Wednesday, January 27, 2016

आँधियों ने ओढ़ ली इतनी उदासी किस लिए ? - सतीश सक्सेना

क्या हुआ, ये सोच में  डूबी खुमारी किसलिए ?
आँधियों ने ओढ़ ली इतनी उदासी किस लिए ?

तुम तो कहते थे, न सोओगे , न सोने दो मुझे
आज ऐसा क्या हुआ,इतनी उबासी किस लिए ?

ऐसी क्या अवमानना की मानिनी की, प्यार ने
चमक चेहरे की हुई है,अमलतासी किस लिए ?

लगता घायल से हुए हो, जख्म गहरे दिख रहे
पागलों के पास जाकर मुंह दिखायी किसलिए ? 

ये भी अच्छा है कि पछतावा रहे , सरकार को
इक दीवाने के लिए भी जग हँसायी किसलिए ?

16 comments:

  1. वाह वाह - बहुत खूब

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  2. सरकार किसी सरकार को पछतावा हुआ है क्या कभी
    बेकार नहीं जाता है कोई भी अफसाना उनका किसलिये ?

    बहुत सुंदर :) :) :)

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  3. बहुत बढ़िया ।

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  4. लगता घायल से हुए हो, जख्म गहरे दिख रहे
    पागलों के पास जाकर मुंह दिखायी किसलिए --मन के गहन भावों की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति।

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  5. पागलों के पास जाकर मुंह दिखायी किसलिए ? - गजब ढाती पंक्तियाँ..

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  6. बेहतरीन पंक्तियाँ .... अर्थपूर्ण

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  7. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 29 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  8. वाह, बहुत सुंदर!

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  9. वाह..... ज़बरदस्त अभिव्यक्ति सतीश भाई, बहुत खूब!

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  10. क्या बात है बहुत सुन्दर पंक्तियाँ !

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  11. उम्दा प्रस्तुति...

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  12. बड़े दिन बाद आया हूं आपके ब्लॉग पर। माफी चाहता हूं..कई कविताएं पढ़ीं...अच्छी भी लगी।

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  13. बहुत खूब सतीश जी ... मन के भाव शब्दों में पिरो दिए ....

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  14. लगता घायल हो हुए हो, जख्म गहरे दिख रहे
    पागलों के पास जाकर मुंह दिखायी किसलिए ?
    ...वाह..लाज़वाब रचना

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  15. वाह हमेशा की तरह लाजवाब लेखन .... सादर

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आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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