चंदा तो मेहमान नहीं है,
लोगों पर अहसान नहीं है !
माँ की दवा,को चोरी करते,बच्चे की वेदना लिखूंगा !
एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !
- सतीश सक्सेना
बढ़िया । मुक्त करना और मुक्त हो जाना इससे ज्यादा क्या चाहिये?
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteभाई कुलदीप जी ने कल लिं लेकर सूचना दी थी सभी को पर प्रस्तुति यहा नहीं थी सो यह आकस्मिक प्रस्तुति,, "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 17 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत गहरी काव्योक्तियाँ हैं ये, आभार और साधुवाद।
ReplyDeleteतुम्हें मुक्त कर हम सो जाएँ
ReplyDeleteऔर कोई अरमान नहीं है --मुक्त करना,भूल जाना इतना आसान भी नहीं है। हर पंक्तियाँ सार्थक है---सुन्दर अभिव्यक्ति।
भाई कुलदीप जी ने कल लिंक लेकर सूचना दी थी सभी को, पर प्रस्तुति यहां नहीं थी सो यह आकस्मिक प्रस्तुति,, "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 17 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteपरोक्ष रूप से कटाक्ष..
ReplyDeleteअपने लोगों को वर देना
वैसे भी, अनुदान नहीं है !
उत्तम पंक्तियाँ....
सुबह हड़बड़ी मे पूरा नहीं पढ़ पाई
कुलदीप भाई का नेट डाउन था
और प्रस्तुति भी आनी थी..
बहुत खूब!
ReplyDeleteसुंदर और सार्थक रचना । बहुत खूब सर जी ।
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण और सटीक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteसमाज से जुड़ी बातों को शेर बना के ढाल दिया ... गज़ब शिल्प और ख्याल ...
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