।

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  4. विवेक जी का अभिनन्दन....

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  5. सतीश जी....विवेक जी से परिचय करवाने के लिए आभार

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  6. @उनके द्वारा किया गए कार्यों में से, मुझे सबसे अधिक आकर्षित, वृद्ध सहायता कार्यक्रम ने किया है जिसमें वे देश में वृद्धों के लिए एक डाटा बैंक बनवा रहे हैं तथा उन लोगों की मदद के लिए एक लोकल सर्कल जो हर क्षण वृद्धों की सहायता में तत्पर रहेगा !
    बहुत सार्थक प्रयास बधाई विवेक जी को , काश मंच पर हम भी सुन पाते आपको कविता पाठ करते हुए :)?? चलिए अभी तो इन चित्रों से ही संतोष कर लेते है !

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  7. wah .. mujhe bhi vivekji ya anand hi anand jaise sangathan ke baare me koi jaankaari nahi thi...

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  8. विवेकजी जैसे युवको का वंदन, उनके अभियान मे मुझे भी शामिल होना है आप किस्मत वाले है कि समय निकाल लिया

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  9. प्रशंसनीय सामाजिक कार्य -मुबारक हो !
    आपके व्यक्तित्व में मैं कुछ अपनी पहचान पाता हूँ -आत्म प्रचार से मुझे भी ऐलर्जी है!
    मेरे विभाग के भी ज्यादातर लोग नहीं जानते कि मेरी विज्ञान कथाओं में भी रूचि है !

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  10. प्रेरणात्‍मक व्‍यक्तित्‍व ... आपका आभार इस परिचय एवं प्रस्‍तुति के लिए
    सादर

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  11. आभार ।
    जहाँ कुछ नहीं है वहाँ बहुत कुछ भी है ।

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  12. सराहनीय कार्य...विवेक जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!

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  13. आपकी रचनाएं ही आपकी पहचान हैं ।

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  14. ऐसे कर्मनिष्ठ लोगों को सामने लाना भी श्रेष्ठ कार्य है ,लोग तो अपने ही गुण गाते नहीं थकते .आपकी कविताएं मैं भी रुचि से पढ़ती हूँ और प्रसन्न होती हूँ .
    आभार आपका !

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  15. ईश्वर करे विवेक जी विवेकानन्द की तरह देश की संस्कृति को सम्पूर्ण विश्व में बगरायें ।

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  16. ...............
    ...............


    pranam.

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  17. विवेक जी प्रेरणा हैं दुसरे युवाओं के लिए ...

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  18. विवेक भाई साहब को सादर नमन और आपको साधुवाद इनसे परिचय हेतु

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- सतीश सक्सेना

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